22.10.17

परशुराम जी ने किसलिए 21 बार क्षत्रियों का संहार किया ?






देवता और ब्राह्मण आदि का पालन करने वाले श्रीहरि ने जब देखा की भूमंडल के क्षत्रिय उद्धत स्वभाव के हो गए हैं तो वे उन्हें मारकर पृथ्वी का भार उतारने और सर्वत्र शांति स्थापित करने के लिए जमदग्नि के अंश द्वारा रेणुका के गर्भ से अवतरित हुए
भृगु नंदन परशुराम शस्त्र विद्या के पारंगत विद्वान थे उन दिनों कृतवीर्य का पुत्र राजा अर्जुन भगवान दत्तात्रेय की कृपा से हजार बांहे पाकर समस्त भूमंडल पर राज्य करता था एक दिन वह वन में शिकार खेलने के लिए गया।
वहां वह बहुत थक गया। उस समय जमदग्नि मुनि ने उसे अपने आश्रम पर निमंत्रित किया और कामधेनु के प्रभाव से सब को भोजन कराया राजा ने मुनि से कामधेनु को अपने लिए मांगा किंतु उन्होंने देने से इनकार कर दिया।
तब राजा ने बलपूर्वक मुनि से कामधेनु को छीन लिया यह समाचार पाकर परशुराम जी ने हैहयपुरी में जाकर उसके साथ युद्ध किया और अपने फरसे से उसका मस्तक काट कर उसे रणभूमि में मार गिराया फिर वह कामधेनु को अपने साथ लेकर अपने आश्रम लौट आए एक दिन परशुराम जी जब वन में गए हुए थे तो कृतवीर्य के पुत्रों ने आकर अपने पिता के बेर का बदला लेने के लिए जमदग्नि मुनि को मार डाला। जब परशुराम जी लौटकर आए तो अपने पिता को मारा गया देख उनके मन में बड़ा क्रोध हुआ। तब उन्होंने 21 बार समस्त भूमंडल के क्षत्रियों का संहार किया।फिर कुरुक्षेत्र में 5 कुंड बनाकर वही उन्होंने अपने पितरों का तर्पण किया और सारी पृथ्वी कश्यप मुनि को दान देकर वें महेंद्र पर्वत पर रहने के लिए चले गए।

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