1) अधभूखे राष्ट्र के पास न कोई धर्म, न कोई कला और न ही कोई संगठन हो सकता है।
निःशस्त्र अहिंसा की शक्ति किसी भी परिस्थिति में सशस्त्र शक्ति से सर्वश्रेष्ठ होगी।
2) जब भी मैं सूर्यास्त की अद्भुत लालिमा और चंद्रमा के सौंदर्य को निहारता हूँ तो मेरा हृदय सृजनकर्ता के प्रति श्रद्धा से भर उठता है।
3) क्रूरता का उत्तर क्रूरता से देने का अर्थ अपने नैतिक व बौद्धिक पतन को स्वीकार करना है।
एकमात्र वस्तु जो हमें पशु से भिन्न करती है - वह है सही और गलत के मध्य भेद करने की क्षमता जो हम सभी में समान रूप से विद्यमान है।
4) आपकी समस्त विद्वत्ता, आपका शेक्सपियर और वर्ड्सवर्थ का संपूर्ण अध्ययन निरर्थक है यदि आप अपने चरित्र का निर्माण व विचारों क्रियाओं में सामंजस्य स्थापित नहीं कर पाते।
5) स्वच्छता, पवित्रता और आत्म-सम्मान से जीने के लिए धन की आवश्यकता नहीं होती।
6) निर्मल चरित्र एवं आत्मिक पवित्रता वाला व्यक्तित्व सहजता से लोगों का विश्वास अर्जित करता है और स्वतः अपने आस पास के वातावरण को शुद्ध कर देता है।
7) सुखद जीवन का भेद त्याग पर आधारित है। त्याग ही जीवन है।
8) उफनते तूफ़ान को मात देना है तो अधिक जोखिम उठाते हुए हमें पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़ना होगा।
रोम का पतन उसका विनाश होने से बहुत पहले ही हो चुका था।
9) गुलाब को उपदेश देने की आवश्यकता नहीं होती। वह तो केवल अपनी ख़ुशबू बिखेरता है। उसकी ख़ुशबू ही उसका संदेश है।
10) मेरे विचारानुसार गीता का उद्देश्य आत्म-ज्ञान की प्राप्ति का सर्वोत्तम मार्ग बताना है।
12) हमारा जीवन सत्य का एक लंबा अनुसंधान है और इसकी पूर्णता के लिए आत्मा की शांति आवश्यक है।
13) किसी भी स्वाभिमानी व्यक्ति के लिए सोने की बेडियां, लोहे की बेडियों से कम कठोर नहीं होगी। चुभन धातु में नहीं वरन् बेडियों में होती है।
14) नारी को अबला कहना अपमानजनक है। यह पुरुषों का नारी के प्रति अन्याय है।
15) यदि आपको अपने उद्देश्य और साधन तथा ईश्वर में आस्था है तो सूर्य की तपिश भी शीतलता प्रदान करेगी।
16) अपनी भूलों को स्वीकारना उस झाडू के समान है जो गंदगी को साफ कर उस स्थान को पहले से अधिक स्वच्छ कर देती है।
17) बुद्ध ने अपने समस्त भौतिक सुखों का त्याग किया क्योंकि वे संपूर्ण विश्व के साथ यह ख़ुशी बाँटना चाहते थे जो मात्र सत्य की खोज में कष्ट भोगने तथा बलिदान देने वालों को ही प्राप्त होती है।
18) जब कोई युवक विवाह के लिए दहेज की शर्त रखता है तब वह न केवल अपनी शिक्षा और अपने देश को बदनाम करता है बल्कि स्त्री जाति का भी अपमान करता है।
19) आधुनिक सभ्यता ने हमें रात को दिन में और सुनहरी ख़ामोशी को पीतल के कोलाहल और शोरगुल में
परिवर्तित करना सिखाया है।
20) स्वतंत्रता एक जन्म की भांति है। जब तक हम पूर्णतः स्वतंत्र नहीं हो जाते तब तक हम परतंत्र ही रहेंगे ।
21) निरंतर विकास ही जीवन का नियम है। जो व्यक्ति खुद को सही दिखाने के चक्कर में हमेशा अपनी रूढ़िवादिता को बरकरार रखने की कोशिश करता है, वह खुद को गलत स्थिति में पहुंचा देता है।
22) विश्व के समस्त धर्म, भले ही और चीजों में अंतर रखते हो, लेकिन इस बात पर सभी एकमत हैं कि दुनिया में कुछ नहीं बस सत्य ही हमेशा जीवित रहता है।
23) जीवन में सही मायने में किया गया थोडा-सा अभ्यास बहुत सारे उपदेशों से बेहतर है।
24) जीवन में जब तक गलती करने की स्वतंत्रता ना हो, तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है।
25) मौन जीवन का सबसे सशक्त भाषण है, धीरे-धीरे दुनिया आपको सुनेगी।
26) व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित एक प्राणी है, वह जो सोचता है, जैसा सोचता है, वैसा ही बन जाता है।
