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16.9.22

ओढ़ राजपूत समाज का इतिहास और जानकारी :odha Rajput samaj

 

इस जाति की उत्पत्ति सूर्यवंशी राजा सगर के वंशज राजा ओड से है। ऐतिहासिक ग्रंथों एवं प्राचीन पौराणिक ग्रंथों के अनुसार राजा ओड ने दक्षिण दिशा में ओड देश की स्थापना करके राज्य किया था और तभी से राजा ओड की  संतान ओड राजपूत के नाम से विख्यात हुई। ओड देश का यह राज्य वर्तमान में ओडिशा राज्य के नाम से विख्यात है। सूर्यवंशी राजा ओड सगर वंशी थे और इसी वंश में राजा सगर के वंशजों के उद्धार के लिए राजा भागीरथ द्वारा गंगा मां को धरती पर अवतरण करने व् अपने पूर्वजों को श्राप से मुक्त कराने के कारण इस जाति के लोग भागीरथ वंशी ओड राजपूत के नाम से जाने गये। । कपिल मुनि के शाप से भस्म हुए राजा सगर के वंशजों की कहानी से आप अवगत होंगे। यह वंश काफी प्राचीन है और पूरे भारतवर्ष में फैला हुआ है।  सूर्यवंशी राजा भागीरथ के वंशज राजा ओड ने अपने नाम से ओड राज्य की स्थापना की थी ।
 वंश की 3 शाखाएं हैं जो निम्नवत है। महाभारत युद्ध के पश्चात भागीरथ वंशी ओड राजपूत की शाखा गंगा वंश के नाम से प्रसिद्ध हुई। 
राजा भागीरथ द्वारा अपने पूर्वजों के उद्धार हेतु गंगा मां को पृथ्वी पर अवतरण करने के कारण ओड राजपूत की यह शाखा गंगा वंशी राजपूत के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस वंश के अंतिम राजा भीम अनंग देव ने ओड राज्य में राजा ओड द्वारा निर्मित जगन्नाथ जी भगवान के मंदिर को बहुत बड़े भूभाग में पूर्ण भव्यता के साथ निर्मित कराया था  इस मंदिर के बारे में पाठकों को बता दें कि रामायण के उत्तराखंड में भगवान श्रीराम ने विभीषण को भगवान जगन्नाथ जी को इक्ष्वाकु वंश का कुल देवता बताया है। पुराणों में जगन्नाथ जी भगवान का मंदिर ओड राज्य में स्थित होना बताया गया है। ओड राज्य में गंगा वंशी राजाओं का राज्य 15वी शताब्दी तक मिलता है। राजा भीम अनंग देव के पश्चात ओड राज्य ओडिशा पर मुगल शासकों का आधिपत्य होना इतिहास मे लिखा हुआ मिलता है। ओड देश याने ओडिशा पर मुगल शासकों का अधिपत्य हो जाने के पश्चात ओड राजपूतों द्वारा ओड राज्य ओडिशा को छोड़कर राजस्थान के लिए प्रस्थान किया |
  राजस्थान के कुंभलगढ़ परगने में ओडा गांव की स्थापना ओड राजपूतों के द्वारा की गई और तब ओड राजपूत गहलोत वंश की शाखा के रूप में प्रतिष्ठित हुए। मेवाड़ के अनेक राजाओं के साथ ओड राजपूतों का युद्ध में प्रतिभाग करना पाया गया है। मेवाड़ के राणा महाराणा प्रताप के समय में महाराणा के साथ लाखों की संख्या में ओड राजपूत उनके साथ युद्ध करते थे। इतिहास मैं मेवाड़ के राणा महाराणा प्रताप के साथ ओड राजपूत सैनिक पिंड बनाकर मुगलों से युद्ध किया करते थे। इनके इस प्रकार युद्ध करने के कारण ओड राजपूत की शाखा पिंडारा प्रसिद्ध हुई। महाराणा प्रताप के बाद राणा राजसिंह जब मेवाड़ की गद्दी पर बैठे तब राणा प्रताप के बाद राणा राजसिंह ही एक ऐसे राजा हुए जिन्होंने मुगलों से डटकर युद्ध किया। ऐतिहासिक ग्रंथों में लिखा है कि राणा राजसिंह का निधन कुंभलगढ़ के गांव ओड़ा में हुआ। 
 ओड राज्य का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। इतिहास में इस वंश की तीन शाखाओं का वर्णन मिलता है। 1 गंगा वंश
 2 पिंडारा
 3 ओड बेलदार। 
ओड राजपूत की इन तीनों शाखाओं का वर्णन इतिहास व ग्रंथों मैं मिलता है। राजा ओड के राज्य का वर्णन महाभारत काल के समय मैं भी मिलता है। महाभारत के समय में भारत वर्ष के समस्त राजाओं की बुलाई गई बैठक मैं राजा ओड की उपस्थिति ओड राजवंश की उपस्थित एवं उन्नति को दर्शाती है। 
हाभारत युद्ध के पश्चात राजपूतों के बहुत सारे वंशों की समाप्ति का भी उल्लेख मिलता है। महाभारत का युद्ध इतना भयंकर था कि इसमें अनेकों राजवंशों को हानि उठानी पड़ी थी और कई सारे राज वंश इस युद्ध के पश्चात विलुप्त होने के कगार पर आ गए थे।

