जन्म एवं शिक्षा-
डॉ.दयाराम आलोक का जन्म 11 अगस्त सन 1940 तदनुसार श्रावण शुक्ल पक्ष की नवमी ,रविवार संवत 1997 को पूरालाल जी राठौड़ दर्जी शामगढ़ के परिवार में हुआ था। रेडीमेड वस्त्र बनाकर बेचना पारिवारिक व्यवसाय था। अत्यंत साधारण आर्थिक हालात।हाईस्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने के बाद सन १९६१ में शासकीय सेवा में अध्यापक के पद पर नियुक्त।सन १९६९ में राजनीति विषय से एम.ए. किया। चिकित्सा विषयक उपाधियां आयुर्वेद रत्न और होम्योपैथिक उपाधि D I Hom ( London) अर्जित कीं।
डॉ.दयाराम आलोक का जन्म 11 अगस्त सन 1940 तदनुसार श्रावण शुक्ल पक्ष की नवमी ,रविवार संवत 1997 को पूरालाल जी राठौड़ दर्जी शामगढ़ के परिवार में हुआ था। रेडीमेड वस्त्र बनाकर बेचना पारिवारिक व्यवसाय था। अत्यंत साधारण आर्थिक हालात।हाईस्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने के बाद सन १९६१ में शासकीय सेवा में अध्यापक के पद पर नियुक्त।सन १९६९ में राजनीति विषय से एम.ए. किया। चिकित्सा विषयक उपाधियां आयुर्वेद रत्न और होम्योपैथिक उपाधि D I Hom ( London) अर्जित कीं।
विवाह-
दयाराम आलोक का विवाह शांति देवी के साथ विक्रम संवत 2013 ,चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी तदनुसार 19 अप्रैल 1956 को हुआ।
डॉ.दयाराम आलोक के सामाजिक कार्यों का विवरण :
दर्जी समाज के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के उद्देश्य से डॉ. दयारामजी आलोक ने अखिल भारतीय दामोदर दर्जी महासंघ का गठन 14 जून 1965 को किया|आपके कुशल नेतृत्व मे डग के दर्जी मंदिर मे मूर्ति- प्राण -प्रतिष्ठा उत्सव 23 जून 1966 को आयोजित हुआ था| दर्जी समाज की वैश्विक पहिचान के लिए सैंकड़ों वंशावलियाँ बनाकर इन्टरनेट पर उल्लेखित की | आपने दर्जी समाज मे सामूहिक विवाह सम्मेलन की परंपरा का श्री गणेश किया तथा निज वित्त पोषित पहला निशुल्क सामूहिक सम्मेलन बोलिया ग्राम मे आयोजित किया| दान की भावना को साकार करते हुए आलोकजी ने मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई मुक्तिधाम और मंदिरों के लिए आर्थिक सहयोग करते हुए सैंकड़ों सीमेंट की बेंचें भेंट की|
दामोदर दर्जी महासंघ का गठन
दर्जी समाज के महत्वपूर्ण सामाजिक कार्यों को संगठित ढंग से संपादित करने तथा सामाजिक फ़िजूल खर्ची रोकने के उद्देश्य से डॉ. दयारामजी आलोक ने अपने कुछ घनिष्ठ साथियों के सहयोग से 14/6/1965 को प्रथम अधिवेशन शामगढ़ मे आयोजित कर "दामोदर दर्जी युवक संघ" का गठन किया तथा एक कार्यकारिणी समिति बनाई | कालांतर मे यह दामोदर दर्जी युवक संघ विस्तृत होकर"अखिल भारतीय दामोदर दर्जी महासंघ" के टाईटल से अस्तित्व में है।
बंधुओं,
दामोदर दर्जी महासंघ की स्थापना में मुझे शामगढ के
डॉ. लक्ष्मीनारायण जी अलोकिक ,
श्री रामचन्द्र जी सिसौदिया ,
श्री शंकरलालजी राठौर,
श्री कंवरलाजी सिसौदिया,
श्री गंगारामजी चोहान शामगढ़,
श्री रामचंद्रजी चौहान मनासा ,
श्री कन्हैयालालजी परमार गुराड़िया नरसिंग,
श्री प्रभुलालजी मकवाना मोडक,श्री देवीलालजी सोलंकी शामगढ़ बोलिया वाले का सक्रिय सहयोग प्राप्त हुआ।
दामोदर दर्जी महासंघ का संविधान -
दामोदर दर्जी महासंघ का संविधान डॉ. दयारामजी आलोक ने सन १९६५ में लिपिबद्ध किया और डॉ. लक्ष्मीनारायणजी अलौकिक ने संविधान मे कतिपय संशोधन किए तथा रसायन प्रेस दिल्ली से छपवाकर प्रचारित-प्रसारित किया|
दामोदर दर्जी महासंघ का अधिवेशन कब हुआ ?
