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ढोली समुदाय खुद को गंधर्व देव की सन्तान मानते हैं. राजा-महाराजाओं के काल में युद्ध के दौरान रणभेरी बजाने वालों के तौर पर ये जाति अस्तित्व में आई और ढोल बजाने की वजह से इन्हें ढोली कहा जाने लगा|
दमामी समाज की उत्पति – यह जाति शुद्ध क्षत्रिय है जो तीन प्रकार से बनी है
1. प्रसन्नतापूर्वक
2,इनका राज्य छीन कर जबरदस्ती बनाये हुये ।
3,कुछ आपत्तिवश इनमे मिले हुये ।
किन्तु अधिकांश खांपे इस समाज में वे है, जिनको भिन्न भिन्न राजाओं ने अपने भाईयों में से तथा संबंधित राजपूतों में से जो रणकुशल नायक थे, चुन चुन कर बनाई है यह समाज राजस्थान में क्षेत्र अनुसार कई नामो से पुकारी जाती है । जैसे नगारची ,राणा ,बारोट और दमामी।
इस जाति का इतिहास भी सिवाय राजपूतों के संसार में कोई और नहीं जानता और न कोई धार्मिक पुस्तक में ही इनका उल्लेख है । इसका एकमात्र कारण यह है कि यह जाति प्राचीन नहीं बल्कि अर्वाचिन है । यह नई न्यात अर्थात् नवीन जाति कहलाती है किन्तु दुर्भाग्यवश राजपूतों की स्वार्थमयी विचित्र नीति ने और द्वेषियों के विरोध ने इनको इतना गिराया है कि आज आम जनता में इनकी प्रतिष्ठा पहिले की तरह नहीं रही |
इस जाति का इतिहास भी सिवाय राजपूतों के संसार में कोई और नहीं जानता और न कोई धार्मिक पुस्तक में ही इनका उल्लेख है । इसका एकमात्र कारण यह है कि यह जाति प्राचीन नहीं बल्कि अर्वाचिन है । यह नई न्यात अर्थात् नवीन जाति कहलाती है किन्तु दुर्भाग्यवश राजपूतों की स्वार्थमयी विचित्र नीति ने और द्वेषियों के विरोध ने इनको इतना गिराया है कि आज आम जनता में इनकी प्रतिष्ठा पहिले की तरह नहीं रही |
इस जाति के लोगों को बारहठ भी कहते है । जिसका अर्थ द्वार पर हठ करने वाला है । रणधवल (दमामी-नगारची) समाज की प्राचीन उपाधि बारहठ ही है मगर संवत 1808 में जोधपुर महाराज बख्तसिंह जी ने यह पदवी चारण समाज को देदी । इसी कारण मारवाड़ में बारेठ चारण कहलाते है |शेष मेवाड़ ,हाड़ोती आदि स्थानों में लोग नगारची जाति को ही बारहठ कहते आ रहे है । सोलंकी और गौड़ क्षत्रियों के यहां पोलपात नगारची जाति को ही बारहठ कहते है जो दमामी राजपूत जाति ही है
राजपूताने में क्षत्रियों का कोई ऐसा छोटे से छोटा भी ठिकाना नहीं है जहां पर दमामी कौम के एक दो घर नहीं हों और इन लोगो के गुजारे के लिए माफ़ी की जमीन और राज्य में तथा प्रजा में लगाने नहीं हो । चारण जाति के लोग खास खास ठिकानों में ही है । जिससे भी स्पष्ट सिद्ध है कि राजपूत जाति के वास्तविक पोलपात दमामी ही है
राजपूताने में क्षत्रियों का कोई ऐसा छोटे से छोटा भी ठिकाना नहीं है जहां पर दमामी कौम के एक दो घर नहीं हों और इन लोगो के गुजारे के लिए माफ़ी की जमीन और राज्य में तथा प्रजा में लगाने नहीं हो । चारण जाति के लोग खास खास ठिकानों में ही है । जिससे भी स्पष्ट सिद्ध है कि राजपूत जाति के वास्तविक पोलपात दमामी ही है
डांगी- राव डांगी जी के वंशज ढोली कहलाये। राव डांगी जी के पास किसी प्रकार कि भूमी नहीँ थी व ईसने डूमन या ढोली जाती की लङकी से शादी की । उसकी सन्तान कही ढोली तो कहीँ डांगी नाम से बसते है। राव डांगी जी के वंशज ढोली कहलाये।
डॉ. दयाराम आलोक के अनुसार, ढोली जाति की उत्पत्ति डांगी जाति से नहीं हुई है, बल्कि यह एक अलग जाति है जो पीढ़ियों से चली आ रही है। ढोली जाति के लोग ढोल और नगाड़े बजाने का काम करते थे, इसलिए उन्हें ढोली या नगारसी कहा जाता था।डांगी जाति के एक व्यक्ति ने ढोली जाति की लड़की से शादी की, जिससे उनका वंश राजपूत से अलग हो गया और ढोली वंश बन गया। इस प्रकार, डांगी के वंशज राजपूतों से अलग हो गए, लेकिन उनके रिश्ते और नाते अभी भी बने रहे।उनके अनुसार, राजस्थान में राठौड़ राजपूतों के साथ-साथ ढोली जाति भी फैल गई। यह सिलसिला आज तक कायम है।यह जानकारी डॉ. दयाराम आलोक के शोध और अध्ययन पर आधारित है, जो जाति इतिहास के क्षेत्र में एक प्रमुख विद्वान हैं|
