12.2.24

सुबह उठते ही इन प्रार्थना श्लोक का उच्चारण करने से प्राप्त होती है सुख -समृद्धि

आज हम आपको कुछ ऐसे ही श्‍लोक और मंत्रों के बारे में बताएंगे, जिनका उच्‍चारण आपको सुबह उठते ही करना चाहिए। ऐसा करने पर आपका केवल दिन ही अच्‍छा नहीं बीतता है बल्कि आपको सुख और समृद्धि की भी प्राप्‍ती होती है।

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ।।


भगवान श्री गणेश जी का यह मंत्र काफी प्रभावशाली है। इससे आपके मन में जो भय होता है वह दूर होता है और पूरे दिन आप सही दिशा में काम कर पाते हैं। इतना ही नहीं इस मंत्र का अर्थ है, 'श्री गणेश, जो बुरा कर रहे हैं उनका विनाश करें, आप सौ सूर्य के समान हैं, विघ्नहरता हैं। आज मेरे कार्यों में जो भी बाधा बनने की कोशिश करे या फिर बाधा डाले, उसका सर्वनाश कर दीजिए।'अर्थात आप इस मंत्र का यदि नियमित उच्‍चारण करती हैं, तो आपके काम में आने वाली बाधा दूर हो जाती हैं।

पुण्यश्लोको नलो राजा पुण्यश्लोको युधिष्ठिरः ।

पुण्यश्लोको विदेहश्च पुण्यश्लोको जनार्दनः ।।


इस श्‍लोक का भार्वाथ है कि 'पुण्यवान नल, युधिष्ठिर, विदेह तथा भगवान जनार्दनका मैं स्मरण करता हूं।' इन सभी का स्‍मरण सुबह- सुबह करने से आपका पूरा दिन अच्‍छा बीत जाता है और आप सही मार्ग पर चलते हैं, जिससे न आपसे कुछ गलत होता है न आपके साथ कोई कुछ गलत करता है। यह श्‍लोक पूरे दिन आपको आत्‍मविश्‍वास और आत्‍मबल देता है।


कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती। 
करमूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते करदर्शनम्..।।



आप अगर ब्रह्म मुहूर्त में उठते हैं तो आपको सुबह सूर्योदय होने पर इस मंत्र का उच्‍चारण करना चाहिए। आपको सूर्य की ओर मुंह करके, आंखे बंद करके और हाथों को जोड़ कर यह प्रर्थना करनी है कि आपके अग्रभाग में लक्ष्‍मी को मध्‍य भाग में सरस्‍वती का और मूल भाग में विष्‍णु जी का निवास हो।

यह बहुत ही शक्तिशाली मंत्र होता है और इसके नियमित उच्‍चारण से भाग्‍य का उदय होना तय होता है। इतना ही नहीं, आप एक मंत्र के माध्‍यम से सुख, समृरिद्ध और विद्या तीनों का वरदान मांग रहे होते हैं, जबकि इनमें से एक भी आपको प्राप्‍त हो जाए तो आपको सब कुछ प्राप्‍त हो जाता है।

‘गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति। 
नर्मदे सिन्धु कावेरि जल स्मिन्सन्निधिं कुरु..’।।


इस मंत्र को भी सुबह नींद से जागते ही आपको जपना चाहिए । आप यदि ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्‍नान करती हैं, तो आपको इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। इसका अर्थ होता है कि 'हे गंगा, यमुना, गोदावरी, सरस्‍वती, नर्मदा, सिंधु कावेरी मैं जिस जल से स्‍नान कर रही हूं, उस जल में पधारिये।' यह सभी दिव्‍य नदियां हैं और यदि इनके जल से आप नहाती हैं, तो आपका केवल शरीर ही नहीं बल्कि मन भी पवित्र हो जाएगा और आप पूरे दिन सारे काम अच्‍छे से कर पाएंगी।

ओम नमः शिवाय'



भगवान शिव का पंचाक्षरी मंत्र सबसे शक्तिशाली मंत्रों में से एक माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सबसे पहले शिवजी ने अपने पांच मुखों से यह मंत्र ब्रह्माजी को प्रदान किया था। वेदों और पुराणों के अनुसार, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सिर्फ “ॐ नमः शिवाय” का जप ही काफी है।

