27.4.22

पाटीदार जाति की उत्पत्ति और इतिहास :history of patidar caste






पाटीदार कौन है?

पाटीदार 'पटेल और चौधरी' की तरह पदवी का नाम है यह कोई जाति विशेष का प्रतिक नहीं है। पाटीदार उत्तरी गुजरात व दक्षिणी राजस्थान के क्षेत्रों में निवास करनेे वाले लोगों को मिली उपाधि का प्रमाण हैं।


पाटीदार का अर्थ:-

☞ पाटी = पटी या भु-भाग
☞ दार = दातव्य या धारक
अर्थात् पाटीदार का अर्थ उनके द्वारा पटी या भुमी के दातव्य या रखने के कारण इनको पाटीदार कहा जाता है ।

पाटीदार समाज की उत्पत्ति : -

Patidar की उत्पत्ति = कणबी (कलबी) शब्द से हुई है ।
इनको प्राचीन काल में "कृषक क्षत्रिय " भी कहा जाता था जो कृषी के साथ - साथ जरूरत पड़ने पर युद्ध भी किया करते थे।
लगभग 14 वीं 15 वीं शताब्दी के आसपास कुलबी आँजणा के अलावा अन्य किसी जाति अथवा धर्म के व्यक्तियों को पाटीदार बनाया जाने का रिवाज था ।
जिसमें अन्य कुल या धर्म के लोगों को सम्मिलित कर एक सामूहिक सम्मानजनक समुह बन गया।
इससे यह स्पष्ट होता है कि पाटीदार कोई जाति विशेष नहीं है। बल्कि एक सामूहिक लोगों का संगठन है।
इनका निवास स्थान प्राचिन काल में काईरा जिले के चरोत्तर क्षेत्र के आसपास था जो वर्तमान में खेड़ा जिले में स्थित है।
वहां के पाटीदारों ने अधिक महत्व प्राप्त कर इनके दो प्रमुख समूह उपजे जो इस प्रकार है : -


1. लेवा या लेउवा

 
2. कडवा या कड़वा

इनका नाम मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के पुत्र :- लव - लेउवा और कुश - कड़वा के नाम पर रखा माना जाता है। इन दोनों समूहों के धार्मिक स्थल और कुलदेवी अलग - अलग है।
'पाटीदारों में चार उप - शाखायें जो लेवा, कडवा, आँजणा, और उदा है। '

Patidar को जाति समझना : -

उक्त उदाहरण के अनुसार पाटीदार एक जाति समझकर उल्लेख किया है। कुछ लोग 'पाटीदार' नाम को जाति समझ लेते हैं लेकिन यह भ्रमयुक्त है। वास्तव में यह कोई जाति नहीं है बल्कि भुमी की पट्टी के मालिक का ही नाम ' Patidar ' है।

देसाई और पाटीदार दोनों पदवियों के लोग उत्तरी गुजरात के काइत्तरा जिले के चरोत्तर क्षेत्र जो वर्तमान में खेड़ा जिले में और राजस्थान के क्षेत्रों में मिली होने का प्रमाण है।

लेवा पाटीदार कौन है?

लेवा पाटीदार समाज के लोग कच्छ इलाके (गुजरात के पश्चिम क्षेत्र तटीय इलाका है ) के राजकोट, जूनागढ, पोरबंदर, सुरेंद्रनगर जामनगर और भावनगर में निवास करते हैं।
इनकी कुलदेवी खोडियार माता है।
इनका धार्मिक स्थल सौराष्ट्र के कागवड गॉव में माँ खेडलधाम से प्रचलित है।

कड़वा पाटीदार कौन है?

कड़वा पाटीदार समुदाय के लोग उत्तर गुजरात के मेहसाणा अहमदाबाद विसनगर और कड़ी - कलोल के आसपास कि जगह पर निवास करते है।
इनकी कुलदेवी उमिया माता है।
इनका प्रमुख तीर्थस्थान उत्तर गुजरात के ऊँझा गाँव मे माँ उमिया संस्थान के नाम से प्रचलित है।

गुर्जर पाटीदार कौन है? : -

गुर्जर पाटीदार एक सम्माननीय समाज है इनका निवास स्थान गुजरात, राजस्थान, पंजाब आदि राज्यों में निवास करते हैं। यह वीर गुर्जर होने के कारण इनके नाम पर गुजरात राज्य और गुजरॉवाला रखा गया।
यें वीर गुर्जर होने के कारण वर्तमान में Indain Armi में गुर्जर पाटीदारो की संख्या अधिक है।
गुर्जर शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द गुर्जर अर्थात् दुश्मनो का विनाश करने वाला ।
भारत में आया चीनी यात्री के ह्वेन्सान्ग के अनुसार इनका इतिहास भी बड़ा रोचक है। वर्तमान के जालोर में स्थित भीनमाल गुर्जर साम्राज्य की राजधानी थी ।