दामोदर दर्जी महासंघ का प्रथम अधिवेशन 14 जून 1965: को शामगढ में पूरालालजी राठौर के निवास पर हुआ ।अधिवेशन में 134 दर्जी बंधु उपस्थित हुए। इस अधिवेशन मे श्री रामचन्द्रजी सिसोदिया को अध्यक्ष , श्री दयाराम जी आलोक को संचालक,और श्री सीताराम ज्री संतोषी को कोषाध्यक्ष बनाया गया। सदस्यता अभियान चलाकर ५० नये पैसे वाले सैंकडों सदस्य बनाये गये।
दामोदर दर्जी समाज के डग मंदिर का उध्यापन कब हुआ?
डग के दर्जी समाज के मंदिर मे भगवान सत्यनारायण की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के लिए आर्थिक सहयोग हेतु डग के दर्जी बंधु 7 वर्षों से समाज बंधुओं से संपर्क कर रहे थे|लेकिन उध्यापन हेतु आवश्यक धन संग्रहीत करने में सफलता नही मिल रही थी| परमात्मा की आंतरिक प्रेरणा से समृद्ध होकर मैं इस महत्वपूर्ण मसले को लेकर 15 मई 1966 को डग गया था|
डग के दर्जी मंदिर के उध्यापन के दस्तावेज़
अपने उदबोधन मे डॉ.दयाराम जी आलोक ने दर्जी बंधुओं से निवेदन किया कि भगवान सत्य नारायण की प्रतिमा 7 वर्ष से बाहर रखी हुई है और प्राण-प्रतिष्ठा के अभाव मे पूजा कार्य बंद पड़ा है|अगर दर्जी समाज डग सर्वसम्मति से मुझे अनुमति देते हुए अधिकृत करें तो दामोदर दर्जी महासंघ के माध्यम से समाज से चंदा संग्रह की मुहिम शुरू की जावे| पर्याप्त चर्चा और विचार विमर्श के बाद डग के दर्जी बंधुओं ने अपने हस्ताक्षरयुक्त एक लिखित प्रस्ताव पारित कर मंदिर उध्यापन कार्य मेरे नेतृत्व मे दामोदर दर्जी महासंघ के सुपुर्द कर दिया |
डग के दर्जी मंदिर के उध्यापन का ऑडियो
मित्रों,उस समय मेरी आयु यही कोई 25 वर्ष रही होगी| दर्जी बंधुओं द्वारा मेरी कार्यक्षमता पर विश्वास कर डग मंदिर उध्यापन जैसा महत्वपूर्ण कार्य मेरे सुपुर्द कर देना मेरे जीवन की सबसे बड़ी सामाजिक उपलब्धियों की प्रथम कड़ी मानी जा सकती है|
तुलसीदासजी रामचरित मानस मे लिखते हैं -
जासु कृपा सु दयाल||
मूक होई वाचाल, पंगु चढ़ै गिरिवर गहन।
भावार्थ-
जिनकी कृपा से गूँगा बहुत बोलने वाला हो जाता है और लँगड़ा-लूला दुर्गम पहाड़ पर चढ़ जाता है ,
मंदिर कार्य सिद्धि हेतु दामोदर दर्जी महासंघ के कार्यकर्त्तागण और समाज के वरिष्ठ लोग इस चुनौती को युद्धस्तर पर लेते हुए गाँव -गाँव ,शहर -शहर सामाजिक संपर्क पर निकल पड़े और उध्यापन के लिए चन्दा एकत्र करने लगे|
मित्रों,अविश्वसनीय तो लगता है मगर प्रभु की अदृश्य अनुकंपा के चलते सिर्फ 1 माह 8 दिन की छोटी सी अवधि मे पर्याप्त धन संग्रहीत होकर 23 जून 1966 को उध्यापन कार्यक्रम आयोजित हो गया|यहाँ बताते चलें कि 1966 मे सोने का भाव 73 रुपये 75 पैसे का 10 ग्राम था| उस समय दर्जी बंधुओं ने जो आर्थिक सहयोग दिया उसे सोने के भाव के परिप्रेक्ष्य मे तुलनात्मक रूप से देखें|
एकत्रित चन्दा राशि मैंने डग मंदिर के कोषाध्यक्ष श्री कन्हैयालालजी पँवार के सुपुर्द की |
उध्यापन की आमंत्रण पत्रिका छपवाकर पूरे समाज को उध्यापन समारोह हेतु आमंत्रित किया गया|
डग स्थित दर्जी मंदिर का उध्यापन कब हुआ ?
