22.10.18

चाणक्य नीति


                         



आज से करीब 2300 साल पहले पहले पैदा हुए आचार्य चाणक्य भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र के पहले विचारक माने जाते हैं। पाटलिपुत्र के शक्तिशाली नंद वंश को उखाड़ फेंकने और अपने शिष्य चंदगुप्त मौर्य को बतौर राजा स्थापित करने में आचार्य चाणक्य का अहम योगदान रहा। ज्ञान के केंद्र तक्षशिला विश्वविद्यालय में आचार्य रहे चाणक्य राजनीति के चतुर खिलाड़ी थे और इसी कारण उनकी नीति कोरे आदर्शवाद पर नहीं बल्कि व्यावहारिक ज्ञान पर टिकी है।

आचार्य चाणक्य एक ऐसी महान विभूति थे, जिन्होंने अपनी विद्वत्ता और क्षमताओं के बल पर भारतीय इतिहास की धारा को बदल दिया। मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चाणक्य कुशल राजनीतिज्ञ, चतुर कूटनीतिज्ञ, प्रकांड अर्थशास्त्री के रूप में भी विश्वविख्‍यात हुए। इतनी सदियाँ गुजरने के बाद आज भी यदि चाणक्य के द्वारा बताए गए सिद्धांत ‍और नीतियाँ प्रासंगिक हैं तो मात्र इसलिए क्योंकि उन्होंने अपने गहन अध्‍ययन, चिंतन और जीवानानुभवों से अर्जित अमूल्य ज्ञान को, पूरी तरह नि:स्वार्थ होकर मानवीय कल्याण के उद्‍देश्य से अभिव्यक्त किया। वर्तमान दौर की सामाजिक संरचना, भूमंडलीकृत अर्थव्यवस्था और शासन-प्रशासन को सुचारू ढंग से बताई गई ‍नीतियाँ और सूत्र अत्यधिक कारगर सिद्ध हो सकते हैं।आचार्य चाणक्य की महानता सर्वविदित है. चाणक्य ने जीवन के विभिन्न पहलुओं पर अपनी नीतियां लिखी थीं जिन्हें उपयोग में ला कर आप अपनी ज़िन्दगी बदल सकते हैं.
ऐसे ही यदि आप किसी ऑफिस में कार्य करते हैं या फिर किसी तरह की राजनीति में सबसे आगे रहना चाहते हैं तो नीचे दिए गए वचनों को ध्यान से पढ़ें और इन्हें अपनाएं. चाणक्य द्वारा लिखित नीतियों का हिंदी रूपांतरण हमने यहां किया है.
ऑफिस या राजनीति पर चाणक्य के विचार
1. किसी कार्य को शुरू करने से पहले ये तीन सवाल जरूर पूछें.
मैं यह क्यूँ कर रहा हूँ. इसके क्या परिणाम होंगे. क्या यह सफल होगा.
जब आप इन सवालों पर विचार करोगे तभी आप पूरे मन से उस कार्य को कर पाओगे.
2. एक बार किसी कार्य को शुरू कर दो फिर असफलता से क्या डरना. किसी हाल में कार्य रुकना नहीं चाहिए

काम चाहे छोटा हो या बड़ा हो एक बार हाथ में लेने के बाद उसे कभी नहीं छोड़ना चाहिए, अपनी लगन और सामर्थ से उस काम को पूरा करना चाहिए, जैसे शेर अपने पकडे हुए शिकार को कभी नहीं छोड़ता!
3. किसी भी काम के डर और भय को नजदीक मत आने दो अगर यह नजदीक आये तोह इसपर हमला कर दो यानि भय से भागो मत इसका सामना करो।
4. दूसरों की गलतियों से सीखें. आप पूरे जीवन भर अपनी गलतियों से नहीं सीख सकते.
5. सबसे बड़ा गुरुमंत्र – किसी को भी अपने गुप्त राज मत बताओ. ये आपको तबाह कर देगा.
6. किसी भी व्यक्ति को जरूरत से ज्यादा ईमानदार नहीं होना चाहिए क्योंकि सीधे तने वाले पेड़ ही सबसे पहले काटे जाते हैं इसलिए बहुत ज्यादा ईमानदार लोगों को ही सबसे ज्यादा परेशानी और कष्ट उठाने पड़ते हैं।

7.हर मित्रता के पीछे कुछ न कुछ स्वार्थ जरूर छिपा होता है। दुनिया में ऐसी कोई दोस्ती नहीं जिसके पीछे लोगों के अपने हित न छिपे हों, यह कटु सत्य है।
8. अगर कोई सांप जहरीला नहीं है, तब भी उसे फुफकारना नहीं छोड़ना चाहिए। उसी तरह से कमजोर व्यक्ति को भी हर वक्त अपनी कमजोरी का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए और कभी अपनी हार नहीं माननी चाहिए।
9. जब तक आपने मन में दृढ निश्चय नहीं किया, आप प्रतियोगिता में नहीं हो.
10. तीन चीज़ों पर दुनिया चलती है. अन्न, जल तथा मधुर वाणी.