पाटीदार का निवास :-

वर्तमान में पाटीदार गुजरात राज्य में बड़ी संख्या मे निवास करते है। 19 वीं शताब्दी में पाटीदार गुजरात के अलावा संयुक्त राज्य अमेरिका और पूर्वी अफ्रीका मे भारी संख्या में Patidar निवास करते है।

पाटीदार समाज की वर्तमान में जनसंख्या :-

अधिकतर गुजरात, मध्यप्रदेश, और राजस्थान में निवास करने वाली जाती है। वर्तमान में पाटीदार समाज की जनसंख्या तकरीबन 27 करोड़ के आसपास है।
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पाटीदार की उत्पत्ति कुणबी से हुई है जो कि किसान जाति है। 17वीं-18वीं शताब्दी में जब मराठों का राज उत्तर की तरफ फैलने लगा तब कुणबी को उनकी सैन्य सेवा के लिये या नई जीते गए क्षेत्र के कृषक के रूप में जमीन दी गई। उन्होंने वहाँ बसे कोइरी के आगे वर्चस्व स्थापित कर लिया और कणबी के रूप में मुख्य कृषक जाति बन गई। मराठा राज के अंतिम दिनों में कणबी को उनके मराठी और गुजराती भाषा दोनों भाषा के ज्ञान के कारण राजस्व संग्रह का कार्य दिया जाता था। इसी समय उन्हें देसाई और पटेल पदवी दी गई।राजस्व संग्रह का कार्य करके कई ने विस्तृत भूमि प्राप्त कर ली। ऐसे व्यक्तियों को सामूहिक रूप से "पाटीदार" कहा जाने लगा। पाटी का अर्थ "भूमि" और दार का "धारक" होता है।यह वर्ग सामान्य लोगों का सम्मानजनक समूह बन गया और कई निम्न स्तर के समुदाय इसमें मिल गए और उनको इसमें सम्मिलित कर लिया गया। काइरा जिले के चरोतर क्षेत्र (वर्तमान खेड़ा जिले में) के पाटीदारों ने अधिक महत्व ग्रहण कर लिया। वहाँ दो समूह उपजे:- कड़वा और लेउवा। जिनका नाम कथित तौर पर राम के पुत्रों लव-कुश से लिया गया है। दोनों की कुलदेवी और धार्मिक संस्थान अलग है।
 जाति इतिहासकार डॉ.दयाराम आलोक  के मतानुसार-
 भगवान् श्री राम के पुत्रों लव एवं कुश की संतान के रूप में लेवा एवं कड़वा पाटीदारों की उत्पत्ति का विवरण जनश्रुतियों में समस्त पाटीदार परिवारों में कहा सुना जाता है, जिसमें लव की राजधानी वर्तमान लाहौर (पाकिस्तान) में थी, जहां हमारी जाति का प्रसार हुआ कहा जाता है। जबकि कुश की राजधानी कुशावर्त्त (वर्तमान पाटलीपुत्र या पटना) थी, कड़वा पाटीदार इस प्रदेश में फैले।
दूसरी जनश्रुति के अनुसार पाटीदारों की उत्पत्ति कथा गुजरात को ही मूल भूमि बतलाती है। एक समय गुजरात में नौ लाख दानव एवं राक्षस भगवान् महादेव के द्वारा तपस्या से प्राप्त वरदान से उन्मत्त और आततायी हो गए थे। लेकिन भगवान् महादेव ने उन्हे कहा था कि तुमने भूल कर भी किसी अकेली स्त्री से मत लड़ना। किंतु दानवों ने गलती की, जब शक्ति मां आरासुर पहाड़ी पर एक षोडसी बाला के रूप में प्रकट हुई। दानवों ने आसौ सुदी दूज के दिन आरासुरी अंबाजी से युद्ध किया, युद्ध में माता ने महिषासुर का संहार किया और रक्तबीज दानव का शीश काटकर अपने जलते हुए खप्पर में पूरा रक्त जलाकर रक्तबीज का वध किया। इन राक्षसों का विदा करने के दौरान माताजी इतने क्रोध में थी की गुस्सा शांत न होने पर स्वयं अपना हाथ चबाने लगी। उन्होंने श्री ब्रह्मा, विष्णु और महादेव को बंदी बना लिया। युद्ध निरत होकर प्यास बुझाने हेतु माता वंश सरोवर के पास अपने घोड़े से उतरी, पानी पिया। तब कौतुहल वश तालाब की मिट्टी से उन्होंने बावन मिट्टी के पुतलों का निर्माण किया उन सुंदर पुतलों के निर्माण के बाद माताजी में वात्सल्य का ज्वार उमड़ा और संजीवनी मंत्र से उन पुतलों में प्राण डालकर जीवित कर दिया। बाद में महादेव जी को वैशाख सुदी दूज के दिन अपने बंधन से मुक्त किया। महादेवजी ने जब उन बच्चों के बारे में, उनकी उत्पति के बारे में जानना चाहा और पूछा कि – “किम् बीज?” कहा जाता है उसी के अपभ्रंश रूप में कुलम्बी नाम पड़ा है। उन बावन बच्चों को तीनो देवता डराने लगे। तब सभी ने माताजी से शिकायत कर दी। माता ने उन सभी को चार वरदान दिये!
1. तुम हलपति कहलाओगे, दुनिया का पेट भरोगे।
2. हल से ही तुम्हारा यश संसार में फैलेगा।
3. संसार तुमसे सदैव अन्न की आशा करेगा।
4. तुम सबका वंश कलियुग में खूब फलेगा फूलेगा।
इन सभी लड़कों के विवाह के लिये माताजी ने पाताल लोक से बावन नाग कन्याओं को लाकर विवाह रचाया, जिनमें त्रुटि वश बड़े पुत्र को छोटी नागकन्या और छोटे पुत्र को बड़ी नागकन्या से विवाह कर दिया। इन सब पुत्रों में बड़ा पुत्र लवसंग सबसे पहले अलग होकर अपनी पत्नि के साथ मध्य गुजरात की तरफ चला गया। जबकि शेष 51 पुत्रों को जो कड़वा पाटीदारों के 51 कुलनाम से जुड़े हैं माता ने उन्हे उनका यथोचित हक देकर (जिसे गुजराती में पाँती पाड़ी कहा जाता है) अपना वंश विस्तार का आदेश दिया। तब से संपूर्ण गुजरात और अन्य राज्यों में पाटीदार अपनी संपत्तियों के माध्यम से अपने कृषिकर्म के आधार पर फैलते गए। यह जनश्रुति गुजरात की लोकमानस में व्याप्त कथा है।

