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12.12.19

डॉ .दयाराम आलोक का जीवन परिचय //Life story of Dr.Dayaram Alok




85वे वर्ष मे भी समाज सेवा के अरमान

दर्जी कन्याओं के स्ववित्तपोषित निशुल्क सामूहिक विवाह सहित 9 सम्मेलन ,डग दर्जी मंदिर मे सत्यनारायण की प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा ,मंदिरों और मुक्ति धाम को नकद और सैंकड़ों सिमेन्ट बेंच दान ,दर्जी समाज की वंशावलियाँ निर्माण,दामोदर दर्जी महासंघ का गठन ,सामाजिक कुरीतियों को हतोत्साहित करना जैसे अनेकों समाज हितैषी लक्ष्यों के लिए अथक संघर्ष के प्राणभूत डॉ .दयाराम आलोक अपने 85  वे वर्ष मे भी सामाज सेवा के नूतन अवसर सृजित करने के अरमान सँजोये हुए हैं.

जन्म एवं शिक्षा-
                                  
डॉ.दयाराम आलोक का जन्म 11 अगस्त सन 1940  को पूरालाल जी राठौड़ दर्जी  शामगढ़  के परिवार में हुआ था. माता  का नाम गंगा बाई था. 6 भाई  3 बहिनें .  रेडीमेड वस्त्र बनाकर बेचना पारिवारिक व्यवसाय था. अत्यंत साधारण आर्थिक हालात. हाईस्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने के बाद सन 1961 में शासकीय सेवा में अध्यापक के पद पर नियुक्त. सन 1969 में राजनीति विषय से एम.ए. किया.चिकित्सा विषयक उपाधियां आयुर्वेद रत्न और होम्योपैथिक उपाधि D I Hom ( London) अर्जित कीं.


डॉ.दयाराम आलोक के सामाजिक और धार्मिक कार्य 

 दर्जी समाज के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के उद्देश्य से  डॉ. दयाराम आलोक ने अखिल भारतीय दामोदर दर्जी महासंघ का गठन 14 जून 1965 को किया.आपके कुशल नेतृत्व मे डग के दर्जी मंदिर मे मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा समारोह   23 जून 1966 को आयोजित हुआ था. आपने मध्य प्रदेश और राजस्थान के 6 चयनित जिलों के मंदिरों और मुक्ति धाम में दर्शनार्थियों के लिए बैठक सुविधा उन्नत करने हेतु  100 से भी ज्यादा संस्थानों  को नकद दान के साथ ही सैंकड़ों सिमेन्ट बेंच भेंट करने का गौरव हासिल किया . दान के विडिओ यू ट्यूब की निम्न  प्लेलिस्ट मे संकलित हैं |समय निकालकर देखने की कृपा करें 

























दर्जी समाज की वैश्विक पहिचान के लिए 15 हजार व्यक्तियों को एक ही वंशवृक्ष मे समाविष्ट कर वेबसाईट पर उपलब्ध कराया  .आपने  रामपुरा नगर मे  1981 के दर्जी समाज के प्रथम सामूहिक विवाह सम्मेलन के रूप मे  मंदसौर जिले मे सामूहिक विवाह की परम्परा का सूत्रपात किया . डॉ .आलोक ने निज वित्त पोषित पहला निशुल्क दर्जी सामूहिक सम्मेलन बोलिया ग्राम मे 2010 मे आयोजित कर दर्जी समाज के इतिहास मे स्वर्णाक्षरों मे लिखने योग्य उपलब्धि अपने नाम दर्ज कराई। 

   दामोदर दर्जी महासंघ का गठन 

 दर्जी समाज के महत्वपूर्ण सामाजिक कार्यों को संगठित ढंग से संपादित करने तथा सामाजिक फ़िजूल खर्ची रोकने के उद्देश्य से डॉ. दयारामजी आलोक ने अपने कुछ घनिष्ठ साथियों के सहयोग से 14/जून /1965 को प्रथम अधिवेशन शामगढ़ मे आयोजित कर  "दामोदर दर्जी युवक संघ" का गठन किया तथा एक कार्यकारिणी समिति बनाई |  कालांतर मे यह दामोदर दर्जी युवक संघ विस्तृत होकर"अखिल भारतीय दामोदर दर्जी महासंघ" के टाईटल से अस्तित्व में है।