11.किसी भी दुष्ट प्रवृत्ति के इंसान की मीठी बातों पर भरोसा कभी नहीं करना चाहिए क्योंकि वो अपने मूल स्वभाव को कभी नहीं छोड़ सकता, जैसे शेर कभी भी हिंसा नहीं छोड़ सकता।
12.जो बीत गया, सो बीत गया, अपने हाथ से कोई गलत काम हो गया हो तो उसकी फिक्र छोड़ते हुए वर्तमान को सलीके से जीकर भविष्य को संवारना चाहिए। हमें बीते समय के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए और न ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए विवेकमान और बुद्धिमान व्यक्ति केवल वर्तमान में जीते हैं ।
13.जैसे दूध में मिला जल भी दूध बन जाता है गुणी व्यक्ति का आश्रय पाकर गुणहीन भी गुणी बन जाता है इसलिए हमेशा गुणी व्यक्तिसे मित्रता करनी चाहिए गुणहीन व्यक्ति से हमेशा दूर ही रहना चाहिए!
14.नीच प्रवृति के लोग दूसरों के दिलों को चोट पहुंचाने वाली, उनके विश्वासों को छलनी करने वाली बातें करते हैं, दूसरों की बुराई कर खुश हो जाते हैं। मगर ऐसे लोग अपनी बड़ी-बड़ी और झूठी बातों के बुने जाल में खुद भी फंस जाते हैं। जिस तरह से रेत के टीले को अपनी बांबी समझकर सांप घुस जाता है और दम घुटने से उसकी मौत हो जाती है, उसी तरह से ऐसे लोग भी अपनी बुराइयों के बोझ तले मर जाते हैं।
15.संकट काल के लिए धन बचाएं। परिवार पर संकट आए तो धन कुर्बान कर दें। लेकिन अपनी आत्मा की हिफाजत हमें अपने परिवार और धन को भी दांव पर लगाकर करनी चाहिए।
16.भाई-बंधुओं की परख संकट के समय और अपनी स्त्री की परख धन के नष्ट हो जाने पर ही होती है। और कष्टों से भी बड़ा कष्ट दूसरो के घर पर रहना है।
17.जिनके मन में सैदव परोपकार की भावना रहती है लोगों की मुसीबतें जल्द ही खत्म हो जाती हैं और उन्हें हर कदम पर यश की प्राप्ति होती है।
18.जीवन में कामयाब होने के लिए  अच्छे मित्रों की जरुरत होती है और ज्यादा कामयाब होने के लिए अच्छे शत्रुओं की  आवश्यकता होती है असंभव शब्द का इस्तेमाल बुजदिल करते हैं। बहादुर और बुद्धिमान व्यक्ति अपना रास्ता खुद बनाते हैं।
19.अगर गलतियों से सीखना है तो दूसरों की गलतियों से सीखो, अपने ही ऊपर प्रयोग करके सिखने से आपकी आयु कम पड़ेगी।
20.जैसे समुद्र में गिरी हुई वस्तु नष्ट हो जाती है वैसे ही जो सुनता नहीं है उससे कही हुई बात भी नष्ट हो जाती है और अजितेन्द्रिय पुरुष का शास्त्र ज्ञान नष्ट हो जाता है- बिना वजह कलह करना मूर्खों का काम है बुद्धिमान लोगों को इससे बचना चाहिए ऐसा करने से वो अनर्थ से बच जातें हैं और अपने जीवन में यश पाते हैं।
परवरिश
जन्म के पांचवे साल तक पुत्र को प्यार करना चाहिये, फिर दस साल तक दंडित करना चाहिये और एक बार जब वह सोलह वर्ष का हो जाए, तब उसे अपना दोस्त बना लेना चाहिये।
भगवान
भगवान मूर्तियों में नहीं है। आपकी अनुभूति आपका इश्वर है। आपकी आत्मा आपका मंदिर है।
इंसान की अच्छाई
फूल की खुशबू केवल हवा की दिशा में जाएगी। लेकिन एक अच्छे इंसान की अच्छाई सब जगह फैलेगी।
सबसे बड़ी ताकत
दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है।

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