30.12.23

श्री हनुमान मंदिर पिपल्या राठौर /गरोठ सर्किल के देवालय/डॉ.आलोक साहब द्वारा बैंच दान

 ग्राम पिपल्या राठौर के हनुमान मंदिर हेतु 

दामोदर पथरी अस्पताल  शामगढ़ द्वारा 

सीमेंट बेंचें भेंट 



मंदसौर,झालावाड़ ,आगर,नीमच,रतलाम,झाबुआ जिलों के

मन्दिरों,गौशालाओं ,मुक्ति धाम हेतु


साहित्य मनीषी


डॉ.दयाराम जी आलोक




शामगढ़ का

अभिनव  दान-अनुष्ठान


साथियों,

शामगढ़ नगर अपने दानशील व्यक्तियों के लिए जाना जाता रहा है| शिव हनुमान मंदिर,मुक्तिधाम ,गायत्री शक्तिपीठ आदि संस्थानों के जीर्णोद्धार और कायाकल्प के लिए यहाँ के नागरिकों ने मुक्तहस्त दान समर्पित किया है|
परमात्मा की असीम अनुकंपा और कुलदेवी माँ नागणेचिया के आशीर्वाद और प्रेरणा से डॉ.दयारामजी आलोक द्वारा आगर,मंदसौर,झालावाड़ ,कोटा ,झाबुआ जिलों के चयनित मंदिरों और मुक्तिधाम में निर्माण/विकास / बैठने हेतु सीमेंट बेंचें/ दान देने का अनुष्ठान प्रारम्भ किया है|
मैं एक सेवानिवृत्त अध्यापक हूँ और अपनी 5 वर्ष की कुल पेंशन राशि दान करने का संकल्प लिया है| इसमे वो राशि भी शामिल रहेगी जो मुझे google कंपनी से नियमित प्राप्त होती रहती है| खुलासा कर दूँ कि मेरी ६  वेबसाईट हैं और google उन पर विज्ञापन प्रकाशित करता है| विज्ञापन से होने वाली आय का 68% मुझे मिलता है| यह दान राशि और सीमेंट बेंचें पुत्र डॉ.अनिल कुमार राठौर "दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़ "के नाम से समर्पित हो रही हैं|


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ग्राम पिपल्या राठौर  के हनुमान मंदिर हेतु 

१५५५१ रुपये की ४ सीमेंट बेंचें दान 


हनुमान मंदिर के सेवादार 

दिलीप सिंग जी राठौर -८१२०५६ ५८१२ 

कालूरामजी  बैरागी पुजारी  -9171901460

नरसिंग जी मालवीय  ९७५२९-५८८२६ 

https://youtu.be/cLM_oWbzfkU

डॉ.अनिल कुमार दामोदर s/o डॉ.दयाराम जी आलोक 99265-24852 ,दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़ 98267-95656  द्वारा हनुमान मंदिर पिपल्या राठौर  हेतु दान सम्पन्न २८/१२/२०२३ 




दूधाखेडी माता मंदिर फूलखेडा MP// गरोठ सर्किल के मंदिर//डॉ.आलोक साहेब द्वारा बेंच व्यवस्था

दूधाखेडी माता मंदिर फूलखेडा(गरोठ) में 

समाज सेवी डॉ.आलोक जी शामगढ़  द्वारा 

सीमेंट  बैंच व्यवस्था 





मंदसौर,झालावाड़ ,आगर,नीमच,रतलाम,झाबुआ जिलों के

मन्दिरों,गौशालाओं ,मुक्ति धाम हेतु


साहित्य मनीषी


डॉ.दयाराम जी आलोक




शामगढ़ का

अभिनव  दान-अनुष्ठान


साथियों,

शामगढ़ नगर अपने दानशील व्यक्तियों के लिए जाना जाता रहा है| शिव हनुमान मंदिर,मुक्तिधाम ,गायत्री शक्तिपीठ आदि संस्थानों के जीर्णोद्धार और कायाकल्प के लिए यहाँ के नागरिकों ने मुक्तहस्त दान समर्पित किया है|
परमात्मा की असीम अनुकंपा और कुलदेवी माँ नागणेचिया के आशीर्वाद और प्रेरणा से डॉ.दयारामजी आलोक द्वारा आगर,मंदसौर,झालावाड़ ,कोटा ,झाबुआ जिलों के चयनित मंदिरों और मुक्तिधाम में निर्माण/विकास / बैठने हेतु सीमेंट बेंचें/ दान देने का अनुष्ठान प्रारम्भ किया है|
मैं एक सेवानिवृत्त अध्यापक हूँ और अपनी 5 वर्ष की कुल पेंशन राशि दान करने का संकल्प लिया है| इसमे वो राशि भी शामिल रहेगी जो मुझे google कंपनी से नियमित प्राप्त होती रहती है| खुलासा कर दूँ कि मेरी ६  वेबसाईट हैं और google उन पर विज्ञापन प्रकाशित करता है| विज्ञापन से होने वाली आय का 68% मुझे मिलता है| यह दान राशि और सीमेंट बेंचें पुत्र डॉ.अनिल कुमार राठौर "दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़ "के नाम से समर्पित हो रही हैं|