 बंधुओं,
दामोदर दर्जी महासंघ की स्थापना में मुझे शामगढ के

डॉ. लक्ष्मीनारायण जी  अलोकिक ,
श्री रामचन्द्र जी सिसौदिया ,
श्री शंकरलालजी राठौर,
श्री कंवरलाजी सिसौदिया,
श्री गंगारामजी चोहान शामगढ़,

श्री रामचंद्रजी चौहान मनासा ,


श्री कन्हैयालालजी परमार गुराड़िया नरसिंग,

श्री प्रभुलालजी मकवाना मोडक,
श्री देवीलालजी सोलंकी शामगढ़ बोलिया वाले का 
सक्रिय सहयोग प्राप्त हुआ। 

दामोदर दर्जी महासंघ का संविधान -

दामोदर दर्जी महासंघ का संविधान डॉ. दयारामजी आलोक ने सन १९६५ में लिपिबद्ध किया और डॉ. लक्ष्मीनारायणजी अलौकिक  ने संविधान मे कतिपय संशोधन किए तथा रसायन प्रेस दिल्ली से छपवाकर प्रचारित-प्रसारित किया|

दामोदर दर्जी महासंघ का अधिवेशन कब हुआ ?

दामोदर दर्जी महासंघ का प्रथम अधिवेशन 14 जून 1965: को शामगढ में 
पूरालालजी राठौर के निवास पर हुआ ।अधिवेशन में 134 दर्जी बंधु उपस्थित हुए। इस अधिवेशन मे श्री रामचन्द्रजी सिसोदिया को अध्यक्ष , श्री दयाराम जी आलोक को संचालक,और श्री सीताराम ज्री संतोषी को कोषाध्यक्ष बनाया गया। सदस्यता अभियान चलाकर ५० नये पैसे वाले सैंकडों सदस्य बनाये गये।

डग दर्जी सत्यनारायण मंदिर में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान 

 डग के दर्जी समाज के मंदिर मे भगवान सत्यनारायण की प्रतिमा की  प्राण प्रतिष्ठा  के लिए आर्थिक सहयोग हेतु डग के दर्जी बंधु 7 वर्षों से समाज बंधुओं से संपर्क कर रहे थे|लेकिन  उध्यापन हेतु आवश्यक धन संग्रहीत करने में सफलता नही मिल रही थी| परमात्मा की आंतरिक प्रेरणा से समृद्ध होकर मैं इस महत्वपूर्ण मसले को लेकर 15 मई 1966 को डग गया था|
सभी दर्जी बंधुओं को मंदिर मे बैठक के लिए आमंत्रित किया |रात को 9.15 बजे बैठक प्रारभ हुई | 
  अपने उदबोधन मे डॉ.दयाराम जी  आलोक ने  डग के दर्जी बंधुओं  से निवेदन किया कि भगवान सत्य नारायण की प्रतिमा 7 वर्ष से बाहर रखी हुई है और प्राण-प्रतिष्ठा के अभाव मे पूजा कार्य  बंद पड़ा है|अगर दर्जी समाज डग सर्वसम्मति से  मुझे अनुमति देते हुए अधिकृत करें  तो दामोदर दर्जी महासंघ के माध्यम से समाज से चंदा संग्रह की मुहिम शुरू की जावे| पर्याप्त चर्चा और विचार विमर्श के बाद डग के दर्जी बंधुओं ने  अपने हस्ताक्षर युक्त एक लिखित प्रस्ताव पारित कर मंदिर उध्यापन कार्य मेरे नेतृत्व मे दामोदर दर्जी महासंघ के सुपुर्द कर दिया |

 डग के दर्जी मंदिर के उध्यापन के दस्तावेज़ 







 मित्रों,उस समय मेरी आयु यही कोई 25 वर्ष रही होगी| दर्जी बंधुओं  द्वारा मेरी कार्यक्षमता पर विश्वास कर डग मंदिर उध्यापन जैसा  महत्वपूर्ण कार्य मेरे सुपुर्द कर देना  मेरे जीवन की सबसे बड़ी सामाजिक उपलब्धियों की प्रथम कड़ी मानी जा सकती है|
तुलसीदासजी रामचरित मानस मे लिखते हैं -
जासु कृपा सु दयाल||
मूक होई वाचाल, पंगु चढ़ै गिरिवर गहन।
भावार्थ-
जिनकी कृपा से गूँगा बहुत  बोलने वाला हो जाता है और लँगड़ा-लूला दुर्गम पहाड़ पर चढ़ जाता है ,
 