डग के दर्जी मंदिर के उध्यापन का ऑडियो
मित्रों,उस समय मेरी आयु यही कोई 25 वर्ष रही होगी| दर्जी बंधुओं द्वारा मेरी कार्यक्षमता पर विश्वास कर डग मंदिर उध्यापन जैसा महत्वपूर्ण कार्य मेरे सुपुर्द कर देना मेरे जीवन की सबसे बड़ी सामाजिक उपलब्धियों की प्रथम कड़ी मानी जा सकती है|
तुलसीदासजी रामचरित मानस मे लिखते हैं -
जासु कृपा सु दयाल||
मूक होई वाचाल, पंगु चढ़ै गिरिवर गहन।
भावार्थ-
जिनकी कृपा से गूँगा बहुत बोलने वाला हो जाता है और लँगड़ा-लूला दुर्गम पहाड़ पर चढ़ जाता है ,
मंदिर कार्य सिद्धि हेतु दामोदर दर्जी महासंघ के कार्यकर्त्तागण और समाज के वरिष्ठ लोग इस चुनौती को युद्धस्तर पर लेते हुए गाँव -गाँव ,शहर -शहर सामाजिक संपर्क पर निकल पड़े और उध्यापन के लिए चन्दा एकत्र करने लगे|
मित्रों,अविश्वसनीय तो लगता है मगर प्रभु की अदृश्य अनुकंपा के चलते सिर्फ 1 माह 8 दिन की छोटी सी अवधि मे पर्याप्त धन संग्रहीत होकर 23 जून 1966 को उध्यापन कार्यक्रम आयोजित हो गया|यहाँ बताते चलें कि 1966 मे सोने का भाव 73 रुपये 75 पैसे का 10 ग्राम था| उस समय दर्जी बंधुओं ने जो आर्थिक सहयोग दिया उसे सोने के भाव के परिप्रेक्ष्य मे तुलनात्मक रूप से देखें|
दर्जी मंदिर डग के मूर्ति - प्रतिष्ठा समारोह 1966 हेतु दान दाताओं की नामावली
उध्यापन की आमंत्रण पत्रिका छपवाकर पूरे समाज को उध्यापन समारोह हेतु आमंत्रित किया गया|
डग स्थित दर्जी मंदिर का उध्यापन कब हुआ ?
23/जून/1966 को डग के सत्यनारायण मंदिर का भव्य उध्यापन (प्राण-प्रतिष्ठा) समारोह आयोजित हुआ |सम्पूर्ण समाज के हर गाँव -शहर के दर्जी बंधु सहपरिवार उध्यापन मे शामिल हुए| यह कहना उचित ही होगा कि डग के सत्यनारायण मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह उस जमाने का सबसे बड़ा सामाजिक आयोजन था|
डॉ. दयाराम आलोक का साहित्य सृजन-
कवि हृदय डॉ.दयाराम आलोक की रचनाएं देशभक्ति और प्रकृति प्रेम के लिए जानी जाती हैं| साहित्य सृजन क्षेत्र मे मेरे अग्रज स्व.डॉ.लक्ष्मीनारायणजी अलौकिक ने मार्गदर्शन किया और मेरी शुरुआती कविता"तुमने मेरी चिर साधों को झंकृत और साकार किया है" को अपने संपादकत्व मे बिकानेर से प्रकाशित होने वाली पत्रिका "स्वास्थ्य सरिता" मे प्रकाशित किया |काव्य रचना अनवरत चलती रही और करीब 150 काव्य कृतियां विभिन्न पत्र पत्रिकाओं मे प्रकाशित हुई हैं जिनमे कादंबिनी का नाम भी शामिल है|पाँच कविताओं के लिंक्स प्रस्तुत हैं-
उन्हें मनाने दो दिवाली
आओ आज करें अभिनंदन!