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फूल खेडा(गरोठ) के दूधाखेडी मंदिर 


१२५५१ रुपये की ४ सीमेंट बेंचें भेंट 








विडियो  दूध खेडी माताजी मंदिर फुल खेडा 



मंदिर के सेवादार 

पिंकेशजी  बैरागी फूलखेडा पुजारी  ९०९८५-६३२०९ 

शम्भुसिंग जी सरपंच  फुल खेडा 

सुनील जी  विश्व कर्मा  फूल खेडा 

डॉ.अनिल कुमार दामोदर s/o डॉ.दयाराम जी आलोक 99265-24852 ,दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़ 98267-95656  द्वारा फूल खेडा  क दूधाखेडी  के मंदिर   हेतु दान सम्पन्न २८/१२/२०२३ 



29.12.23

सकल जाति भेरूजी मंदिर रूंडी घसोई| सुवासरा सर्किल के पर्यटन स्थान //डॉ.आलोक साहेब द्वारा बेंच व्यवस्था

 जगत भेरूजी महाराज का  मंदिर रूंडी  घसोई  में 

दामोदर पथरी चिकित्सालय शामगढ़ द्वारा 

सीमेंट  बैंच व्यवस्था 




जगत  भेरूजी मंदिर -बैंच दृश्य 



 मंदसौर,झालावाड़ ,आगर,नीमच,रतलाम,झाबुआ जिलों के

मन्दिरों,गौशालाओं ,मुक्ति धाम हेतु


साहित्य मनीषी


डॉ.दयाराम जी आलोक




शामगढ़ का

अभिनव  दान-अनुष्ठान


साथियों,

शामगढ़ नगर अपने दानशील व्यक्तियों के लिए जाना जाता रहा है| शिव हनुमान मंदिर,मुक्तिधाम ,गायत्री शक्तिपीठ आदि संस्थानों के जीर्णोद्धार और कायाकल्प के लिए यहाँ के नागरिकों ने मुक्तहस्त दान समर्पित किया है|
परमात्मा की असीम अनुकंपा और कुलदेवी माँ नागणेचिया के आशीर्वाद और प्रेरणा से डॉ.दयारामजी आलोक द्वारा आगर,मंदसौर,झालावाड़ ,कोटा ,झाबुआ जिलों के चयनित मंदिरों और मुक्तिधाम में निर्माण/विकास / बैठने हेतु सीमेंट बेंचें/ दान देने का अनुष्ठान प्रारम्भ किया है|
मैं एक सेवानिवृत्त अध्यापक हूँ और अपनी 5 वर्ष की कुल पेंशन राशि दान करने का संकल्प लिया है| इसमे वो राशि भी शामिल रहेगी जो मुझे google कंपनी से नियमित प्राप्त होती रहती है| खुलासा कर दूँ कि मेरी ६  वेबसाईट हैं और google उन पर विज्ञापन प्रकाशित करता है| विज्ञापन से होने वाली आय का 68% मुझे मिलता है| यह दान राशि और सीमेंट बेंचें पुत्र डॉ.अनिल कुमार राठौर "दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़ "के नाम से समर्पित हो रही हैं|


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जगत भेरूजी महाराज का मंदिर  घसोई हेतु 


१२५५१ रुपये की ४ सीमेंट बेंचें भेंट 







भैरव जी की उपासना से न केवल भयंकर विपत्तियां टलती हैं, बल्कि भूत-प्रेत सम्बन्धित बाधाओं का भी निवारण होता है, यही नहीं, भैरव जी की उपासना से क्रूर ग्रहों की पीड़ा से भी मुक्ति मिलती है। अगर कोई व्यक्ति शनि, राहु, केतु द्वारा निर्मित ग्रह दोषों से परेशान है, तो उसे भैरव जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए।
भगवान काल भैरव का महामंत्र ऐसे में जीवन से जुड़े सभी प्रकार के भय और दु:खों से मुक्ति पाने के लिए कालभैरवाष्टमी पर नीचे दिए गए मंत्रों का पूरी आस्था और विश्वास के साथ जप जरूर करें.
ॐ कालभैरवाय नम:।। ॐ भयहरणं च भैरव:।। ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।।

घसोई  के भेरूजी महाराज मंदिर  के शुभचिन्तक

श्री राजेंद्र जी धनोतिया पत्रकार ,घसोई  ९५१६४-९३४१४ 

श्री दशरथ जी जैन घसोई 

डॉ.अनिल कुमार दामोदर s/o डॉ.दयाराम जी आलोक 99265-24852 ,दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़ 98267-95656  द्वारा jagat bheru ji mandir Ghasoi  हेतु दान सम्पन्न २८/१२/२०२३ 


13.12.23

ब्राह्मणों से दान लेने का हक़ सिर्फ कायस्थों को ,कायस्थ जाती के बारे में पूरी जानकारी