मंदिर कार्य सिद्धि हेतु दामोदर दर्जी  महासंघ के कार्यकर्त्तागण और समाज के वरिष्ठ लोग इस चुनौती को युद्धस्तर पर लेते हुए  गाँव -गाँव ,शहर -शहर  सामाजिक संपर्क पर निकल पड़े और उध्यापन के लिए चन्दा एकत्र करने लगे| 



  शिखर निर्माण के बाद का  मंदिर का विडिओ 


मित्रों,अविश्वसनीय तो  लगता है मगर प्रभु की अदृश्य अनुकंपा के चलते  सिर्फ 1 माह 8 दिन की छोटी सी अवधि मे  पर्याप्त धन संग्रहीत होकर  23 जून 1966 को उध्यापन कार्यक्रम आयोजित  हो गया|यहाँ बताते चलें कि 1966 मे सोने का भाव 73 रुपये 75 पैसे का 10 ग्राम था| उस समय दर्जी बंधुओं ने जो आर्थिक सहयोग दिया उसे सोने के भाव के परिप्रेक्ष्य मे  तुलनात्मक  रूप से देखें|

दर्जी मंदिर डग के मूर्ति - प्रतिष्ठा समारोह 1966 हेतु दान दाताओं की नामावली 


 एकत्रित चन्दा राशि  मैंने डग मंदिर के कोषाध्यक्ष श्री कन्हैयालालजी पँवार  के सुपुर्द की |
उध्यापन की आमंत्रण पत्रिका छपवाकर पूरे समाज को उध्यापन समारोह हेतु आमंत्रित किया गया|

    

    



डग स्थित दर्जी मंदिर का उध्यापन  कब हुआ ?

   23 जून/1966 को डग के सत्यनारायण दर्जी मंदिर का भव्य प्राण-प्रतिष्ठा समारोह डॉ . आलोक जी के मार्ग दर्शन मे आयोजित हुआ |सम्पूर्ण समाज के हर गाँव -शहर के दर्जी बंधु सहपरिवार उध्यापन मे शामिल हुए| यह कहना उचित ही होगा  कि डग के सत्यनारायण मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह उस जमाने का सबसे बड़ा सामाजिक आयोजन था|

डॉ. दयाराम आलोक का साहित्य सृजन-

कवि हृदय डॉ.दयाराम आलोक की रचनाएं देशभक्ति और प्रकृति प्रेम के लिए जानी जाती हैं| साहित्य सृजन क्षेत्र मे मेरे अग्रज स्व.डॉ.लक्ष्मीनारायणजी अलौकिक ने मार्गदर्शन किया और मेरी शुरुआती कविता"तुमने मेरी चिर साधों को झंकृत और साकार किया है" को अपने संपादकत्व मे बिकानेर से प्रकाशित होने वाली पत्रिका "स्वास्थ्य सरिता" मे प्रकाशित किया |काव्य रचना अनवरत चलती रही और करीब 150 काव्य कृतियां विभिन्न पत्र पत्रिकाओं मे प्रकाशित हुई हैं जिनमे कादंबिनी का नाम भी शामिल है|पाँच कविताओं के लिंक्स प्रस्तुत हैं-

उन्हें मनाने दो दिवाली

आओ आज करें अभिनंदन!

