माँ आशापुरा का मंदिर रुंडी गेलाना के लिए
समाज सेवी डॉ. दयाराम जी आलोक द्वारा
5 सिमेन्ट बेंच और 5 हजार नकद दान
धार्मिक,आध्यात्मिक संस्थानों मे दर्शनार्थियों के लिए सिमेन्ट की बैंचों की व्यवस्था करना महान पुण्य का कार्य है। दान की भावना को साकार करते हुए डॉ. दयाराम जी आलोक मध्य प्रदेश और राजस्थान के चयनित मुक्ति धाम और मंदिरों के लिए नकद दान के साथ ही सैंकड़ों सीमेंट की बेंचें भेंट करने के अनुष्ठान को गतिमान रखे हुए हैं |
आशापुरा माता, चौहान वंश की कुलदेवी हैं. उन्हें शाकंभरी (सांभर लेक सिटी, राजस्थान) के सोनगरा चौहान के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि सांभर में ही करीब 1300 साल या उससे ज़्यादा पहले आशापुरा माता का पहला मंदिर बना था.
अपने आध्यात्मिक दान-अनुष्ठान के परिप्रेक्ष्य मे समाजसेवी डॉ. दयाराम जी आलोक ने माँ आशापुरा मंदिर रुंडी गेलाना के प्रबंधक महेंद्र सिंग जी देवरिया विजय और करण सिंग जी गोरधन पूरा से संपर्क करते हुए डॉ अनिल कुमार राठौर ,दामोदर पथरी चिकित्सालय शामगढ़ के माध्यम से माता आशापुरा के चरणों 5 सिमेन्ट बेंचें और 5 हजार नकद दान समर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त किया | 5 हजार रुपये का रंग रोगन विश्राम कुटी पर करवा दिया है| --जय हो माँ आशापुरा रुंडी गेलाना वाली !
माँ आशापुरा मन्दिर रुंडी गैलाना का विडियो
आद्यात्मिक दान-पथ
साहित्य मनीषी डॉ.दयाराम जी आलोक राजस्थान और मध्यप्रदेश के मंदसौर,आगर नीमच ,झालावाड़ ,रतलाम और झाबुआ जिलों के मंदिरों ,मुक्ति धाम और गौशालाओं में निर्माण व विकास हेतु नकद और आगंतुकों के बैठने हेतु सीमेंट की बेंचें दान देने का अनुष्ठान संपन्न कर रहे हैं.
डॉ.आलोक जी एक सेवानिवृत्त अध्यापक हैं और वे अपनी 5 वर्ष की कुल पेंशन राशि दान करने के संकल्प के साथ आध्यात्मिक दान-पथ पर अग्रसर हैं . 151 से अधिक संस्थानों में बैठक व्यवस्था उन्नत करने हेतु सीमेंट बेंचें और रंग रोगन के लिए नकद दान के अनुष्ठान में आपकी वो राशि भी शामिल है जो google कंपनी से उनके ब्लॉग और You tube चैनल से प्राप्त होती है| समायोजित दान राशि और सीमेंट बेंचें पुत्र डॉ.अनिल कुमार राठौर "दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़ "के नाम से समर्पित हो रही हैं.




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