मूलतः कायस्थों के ऋषि गोत्र ये हैं :-

कश्यप, वत्स, वशिष्ठ, शांडिल्य, हुलस, हर्षल, भारद्वाज, अत्रि।
हिन्दू मिताक्षरा के अनुसार सगोत्र की मान्यता सात पीढ़ी तक रहती है और ऋषियों का अवसान हुये कई हजार वर्ष बीत गये हैं तो अब यह सगोत्र नहीं माना जायेगा। ये सब ऋषि भी मूलतः बृह्मा व मनु से उत्पन्न हुये हैं उस दृष्टि से तो हम सब के पिता एक ही थे।
जहाँ तक विवाह संबंधों की बात है तो वहाँ ऋषि गोत्र जिसे कुल गोत्र भी कहा गया है,नहीं अपितु पिंड गोत्र या परिवार गोत्र जिसे हम अल्ल कहते हैं को मिलाया जाता है ताकि परिवार समूह में अंतर जान सकें और ऐक ही परिवार समूह में विवाह न हो जाये।
Kayastha कायस्थ , एक 'उच्च' श्रेणी की जाति है हिन्दुस्तान में रहने वाले सवर्ण हिन्दू हैं ।चित्रगुप्त वंशी क्षत्रियो को ही कायस्थ कहा जाता है। स्वामी वेवेकानंद ने अपनी जाती की व्याख्या कुछ इस प्रकार की है :-
एक बार स्वामी विवेकानन्द से भी एक सभा में उनसे उनकी जाति पूछी गयी थी। अपनी जाति अथवा वर्ण के बारे में बोलते हुए 
यदि मेरी जाति की गणना छोड़ दी जाये, तो भारत की वर्तमान सभ्यता का शेष क्या रहेगा ? अकेले बंगाल में ही मेरी जाति में सबसे बड़े कवि, सबसे बड़े इतिहास वेत्ता, सबसे बड़े दार्शनिक, सबसे बड़े लेखक और सबसे बड़े धर्म प्रचारक हुए हैं।मेरी ही जाति ने वर्तमान समय के सबसे बड़े वैज्ञानिक (जगदीश चंद्र बसु) से भारत वर्ष को विभूषित किया है।
’’स्मरण करो एक समय था जब आधे से अधिक भारत पर कायस्थों का शासन था।
कश्मीर में दुर्लभ बर्धन कायस्थ वंश, काबुल और पंजाब में जयपाल कायस्थ वंश, गुजरात में बल्लभी कायस्थ राजवंश, दक्षिण में चालुक्य कायस्थ राजवंश, उत्तर भारत में देवपाल गौड़ कायस्थ राजवंश तथा मध्य भारत में सतवाहन और परिहार कायस्थ राजवंश सत्ता में रहे हैं। हम सब उन राजवंशों की संतानें हैं.
हम बाबू बनने के लिए नहीं, हिन्दुस्तान पर प्रेम, ज्ञान और शौर्य से परिपूर्ण उस हिन्दू संस्कृति की स्थापना के लिए पैदा हुए हैं ।जिन्होंने हमें जन्म दिया है। यही वह ऐतिहासिक वर्ग है जो श्रीचित्रगुप्तजी का वंशज है। इसी वर्ग कि चर्चा सबसे पुराने पुराण और वेद करते हैं।
यह वर्ग 12 उप-वर्गो में विभजित किया गया है। यह 12 वर्ग श्रीचित्रगुप्तजी की पत्नियो देवी शोभावति और देवी नन्दिनी के 12 सुपुत्रो के वंश के आधार पर है। कायस्थो के इस वर्ग की उपस्थिती वर्ण व्यवस्था में उच्चतम है। .
ऐसे समय इस बात का ज्ञान कर लेना चाहिये कि क्या बात "चित्रंशी या चित्रगुप्तवंशी कायस्थ" की हो रही है या अन्य किसी वर्ग की। पौराणिक उत्पत्त्ति कायस्थों का स्त्रोत भग्गवान श्री चित्रगुप्तजी महाराज को माना जाता है |कहा जाता है कि ब्रह्मा ने चार वर्ण बनाये ( ब्राह्मण , क्षत्रीय, वैश्य, शूद्र) तब यमराज ने उनसे मानवों का विवरण रखने मे सहायता मांगी।
फिर ब्रह्मा 11००० वर्षों के लिये ध्यानसाधना मे लीन हो गये और जब उन्होने आँखे खोली तो एक पुरुष को अपने सामने कलम, दवात-स्याही, पुस्तक तथा कमर मे तलवार बाँधे पाया। तब ब्रह्मा जी ने कहा कि "हे पुरुष! क्योकि तुम मेरी काया से उत्पन्न हुए हो, इसलिये तुम्हारी संतानो को कायस्थ कहा जाएगा। और जैसा कि तुम मेरे चित्र (शरीर) मे गुप्त (विलीन) थे इसलिये तुम्हे चित्रगुप्त कहा जाएगा " श्री चित्रगुप्त जी को महाशक्तिमान क्षत्रीय के नाम से सम्बोधित किया गया है.
गरुण पुराण मे चित्रगुप्त को कहा गया हैः पद्म पुराण के अनुसार श्री चित्रगुप्तजी महाराज के परिवार हैं | श्री चित्रगुप्त जी के दो विवाह हुये,
पहली पत्नी सूर्यदक्षिणा / नंदिनी जो सूर्य के पुत्र श्राद्धदेव की कन्या थी, इनसे 4 पुत्र हुए।
दूसरी पत्नी ऐरावती / शोभावति धर्मशर्मा (नागवन्शी क्षत्रिय) की कन्या थी, इनसे 8 पुत्र हुए।
कायस्थ की 12 शाखाएं हैं - श्रीवास्तव, सूर्यध्वज, वाल्मीक, अष्ठाना, माथुर, गौड़, भटनागर, सक्सेना, अम्बष्ठ, निगम, कर्ण, कुलश्रेष्ठ |
इन बारह पुत्रों का वृतांत अहिल्या, कामधेनु, धर्मशास्त्र एवं पुराणों में भी दिया गया है | श्री चित्रगुप्तजी महाराज के बारह पुत्रों का विवाह नागराज बासुकी की बारह कन्याओं से सम्पन्न हुआ, जिससे कि कायस्थों की ननिहाल नागवंश मानी जाती है और नागपंचमी के दिन नाग पूजा की जाती है | माता नंदिनी के चार पुत्र काश्मीर के आस -पास जाकर बसे तथा ऐरावती / शोभावति के आठ पुत्र गौड़ देश के आसपास बिहार, उड़ीसा, तथा बंगाल में जा बसे |
बंगाल उस समय गौड़ देश कहलाता था ।
पदम पुराण में इसका उल्लेख किया गया है | माता सूर्यदक्षिणा / नंदिनी के पुत्रों का विवरण -