सरहदें बुला रहीं


गाँधी के अमृत वचन हमें अब याद नहीं 


सुमन कैसे सौरभीले  


प्रसिद्ध कवियों की 500  कविताओं की लिंक्स  निम्न ब्लॉग  पोस्ट मे समाहित हैं -

काव्य मंजूषा


डॉ. दयारामजी आलोक ने संग्रहीत की दर्जी समाज के परिवारों की जानकारी -

 समाज के परिवारों की विस्तृत जानकारी एकत्र करने के उद्धेश्य से मैंने 1965 मे बड़े आकार के फार्म छ्पावाए थे | इस फार्म मे  व्यक्ति की पूरी जानकारी -नाम,पता,धंधा,पढ़ाई,जन्म तिथि,रिश्तेदारी,पुरखे,पत्नी,मामा,नाना आदि बातों की जानकारी के खाने थे| 
                         (दर्जी परिवार जानकारी गाँव मोड़क| स्थिति-23\6/1966)



लीमड़ी के दर्जी समाज के परिवारों की जानकारी | स्थिति- 23/10/1980




 जानकारी संग्रह करने का उपक्रम  आज भी अनवरत सक्रियता मे  है|इस सिलसिले  मे  मैंने दाहोद,लिमड़ी,झालोद आदि स्थानो का भी दौरा किया और निर्धारित उक्त फार्म मे परिवारों की जानकारी संगृह की | जब समाज की लगभग पूर्ण जानकारी हासिल हो गई तो मैंने वंशावलियाँ बनाकर  दर्जी वेबसाईट पर अपलोड करना शुरू कर दिया |आप दर्जी समाज के प्रमुख  परिवारों की जानकारी  और वंशावलियां निम्न लिंक मे पढ़ सकते हैं -

दामोदर वंशीय नया गुजराती दर्जी समाज की प्रमुख वंशावलियाँ 


    बंधुओ,मेरे अनुज

श्री रमेशचन्द्र जी राठौर"आशुतोष" सामाजिक कार्यों मे अग्रणी रहे हैं|  उन्होने समाज की जानकारी की कई स्मारिकाएँ और ग्रंथ प्रकाशित किए हैं|




  यहाँ  स्व.भवानी शंकरजी चौहान सुवासरा (संजीत वाले) के सामाजिक योगदान को  स्मरण करना जरूरी है कि उन्होने अपनी मोटर साईकिल से तमाम दर्जी समाज की बसाहट वाले गांवों - शहरों का  दौरा किया और दर्जी परिवारों की जानकारी अपने रजिस्टर मे नोट की |ज्ञातव्य है कि इसी जानकारी को  आधार बनाकर  भाई रमेशजी राठौर  आशुतोष ने  दर्जी परिवारों की जानकारी देने वाले "समाज सेतु -2014 " नामक  विशाल ग्रंथ का सम्पादन किया और इसे  दामोदर दर्जी महासंघ कार्यालय 14,जवाहर मार्ग  ,शामगढ़ के माध्यम से छपावाकर लागत मूल्य पर समाज को उपलब्ध कराया| 

  जो लोग समाज सेवा  के प्रति संकल्पित रहे हैं वे यथार्थ मे सम्मान और आदर के पात्र हैं|

आलोक जी के 85 वें वर्ष मे प्रवेश के अवसर पर भव्य आयोजन का विडिओ 



सामूहिक विवाह सम्मेलन की शुरुआत कब हुई? 

   मित्रों, जैसे- जैसे महंगाई ,जीवनोपयोगी हरेक वस्तु और सामाजिक रीति रस्मों को अपने आगोश मे ले रही है ,समाजजनों को अपने पुत्र -पुत्रियों के विवाह आयोजित करने मे आर्थिक कठनाईयों से रूबरू होना पड़ रहा है| अध्यापक की सर्विस के दौरान मैं 1980 मे रामपुरा  नगर मे था | उस समय मध्य प्रदेश मे कहीं पर भी  समूह विवाह का प्रचलन नहीं था| हाँ राजस्थान मे जरूर कुछेक स्थानो पर सामूहिक विवाह होने लगे थे|मन मे विचार आया कि  दर्जी समाज का सामूहिक विवाह रामपुरा नगर मे करना चाहिए|स्थानीय दर्जी बंधुओं से निरंतर संपर्क और विचार विमर्श  करने के बाद  सामूहिक विवाह सम्मेलन के  आयोजन करने पर सहमति बनी| फलस्वरूप  प्रथम सामूहिक विवाह सम्मेलन  9,10,11 मई 1981 को रामपुरा नगर आयोजित  किया गया। 