ॐ गं ऋणहर्तायै नमः 
अथवा 
ओम छिन्दी छिन्दी वरैण्यम् स्वाहा।


यह मंत्र कर्ज मुक्ति का मंत्र है। अगर आपने किसी से कर्ज लिया हुआ है और अब आप उसे चुका नहीं पा रहे हैं और इस वजह से आपको नियमित अपमान सहना पड़ता है, तो आपको इस मंत्र का उच्‍चारण रोज करना चाहिए। ऐसा करने से आपकी आर्थिक स्थिति अच्‍छी हो जाती है और आपने जो भी कर्ज लिया होता है वह खत्‍म हो जाता है।
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11.2.24

श्री कालेश्वर मंदिर खाईखेडा -शामगढ़-मंदसौर को डॉ .अनिल दामोदर हॉस्पिटल शामगढ़ द्वारा 4 बेंच समर्पित

 श्री कालेश्वर  मंदिर खाईखेडा (शामगढ़ के पास)  हेतु 

दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़  द्वारा 

४ सीमेंट  बेंचें दान 

खाईखेड़ा मंदसौर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है, जो शामगढ़ नगर से लगभग 10 किलोमीटर दूर है। यहाँ का कालेश्वर भगवान का मंदिर विशेष रूप से जहरीले जंतुओं के काटने से पीड़ित लोगों के लिए जीवन रक्षा के लिए प्रसिद्ध है।
मंदिर में यात्रियों के विश्राम के लिए बेंचों की कमी को देखते हुए, डॉ. दयाराम जी आलोक ने अपने आध्यात्मिक दान पथ के तहत चयनित मंदिरों में सिमेन्ट की बेंचें दान करने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने पुत्र डॉ. अनिल कुमार राठौर के माध्यम से मंदिर को 4 सिमेन्ट की बेंचें दान कीं।
मंदिर समिति और सरपंच श्री शामसिंग जी पड़िहार ने दान दाता का सम्मान करते हुए आभार व्यक्त किया और इस दान को मंदिर के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान बताया। यह दान न केवल मंदिर की सुविधा में सुधार करेगा, बल्कि यात्रियों को भी आराम करने के लिए एक स्वच्छ और सुरक्षित स्थान प्रदान करेगा


मंदसौर,झालावाड़ ,आगर,नीमच,रतलाम,झाबुआ जिलों के

मन्दिरों,गौशालाओं ,मुक्ति धाम हेतु


साहित्य मनीषी


डॉ.दयाराम जी आलोक




शामगढ़ का


आध्यात्मिक दान-पथ 

साथियों,

शामगढ़ नगर अपने दानशील व्यक्तियों के लिए जाना जाता रहा है| शिव हनुमान मंदिर,मुक्तिधाम ,गायत्री शक्तिपीठ आदि संस्थानों के जीर्णोद्धार और कायाकल्प के लिए यहाँ के नागरिकों ने मुक्तहस्त दान समर्पित किया है|
परमात्मा की असीम अनुकंपा और कुलदेवी माँ नागणेचिया के आशीर्वाद और प्रेरणा से डॉ.दयारामजी आलोक द्वारा आगर,मंदसौर,झालावाड़ ,कोटा ,झाबुआ जिलों के चयनित मंदिरों और मुक्तिधाम में निर्माण/विकास / बैठने हेतु सीमेंट बेंचें/ दान देने का अनुष्ठान प्रारम्भ किया है|
मैं एक सेवानिवृत्त अध्यापक हूँ और अपनी 5 वर्ष की कुल पेंशन राशि दान करने का संकल्प लिया है| इसमे वो राशि भी शामिल रहेगी जो मुझे google कंपनी से नियमित प्राप्त होती रहती है| खुलासा कर दूँ कि मेरी ६  वेबसाईट हैं और google उन पर विज्ञापन प्रकाशित करता है| विज्ञापन से होने वाली आय का 68% मुझे मिलता है| यह दान राशि और सीमेंट बेंचें पुत्र डॉ.अनिल कुमार राठौर "दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़ "के नाम से समर्पित हो रही हैं|

श्री कालेश्वर मंदिर खाई खेडा हेतु 

१५०५१/-  रुपये की 4 सीमेंट बेंचें दान

कालेश्वर मंदिर खईखेड़ा का विडियो 


कालेश्वर मंदिर खाई खेडा  के प्रमुख व्यवस्थापक 

शाम सिंग  जी पडिहार सरपंच  खाईखेडा

चरण सिंग  जी खाई खेडा 

डॉ.अनिल कुमार दामोदर s/o डॉ.दयाराम जी आलोक 99265-24852 ,दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़ 98267-95656  द्वारा  कालेश्वर मंदिर खईखेडा  हेतु दान सम्पन्न  १०/२/२०२४ 