27) जीवन में हो रही अपनी गलतियों को स्वीकार करना, झाडू लगाने के सामान है। जो झाडू लगने के पश्चात सतह को चमकदार और साफ कर देती है।
- हर घड़ी खुद से उलझना मुकद्दर है मेरा
- धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
- ओला-मैथिली शरण गुप्त
- हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा-
- विशिष्ट कवियों की चयनित कविताओं की सूची (लिंक्स)
- स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से -गोपालदास "नीरज"
- यात्रा और यात्री - हरिवंशराय बच्चन
- शक्ति और क्षमा - रामधारी सिंह "दिनकर"
- राणा प्रताप की तलवार -श्याम नारायण पाण्डेय
- वीरों का कैसा हो वसंत - सुभद्राकुमारी चौहान
- सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोसिताँ हमारा-अल्लामा इकबाल
- कुछ बातें अधूरी हैं, कहना भी ज़रूरी है-- राहुल प्रसाद (महुलिया पलामू)
- पथहारा वक्तव्य - अशोक वाजपेयी
- कितने दिन और बचे हैं? - अशोक वाजपेयी
- उन्हें मनाने दो दीवाली-- डॉ॰दयाराम आलोक
- राधे राधे श्याम मिला दे -भजन
- ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का
- हम आपके हैं कौन - बाबुल जो तुमने सिखाया-Ravindra Jain
- नदिया के पार - जब तक पूरे न हो फेरे सात-Ravidra jain
- जब तक धरती पर अंधकार - डॉ॰दयाराम आलोक
- जब दीप जले आना जब शाम ढले आना - रविन्द्र जैन
- अँखियों के झरोखों से - रविन्द्र जैन
- किसी पत्थर की मूरत से मुहब्बत का इरादा है - साहिर लुधियानवी
- सुमन कैसे सौरभीले: डॉ॰दयाराम आलोक
- वह देश कौन सा है - रामनरेश त्रिपाठी
- बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ -महादेवी वर्मा
- मधुर-मधुर मेरे दीपक जल - महादेवी वर्मा
- प्रणय-गीत- डॉ॰दयाराम आलोक
- गांधी की गीता - शैल चतुर्वेदी
- तूफानों की ओर घुमा दो नाविक निज पतवार -शिवमंगलसिंह सुमन
- सरहदें बुला रहीं.- डॉ॰दयाराम आलोक
- हम पंछी उन्मुक्त गगन के-शिवमंगल सिंह 'सुमन'
- जंगल गाथा -अशोक चक्रधर
- मेमने ने देखे जब गैया के आंसू - अशोक चक्रधर
- सूरदास के पद
- रात और प्रभात.-डॉ॰दयाराम आलोक
- घाघ कवि के दोहे -घाघ
- मुझको भी राधा बना ले नंदलाल - बालकवि बैरागी
- बादल राग -सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- आओ आज करें अभिनंदन.- डॉ॰दयाराम आलोक
- प्रेयसी-सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
- राम की शक्ति पूजा -सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
- आत्मकथ्य - जयशंकर प्रसाद
- गांधी के अमृत वचन हमें अब याद नहीं - डॉ॰दयाराम आलोक
- बिहारी कवि के दोहे
- झुकी कमान -चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी'
- कबीर की साखियाँ - कबीर
- भक्ति महिमा के दोहे -कबीर दास
- गुरु-महिमा - कबीर
- तु कभी थे सूर्य - चंद्रसेन विराट
- सरहदें बुला रहीं.- डॉ॰दयाराम आलोक
- बीती विभावरी जाग री! jai shankar prasad
- हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती
- मैं अमर शहीदों का चारण-श्री कृष्ण सरल
- हम पंछी उन्मुक्त गगन के -- शिवमंगल सिंह सुमन
- उन्हें मनाने दो दीवाली-- डॉ॰दयाराम आलोक
- रश्मिरथी - रामधारी सिंह दिनकर
- सुदामा चरित - नरोत्तम दास
- अरुण यह मधुमय देश हमारा -जय शंकर प्रसाद
- यह वासंती शाम -डॉ.आलोक
- तुमन मेरी चिर साधों को झंकृत और साकार किया है.- डॉ॰दयाराम आलो
- स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से ,गोपालदास "नीरज"
- सूरज पर प्रतिबंध अनेकों , कुमार विश्वास
- रहीम के दोहे -रहीम कवि
- जागो मन के सजग पथिक ओ! , फणीश्वर नाथ रेणु
- रात और प्रभात.-डॉ॰दयाराम आलोक
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