31.1.18

वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का जीवन परिचय




     

महाराणा प्रताप ने कभी मुगलों की पराधीनता स्वीकार नहीं की और अकबर जैसे शासक को नाकों चने चबवा दिए| महाराणा प्रताप का इतिहास इस बात का गवाह है कि भारतमाता ने ऐसे अनेक वीरों को जन्म दिया है जिन्होंने मरते दम तक अपने देश की रक्षा की है। महाराणा प्रताप का नाम भारत में जन्म लेने वाले शूरवीरों में सबसे ऊपर आता है। महाराणा प्रताप ने जीवनभर संघर्ष किया और सालों तक जंगलों में रहकर जीवन व्यतीत किया, घास की रोटियां खायीं और गुफा में सोये लेकिन मुगलों की पराधीनता कभी स्वीकार नहीं की।

महाराणा को वीरता और स्वाभिमान की प्रतिमूर्ति माना जाता है। उन्होंने आखिरी सांस तक मेवाड़ की रक्षा की। महाराणा की बहादुरी को देखकर उनका सबसे बड़ा दुश्मन अकबर भी उनका कायल हो गया था
।महाराणा का जन्म 9 मई सन 1540 को मेवाड़ के कुम्भलगढ दुर्ग में हुआ था। महाराणा की माता का नाम जैवन्ताबाई और पिता का नाम उदय सिंह था। महाराणा के बचपन का नाम “कीका” था। आगे चलकर महाराणा को मेवाड़ का साम्राज्य सौंप दिया गया।
महाराणा का सबसे बड़ा दुश्मन अकबर –
      उन दिनों अकबर मुगल साम्राज्य का शासक था। अकबर उस समय सबसे शक्तिशाली सम्राट भी था। अकबर के आगे कई राजपूत राजा पहले ही घुटने टेक चुके थे इसलिए अकबर अपनी मुग़ल सेना को अजेय मानता था।
अकबर पूरे भारत पर राज करना चाहता था। इसलिए उसने कई राजपूत राजाओं को हराकर उनका राज्य हथिया लिया तो वहीं कई राजाओं ने मुग़ल सेना के डर से आत्मसमर्पण कर दिया।
अकबर ने महाराणा प्रताप को भी 6 बार संधि वार्ता का प्रस्ताव भेजा था लेकिन महाराणा ने अकबर के आगे झुकने से मना कर दिया और महाराणा के पास अकबर की सेना की तुलना में आधे ही सिपाही थे लेकिन फिर भी उन्होंने अकबर के दांत खट्टे कर दिये।
हल्दी घाटी का युद्ध –
     हल्दी घाटी का युद्ध इतिहास के सबसे बड़े युद्धों में जाना जाता है। 1576 में हुआ हल्दीघाटी का युद्ध बहुत विनाशक था। राजपूत और मुगलों के बीच हुए इस युद्ध में महाराणा प्रताप ने वीरता का परिचय दिया और अकबर का अजेय होने का घमंड भी तोड़ डाला। पूरे राज्य ने भी महाराणा का पूरा साथ दिया, राज्य के महिलाओं और बच्चों ने खाना कम कर दिया ताकि सेना को खाने की कमी ना पड़े। महाराणा वीरता से लड़े और मुगलों की सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
हल्दी घाटी का युद्ध –
    हल्दी घाटी का युद्ध इतिहास के सबसे बड़े युद्धों में जाना जाता है। 1576 में हुआ हल्दीघाटी का युद्ध बहुत विनाशक था। राजपूत और मुगलों के बीच हुए इस युद्ध में महाराणा प्रताप ने वीरता का परिचय दिया और अकबर का अजेय होने का घमंड भी तोड़ डाला। पूरे राज्य ने भी महाराणा का पूरा साथ दिया, राज्य के महिलाओं और बच्चों ने खाना कम कर दिया ताकि सेना को खाने की कमी ना पड़े। महाराणा वीरता से लड़े और मुगलों की सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
महाराणा प्रताप का जीवन
1. महाराणा प्रताप का भाला 81 किलो का था और सीने का कवच 72 किलो का। सामान्य इंसान इतना वजन उठा भी नहीं सकता लेकिन महाराणा प्रताप भाला, कवच, अपनी ढाल और तलवार कुल मिलाकर 208 किलो वजन लेकर युद्ध के मैदान में जाते थे।
2. महाराणा प्रताप ने घास की रोटी खाकर भी देश की रक्षा की थी।
3. महाराणा प्रताप निहत्थे पर कभी वार नहीं करते थे इसलिए वो अपने साथ दो तलवार रखते थे जिससे दुश्मन को भी बराबर का मौका मिले।
4. महाराणा का घोडा चेतक हवा की गति से चलता था। एक बार जब महाराणा प्रताप घायल अवस्था में थे वो चेतक 26 फिट लंबे नाले को भी लाँघ गया था। चेतक की वीरता का वर्णन कई किताबों में भी पढ़ने को मिलता है।
5. महाराणा प्रताप की 11 शादियाँ हुईं थीं।
6. हल्दीघाटी के प्रसिद्ध युद्ध में महाराणा का सेनापति हकीम खान था जो एक मुस्लिम पठान था।
7. अकबर अपनी मुग़ल सेना को अजेय मानता था। हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप ने अकबर का ये घमंड भी तोड़ डाला। इस युद्ध के बाद अकबर सपने में भी महाराणा से डरने लगा था।
8. स्वयं अकबर भी महाराणा की बहादुरी का लोहा मानता था। इसका जिक्र कई वीर रस की कविताओं में भी मिलता है।
9. अकबर ने 30 वर्षों तक महाराणा प्रताप को हराने का प्रयास किया था लेकिन वो हर बार वो असफल रहा था।
10. जब महाराणा प्रताप की मृत्यु हुई तो उनका सबसे बड़ा दुश्मन अकबर भी रो पड़ा था।
11. महाराणा प्रताप की लंबाई 7 फिट 5 इंच थी।
12. अकबर ने महाराणा प्रताप से युद्ध लड़ने से पहले 6 बार संधि करने का न्यौता दिया था लेकिन महाराणा को संधि कुबूल नहीं थी।
13. महाराणा प्रताप के पास अकबर की सेना से आधे सिपाही थे लेकिन फिर भी 1576 के हल्दीघाटी युद्ध में महाराणा ने मुगलों की हालत खराब कर दी थी।
14. महाराणा प्रताप अपने वचन के पक्के थे उन्होंने वचन दिया था कि जब तक चित्तौड़ पर वापस कब्ज़ा नहीं कर लेते तब तक ना ही पलंग पर सोयेंगे और ना ही सोने की थाली में खाना खायेंगे।
हमें गर्व है कि हमने उस भारतवर्ष में जन्म लिया है जहाँ महाराणा प्रताप जैसे महापुरुषों ने जन्म लिया। हिंदीसोच की ओर से महाराणा प्रताप को शत शत नमन…
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