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9.2.24

श्री भेसासरी राड़ी वाली माताजी मंदिर माणकी-गरोठ-मंदसौर/डॉ.दयाराम आलोक शामगढ़ द्वारा 3 बेंच समर्पित

राड़ी वाली माताजी  मंदिर माणकी (गरोठ) MP हेतु 

दामोदर पथरी अस्पताल  शामगढ़  द्वारा 

सीमेंट  बेंचें भेंट 


समीक्षा- 

माणकी गाँव की भेसासरी माताजी का मंदिर एक प्रमुख धार्मिक और आध्यात्मिक स्थल है, जो मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले की गरोठ तहसील में स्थित है। यहाँ की जानकारी निम्नलिखित है:

मंदिर की विशेषताएं:

- महिशासुर मर्दिनी को समर्पित मंदिर
- गोयल वंश की कुल देवी
- हिन्दू धर्मावलंबियों की आस्था का केंद्र

मंदिर की कथा:

- भेसासरी माताजी की उत्पत्ति की कथा पुराणों में वर्णित है
- माताजी ने गाँव माणकी में निवास किया था और लोगों की रक्षा की थी
- माताजी की पूजा से लोगों को सुख और समृद्धि मिलती है


मंदिर का महत्व:

- नव रात्री पर्व के दौरान दर्शनार्थियों की संख्या बढ़ जाती है
- मंदिर के विशाल प्रांगण में हरे भरे वृक्षों से वातावरण को रमणीय बना दिया है

मंदिर की सुविधाएं:

- दर्शनार्थियों के लिए सुविधाजनक प्रवेश और निकास
- पूजा और दर्शन के लिए विशेष व्यवस्था
- स्वच्छता और सुरक्षा के लिए विशेष ध्यान

दान और सहयोग:

- समाज सेवी डॉ. दयाराम आलोक जी ने मंदिर में 3 सिमेन्ट की बेंचें लगवाईं
- मंदिर की समिति और बालाराम जी पाटीदार ने दान के लिए आभार माना

भेसासरी माताजी की महिमा:

- देवी को महिशासुर मर्दिनी कहा जाता है, जो शक्ति और साहस की प्रतीक है
- गोयल वंश की कुल देवी होने के नाते, मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है
बोलिए माणकी वाली भेसासरी महारानी की जय!


मंदिर में दान पट्टी लगने की जगह बताई जा रही है 


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मंदसौर,झालावाड़ ,आगर,नीमच,रतलाम,झाबुआ जिलों के

मन्दिरों,गौशालाओं ,मुक्ति धाम हेतु


साहित्य मनीषी


डॉ.दयाराम जी आलोक




शामगढ़ का

आध्यात्मिक दान-पथ 

साथियों,

शामगढ़ नगर अपने दानशील व्यक्तियों के लिए जाना जाता रहा है| शिव हनुमान मंदिर,मुक्तिधाम ,गायत्री शक्तिपीठ आदि संस्थानों के जीर्णोद्धार और कायाकल्प के लिए यहाँ के नागरिकों ने मुक्तहस्त दान समर्पित किया है|
परमात्मा की असीम अनुकंपा और कुलदेवी माँ नागणेचिया के आशीर्वाद और प्रेरणा से डॉ.दयारामजी आलोक द्वारा आगर,मंदसौर,झालावाड़ ,कोटा ,झाबुआ जिलों के चयनित मंदिरों और मुक्तिधाम में निर्माण/विकास / बैठने हेतु सीमेंट बेंचें/ दान देने का अनुष्ठान प्रारम्भ किया है|
मैं एक सेवानिवृत्त अध्यापक हूँ और अपनी 5 वर्ष की कुल पेंशन राशि दान करने का संकल्प लिया है| इसमे वो राशि भी शामिल रहेगी जो मुझे google कंपनी से नियमित प्राप्त होती रहती है| खुलासा कर दूँ कि मेरी ६  वेबसाईट हैं और google उन पर विज्ञापन प्रकाशित करता है| विज्ञापन से होने वाली आय का 68% मुझे मिलता है| यह दान राशि और सीमेंट बेंचें पुत्र डॉ.अनिल कुमार राठौर "दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़ "के नाम से समर्पित हो रही हैं|



