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25.6.21

आदिवासी समाज का इतिहास:बिरसामुण्डा| मावली माता |आदिवासी गोत्र |





मित्रों ,जाती इतिहास  के विडियो की श्रृंखला में आज हम "आदिवासी समाज  का इतिहास और वर्तमान "पर चर्चा  कर रहे हैं 
आदिवासी शब्द का सामान्यतः अनुवाद ' स्वदेशी लोग ' या 'मूल निवासी' होता है, और इसका शाब्दिक अर्थ है 'आदि या आरंभिक समय', और 'वासी या निवासी'।आदिवासी समाज की पहचान उनकी भाषा, संस्कृति, और त्योहारों से होती है.
आदिवासी समाज के लोग प्रकृति के सभी घटकों को पूजते हैं.
आदिवासी समाज के लोग जल-जंगल के बेहद करीब होते हैं.
आदिवासी समाज के लोग खेती-किसानी से जुड़े होते हैं.आदिवासी समाज के लोग अपने लिए अलग से धार्मिक कोड (सरना कोड या आदिवासी धर्म कोड) की मांग करते हैं.
आदिवासी समाज के लोग अपनी संस्कृति और परंपराओं को सुरक्षित रखने के लिए चाहते हैं.
आदिवासी समाज के लोगों के अधिकारों को राष्ट्रीय कानून, सन्धियों और अंतर्राष्ट्रीय कानून में रेखांकित किया गया है.
आदिवासी समाज के लोग प्रकृति-पूजक हैं.
आदिवासी समाज के लोग वन, पर्वत, नदियों एवं सूर्य की आराधना करते हैं.


आदिवासी समाज के लोग अपनी कई मूलभूत सुविधाएं जंगलों से प्राप्त करते हैं.
आदिवासी समाज के लोग सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर प्रकृति से गहरे जुड़े होते हैं.
आदिवासी समाज के लोगों के पास लोकगीतों की धरोहर है.




भारत में आदिवासियों का धर्म क्या है?

कई आदिवासी लोग जीववादी हैं, कई लोग सरना धर्म का पालन करते हैं जो प्रकृति में प्रकट होने वाली सर्वोच्च आत्मा के प्रति श्रद्धा पर आधारित है और कई आदिवासी लोगों की पहचान का केंद्र है
 


  भारत की जनसंख्या का 8.6% (10 करोड़) जितना एक बड़ा हिस्सा आदिवासियों का है। पुरातन लेखों में आदिवासियों को अत्विका और वनवासी भी कहा गया है (संस्कृत ग्रंथों में)। संविधान में आदिवासियों के लिए अनुसूचित जनजाति पद का उपयोग किया गया है। भारत के प्रमुख आदिवासी समुदायों में गोंड, मुंडा, खड़िया, हो, बोडो, भील, खासी, 
सहरिया, गरासिया, संथाल, मीणा, उरांव, परधान, बिरहोर, पारधी, आंध, टाकणकार आदि हैं।

आमतौर पर आदिवासियों को भारत में जनजातीय लोगों के रूप में जाना जाता है।
 आदिवासी मुख्य रूप से भारतीय राज्यों उड़ीसा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल में अल्पसंख्यक है जबकि भारतीय पूर्वोत्तर राज्यों में यह बहुसंख्यक हैं, जैसे मिजोरम। भारत सरकार ने इन्हें भारत के संविधान की पांचवी अनुसूची में ” अनुसूचित जनजातियों ” के रूप में मान्यता दी है। 
 जाति इतिहासविद डॉ.दयाराम आलोक के मतानुसार आदिवासियों का अपना धर्म है। ये प्रकृति पूजक हैं और जंगल, पहाड़, नदियों एवं सूर्य की आराधना करते हैं। आधुनिक काल में जबरन बाह्य संपर्क में आने के फलस्वरूप इन्होंने हिंदू, ईसाई एवं इस्लाम धर्म को भी अपनाया है। 



अंग्रेजी राज के दौरान बड़ी संख्या में ये ईसाई बने तो आजादी के बाद इनके हिूंदकरण का प्रयास तेजी से हुआ है। परंतु आज ये स्वयं की धार्मिक पहचान के लिए संगठित हो रहे हैं और भारत सरकार से जनगणना में अपने लिए अलग से धार्मिक कोड की मांग कर रहे हैं।


आदिवासी कौन सी जाती में आते हैं ?

भारतीय संविधान में आदिवासियों के लिए 'अनुसूचित जनजाति' शब्द का उपयोग किया गया है। भारत के प्रमुख आदिवासी समुदायों में मीणा ,भील मीणा,गोंड, हल्बा ,मुण्डा,खड़िया, बोडो, कोल, भील,नायक, सहरिया,
 संथाल ,भूमिज, हो, उरांव, बिरहोर, पारधी, असुर, भिलाला,आदि हैं। भारत में आदिवासियों को प्रायः 'जनजातीय लोग' के रूप में जाना जाता है।
आदिवासियों का अपना धर्म है, जिसे "सरना धर्म" कहते हैं. यह धर्म प्रकृति की पूजा पर आधारित है. सरना धर्म को 'आदि धर्म' भी कहा जाता है. आदिवासी समुदाय के कई लोग इस धर्म को मानते हैं. हालांकि, कई आदिवासी हिंदू धर्म, ईसाई धर्म, और इस्लाम धर्म को भी मानते हैं.

