29.4.16

प्रेरणा देने वाले शुभ संदेश




1)
जब तक तुममें दूसरों को व्यवस्था देने या दूसरों के अवगुण ढूंढने, दूसरों के दोष ही देखने की आदत मौजूद है, तब तक तुम्हारे लिए ईश्वर का साक्षात्कार करना कठिन है।

 – स्वामी रामतीर्थ.
2) यदि किसी युवती के दोष जानना हों, तो उसकी सखियों में उसकी प्रशंसा करो | – बेंजामिन फ्रैंकलिन.
3) पैसा आपका सेवक है, यदि आप उनका उपयोग जानते हैं; वह आपका स्वामी है, यदि आप उसका उपयोग नहीं जानते | – होरेस
4) दुसरे के दोष पर ध्यान देते समय हम स्वयं बहुत भले बन जाते हैं | परंतु जब हम अपने दोषों पर ध्यान देंगे, तो अपने आपको कुटिल और कामी पाएँगे | – महात्मा गांधी.
5) जब तक तुममें दूसरों के दोष देखने की आदत मौजूद है, तब तक तुम्हारे लिए ईश्वर का साक्षात्कार करना अत्यन्त कठिन है | – रामतीर्थ.
6) ज्ञानवान मित्र ही जीवन का सबसे बड़ा वरदान है | – युरिपिडिज.
7) मुँह के सामने मीठी बातें करने और पीठ पीछे छुरी चलानेवाले मित्र को दुधमुँहे विषभरे घड़े की तरह छोड़ दो | – हितोपदेश.
8) सच्चे मित्र को दोनों हाथों से पकड़कर रखो | – नाइजिरियन कहावत.
9) उस काम को, जिसे तुम दुसरे व्यक्ति में बुरा समझते हो, स्वयं त्याग दो परंतु दूसरों पर दोष मत लगाओ | – स्वामी रामतीर्थ.
10) जब जेब में पैसे होते हैं, तो तुम बुद्धिमान और सुंदर लगते हो तथा उस समय तुम अच्छा गाते भी हो | – स्वीडिश कहावत
11) धर्म तो मानव-समाज के लिए अफीम है | – कार्ल मार्स्क.
12) जो चीज विकार को मिटा सके, राग-व्देष को कम कर सके, जिस चीज के उपयोग से मन सूली पर चढ़ते समय भी सत्य पर डटा रहे वही धर्म की शिक्षा है | – महात्मा गांधी.
13) संकट के समय धैर्य धारण करना मानो आधी लड़ाई जीत लेना है | – प्लाट्स.
14) जिसे धीरज है और जो मेहनत से नहीं घबराता, कामयाबी उसकी दासी है | – स्वामी दयानन्द सरस्वती.
15) अपने जीवन का ध्येय बनाओ और इसके बाद अपनी सारी शारीरिक और मानसिक शक्ति, जो भगवान ने तुम्हें दी है, उसमें लगा दो | – कार्लाइल.
16) महान ध्येय महान मस्तिष्क की जननी है | – इमन्स.
17) चाहे धैर्य थकी घोड़ी हो, परंतु फिर भी वह धीरे-धीरे चलेगी अवश्य | – विलियम शेक्सपीयर.
18) जो अपने लक्ष्य के प्रति पागल हो गया है, उसे ही प्रकाश का दर्शन होता है | जो थोड़ा इधर, थोड़ा उधर हाथ मारते हैं, वे कोई लक्ष्य पूर्ण नहीं कर पाते | वे कुछ क्षणों के लिए बड़ा जोश दिखाते है; किन्तु वह शीघ्र ठंडा हो जाता है | – स्वामी विवेकानंद.
19) हमारा ध्येय सत्य होना चाहिए, न कि सुख | – सुकरात.
20) मनुष्य के लिए निराशा के समान दूसरा पाप नहीं है | इसलिए मनुष्य को इस पापरुपिनी निराशा को समूल हटाकर आशावादी बनना चाहिए | – हितोपदेश.