1 - भानु (श्रीवास्तव) -

 श्री भानु माता नंदिनी के जेष्ठ पुत्र थे | उनका राशि नाम धर्मध्वज था | श्री भानु मथुरा में जाकर बसे | इसलिये भानु परिवार वाले माथुर कायस्थ कहलाने के साथ - साथ सूर्यवंशी भी कहलाये |

2 - विभानु (सूर्यध्वज) - 

भटनागर उत्तर भारत में प्रयुक्त होने वाला एक जातिनाम है, जो कि हिन्दुओं की कायस्थ जाति में आते है। इनका प्रादुर्भाव यमराज, मृत्यु के देवता, के पाप पुण्य के अभिलेखक, श्री चित्रगुप्त जी की प्रथम पत्नी दक्षिणा नंदिनी के द्वितीय पुत्र विभानु के वंश से हुआ है। उनकी राशि का नाम श्यामसुंदर था | विभानु को चित्राक्ष नाम से भी जाना जाता है। महाराज चित्रगुप्त ने इन्हें भट्ट देश में मालवा क्षेत्र में भट नदी के पास भेजा था। इन्होंने वहां चित्तौर और चित्रकूट बसाये। ये वहीं बस गये और इनका वंश भटनागर कहलाया। इनका वास स्थान भारत के वर्तमान पंजाब प्रदेश में भट्ट प्रदेश था। इनकी पत्नी का नाम मालिनी था। उपासना देवी- जयन्ती

3 - विश्वभानु (बाल्मीकि) -

 श्री विश्वभानु माता नंदिनी के तृतिय पुत्र थे | उनका राशि नाम दीनदयाल था | श्री विश्वभानु का परिवार गंगा - यमुना दोआब, जिसको प्राचीन काल में साकब द्वीप कहते थे, में जाकर बसे | इसलिये विश्वभानु परिवार वाले सक्सेना कायस्थ कहलाने के साथ - साथ सूर्यवंशी भी कहलाये |

4 - वीर्यभानू (अष्ठाना) - 

श्री वीर्यभानू माता नंदिनी के सबसे छोटे पुत्र थे | उनका राशि नाम माधवराव था | श्री वीर्यभानू का परिवार बांस देश (काश्मीर), में जाकर बसे | इसलिये वीर्यभानू परिवार वाले श्रीवास्तव कायस्थ कहलाने के साथ - साथ सूर्यवंशी भी कहलाये |
माता ऐरावती / शोभावति के पुत्रों का विवरण

1- चारु (माथुर) -

 श्री चारु माता ऐरावती / शोभावति के जेष्ठ पुत्र थे | उनका राशि नाम पुरांधर था | श्री चारु का परिवार सूर्यदेश (बिहार) देश, में जाकर बसे और उनके राष्ट्रध्वज का चिन्ह सूर्य होने के कारण सूर्यध्वज कहलाये |