सरहदें बुला रहीं
गाँधी के अमृत वचन हमें अब याद नहीं
सुमन कैसे सौरभीले
प्रसिद्ध कवियों की 500 कविताओं की लिंक्स निम्न ब्लॉग पोस्ट मे समाहित हैं -
काव्य मंजूषा
उन्हें मनाने दो दिवाली
आओ आज करें अभिनंदन!
सरहदें बुला रहीं
गाँधी के अमृत वचन हमें अब याद नहीं
सुमन कैसे सौरभीले
प्रसिद्ध कवियों की 500 कविताओं की लिंक्स निम्न ब्लॉग पोस्ट मे समाहित हैं -
काव्य मंजूषा
डॉ. दयाराम आलोक ने मृत्युभोज ग्रहण नहीं करने का संकल्प क्यों किया ?
मित्रों,दर्जी समाज की आर्थिक बुनियाद सैंकड़ों वर्षों से दयनीय रही है|इस धंधे से बस गुजर बसर ही हो सकता है |फिर परिवार मे किसी की मृत्यु पर मोसर का आयोजन करना गरीब परिवार की आर्थिक रीढ़ को लुंज पुंज कर देता है|इसी को ध्यान मे रखते हुए दामोदर दर्जी महासंघ के प्रथम अधिवेशन 1965 मे मोसर प्रथा संबन्धित एक प्रस्ताव पर विचार किया गया था और मैंने मोसर नहीं खाने का संकल्प लिया था | इस मामले मे मेरे परिवारजन ने मेरा साथ दिया और तब से मेरा परिवार मृत्युभोज गृहण नहीं करता है|
डॉ. दयारामजी आलोक ने संग्रहीत की दर्जी समाज के परिवारों की जानकारी -
समाज के परिवारों की विस्तृत जानकारी एकत्र करने के उद्धेश्य से मैंने 1965 मे बड़े आकार के फार्म छ्पावाए थे | इस फार्म मे व्यक्ति की पूरी जानकारी -नाम,पता,धंधा,पढ़ाई,जन्म तिथि,रिश्तेदारी,पुरखे,पत्नी,मामा,नाना आदि बातों की जानकारी के खाने थे|
(दर्जी परिवार जानकारी गाँव मोड़क| स्थिति-23\6/1966)
लीमड़ी के दर्जी समाज के परिवारों की जानकारी | स्थिति- 23/10/1980
जानकारी संग्रह करने का उपक्रम आज भी अनवरत सक्रियता मे है|इस सिलसिले मे मैंने दाहोद,लिमड़ी,झालोद आदि स्थानो का भी दौरा किया और निर्धारित उक्त फार्म मे परिवारों की जानकारी संगृह की | जब समाज की लगभग पूर्ण जानकारी हासिल हो गई तो मैंने वंशावलियाँ बनाकर दर्जी वेबसाईट पर अपलोड करना शुरू कर दिया |आप दर्जी समाज के प्रमुख परिवारों की जानकारी और वंशावलियां निम्न लिंक मे पढ़ सकते हैं -
दामोदर वंशीय नवा गुजराती दर्जी समाज की प्रमुख वंशावलियाँ
बंधुओ,मेरे अनुज
श्री रमेशचन्द्र जी राठौर"आशुतोष" सामाजिक कार्यों मे वर्षों से अग्रणी रहे हैं| उन्होने समाज की जानकारी की कई स्मारिकाएँ और ग्रंथ प्रकाशित किए हैं|
जो लोग समाज सेवा के प्रति संकल्पित रहे हैं वे यथार्थ मे सम्मान और आदर के पात्र हैं|
सामूहिक विवाह सम्मेलन की शुरुआत कब हुई?