प्रथम दर्जी सामूहिक विवाह सम्मेलन 1981 मे शामिल वर वधू की दुर्लभ तस्वीर

इस सम्मेलन में केवल 6 जोड़े सम्मिलित हुए| उस जमाने मे सम्मेलन की शादी  को लोग अच्छी नजर से नहीं देखते थे और सम्मेलन के नाम पर नाक भौंह सिकोड़ते थे|ऐसे माहोल मे  दर्जी बंधुओं को प्रेरित करने के लिए मैंने अपनी बेटी छाया और पुत्र अनिल कुमार का विवाह इसी सम्मेलन मे किया |
पुत्र अनिल कुमार वर्तमान मे डॉ॰अनिल कुमार (वैध्य दामोदर) के नाम से प्रसिद्ध पथरी चिकित्सक की हेसियत मे विख्यात है|
  दर्जी समाज का प्रथम सामूहिक विवाह सम्मेलन उम्मीद से ज्यादा सफल रहा  और  न केवल दर्जी समाज ,अपितु अन्य समाज के लोगों ने भी आयोजन की  मुक्त कंठ से  प्रशंसा की |  यह सम्मेलन तीन दिन की अवधि वाला था| मेरे नेतृत्व मे दूसरा सामूहिक विवाह सम्मेलन 1983 मे रामपुरा नगर मे ही  आयोजित किया गया जिसमे 12 जोड़े सम्मिलित हुए| दोनों सम्मेलन दामोदर दर्जी महासंघ के बेनर तले आयोजित हुए|

  रामपुरा के 1981 के सम्मेलन की विस्तृत  रिपोर्ट  निम्न लेख की लिंक खोलकर पढ़ सकते हैं-

दर्जी समाज का प्रथम सामूहिक विवाह सम्मेलन ,रामपुरा 1981 ओरिजनल बिल सहितलिंक


 समय बीतता गया| वर्ष 1985 मे मैं रामपुरा से  स्थानांतरित  होकर बोलिया ग्राम आ गया | सामाजिक आयोजन   करते रहने की प्रवृत्ति के चलते मैंने बोलिया ग्राम मे वर्ष 2006,और 2008  मे  दो सामूहिक विवाह सम्मेलन  आयोजित किये| लेकिन मेरे अन्तर्मन मे एक विचार बार बार उभरता था कि दर्जी समाज मे एक बार निशुल्क सम्मेलन की अवधारणा को अमलीजामा  पहिनाया जाये|  परमात्मा ने यह इच्छा भी पूर्ण की और  सन 2010 मे बोलिया मे निजी खर्च से भव्य निशुल्क समूह विवाह का आयोजन किया जो दर्जी समाज के इतिहास मे स्वर्णिम अक्षरों मे दर्ज हो गया 
  स्मरणीय है कि 2017 मे  सामूहिक विवाह सम्मेलन करने को लेकर समाज की कई जगह मीटिंग  आयोजित हुई लेकिन बात नहीं बनी तब ऐसी ऊहा पोह की स्थिति से उबरने के लिए मैंने 51 हजार रुपये का सहयोग देकर शामगढ़  मे सम्मेलन को मूर्त रूप दिया |यह सम्मेलन बेहद यादगार साबित हुआ| 

निशुल्क विवाह सम्मेलन ,बोलिया -2010 के विडियो (भाग,1,2,3,4) 


  बंधुओं , भाग्य इंसान को  अपनी उंगली पर नचाता है| 2011 मे मेरा परिवार बोलिया से अपने मूल ठिकाने शामगढ़ आगया |सामाज हितैषी आयोजन करते रहने की प्रवृत्ति के चलते भाई रमेशजी राठौर आशुतोष के कर्मठ सहयोग के बलबूते  शामगढ़ नगर मे दो-दो वर्षों के अंतराल पर दो सम्मेलन  2012, 2014  मे और तीन वर्ष बाद  2017 मे सामूहिक विवाह सम्मेलन दामोदर दर्जी महासंघ के बेनर तले आयोजीत कर समाज की सेवा का अवसर हासिल किया|
सम्मेलन के विडियो भी देख लेते हैं-








  