2- सुचारु (गौड़) -

 श्री सुचारु माताऐरावती / शोभावति के द्वितीय पुत्र थे | उनका राशि नाम सारंगधार था | श्री सुचारु का परिवार पश्चिम बंगाल के अम्बष्ठ जनपद, में जाकर बसे इस कारण अम्बष्ठ कहलाये |

3- चित्र (चित्राख्य) (भटनागर) -

 श्री चित्र माता ऐरावती / शोभावति के तृतीय पुत्र थे | उनका राशि नाम सारंगधार था | श्री चित्र का परिवार गौड़ देश (बंगाल), में जाकर बसे इस कारण गौड़ कहलाये |

4- मतिभान (हस्तीवर्ण) (सक्सेना) - 

निगम उत्तर भारतीय कायस्थ होते हैं। श्री मतिभान (हस्तीवर्ण) माता ऐरावती / शोभावति के चौथे पुत्र थे | उनका राशि नाम रामदयाल था | श्री मतिभान (हस्तीवर्ण) का परिवार निगम देश (काशी), में जाकर बसे इस कारण निगम कहलाये|

5- हिमवान (हिमवर्ण) अम्बष्ठ - 

श्री हिमवान (हिमवर्ण) माता ऐरावती / शोभावति के पाँचवें पुत्र थे | उनका राशि नाम सारंधार था | श्री हिमवान (हिमवर्ण) का परिवार गौड़ देश (बिहार), में प्राचीन करनाली नामक ग्राम में जाकर बसे इस कारण कर्ण कहलाये |

6- चित्रचारु (निगम) - 

श्री चित्रचारु माता ऐरावती / शोभावति के छटवें पुत्र थे | उनका राशि नाम सुमंत था | श्री चित्रचारु का परिवार अष्ठाना देश (छोटा नागपुर), जो नागदेश से भी प्रसिद्ध है में जाकर बसे इस कारण अष्ठाना कहलाये |

7- चित्रचरण (कर्ण)- 

श्री चित्रचरण माता ऐरावती / शोभावति के सातवें पुत्र थे | उनका राशि नाम दामोदर था | श्री चित्रचरण का परिवार बंगाल में नदिया जो बंगाल की खाडी के ऊपर स्थित है, में जाकर बसे | सेवा की भावना के कारण अपने कायस्थ कुल में श्रेष्ठ माने गये इस कारण कुलश्रेष्ठ कहलाये |

8- अतिन्द्रिय (जितेंद्रय) (कुलश्रेष्ठ) -

 श्री अतिन्द्रिय (जितेंद्रय) माता ऐरावती / शोभावति के सबसे छोटे पुत्र थे | उनका राशि नाम सदानंद था | श्री अतिन्द्रिय (जितेंद्रय) का परिवार बाल्मीकि देश (पुराना मध्य भारत), में जाकर बसे इस कारण बाल्मीकि कायस्थ कहलाये |
भाई दूज के दिन कलम-दवात पूजा (कलम, स्याही और तलवार पूजा) करते हैं, जिसमें पेन, कागज और पुस्तकों की पूजा होती है। यह वह दिन है जब भगवान श्रीचित्रगुप्त का उदभव ब्रह्माजी केद्वारा हुआ था और यमराज अपने कर्तव्यों से मुक्त हो, अपनी बहन देवी यमुना से मिलने गये, इसलिए इस दिन पूरी दुनिया भैयादूज मनाती है ।

ब्राह्मणों से दान लेने का हक़ सिर्फ कायस्थों को

ब्राह्मणों को हर जाति से दान लेने का अधिकार है लेकिन कायस्थ है कि उन्हे ब्राह्मणों से दान लेने का अधिकार है ।यह बात सुनने में अजीब जरूर लगती है लेकिन किदवंती के अनुसार यह सत्य है । कायस्थों को ब्राह्मणों से दान लेने का अधिकार क्यूं है , पढिये ।

जब भगवान राम के राजतिलक में निमंत्रण छुट जाने से नाराज भगवान् चित्रगुप्त ने रख दी थी कलम ,उस समय परेवा काल शुरू हो चुका था । परेवा के दिन कायस्थ समाज कलम का प्रयोग नहीं करते हैं यानी किसी भी तरह का का हिसाब - किताब नही करते है आखिर ऐसा क्यूँ है ?कि पूरी दुनिया में कायस्थ समाज के लोग दीपावली के दिन पूजन के बाद कलम रख देते है और फिर यमदुतिया के दिन कलम- दवात के पूजन के बाद ही उसे उठाते है I

कायस्थ के देवता कौन है?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कायस्थ जाति को उत्पन्न करनेवाले भगवान चित्रगुप्त का जन्म यम द्वितीया के दिन हुआ। इसी दिन कायस्थ जाति के लोग अपने घरों में भगवान चित्रगुप्त की पूजा करते हैं। उन्हें मानने वाले इस दिन कलम और दवात का इस्तेमाल नहीं करते

कायस्थ इतने बुद्धिमान क्यों होते हैं?