मित्रों, जैसे- जैसे महंगाई ,जीवनोपयोगी हरेक वस्तु और सामाजिक रीति रस्मों को अपने आगोश मे ले रही है ,समाजजनों को अपने पुत्र -पुत्रियों के विवाह आयोजित करने मे आर्थिक कठनाईयों से रूबरू होना पड़ रहा है| अध्यापक की सर्विस के दौरान मैं 1980 मे रामपुरा नगर मे था | उस समय मध्य प्रदेश मे कहीं पर भी समूह विवाह का प्रचलन नहीं था| हाँ राजस्थान मे जरूर कुछेक स्थानो पर सामूहिक विवाह होने लगे थे|मन मे विचार आया कि दर्जी समाज का सामूहिक विवाह रामपुरा नगर मे करना चाहिए|स्थानीय दर्जी बंधुओं से निरंतर संपर्क और विचार विमर्श करने के बाद सामूहिक विवाह सम्मेलन के आयोजन करने पर सहमति बनी| फलस्वरूप प्रथम सामूहिक विवाह सम्मेलन 9,10,11 मई 1981 को रामपुरा नगर मे रचाया गया |
इस सम्मेलन में केवल 6 जोड़े सम्मिलित हुए| उस जमाने मे सम्मेलन की शादी को लोग अच्छी नजर से नहीं देखते थे और सम्मेलन के नाम पर नाक भौंह सिकोड़ते थे|ऐसे माहोल मे दर्जी बंधुओं को प्रेरित करने के लिए मैंने अपनी बेटी छाया और पुत्र अनिल कुमार का विवाह इसी सम्मेलन मे किया |
पुत्र अनिल कुमार वर्तमान मे डॉ॰अनिल कुमार (वैध्य दामोदर) के नाम से प्रसिद्ध पथरी चिकित्सक की हेसियत मे विख्यात है|
रामपुरा 1981 के सम्मेलन की विस्तृत रिपोर्ट निम्न लेख की लिंक खोलकर पढ़ सकते हैं-
दर्जी समाज का प्रथम सामूहिक विवाह सम्मेलन ,रामपुरा 1981 ओरिजनल बिल सहितलिंक
समय बीतता गया |वर्ष 1985 मे मैं रामपुरा से बोलिया ग्राम आगया | सामाजिक आयोजन करते रहने की प्रवृत्ति के चलते मैंने बोलिया ग्राम मे वर्ष 2006,और 2008 मे दो सामूहिक विवाह सम्मेलन आयोजित किये| लेकिन मेरे अन्तर्मन मे एक विचार बार बार उभरता था कि दर्जी समाज मे एक बार निशुल्क सम्मेलन की अवधारणा को अमलीजामा पहिनाया जाये| परमात्मा ने यह इच्छा भी पूर्ण की और सन 2010 मे बोलिया मे निजी खर्च से भव्य निशुल्क समूह विवाह का आयोजन किया जो दर्जी समाज के इतिहास मे स्वर्णिम अक्षरों मे उल्लेख योग्य आयोजन था|
स्मरणीय है कि 2017 मे सामूहिक विवाह सम्मेलन करने को लेकर समाज की कई जगह मीटिंग आयोजित हुई लेकिन बात नहीं बनी तब ऐसी ऊहा पोह की स्थिति से उबरने के लिए मैंने 51 हजार रुपये का सहयोग देकर शामगढ़ मे सम्मेलन को मूर्त रूप दिया |यह सम्मेलन बेहद यादगार साबित हुआ|
निशुल्क विवाह सम्मेलन ,बोलिया -2010 के विडियो (भाग,1,2,3,4)
बंधुओं , भाग्य इंसान को अपनी उंगली पर नचाता है| 2011 मे मेरा परिवार बोलिया से शामगढ़ आगया |सामाज हितैषी आयोजन करते रहने की प्रवृत्ति के चलते भाई रमेशजी राठौर आशुतोष के कर्मठ सहयोग से आप्लावित होकर शामगढ़ नगर मे दो-दो वर्षों के अंतराल पर दो सम्मेलन 2012, 2014 मे और तीन वर्ष बाद 2017 मे यादगार सामूहिक विवाह सम्मेलन दामोदर दर्जी महासंघ के बेनर तले आयोजन के जरिये समाज की अनुपम सेवा का अवसर हासिल किया|
सम्मेलन के विडियो भी देख लेते हैं-
सम्पूर्ण दर्जी समाज के फोटो इन्टरनेट पर-
कहावत है कि 100 शब्द से एक चित्र ज्यादा संदेश देने वाला होता है| विगत15 वर्षों से मैं अपने केमरे से दर्जी समाज के व्यक्तियों के फोटो ले रहा हूँ| सामाजिक रीति रस्म ,सगाई,शादी,मोसर मे जाने का मेरा एक उद्देश्य दर्जी बंधुओं के फोटो लेने और बाद मे उन्हें सुधारकर इंटरनेट पर अपलोड करना रहता है|लगभग 5 हजार से ज्यादा दर्जी समाज के फोटो आज नेट पर मौजूद हैं| घर बैठे समाज गंगा का दर्शन करने का यह एक जबर्दस्त तरीका है|