डॉ. दयाराम आलोक के अनुसार, ढोली जाति की उत्पत्ति डांगी जाति से नहीं हुई है, बल्कि यह एक अलग जाति है जो पीढ़ियों से चली आ रही है। ढोली जाति के लोग ढोल और नगाड़े बजाने का काम करते थे, इसलिए उन्हें ढोली या नगारसी कहा जाता था।डांगी जाति के एक व्यक्ति ने ढोली जाति की लड़की से शादी की, जिससे उनका वंश राजपूत से अलग हो गया और ढोली वंश बन गया। इस प्रकार, डांगी के वंशज राजपूतों से अलग हो गए, लेकिन उनके रिश्ते और नाते अभी भी बने रहे।उनके अनुसार, राजस्थान में राठौड़ राजपूतों के साथ-साथ ढोली जाति भी फैल गई। यह सिलसिला आज तक कायम है।यह जानकारी डॉ. दयाराम आलोक के शोध और अध्ययन पर आधारित है, जो जाति इतिहास के क्षेत्र में एक प्रमुख विद्वान हैं|
Disclaimer: इस content में दी गई जानकारी Internet sources, Digital News papers, Books और विभिन्न धर्म ग्रंथो के आधार पर ली गई है. Content को अपने बुद्धी विवेक से समझे
4 टिप्पणियां:
बारेठ कोनसी सूची में आते ओबीसी या सच
ओबीसी में भाई
बहुत अच्छा सराहनीय प्रयास आपके साहस को सलाम ,,,,, आपने शुरूआत तो करी ,,,,, धन्यवाद। ।। जहा तक मुझे जानकारी है हिन्दु जाति व्यवस्था की चार वर्ण व्यवस्था के अतिरिक्त एक वर्ण और होता है अतजय वर्ण अर्थात,,,, अवर्ण ,,,, यह भी भारतीय वर्ण व्यवस्था की अन्तिम उप वर्ग ईकाई है ,,,,,हिन्दु धर्म के अनुसार वर्ण व्यवस्था मे प्राप्त स्थान (अवर्ण) होने से अन्य जाति समाज के नख तो प्राप्त हुवे किन्तु स्थान नही मिला ,,
यह बात सही है कि यह एक उप वर्ग है जो चारो वर्णो से ही उत्पन्न हुआ है ,,,,, यह एक मुख्य जाति नही है जिस तरह देश मे सभी स्टेट और जिलों मे चार वर्णों की जातियां है ,,,,,,वैसै नही है ,,,,,,,, यह हिन्दु धर्म का उप वर्ग है जो शाही घरानों की सेवा चाकरी के उपरान्त वर्तमान मे परम्परा को स्थानीय स्तर गावों कस्बों मे करता आ रहा है हिन्दु जाति व्यवस्था मे उक्त उप वर्ग / उप जाति अपने मुल जुजमानी वर्ग से विघटीत होकर बनी है जिसे जाति नही,,,,, बल्कि उपजाति के रूप मे माना जाता है ,,,,,, इन सभी चारो वर्णो के जुजमानो के गायन वादन का काम करने वाली ये सभी उप जातियां जुजमानो के वर्ग के अनुरूप अलग अलग नाम से जानी जाति है इनको हिन्दु वर्ण व्यवस्था से अलग वर्ण होने से जाति के रूप मे मान्य! न होकर के इनके काम के अनुरूप नोटिफाईङ कीया गया है हिन्दु जाति व्यवस्था के अनुरूप इन्है स्पैशल चार वर्णों से अलग काम दिया गया ,,,,,,,,, ऐसी अनेकों उपजातिया है ,,,,,,,, जिनके अलग अलग नाम है ये इनके काम से पहचानी जाति है ,,,,,,,,,,,, जैसै सरगरा,,,,,,, सपेरा ,,,,,, कालबेलिया ,,,,,,,,, मछुआरे और अन्य कही उपजातिया है,,,,,,, जो काम के अनुसार नोटिस की गयी जैसै धोबी आदि ये सभी उपजातिया के उदाहरण है ,,,,,,,,,,,यह सभी मुख्य जातियां नही है ,,,,,, मुल रूप मे ढोली नाम संविधान 1950 मे केवल अजमेर मेरवाङा/ त्तकालिन अजमेर राज्य व वर्तमान अजमेर जिले मे राष्ट्रपति ङा राजेन्द्र प्रसाद के हस्ताक्षर से जारी हुआ जिसके गजट के 16 नम्बर पर ढोली दर्ज हुआ जिसकी व्याख्या ATNOGRIFIC ATLAS REFERENCE OF SC ST CAST RAJASTHAN पेज न 56 -57 पर ढोली ( नगारचि दमामी जाचक राणा बारोठ ( आज दिन तक दर्ज है ।।।। जिन छोटे समुह को उनके काम के अनुसार नोटिस कीया जाता है उसे उपजाति कहा जाता है वर्तमान मे मुल रूप से संविधान अनुसार पांच उपजातिया है (नगारचि दमामी जाचक राणा बारोठ) जिसके सभी आथन्टीक रिकोङ गजट मेरे पास मोजुद है ,,,,,,, MO 8700428689,,,,,, आपके सरहानीय प्रयास के लिये धन्यवाद। ।। मुझे जितनी जानकारी है वही दे पा रहा हु कमी पैशी के लिये श्रमा प्राथी 🙏🙏
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