आदिवासी की कुल देवी कौन है 

सात माता को कुलदेवी के रूप में पूजते हैं आदिवासी
   ग्राम टेमरिया में तालाब के पास घने जंगल के बीच वीरान क्षेत्र में विराजित सात माता का यह क्षेत्र अतिप्राचीन है। आदिवासी समाज के लोग सात माता को कुलदेवी के रूप में पूजते हैं। जंगल में सागवान वृक्षों के बीच विराजित माता का यह क्षेत्र दर्शनीय व पूजनीय है।

आदिवासी कुलदेवी देव मोगरा  माता 



आदिवासियों का भगवान कौन है?

बाघेशुर - मध्य भारत की जनजातियों के बाघ देवता
'बाघेशुर' का अर्थ है बाघ देवता, जिसे मध्य भारत की जनजातियाँ, खास तौर पर बैगा लोग पूजते हैं
 

आदिवासी का पूर्वज कौन था?

यह प्रत्येक समुदाय अपनी अलग धार्मिक विशेषताओं के आधार पर निर्धारित करता है। आदिवासी हिन्दू है इसलिए उनके भी गोत्र है और यह गोत्र ही उनके पूर्वज के नाम है । देवादिदेव महादेव और मां काली  उनके आराध्य देवी देवता हैं ।

आदिवासी भगवान बिरसा मुंडा -


बिरसा मुंडा एक आदिवासी नेता और लोकनायक थे। ये मुंडा जाति से सम्बन्धित थे। वर्तमान भारत में रांची और सिंहभूमि के आदिवासी बिरसा मुंडा को अब 'बिरसा भगवान' कहकर याद करते हैं। मुंडा आदिवासियों को अंग्रेज़ों के दमन के विरुद्ध खड़ा करके बिरसा मुंडा ने यह सम्मान अर्जित किया था। 19वीं सदी में बिरसा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक मुख्य कड़ी साबित हुए थे।

क्या आदिवासी हिन्दू हैं?

 भारत के सभी मूल या स्वदेशी धर्म मोटे तौर पर हिंदू धर्म के अंतर्गत आते हैं , क्योंकि संविधान केवल वैदिक धर्मों को हिंदू धर्म के रूप में वर्गीकृत नहीं करता है, 
गोंड जनजाति के मुख्य देवी-देवताओं में बूड़ादेव, दुल्लादेव, घनश्यामदेव, बूड़ापेन (सूर्य), और भीवासू शामिल हैं. इनके अलावा, फसल, शिकार, बीमारियों, और वर्षा से जुड़े भी कई देवी-देवता हैं. 
गोंड जनजाति के लोग बहुत धार्मिक हैं.
वे कई शगुनों और मिथकों में भी विश्वास करते हैं.
गोंड जनजाति के लोग पूर्वजों की पूजा करते हैं.
गोंड जनजाति के लोग मृत्यु के बाद के जीवन और देवताओं को खुश करने के लिए पौधों और जानवरों की बलि देते हैं.
गोंड जनजाति के लोग ईश्वर को  हवा, पानी, और ज़मीन को नियंत्रित करने वाला  मानते हैं.
गोंड जनजाति के लोग बारादेव (जिनके अन्य नाम भगवान, श्री शंभु महादेव और पर्सा पेन हैं) की पूजा करते हैं.
गोंड जनजाति के लोग भूत-प्रेत और जादू-टोने में काफ़ी विश्वास करते हैं. 

मावली माता का मेला 



मावली माता गोंड आदिवासियों की प्रमुख मातृ  देवी है। इस देवी का वर्तमान निवास स्थान मावली पठार में है। 
नारायणपुर का मावली मेला बस्तर के आदिवासियों का सबसे बड़ा मेला है. यहां बस्तर संभाग के सभी क्षेत्रों का आदिवासी समाज जुटता है. आदिवासियों के विभिन्न समुदायों की संस्कृति का यह मेला समागम स्थल है.

आदि शक्ति माता मावली का  मंदिर 



छत्तीसगढ़ के धमतरी से पांच किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पुरूर में स्थित आदि शक्ति माता मावली के मंदिर की अनोखी परंपरा है. यहां मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है . 

आदिवासी समाज में कितने सरनेम होते हैं?

आदिवासी समाज में कई सरनेम होते हैं, क्योंकि इसमें कई जनजातियां हैं. इनमें से कुछ प्रमुख जनजातियां हैं - गोंड, मुंडा, खड़िया, उरांव, संथाल, भील, कोल, बोडो, सहरिया, भूमिज, हो, पारधी, असुर, भिलाला.
आदिवासी समाज में गोत्रों की भी व्यवस्था है.
गोंड समाज पांच प्रमुख गोत्रों में बंटा है - छिदैया, नेताम, मरकाम, मरई, और पोर्ते.

क्या शिव आदिवासी थे?

भगवान शिव को आदिदेव, आदिनाथ और आदियोगी कहा जाता है। आदि का अर्थ सबसे प्राचीन प्रारंभिक, प्रथम और आदिम। शिव आदिवासियों के देवता हैं। शिव खुद ही एक आदिवासी थे।

आदिवासी में सबसे ऊंची जाति कौन सी है?
दक्षिण क्षेत्र की प्रमुख जनजाति गोंड है। जनसंख्या की दृष्टि से यह सबसे बड़ा आदिवासी समूह है

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Disclaimer: इस विडिओ  में दी गई जानकारी Internet sources, Digital News papers, Books और विभिन्न धर्म ग्रंथो के आधार पर ली गई है. Content को अपने बुद्धी विवेक से समझे.
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