  जाति इतिहासविद डॉ. दयाराम आलोक के मतानुसार ओड अथवा ओढ़ क्षत्रिय हिन्दू जाति है। ये चक्रवर्ती सम्राट महाराज सगर के वंशज माने जाते  है। ये क्षत्रिय जाति मूल रूप से उड़ीशा से है तथा इस जाति के ओढ़ राजाओं  ने सैकड़ों वर्षों तक पूर्वोत्तर भारत (अर्थात् आर्यावर्त) में शासन किया। कुछ समय बाद उनका युद्ध फिरोज़ शाह तुगलक के साथ हुआ और कुछ अपने ही लोगों  की गद्दारी के करण उनकी इस युद्ध में पराजय  हुई। ओढ़  राजपूतों को वहाँ से स्थानान्तरण करना पड़ा और इनका बहुत सारा इतिहास जला दिया गया। वर्तमान समय में ओड़ राजपूत पाकिस्तान, भारत तथा विश्व के काई देशो में निवास करते हैं।

ओड राजपूत समाज की उत्पति

 इस जाति की उत्पत्ति सूर्यवंशी राजा सगर के वंशज राजा ओड़ से है। ऐतिहासिक ग्रंथों एवं प्राचीन पौराणिक ग्रंथों के अनुसार राजा ओड़  ने दक्षिण दिशा में ओड देश की स्थापना करके राज्य किया  था और तभी से राजा ओड की संतान ओड़ राजपूत के नाम से विख्यात हुए । ओड देश का यह राज्य वर्तमान में ओडिशा राज्य के नाम से विख्यात है। सूर्यवंशी राजा ओड सगरवंशी थे और इसी वंश में राजा सगर के वंशजों के उद्धार के लिए राजा भागीरथ द्वारा गंगा मां को धरती पर अवतरण करने व अपने पूर्वजों को श्राप से मुक्त कराने के कारण इस जाति के समुदाय को  भागीरथ वंशी ओड राजपूत कहा जाने लगा|  कपिल मुनि के श्राप से भस्म हुए राजा सगर के वंशजों की  पौराणिक कहानी प्रचलित है| । यह वंश काफी प्राचीन है और पूरे भारतवर्ष में फैला हुआ है। सूर्यवंशी राजा भागीरथ के वंशज राजा ओड ने अपने नाम से ओड राज्य की स्थापना की थी जो कालांतर में ओड़िशा नाम से विख्यात हुआ ।