पुरुषों के फोटो तो मैं ले लेता हूँ लेकिन महिलाओं के फोटो लेने मे दिक्कत होती है |
मेरी पौत्री अपूर्वा ने बहुत हद तक मेरी इस समस्या को भी हल कर दिया | महिलाओं के फोटो शूट करने और रजिस्टर मे उनका विवरण दर्ज करने का काम मेरी पौत्री अपूर्वा तथा बेटी अल्पना और छाया ने किया है|
दर्जी समाज के फोटो की एल्बम की कुछ लिंक्स देता हूँ-
दामोदर दर्जी समाज के फोटो
दर्जी महिला समाज
दर्जी समाज पिक्चर्स
दर्जी बंधुओं को सम्मानित करने के चित्र
दर्जी यात्रा चित्र
दामोदर दर्जी समाज की सामाजिक गतिविधियों का प्रतिनिधित्व करने वाली मेरी वेबसाईट damodarjagat.blogspot.com दुनियाँ की दर्जी समाज की सबसे बड़ी वेबसाईट है इसमे 500 से भी ज्यादा लेख हैं|लिंक नीचे दे रहा हूँ-
"दर्जी समाज (दामोदर क्षत्रीय)" ब्लॉग के 500 आलेखों की लिंक-सूची
वाट्सएप पर एक ग्रुप है" दामोदर वंशावली "।इस ग्रुप के माध्यम से फोटो कैसे देखना है ,सभी तरीके बताता रहता हूँ|
जीवन के 84 वें वर्ष मे शारीरिक दुर्बलता स्वाभाविक है |इसलिए सामाजिक रीति -रस्मों मे मेरी उपस्थिति आहिस्ता-आहिस्ता कम होती जा रही है| लेकिन अन्तर्मन समाज सेवा के नूतन अवसर सृजित करने के अरमान सँजोये हुए है|
डॉ.दयाराम आलोक के 79 वे जन्म दिन उत्सव का विडियो
मित्रों ,मैंने अपनी हर्बल चिकित्सा संबंधी वेबसाईट्स में अपने 55 वर्षों के चिकित्सा अनुभवों को प्रतिबिम्बित किया है| मेरे हजारों चिकित्सा -आलेखों के लाखों पाठक पूरे विश्व मे मौजूद हैं|आप भी हर्बल चिकित्सा के अत्यंत उपयोगी लेखों का लाभ ले सकते हैं|
पढ़ें ,समझलें नुस्खे खास
डाक्टर,वैद न आवे पास||
हर्बल चिकित्सा की मेरी 6 वेबसाईट्स हैं जिनके पते की लिंक्स नीचे दे रहा हूँ |प्रत्येक ब्लॉग मे लगभग 500 लेख हैं |
उपचार और आरोग्य
होम्योपैथिक एंड आयुर्वेदिक मेडिसिंस ( अँग्रेजी वेबसाईट)
मेरी निम्न वेबसाईट भी काफी पोपुलर है-
अध्यात्म,जाति इतिहास,जनरल नॉलेज
डॉ.दयाराम आलोक के आर्टिकल्स पर Google के विज्ञापन से आय
ज्ञातव्य है कि मेरी कुल 6 वेबसाईट्स पर गूगल कंपनी विज्ञापन डालती है और इन विज्ञापनो से गूगल को जो आय होती है उसका 68% मुझे पेमेंट होता है| "आम के आम गुठली के दाम " कहावत चरितार्थ होना मेरे लिए सुखकारी अनुभव है|
राजनीति में हिस्सेदारी- -
ज्ञातव्य है कि मेरी कुल 6 वेबसाईट्स पर गूगल कंपनी विज्ञापन डालती है और इन विज्ञापनो से गूगल को जो आय होती है उसका 68% मुझे पेमेंट होता है| "आम के आम गुठली के दाम " कहावत चरितार्थ होना मेरे लिए सुखकारी अनुभव है|
राजनीति में हिस्सेदारी- -
प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त (1996) होने के बाद बीजेपी की सदस्यता हासिल की|
निम्न पदों पर निर्वाचित ,मनोनीत होकर पार्टी की पूरी शिद्दत से सेवा की
1)*अध्यक्ष: नगर भाजपा बोलिया
बीजेपी अध्यापक प्रकोष्ठ के महामंत्री की हेसियत मे पचमढ़ी 3 दिवसीय सेमिनार मे सहभागिता की|
3)*सह संयोजक जिला चिकित्सा प्रकोष्ठ पद पर वर्तमान मे सेवारत हूँ||
पत्नी के देहावसान पर मोसर करने का फैसला क्यों?