7.4.16

महात्मा गांधी के अमृत वचन



यहाँ महात्मा गाँधी के कुछ अनमोल वचन संकलित किए गए हैं:
1) अधभूखे राष्ट्र के पास न कोई धर्म, न कोई कला और न ही कोई संगठन हो सकता है।
निःशस्त्र अहिंसा की शक्ति किसी भी परिस्थिति में सशस्त्र शक्ति से सर्वश्रेष्ठ होगी।
2) जब भी मैं सूर्यास्त की अद्भुत लालिमा और चंद्रमा के सौंदर्य को निहारता हूँ तो मेरा हृदय सृजनकर्ता के प्रति श्रद्धा से भर उठता है।
3) क्रूरता का उत्तर क्रूरता से देने का अर्थ अपने नैतिक व बौद्धिक पतन को स्वीकार करना है।
एकमात्र वस्तु जो हमें पशु से भिन्न करती है - वह है सही और गलत के मध्य भेद करने की क्षमता जो हम सभी में समान रूप से विद्यमान है।
4) आपकी समस्त विद्वत्ता, आपका शेक्सपियर और वर्ड्सवर्थ का संपूर्ण अध्ययन निरर्थक है यदि आप अपने चरित्र का निर्माण व विचारों क्रियाओं में सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाते।
5) स्वच्छता, पवित्रता और आत्म-सम्मान से जीने के लिए धन की आवश्यकता नहीं होती।
6) निर्मल चरित्र एवं आत्मिक पवित्रता वाला व्यक्तित्व सहजता से लोगों का विश्वास अर्जित करता है और स्वतः अपने आस पास के वातावरण को शुद्ध कर देता है।
7) सुखद जीवन का भेद त्याग पर आधारित है। त्याग ही जीवन है।
8) उफनते तूफ़ान को मात देना है तो अधिक जोखिम उठाते हुए हमें पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़ना होगा।
रोम का पतन उसका विनाश होने से बहुत पहले ही हो चुका था।
9) गुलाब को उपदेश देने की आवश्यकता नहीं होती। वह तो केवल अपनी ख़ुशबू बिखेरता है। उसकी ख़ुशबू ही उसका संदेश है।
10) मेरे विचारानुसार गीता का उद्देश्य आत्म-ज्ञान की प्राप्ति का सर्वोत्तम मार्ग बताना है।
12) हमारा जीवन सत्य का एक लंबा अनुसंधान है और इसकी पूर्णता के लिए आत्मा की शांति आवश्यक है।
13) किसी भी स्वाभिमानी व्यक्ति के लिए सोने की बेडियां, लोहे की बेडियों से कम कठोर नहीं होगी। चुभन धातु में नहीं वरन् बेडियों में होती है।
14) नारी को अबला कहना अपमानजनक है। यह पुरुषों का नारी के प्रति अन्याय है।
15) यदि आपको अपने उद्देश्य और साधन तथा ईश्वर में आस्था है तो सूर्य की तपिश भी शीतलता प्रदान करेगी।
16) अपनी भूलों को स्वीकारना उस झाडू के समान है जो गंदगी को साफ कर उस स्थान को पहले से अधिक स्वच्छ कर देती है।
17) बुद्ध ने अपने समस्त भौतिक सुखों का त्याग किया क्योंकि वे संपूर्ण विश्व के साथ यह ख़ुशी बाँटना चाहते थे जो मात्र सत्य की खोज में कष्ट भोगने तथा बलिदान देने वालों को ही प्राप्त होती है।
18) जब कोई युवक विवाह के लिए दहेज की शर्त रखता है तब वह न केवल अपनी शिक्षा और अपने देश को बदनाम करता है बल्कि स्त्री जाति का भी अपमान करता है।
19) आधुनिक सभ्यता ने हमें रात को दिन में और सुनहरी ख़ामोशी को पीतल के कोलाहल और शोरगुल में
परिवर्तित करना सिखाया है।
20) स्वतंत्रता एक जन्म की भांति है। जब तक हम पूर्णतः स्वतंत्र नहीं हो जाते तब तक हम परतंत्र ही रहेंगे ।
21) निरंतर विकास ही जीवन का नियम है। जो व्यक्ति खुद को सही दिखाने के चक्कर में हमेशा अपनी रूढ़िवादिता को बरकरार रखने की कोशिश करता है, वह खुद को गलत स्थिति में पहुंचा देता है।
22) विश्व के समस्त धर्म, भले ही और चीजों में अंतर रखते हो, लेकिन इस बात पर सभी एकमत हैं कि दुनिया में कुछ नहीं बस सत्य ही हमेशा जीवित रहता है।
23) जीवन में सही मायने में किया गया थोडा-सा अभ्यास बहुत सारे उपदेशों से बेहतर है।
24) जीवन में जब तक गलती करने की स्वतंत्रता ना हो, तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है।
25) मौन जीवन का सबसे सशक्त भाषण है, धीरे-धीरे दुनिया आपको सुनेगी।
26) व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित एक प्राणी है, वह जो सोचता है, जैसा सोचता है, वैसा ही बन जाता है।
27) जीवन में हो रही अपनी गलतियों को स्वीकार करना, झाडू लगाने के सामान है। जो झाडू लगने के पश्चात सतह को चमकदार और साफ कर देती है।