चित्रगुप्त जी महाराज यमराज के यहाँ भविष्यवाणी लिखा करते थे। जैसे राजपूत हथियारों की पूजा करते हैं ठीक वैसे ही कायस्थ कलम और दवात की पूजा करता है। पढ़ना और पढ़ाना उसके खून में है। यही कारण है कि कुशाग्र बुद्धि होने के कारण कायस्थ हर क्षेत्र में श्रेष्ठ साबित होते हैं


कायस्थ कितने प्रकार के होते हैं?

कायस्थ जाति 12 उपजातियों में विभाजित है। कायस्थ के उपविभाजन:- उत्तर भारत के चित्रगुप्त कायस्थ, महाराष्ट्र के प्रभु कायस्थ, दक्षिण भारत के कर्णम/करुणीगर (कायस्थ), उड़ीसा के करण (कायस्थ), बंगाल के बंगाली कायस्थ और असम के कलितस (कायस्थ)

श्रीवास्तव कौन सी जाति के होते हैं?

श्रीवास्तव, चित्रगुप्तवंशी कायस्थ के बारह उप-कुलों में से एक हैं, जो परंपरागत रूप से शासन, प्रशासन और सैन्य सेवाओं में शामिल थे। भारतीय उपमहाद्वीप में वैदिक काल , मध्यकालीन हिंदू और इस्लामी साम्राज्यों के दौरान इस कुल के लोग प्रभावशाली थे, तथा लाला और कायस्थ जैसे शीर्षक अर्जित करते थे।

श्रीवास्तव को हिंदी में क्या कहते हैं?

आपको बता दें कि श्रीवास्तव नाम का अर्थ भगवान विष्णु, धन के धाम होता है। भगवान विष्णु, धन के धाम हो 

कायस्थ क्या काम करते हैं?

कायस्थ। विशेष— कायस्थ जाति के लोग प्रायः लिखने पढ़ने तथा युध्द करने का काम करते है और ये लोग उच्च कोटि के संत पुरुष राजा महाराजा व चक्रवर्ती सम्राट होते हैं और ये लोग प्रायः सारे भारतवर्ष में पाए जाते हैं।

कायस्थ समाज की उत्पत्ति कैसे हुई?

चित्रगुप्त जी का जन्म ब्रह्माजी के अंश से हुआ है. वह उनकी काया से उत्पन्न हुए थे, इसलिए कायस्थ कहलाए. इसी तरह उनकी संतानों के जरिए जो वंश आगे बढ़ा और जो जाति बनी वह कायस्थ कहलाई. चित्रगुप्त जी की जन्म कथा भी अद्भुत है

कायस्थ में कितने उपनाम होते हैं?

आज, केवल चार कुलिन परिवार हैं - बोस, घोष (हालांकि आमतौर पर सदगोप-मिल्कमैन समुदाय द्वारा उपयोग किया जाता है), मित्रा, गुहा। मौलिक कायस्थ के अनेक उपनाम हैं, जिनमें से कुछ हैं- दत्ता, चंद्रा, दास (कुछ), पाल, गेन, पुरकायस्थ, विश्वास, कर, सेन, गुहा-ठाकुरता, सोम, पालित, डे, मल आदि







12.12.23

भजन लाल शर्मा ,राजस्थान के मनोनीत मुख्य मंत्री का जीवन परिचय






 राजस्थान की राजनीति में एक नए युग का आगाज हुआ है, भाजपा के वरिष्ठ नेता भजन लाल शर्मा राज्य के नए मुख्यमंत्री बने हैं। उनकी नियुक्ति एक ऐसे नेता के रूप में हुई है जो अपने विनम्र स्वभाव, सकारात्मक नेतृत्व और विकास के प्रति समर्पण के लिए जाने जाते हैं।
तो आज इस आर्टिकल में में हम आपको श्री भजन लाल शर्मा जी के बारें में विस्तार से पूरी जानकारी देंगे ताकि आपको इनके राजनैतिक संगर्ष और इनकी शिक्षा के बारे में सामान्य सी जानकारी हो पाए। इनका सम्पूर्ण जीवन परिचय कुछ इस प्रकार है।
 राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के बाद कयास लगाये जा रहे थे कि राजस्थान का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। 12 दिसम्बर 2023 को भारतीय जनता पार्टी के विधायक दलों के बैठक में भजन लाल शर्मा का नाम चुना गया। अब राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा होंगे।भजन लाल शर्मा राजस्थान के नए सीएम बनें है । सांगानेर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए हैं। अपने राजनितिक करियर में पहली बार विधायक बने हैं। बीजेपी के प्रदेश महासचिव पद हैं।
भरतपुर के रहने वाले भजन लाल शर्मा संगठन में लंबे समय से कार्यरत हैं। मौजूदा विधायक अशोक लाहोटी का टिकट काटकर भजन लाल शर्मा को प्रत्याशी बनाया था। इसमें इन्होने बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा


शर्मा का जन्म 1967 में राजस्थान के जयपुर जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनका बचपन आर्थिक रूप से कमजोर परिस्थितियों में बीता, लेकिन उन्होंने अपनी शिक्षा को कभी बाधित नहीं होने दिया। उन्होंने स्नातक की डिग्री पूरी की और बाद में राजनीति में अपना करियर बनाने का फैसला किया।

सफर

राजनीति में शर्मा का प्रवेश 1990 के दशक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ हुआ था। उन्होंने जमीनी स्तर से काम करना शुरू किया और पार्टी के विभिन्न पदों पर रहे। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण को जल्द ही पार्टी ने पहचान लिया और उन्हें 2013 में सांगानेर विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में चुना गया।

विधायक के रूप में

विधायक के रूप में शर्मा ने अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए अथक प्रयास किया। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना और कृषि क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को पूरा किया। उनकी जनता के प्रति संवेदनशीलता और समस्याओं को तत्परता से हल करने के प्रयास ने उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र में लोकप्रिय बना दिया।

मुख्यमंत्री के रूप में चुनौतियां और अपेक्षाएं

राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में शर्मा को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। राज्य में बेरोजगारी, गरीबी और किसानों की समस्याएं प्रमुख हैं। इसके अलावा, उन्हें कोविड-19 महामारी के आर्थिक और सामाजिक प्रभाव से भी निपटना होगा।
हालांकि, शर्मा की विकास परियोजनाओं को पूरा करने और राज्य को समृद्धि की ओर ले जाने के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता है। उनकी सकारात्मक नेतृत्व शैली और आम आदमी से जुड़ने की क्षमता उन्हें इन चुनौतियों से निपटने में मदद करेगी।

राजस्थान के भविष्य के लिए एक आशाजनक नेता

भजन लाल शर्मा एक अनुभवी नेता हैं, जिन्होंने राजनीति में अपने वर्षों के अनुभव से जनता की समस्याओं को समझने का कौशल हासिल किया है। वह एक ईमानदार और भ्रष्टाचार मुक्त शासन के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनकी नियुक्ति राजस्थान के भविष्य के लिए एक आशाजनक संकेत है, और उम्मीद है कि वह राज्य को विकास और समृद्धि के नए युग की ओर ले जाएंगे।
नाम          भजन लाल शर्मा

उम्र       56 वर्ष 

जन्म तिथि(Date Of Birth) 1967

जन्म – स्थान(Place) भरतपुर

शिक्षा एम .ए

व्यवसाय राजनीति

धर्म (Religion) हिन्दू

राजनितिक दल भारतीय जनता पार्टी

वैवाहिक स्थिति विवाहित

जाति (Cast) शर्मा

पिता का नाम

पद वर्तमान मुख्यमंत्री (राजस्थान)

नागरिकता (Nationality) भारतीय

मुख्यमंत्री आवास (Chief Minister’s Residence) मुख्यमंत्री कार्यालय, सचिवालय, जयपुर

ई मेल (Mail ID) cmrajasthan@nic.in

संपत्ति (Net Worth ) अभी ज्ञात नहीं

निष्कर्ष 

भजन लाल शर्मा एक ऐसे नेता हैं जिनमें अपने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने का दृढ़ संकल्प और जुनून है। उनकी नियुक्ति राजस्थान के लिए एक नए युग की शुरुआत है, और उम्मीद है कि वह राज्य को विकास और समृद्धि के एक नए स्तर पर ले जाएंगे।

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जानिए कौन हैं जगदीश जी देवड़ा जो मध्य प्रदेश के उप मुख्य मंत्री मनोनीत हुए हैं ,Jagdish Devda jivani

 




मध्य प्रदेश में बीजेपी ने यूपी और छत्तीसगढ़ की तर्ज पर दो उपमुख्यमंत्री बनाए हैं. राजेंद्र शुक्ला से साथ जगदीश देवड़ा को प्रदेश का नया डिप्टी सीएम बनाया गया है.
मध्य प्रदेश में सभी कयासों पर विराम लगाते हुए बीजेपी ने मोहन यादव को प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री नियुक्त किया है. उनके साथ राजेंद्र शुक्ल और जगदीश देवड़ा को उपमुख्यमंत्री बनाया है. इस एलान के बाद इन दिग्गजों के बारे में जानने को लेकर उत्सुकता बढ़ गई है. जगदीश देवड़ा मध्य प्रदेश में 7 बार विधायक रह चुके हैं. उनका शुमार भारतीय जनता पार्टी के सीनियर नेताओं में होता है. जगदीश देवड़ा को उपमुख्यमंत्री बनाने के एलान के बाद उनके गृह जिले में खुशी की लहर दौड़ गई.
67 वर्षीय जगदीश देवड़ा का जन्म 1 जुलाई 1957 में मंदसौर जिले के रामपुरा गांव में हुआ था. उन्होंने LLB की शिक्षा प्राप्त कर अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की. जगदीश देवड़ा मंदसौर के मल्हारगढ़ विधानसभा सीट से भाजपा विधायक हैं. MP के नए उपमुख्यमंत्री देवड़ा का ताल्लुक प्रदेश की अनुसूचित जाति से है. साल 1979 में शासकीय महाविद्यालय में छात्र संघ के अध्यक्ष रहे. इसके बाद उन्होंने भाजपा में कई पदों पर काम किया। जगदीश देवड़ा की प्रदेश के अनुसूचित जाति के वोटर्स पर मजबूत पकड़ मानी जाती है.
   