सम्पूर्ण दर्जी समाज के फोटो इन्टरनेट पर-

 कहावत है कि 100 शब्द से एक चित्र ज्यादा संदेश देने वाला होता है| विगत15 वर्षों से मैं अपने केमरे से  दर्जी समाज के व्यक्तियों के फोटो ले रहा हूँ| सामाजिक रीति रस्म ,सगाई,शादी,मोसर  मे जाने का  मेरा एक उद्देश्य दर्जी बंधुओं के फोटो  लेने और बाद मे उन्हें इंटरनेट पर अपलोड करना रहता है|लगभग 5 हजार से ज्यादा  दर्जी समाज के फोटो आज नेट पर मौजूद हैं| घर बैठे समाज गंगा का दर्शन करने का यह एक जबर्दस्त तरीका है|
पुरुषों के फोटो तो मैं ले लेता हूँ लेकिन महिलाओं के फोटो लेने मे दिक्कत होती है |



 मेरी पौत्री अपूर्वा ने बहुत हद तक मेरी इस समस्या को भी हल कर दिया | महिलाओं के फोटो शूट करने और रजिस्टर मे उनका विवरण दर्ज करने का काम मेरी पौत्री अपूर्वा तथा  बेटी अल्पना और छाया ने किया है|
दर्जी समाज के फोटो की एल्बम की  कुछ लिंक्स देता हूँ-

दामोदर दर्जी समाज के फोटो 

दर्जी महिला समाज 

दर्जी समाज पिक्चर्स 


दर्जी बंधुओं  को सम्मानित करने के चित्र


दर्जी यात्रा चित्र 


दामोदर दर्जी समाज की सामाजिक गतिविधियों का प्रतिनिधित्व करने वाली मेरी वेबसाईट दर्जी समाज संदेश
दुनियाँ की दर्जी समाज की सबसे बड़ी वेबसाईट है इसमे 500 से भी ज्यादा लेख हैं|
  वाट्सएप पर एक ग्रुप है" दामोदर वंशावली "।इस ग्रुप के माध्यम से  फोटो कैसे देखना है ,सभी तरीके  बताता रहता  हूँ|
 जीवन के 85  वें वर्ष मे  शारीरिक दुर्बलता स्वाभाविक है |इसलिए सामाजिक रीति -रस्मों मे मेरी  उपस्थिति आहिस्ता-आहिस्ता कम होती जा रही  है| लेकिन अन्तर्मन समाज सेवा के नूतन अवसर सृजित  करने  के अरमान सँजोये हुए है|
  मित्रों ,मैंने अपनी चिकित्सा संबंधी वेबसाईट्स में अपने 55  वर्षों के चिकित्सा अनुभवों को प्रतिबिम्बित किया है| मेरे हजारों चिकित्सा -आलेखों के लाखों पाठक पूरे विश्व मे मौजूद हैं|
आयुर्वेदिक और हर्बल  चिकित्सा की मेरी 3 वेबसाईट्स हैं जिनके पते की लिंक्स नीचे दे रहा हूँ |प्रत्येक ब्लॉग मे लगभग 500 लेख हैं |

उपचार और आरोग्य

 मेरी निम्न वेबसाईट भी काफी पोपुलर है-

अध्यात्म,जाति इतिहास,दान चर्चा 

डॉ.दयाराम आलोक के आर्टिकल्स पर Google के विज्ञापन से आय  

 ज्ञातव्य है कि मेरी कुल 6 वेबसाईट्स  पर गूगल  कंपनी  विज्ञापन डालती है और इन विज्ञापनो से गूगल को जो आय होती है उसका 68% मुझे पेमेंट होता है| "आम के आम गुठली के दाम " कहावत चरितार्थ होना मेरे लिए सुखकारी अनुभव है|

राजनीति में हिस्सेदारी- -

 प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त (1996) होने के बाद बीजेपी की सदस्यता हासिल की|
निम्न पदों पर निर्वाचित ,मनोनीत होकर पार्टी की पूरी शिद्दत से सेवा की 

1)*अध्यक्ष: नगर भाजपा बोलिया 




2)*जिला महामंत्री : अध्यापक प्रकोष्ठ  जिला मंदसौर |

बीजेपी अध्यापक प्रकोष्ठ के महामंत्री की हेसियत मे पचमढ़ी  3 दिवसीय सेमिनार मे सहभागिता की|