राड़ी वाली  माताजी मंदिर माणकी  के लिए 

 3 सीमेंट बैंचें भेंट 


मानकी की वनस्थली  में विराजित भेसासरी माताजी  

में बेंच लगने का विडियो 




माणकी  मंदिर में बेंचें लगी 


राड़ीवाली माताजी मंदिर माणकी के प्रमुख व्यवस्थापक

बालाराम जी पाटीदार दसोरिया 

मदन सिंग जी सिसोदिया  माणकी 

डॉ.अनिल कुमार दामोदर s/o डॉ.दयाराम जी आलोक 99265-24852 ,दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़ 98267-95656  द्वारा  राड़ीवाली माताजी  धाम माणकी  हेतु  दान सम्पन्न  १०/२/२०२४
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5.2.24

श्री हनुमान मंदिर कुंडालिया चरणदास -गरोठ/ दामोदर हॉस्पिटल शामगढ़ करेंगे 4 सिमेन्ट बेंच दान

 श्री हनुमान मंदिर कुंडालिया चरणदास में 

दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़  द्वारा 

लगेंगी  सीमेंट की बेंचें 

दान पट्टी बनाकर मंदिर के पुजारी  पवन बैरागी को भेजी गई.

 मंदसौर जिले के कुंडालिया चरणदास ग्राम का हनुमान जी का मंदिर गरोठ शहर से भानपुरा की तरफ जाने वाली सड़क पर कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
 इस गाँव मे मिश्रित बस्ती है लेकिन पाटीदारों का प्रभुत्व है। मंदिर बहुत छोटा है और गाँव के लोगों मे इसके विकास और निर्माण की लगन नहीं है। मंदिर की लोकेशन बहुत अच्छी है । 
यहाँ के 2-4 लोगों की आदत है कि खुद भी दान नहीं देते और कोई दूसरों दान दे तो उसका विरोध करने के लिए तैयार बैठे रहते हैं। 
100 से ज्यादा मंदिरों को दान देने वाले समाज सेवी डॉ.दयारामजी  आलोक ,दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़ ने मंदिर के पुजारी पवनजी बैरागी और हनुमान भक्त दीपक जी मेघवाल के अनुरोध पर मंदिर को 4 सिमेन्ट की बेंच दान करने की प्रक्रिया के अंतर्गत मंदिर  का महात्म्य बढ़ाने वाली दान पट्टिका बनवाकर भेज दी  है . मंदिर हितैषी अनुष्ठान मे किसी ने रुकावट नहीं डाली तो सिमेन्ट की 4 बेंचें समर्पित होंगी ।
बोलिए पवन पुत्र हनुमान की जय!

 

मंदसौर,झालावाड़ ,आगर,नीमच,रतलाम,झाबुआ जिलों के

मन्दिरों,गौशालाओं ,मुक्ति धाम हेतु


समाजसेवी 

डॉ.दयाराम जी आलोक




शामगढ़ का

आध्यात्मिक -दान पथ

परमात्मा की असीम अनुकंपा और


कुलदेवी माँ नागणेचिया के आशीर्वाद और प्रेरणा से 
डॉ.दयारामजी आलोक द्वारा आगर,मंदसौर,झालावाड़ ,कोटा ,झाबुआ,नीमच  जिलों के चयनित मंदिरों और मुक्तिधाम में निर्माण/विकास / बैठने हेतु सीमेंट बेंचें/ दान देने का अनुष्ठान प्रारम्भ किया है|100 से ज्यादा संस्थानों को दान सम्पन्न हो चुका है.  
 मैं एक सेवानिवृत्त अध्यापक हूँ और अपनी 5 वर्ष की कुल पेंशन राशि दान करने का संकल्प लिया है| इसमे वो राशि भी शामिल रहेगी जो मुझे google कंपनी से नियमित प्राप्त होती रहती है| खुलासा कर दूँ कि मेरी ६  वेबसाईट हैं और google उन पर विज्ञापन प्रकाशित करता है| विज्ञापन से होने वाली आय का 68% मुझे मिलता है| यह दान राशि और सीमेंट बेंचें पुत्र डॉ.अनिल कुमार राठौर "दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़ "के नाम से समर्पित हो रही हैं|