 वंश की 3 शाखाएं है जो निम्नवत है।

 महाभारत युद्ध के पश्चात भागीरथ वंशी ओड राजपूत की शाखा गंगा वंश के नाम से प्रसिद्ध हुई। राजा भागीरथ द्वारा अपने पूर्वजों के उद्धार हेतु गंगा मां को पृथ्वी पर अवतरण करने के कारण ओड राजपूत की यह शाखा गंगा वंशी राजपूत के नाम से प्रसिद्ध हुई। इस वंश के अंतिम राजा भीम अनंग देव ने  जगन्नाथ जी भगवान का  मंदिर  भव्यता के साथ निर्मित कराया |      पुराणों में जगन्नाथ जी भगवान का मंदिर ओड  याने ओड़िशा राज्य में स्थित होना बताया गया है। ओड राज्य में गंगा वंशी राजाओं का राज्य 15वीं शताब्दी तक मिलता है। राजा भीम अनंग देव के पश्चात ओड राज्य ओडिशा पर मुगल शासकों का आधिपत्य होना इतिहास मे लिखा हुआ मिलता है। 

ओड देश याने ओडिशा पर मुगल शासकों का अधिपत्य हो जाने के पश्चात ओड़ राजपूतों ने  ओड राज्य याने ओडिशा को छोड़कर राजस्थान के लिए प्रस्थान किया |  राजस्थान के कुंभलगढ़ परगने में ओडा गांव की स्थापना ओड राजपूतों के द्वारा की गई और तब ओड राजपूत गहलोत वंश की शाखा के रूप में प्रतिष्ठित हुए। मेवाड़ के अनेक राजाओं के साथ ओड राजपूतों के युद्ध में  भाग लेने का इतिहास है| मेवाड़ के राणा महाराणा प्रताप सिंह के समय में महाराणा के साथ लाखों की संख्या में ओड राजपूत उनके साथ युद्ध करते थे।

Disclaimer: इस  content में दी गई जानकारी Internet sources, Digital News papers, Books और विभिन्न धर्म ग्रंथो के आधार पर ली गई है. Content को अपने बुद्धी विवेक से समझे

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*भजन, कथा ,कीर्तन के विडिओ

*मंदिरों की बेहतरी हेतु डॉ आलोक का समर्पण भाग 1:-दूधाखेडी गांगासा,रामदेव निपानिया,कालेश्वर बनजारी,पंचमुखी व नवदुर्गा चंद्वासा ,भेरूजी हतई,खंडेराव आगर

*जाति इतिहास : Dr.Aalok भाग २ :-कायस्थ ,खत्री ,रेबारी ,इदरीसी,गायरी,नाई,जैन ,बागरी ,आदिवासी ,भूमिहार

*मनोरंजन ,कॉमेडी के विडिओ की प्ले लिस्ट

*जाति इतिहास:Dr.Aalok: part 5:-जाट,सुतार ,कुम्हार,कोली ,नोनिया,गुर्जर,भील,बेलदार

*जाति इतिहास:Dr.Aalok भाग 4 :-सौंधीया राजपूत ,सुनार ,माली ,ढोली, दर्जी ,पाटीदार ,लोहार,मोची,कुरेशी

*मुक्ति धाम अंत्येष्टि स्थलों की बेहतरी हेतु डॉ.आलोक का समर्पण ,खण्ड १ :-सीतामऊ,नाहर गढ़,डग,मिश्रोली ,मल्हार गढ़ ,नारायण गढ़

*डॉ . आलोक का काव्यालोक

*मुक्ति धाम अंत्येष्टि स्थलों हेतु डॉ.आलोक का समर्पण part 2  :-आगर,भानपुरा ,बाबुल्दा ,बगुनिया,बोलिया ,टकरावद ,हतुनिया

*दर्जी समाज के आदि पुरुष  संत दामोदर जी महाराज की जीवनी 

*मुक्ति धाम अंत्येष्टि स्थलों की बेहतरी हेतु डॉ .आलोक का समर्पण भाग 1 :-मंदसौर ,शामगढ़,सितामऊ ,संजीत आदि