Self financed free mass marriage of Damodar Darji girls  and  nine Samuhik Vivaah programs , consecration of the idol of Satya Narayan in Dag Darji Mandir, donation of cash and hundreds of cement benches to temples and Mukti Dham, creation of genealogy of darji samaj, formation of Damodar Damodar Darji Mahasangh , discouraging of social evils, Dr. Dayaram Alok, the soul of tireless struggle for many social welfare goals even in his 84th year, Dr. Dayaram Alok harbors the
 desire to create new opportunities for social service.
से रमेश जी राठौर समाज सेवी लिखते हैं-
85_वर्ष_की_आयु_में_भी_निस्वार्थ_भाव_से_समाज_सेवा_कर_रहे_हैं
  डॉ_आलोक_साहेब 
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      फल की इच्छा छोड़कर कर्म करने वाला पुरुष ही अपने जीवन को सफल बनाता है। अच्छी बुनियादी , शिक्षा, अच्छे विचार एवं अच्छा स्वास्थ्य किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने की सबसे बड़ी पूंजी है।
    आज हम एक ऐसे शख्स से आपको रूबरू करवा रहे हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन समाज सेवा को समर्पित किया है।
  डॉ दयारामजी आलोक शामगढ पिछले कई वर्षों से निस्वार्थ भाव से दामोदर दर्जी समाज के वंश वृक्ष बनाकर इंटरनेट पर लोड कर रहे हैं जिसे देखकर भावी पीडिया अपने पुरखों की जानकारी सहज पा सकेगी। आज 85 वर्ष की उम्र में भी आप दिन रात के 24 घण्टों में 8 से 10 घण्टे इसी मुहिम में लगे रहते है। 
   दामोदर वंशीय दर्जी समाज ही एक ऐसा समाज हो सकता है जिसके 13 हजार से अधिक फोटो व परिवारों की पांच सात पीढ़ियों का बाय डाटा इंटरनेट पर देख पाना इनकी मेहनत का परिणाम है।
   #साहित्यमनीषि_समाजसेवी_डॉ_दयारामजी_आलोक_साहेब_शामगढ सेवा निवृत अध्यापक है। आप अपनी पेंशन का कुछ अंश क्षेत्र के मुक्तिधामों मे , शक्तिपीठों व मंदिरों में जहां हर वर्ग के व्यक्ति आते जाते हों पर ग्यारह , इक्कीस , इकतीस व इक्कावन हजार देकर व सीमेंट की बेंचेस पहुंचाकर इस दान यज्ञ को निरन्तर चला रहे हैं।
   हमें ऐसी शख्शियत पर गर्व होना चाहिए जिन्होंने दर्जी समाज मे जन्म लेकर अपना सम्पूर्ण जीवन समाज सेवा में निस्वार्थ भाव से लगा रखा है।
लेखक-- रमेश राठौर आशुतोष शामगढ 

समीक्षा-

समाजसेवी  श्री रमेश जी आशुतोष का यह  एक प्रेरणादायक लेख है जो डॉ. दयाराम आलोक जी की समाज सेवा और उनकी निस्वार्थ भावना को प्रकट करता है। डॉ. आलोक जी एक सेवा निवृत अध्यापक हैं जिन्होंने अपना जीवन समाज सेवा को समर्पित किया है।
लेख में बताया गया है कि डॉ. आलोक जी ने अपना पूरा जीवन दामोदर दर्जी समाज के वंश वृक्ष बनाने में लगाया है, जिससे भावी पीडिया अपने पुरखों की जानकारी सहज पा सकेगी। उन्होंने 13 हजार से अधिक फोटो और परिवारों की पांच सात पीढ़ियों का बाय डाटा इंटरनेट पर लोड किया है।
लेख में आगे बताया गया है कि डॉ. आलोक जी अपनी पेंशन का कुछ अंश क्षेत्र के मुक्तिधामों, शक्तिपीठों, और मंदिरों में दान करते हैं और सीमेंट की बेंचेस पहुंचाकर इस दान यज्ञ को निरन्तर चला रहे हैं।
इस लेख से हमें यह सीखने को मिलता है कि हमें अपने जीवन को समाज सेवा के लिए समर्पित करना चाहिए और निस्वार्थ भावना से काम करना चाहिए। डॉ. आलोक जी की कहानी हमें प्रेरित करती है कि हम अपने जीवन को समाज के लिए कुछ करने में लगाएं।