श्री हनुमान मंदिर कुंडालिया  चरणदास हेतु 

 4 सीमेंट बेंचें दान (संकल्प)

मंदिर शुभचिंतक -

सरपंच:नरेंद्र सिंग जी 99775-92020 

पवन जी बैरागी पुजारी कुंडालिया चरण दास ९९७७८-२९८७९ 

सुरेश जी  शिवाल 99771-19418  

दीपक जी  मेघवाल  कुण्डलिया चरनदास 

नोट- पवन जी बैरागी पुजारी और दीपक जी मेघवाल  के अनुरोध पर दान पट्टी बनवाकर भेज दी गई है .दान पट्टी  निर्धारित स्थान पर लग जाने पर 4 बेंचें भेजी जायेंगी. 

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26.1.24

सनातन धर्म में कितने तरह के होते हैं गोत्र? कैसे ढूंढे अपनी गोत्र




किसी भी सनातनी के शादी-ब्याह, कर्मकांड या पूजा पाठ के समय आप सुनते होंगे कि उनसे उनके गोत्र के बारे में पूछा जाता है. सनातन धर्म में एक गोत्र में शादी पूर्णतः वर्जित है. इसका वैज्ञानिक कारण भी है कि अगर एक ही गोत्र में शादी की जाए तो कई तरह की जेनेटिक परेशानी उनके अगले वंश में आ जाती है. ऐसे में गोत्र का यहां विशेष महत्व है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि गोत्र क्या है और इसे कैसे पता लगाएं कि आपका गोत्र कौन सा है. गोत्र की सही व्याख्या की मानें तो इंद्रिय आघात से रक्षा करनेवाला ही गोत्र है. इस ऋृषि परंपरा से जोड़ा जाता है. मतलब साफ है जो विज्ञान की भाषा में कहा जाता है कि अगर इंद्रिय आघात से रक्षा करना है तो दूसरे गोत्र में शादी-ब्याह जैसे बंधन को स्वीकार करना चाहिए.
ऐसे में ब्राह्मणों के लिए गोत्र का विशेष महत्व इसलिए बताया गया है क्योंकि उनको ऋृषियों की संतान माना गया है. यानी हर ब्राह्मण के गोत्र से पता लग जाएगा कि वह किस ऋृषिकुल से आते हैं. यानी गोत्र सीधे तौर पर आपके पूर्वजों की पहचान को दर्शाता है. पहले चार गोत्र थे अंगिरा, कश्यप, वशिष्ठ और भृगु फिर बाद में इसमें जमदग्नि, अत्रि, विश्वामित्र और अगस्त्य को भी जोड़ा गया. मतलब ये 8 गोत्र मूल रूप से आपको देखने सुनने को मिलेंगे.
अब जिसको अपने गोत्र का पता नहीं होता उसके लिए कश्यप गोत्र का उच्चारण कराया जाता है. इसके पीछे की मान्यता यह है कि कश्यप ऋृषि की एक से अधिक शादियां हुई थीं. जिससे उनके अनेक पुत्र थे. ऐसे में जिनको अपना गोत्र नहीं पता उन्हें कश्यप गोत्री मान लिया जाता है. साथ ही भगवान श्री हरि नारायण विष्णु का भी गोत्र यही बताया गया है. वैसे समयांतराल के साथ मूल रूप से 7 गोत्र ही रह गए हैं जिसे लोग जानते हैं. इनमें अत्री, भारद्वाज, भृगु, गौतम, कश्यप, वशिष्ठ, विश्वामित्र मूल हैं.