मेरी पत्नि शांतिबाई के दिवंगत होने पर मैंने सम्पूर्ण समाज को आमंत्रित कर विविध मिष्ठान युक्त मोसर का आयोजन किया जबकि मेरा परिवार 1966 से ही मृत्युभोज का उपभोग नहीं करता है| मेरे विचार अपनी जगह सही या गलत कुछ भी हो सकते हैं लेकिन समाज मे दीर्घ काल से प्रचलित एक लोकप्रिय प्रथा को एकदम खारिज करना मैंने उचित नहीं समझा और समाज की भावनाओं का सम्मान करते हुए मृत्युभोज का आयोजन किया| मानस के अंतर्द्वंद्व की स्थिति से उबरकर इस आयोजन का निर्णय लेना मेरे लिए बेहद अनोखा अनुभव था|
हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा-
विशिष्ट कवियों की चयनित कविताओं की सूची (लिंक्स)
स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से -गोपालदास "नीरज"
वीरों का कैसा हो वसंत - सुभद्राकुमारी चौहान
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोसिताँ हमारा-अल्लामा इकबाल
उन्हें मनाने दो दीवाली-- डॉ॰दयाराम आलोक
जब तक धरती पर अंधकार - डॉ॰दयाराम आलोक
जब दीप जले आना जब शाम ढले आना - रविन्द्र जैन
सुमन कैसे सौरभीले: डॉ॰दयाराम आलोक
वह देश कौन सा है - रामनरेश त्रिपाठी
किडनी फेल (गुर्दे खराब ) की रामबाण औषधि
बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ -महादेवी वर्मा
मधुर-मधुर मेरे दीपक जल - महादेवी वर्मा
प्रणय-गीत- डॉ॰दयाराम आलोक
गांधी की गीता - शैल चतुर्वेदी
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार -शिवमंगलसिंह सुमन
सरहदें बुला रहीं.- डॉ॰दयाराम आलोक
जंगल गाथा -अशोक चक्रधर
मेमने ने देखे जब गैया के आंसू - अशोक चक्रधर
सूरदास के पद
रात और प्रभात.-डॉ॰दयाराम आलोक
घाघ कवि के दोहे -घाघ
मुझको भी राधा बना ले नंदलाल - बालकवि बैरागी
बादल राग -सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
आओ आज करें अभिनंदन.- डॉ॰दयाराम आलोक
विशिष्ट कवियों की चयनित कविताओं की सूची (लिंक्स)
स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से -गोपालदास "नीरज"
वीरों का कैसा हो वसंत - सुभद्राकुमारी चौहान
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोसिताँ हमारा-अल्लामा इकबाल
उन्हें मनाने दो दीवाली-- डॉ॰दयाराम आलोक
जब तक धरती पर अंधकार - डॉ॰दयाराम आलोक
जब दीप जले आना जब शाम ढले आना - रविन्द्र जैन
सुमन कैसे सौरभीले: डॉ॰दयाराम आलोक
वह देश कौन सा है - रामनरेश त्रिपाठी
किडनी फेल (गुर्दे खराब ) की रामबाण औषधि
बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ -महादेवी वर्मा
मधुर-मधुर मेरे दीपक जल - महादेवी वर्मा
प्रणय-गीत- डॉ॰दयाराम आलोक
गांधी की गीता - शैल चतुर्वेदी
तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार -शिवमंगलसिंह सुमन
सरहदें बुला रहीं.- डॉ॰दयाराम आलोक
जंगल गाथा -अशोक चक्रधर
मेमने ने देखे जब गैया के आंसू - अशोक चक्रधर
सूरदास के पद
रात और प्रभात.-डॉ॰दयाराम आलोक
घाघ कवि के दोहे -घाघ
मुझको भी राधा बना ले नंदलाल - बालकवि बैरागी
बादल राग -सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
आओ आज करें अभिनंदन.- डॉ॰दयाराम आलोक
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