तीन बार रह चुके हैं एमपी में मंत्री

साल 1990 में मध्य प्रदेश की नौवीं विधानसभा में पहली बार जगदीश देवड़ा विधायक निर्वाचित हुए. इसके बाद दसवीं विधानसभा में साल 1993 भी वह विधायक निर्वाचित हुए. साल 2003 विधानसभा चुनाव में लगातार चौथी बार जीत दर्ज करने पर उन्हें प्रदेश मंत्री बनाया गया है. इसके बाद साल 2008 में शिवराज सरकार में जदीश देवड़ा को परिवहन, जेल, योजना सहित कई महत्वपूर्ण विभागों का कार्यभार सौंप कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया. जगदीश देवड़ा लगातार 7 बार विधायक रह चुके हैं. एमपी बीजेपी सरकार में वह तीन बर मंत्री रहते हुए कई अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभाई.

7वीं बार जीते जगदीश देवड़ा

मध्य प्रदेश की बीजेपी की सरकार में उन्हें 3 बार मंत्री बनाया गया, इस दौरान उन्होंने कई अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभाई. 66 साल के नवनियुक्त डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा को मध्य प्रदेश तेज तर्रार और कद्दावर नेताओं में शुमार होता है. एपमी के मालवी रीजन में उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है. इस क्षेत्र में बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया है. साल 2023 विधानसभा चुनाव में उन्होंने मंदसौर जिले के मल्हारगढ़ सीट से जीत दर्ज की है. जगदीश देवड़ा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी श्यामलाल जोकचंद को 59,024 वोटों के अंतर से हरा कर मध्य प्रदेश के विधानसभा में 7वीं बार अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है.

राजनीतिक सफर

भाजपा के जगदीश देवड़ा मल्हारगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीते हैं, उनके पास लम्बा अनुभव है। उनकी राजनीतिक यात्रा, मध्य प्रदेश के विकास के लिए भाजपा में महत्वपूर्ण स्थान को दर्शाती है, जिसके बाद उन्हें यह अहम जिम्मेदारी दी गई है। यह भी बता दें कि देवड़ा SC वर्ग से आते हैं। भाजपा ने उन्हें डिप्टी सीएम बनाकर प्रदेश के जातिगत समीकरणों को साधने का काम किया है।

कितनी संपत्ति के मालिक हैं नए उप मुख्यमंत्री

How much property does the new Deputy Chief Minister own: निर्वाचन आयोग में दाखिल हलफनामे के मुताबिक, जगदीश देवड़ा की कुल संपत्ति 4391315 रुपए की है, जबकि उनकी पत्नी के पास 5405578 रुपए की नेटवर्थ है. इसके अलावा हिन्दू अविभक्त कुटुंब के तहत उनके पास कुल 2416411 रुपए की संपत्ति भी है. इसके अलावा जगदीश देवड़ा के पास कृषि योग्य एक बिस्वा भी जमीन नहीं है, लेकिन उनकी पत्नी के कुल 2.11 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है. इसकी अनुमानित वर्तमान बाजार मूल्य एक करोड़ रुपए है. हालांकि, जगदीश देवड़ा के नीमच में एक 675.38 वर्गफीट का मकान जरूर है.


श्री जगदीश जी देवड़ा साहित्य मनीषी डॉ.दयाराम आलोक के साथ
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महत्वपूर्ण  व्यक्तिगत जानकारी 


देवड़ा , श्री जगदीश भारतीय जनता पार्टी निर्वाचन क्षेत्र- मल्हारगढ़ (225)

पिता का ना म- श्री गेंदालाल देवड़ा

जन्म ति थि - 01 जुलाई,1957

जन्म स्थान- रामपुरा, जिला-नीमच

वैवाहिक स्थिति - विवाहित पत्नी - श्रीमती रेणु देवड़ा

संतान- 2 
पुत्र 

शैक्षणि क योग्यता - एम.ए., एल-एल.बी. व्यवसाय- वकालत, समाजसेवा अभि रुचि - समाज सेवा, खेलकूद, एथलेटिक्‍स चैम्पियन


स्थायी पता - 31, श्‍याम नगर द्वितीय, राजेन्‍द्र परिणय रिसोर्ट के सामने, जिला-मंदसौर (म.प्र.)

दूरदूभाष-(07422) 244609 मोबाइल-7746887666, 8720056633 ई-मेलjagdish.dewra@mpvidhansabha.nic.in

स्थानीय पता - सी-5, (74 बंगले) स्‍वामी दयानन्‍द नगर, भोपाल (म.प्र.) दूरदूभाष-(0755) 2790095, 279009


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