वर्तमान में अभी कुल 115 गोत्र प्रचलित हैं. जो आपको यह बताते हैं कि आप इनमें से किस ऋृषि के वंशज हैं. ऐसे में हम आपको 7 शाखाओं सहित कुल 115 गोत्रों के बारे में बताएंगे. जो इस प्रकार हैं. अत्रि गोत्र, भृगुगोत्र, आंगिरस गोत्र, मुद्गल गोत्र,पातंजलि गोत्र, कौशिक गोत्र, मरीच गोत्र, च्यवन गोत्र, पुलह गोत्र, आष्टिषेण गोत्र, उत्पत्ति शाखा, गौतम गोत्र,.वशिष्ठ और संतान (क) पर वशिष्ठ गोत्र, (ख)अपर वशिष्ठ गोत्र, (ग) उत्तर वशिष्ठ गोत्र, (घ) पूर्व वशिष्ठ गोत्र, (ड) दिवा वशिष्ठ गोत्र, वात्स्यायन गोत्र, बुधायन गोत्र,माध्यन्दिनी गोत्र, अज गोत्र, वामदेव गोत्र, शांकृत्य गोत्र, आप्लवान गोत्र,सौकालीन गोत्र, सोपायन गोत्र,गर्ग गोत्र, सोपर्णि गोत्र, शाखा, मैत्रेय गोत्र,पराशर गोत्र,अंगिरा गोत्र,क्रतु गोत्र, अधमर्षण गोत्र, बुधायन गोत्र, आष्टायन कौशिक गोत्र, अग्निवेष भारद्वाज गोत्र, कौण्डिन्य गोत्र, मित्रवरुण गोत्र,कपिल गोत्र, शक्ति गोत्र, पौलस्त्य गोत्र, दक्ष गोत्र, सांख्यायन कौशिक गोत्र, जमदग्नि गोत्र, कृष्णात्रेय गोत्र, भार्गव गोत्र, हारीत गोत्र, धनञ्जय गोत्र,पाराशर गोत्र,आत्रेय गोत्र, पुलस्त्य गोत्र, भारद्वाज गोत्र, कुत्स गोत्र, शांडिल्य गोत्र, भरद्वाज गोत्र, कौत्स गोत्र, कर्दम गोत्र, पाणिनि गोत्र, वत्स गोत्र, विश्वामित्र गोत्र, अगस्त्य गोत्र, कुश गोत्र, जमदग्नि कौशिक गोत्र, कुशिक गोत्र, देवराज गोत्र, धृत कौशिक गोत्र, किंडव गोत्र, कर्ण गोत्र, जातुकर्ण गोत्र, काश्यप गोत्र, गोभिल गोत्र, कश्यप गोत्र, सुनक गोत्र, शाखाएं गोत्र, कल्पिष गोत्र, मनु गोत्र, माण्डब्य गोत्र, अम्बरीष गोत्र, उपलभ्य गोत्र, व्याघ्रपाद गोत्र, जावाल गोत्र, धौम्य गोत्र, यागवल्क्य गोत्र, और्व गोत्र, दृढ़ गोत्र, उद्वाह गोत्र, रोहित गोत्र, सुपर्ण गोत्र, गालिब गोत्र, वशिष्ठ गोत्र,मार्कण्डेय गोत्र, अनावृक गोत्र, आपस्तम्ब गोत्र, उत्पत्ति शाखा गोत्र, यास्क गोत्र, वीतहब्य गोत्र, वासुकि गोत्र, दालभ्य गोत्र, आयास्य गोत्र, लौंगाक्षि गोत्र, चित्र गोत्र, विष्णु गोत्र, शौनक गोत्र, पंचशाखा गोत्र,सावर्णि गोत्र, कात्यायन गोत्र, कंचन गोत्र,अलम्पायन गोत्र,अव्यय गोत्र, विल्च गोत्र, शांकल्य गोत्र,उद्दालक गोत्र, जैमिनी गोत्र, उपमन्यु गोत्र, उतथ्य गोत्र, आसुरि गोत्र, अनूप गोत्र और आश्वलायन गोत्र.
ऐसे में पूरी हिंदू जातियां इसी 115 गोत्रों में विभाजित है या कहें कि इन्हीं 115 ऋृषियों के वह वंशज हैं. इसमें से ब्राह्मणों में शाण्डिल्य को सर्वश्रेष्ठ गोत्र माना जाता है. यह तप, वैदिक ज्ञान को धारण करने वाले तीन ब्राह्मणों के उच्च गोत्र गौतम, गर्ग और शाण्डिल्य में से एक है.

मोक्षधाम की बेहतरी के लिए समाज सेवी डॉ. आलोक के दान के विडिओ की लिंक

https://youtube.com/playlist?list=PLGh9mDt-wWQe6dGW8fOnRlYiirBjNIUQ-&si=rr5O_BKvE1qVW5Jl

मंदिरों को दान भारत देश महान || डॉ .आलोक के दान के विडिओ की प्लेलिस्ट

https://www.youtube.com/playlist?list=PLGh9mDt-wWQfXkzfmYgaxdUae8ViliCu3

देवालयों की बेहतरी के लिए समाज सेवी डॉ .आलोक के दान के विडिओ की लिंक


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