इतिहास


ब्रिटिश राज में पाटीदारों को भूमि सुधार से फायदा हुआ और उन्होंने बड़ी संपदा और सामाजिक प्रतिष्ठा हासिल कर ली। कुछ पाटीदार क्षत्रिय दर्जा हासिल करने के लिए ऊँची जातियों के तौर-तरीके अपनाने लगे। जैसे कि शाकाहार और विधवा का पुनर्विवाह निषेध किया जाना। पाटीदार में अनुलोम विवाह का भी चलन हुआ, पाटीदार लड़कियाँ अपने से ऊँचे स्तर के लड़के साथ विवाह करती। लेकिन लड़के सिर्फ नीचे स्तर की पाटीदार लड़कियों से ही विवाह कर सकते। लड़कियों की कमी के कारण पाटीदार पिता को दहेज के साथ अपने लड़के की शादी के लिये वधू शुल्क भी देना पड़ता। कई गाँव में उन्हें गैर-पाटीदार लड़की से विवाह करना पड़ता है, जिसे पाटीदार ही माना जाता।

वर्तमान

इस समय में पाटीदार व्यवसाय संबंधी कार्य में लिप्त होने लगे है और अब वो वैश्य के रूप में पहचानना पसंद करते हैं। 19वीं शताब्दी में संयुक्त राज्य अमेरिका और पूर्वी अफ्रीका में कई पाटीदार बसे। उनके अपने राज्य गुजरात में भी पाटीदार प्रधान जाति है और हर क्षेत्र में उसका काफी प्रभुत्व है।

पाटीदार समाज के प्रमुख व्यक्ति

सरदार वल्लभभाई पटेल: भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री.
चिमन भाई पटेल: गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री
बाबू भाई पटेल: गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री
केशुभाई पटेल: गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री.
आनंदीबेन पटेल: गुजरात की पहली महिला मुख्यमंत्री
करसनभाई पटेल: बिजनेसमैन, उद्योगपति, निरमा ग्रुप के संस्थापक.
पंकज रमनभाई पटेल: अरबपति बिजनेसमैन, कैडिया हेल्थ केयर के संस्थापक
शिवजी ढोलकिया: प्रसिद्ध हीरा व्यवसायी 
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