4.12.17

प्रतियोगी परीक्षा मे पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण व्याकरण संबंधी प्रश्न और उत्तर





1. आँख की किरकिरी होने का अर्थ है→अप्रिय लगना।
2. लाल पीला होने का अर्थ है→क्रोध करना।
3. 'नमक का दरोगा' कहानी के लेखक हैं→प्रेमचंद।
4. किस नाटककार ने अपने नाटकों के लिए रंगमंच को अनिवार्य नहीं माना है? →जयशंकर प्रसाद।
5. 'प्रभातफेरी' काव्य के रचनाकार कौन हैं? →नरेन्द्र शर्मा।
6. 'निशा -निमंत्रण' के रचनाकार कौन हैं? → हरिवंश राय बच्चन।
7. बिहारी किस राजा के दरबारी कवि थे? →जयपुर नरेश जयसिंह के।
8. 'अतीत के चलचित्र' के रचयिता हैं→महादेवी वर्मा।
9. तुलसीदास का वह ग्रंथ कौन-सा है, जिसमें ज्योतिष का वर्णन किया गया है? →रामाज्ञा प्रश्नावली।
10. 'रामचरितमानस' में प्रधान रस के रूप में किस रस को मान्यता मिली है? →भक्ति रस।
वाक्यों में त्रुटियां एवं अशुद्धियां।
वाक्यों में त्रुटियाँ :- वाक्य भाषा की बहुत अहम् इकाई होता है । इसलिए आप की भाषा शुद्ध हो इसके लिए आवश्यक है की आपको वाक्य शुद्धि का ज्ञान हो वाक्य रचना में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण,क्रिया,अव्यय से सम्बंधित या अन्य प्रकार की अशुद्धियाँ हो सकती हैं जिनसे सम्बंधित विभिन्न प्रश्न परीक्षाओं में पूछे जाते हैं ।
विभिन्न प्रकार की त्रुटियों के(विभिन्न परीक्षाओं में पूछे गए प्रश्न) उदाहण एवं उनमे सुधार निम्न प्रकार से है -
◆ संज्ञा संबंधी अशुद्धियाँ:-
1. अशुद्ध वाक्य:- हिंदी के प्रचार में आज भी बड़े बड़े संकट हैं।
शुद्ध वाक्य:- हिंदी के प्रचार में आज भी बड़ी बड़ी बाधाएं हैं।
2.अशुद्ध वाक्य:- सीता ने गीत की दो चार लड़ियाँ गायी।
शुद्ध वाक्य:- सीता ने गीत की दो चार कड़ियाँ गायी।
3. अशुद्ध वाक्य:- पतिव्रता नारी को छूने का उत्साह कौन करेगा।
शुद्ध वाक्य:- पतिव्रता नारी को छूने का साहस कौन करेगा।
4. अशुद्ध वाक्य:- मुझे सफल होने की निराशा है।
शुद्ध वाक्य:- मुझे सफल होने की आशा नहीं है।
भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर


◆ लिंग संबंधी अशुद्धियाँ:-
1. अशुद्ध वाक्य:- परीक्षा की प्रणाली बदलना चाहिए।
शुद्ध वाक्य:- परीक्षा की प्रणाली बदलनी चाहिए।
2. अशुद्ध वाक्य:- हिंदी की शिक्षा अनिवार्य कर दिया गया।
शुद्ध वाक्य:- हिंदी की शिक्षा अनिवार्य कर दी गयी।
3. अशुद्ध वाक्य:-रामायण का टीका।
शुद्ध वाक्य:- रामायण की टीका।
4. अशुद्ध वाक्य:- दंगे में बालक,युवा,नर नारी सब पकड़ी गयीं।
शुद्ध वाक्य:- दंगे में बालक,युवा,नर नारी सब पकडे गए।
◆ वचन संबंधी अशुद्धियाँ:-
1. अशुद्ध वाक्य:- सबों ने यह राय दी।
शुद्ध वाक्य:- सब ने यह राय दी।
2. अशुद्ध वाक्य:- मेरे आंसू से रुमाल भीग गया।
शुद्ध वाक्य:- मेरे आंसुओं से रुमाल भीग गया।
3. अशुद्ध वाक्य:- इस विषय पर एक भी अच्छी पुस्तकें नहीं हैं।
शुद्ध वाक्य:- इस विषय पर एक भी अच्छी पुस्तक नहीं हैं।
संधि, संधि के प्रकार एवं उदाहरण। हिन्दी व्याकरण।
दो वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार उत्पन्न होता है उसे संधि कहते हैं।
जैसे- विद्या+आलय= विद्यालय।
सु+उक्ति= सूक्ति।
गण+ईश= गणेश।
■ संधि के भेद -
संधि तीन प्रकार की होती हैं-
1. स्वर संधि
2. व्यंजन संधि और
3. विसर्ग संधि
1. स्वर संधि -
दो स्वरों के मेल से होने वाले विकार (परिवर्तन) को स्वर-संधि कहते हैं ।
जैसे- हिम+आलय= हिमालय ।
● स्वर-संधि पाँच प्रकार की होती हैं-
(I ) दीर्घ संधि
(ii) गुण संधि
(iii) वृद्धि संधि
(iv) यण संधि
(v) अयादि संधि
(i) दीर्घ संधि
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ वर्णों के बीच होने वाली संधि दीर्घ संधि कहलाती है । क्योंकि इनमें से वर्ण कोई भी हो संधि दीर्ध हो जाती है ।
इस वर्णों से बनने वाली संधि के कुछ उदाहरणों से समझा जा
सकता है ।
जैसे-
अ + अ= आ धर्म + अर्थ= धर्मार्थ
अ + आ= आ हिम +आलय= हिमालय
आ + अ= आ विद्या + अर्थी= विद्यार्थी
आ + आ= आ विद्या + आलय= विद्यालय
इ + इ= ई कवि + इच्छा= कवीच्छा
ई + इ= ई नदी + ईश= नदीश
उ + उ= ऊ भानु + उदय= भानूदय
उ + ऊ= ऊ लघु + ऊर्मि= लघूर्मि
ऊ + उ= ऊ वधू + उत्सव= वधूत्सव
ऊ + ऊ= ऊ वधू + ऊर्जा= वधूर्जा
ऋ + ऋ= ऋ मातृ + ऋण= मातृण
(ii) गुण संधि -
जब अ, आ वर्ण के आगे अगर इ, ई वर्ण को जोड़ा जाए तो ए वर्ण बनता है ।
जब अ, आ वर्ण के आगे उ, ऊ वर्ण को जोड़ा जाए तो ओ वर्ण बनता है ।
इसी तरह अ, आ वर्ण के आगे जब ऋ वर्ण जोड़ा जाए तो अर् बनता है । इसे गुण-संधि कहते हैं ।

जैसे-
अ+ इ= ए नर+ इंद्र= नरेंद्र
अ+ ई= ए नर+ ईश= नरेश
आ+ इ= ए महा+ इंद्र= महेंद्र
आ+ ई= ए महा+ ईश= महेश
अ+ ई= ओ ज्ञान+ उपदेश= ज्ञानोपदेश
आ+ उ= ओ महा+ उत्सव= महोत्सव
अ+ ऊ= ओ जल+ ऊर्मि= जलोर्मि
आ+ ऊ= ओ महा+ ऊर्मि= महोर्मि
अ+ ऋ= अर् देव+ ऋषि= देवर्षि
आ+ ऋ= अर् महा+ ऋषि= महर्षि
(iii) वृद्धि संधि -
अ, आ वर्ण का ए, ऐ, औ से मेल होने पर ऐ, औ बनता है । इसे वृद्धि संधि कहते हैं।
जैसे-
अ+ ए= ऐ एक+ एक= एकैक
अ+ ऐ= ऐ मत+ ऐक्य= मतैक्य
आ+ ए= ऐ सदा+ एव= सदैव
आ+ ऐ= ऐ महा+ ऐश्वर्य= महैश्वर्य
अ+ ओ= औ वन+ ओषधि= वनौषधि
आ+ ओ= औ महा+ औषध= महौषधि
अ+ औ= औ परम+ औषध= परमौषध
आ+ औ= औ महा+ औषध= महौषध
(iv) यण संधि -
जब इ, ई, उ,ऊ ,ऋ ,ल के आगे कोई स्वर आता है तो ये क्रमश: य्, व्, र्, ल् में बदल जाता है ।

जैसे-
इ+ अ= य् अति+ अल्प= अत्यल्प
ई+ अ= य् देवी+ अर्पण= देव्यपर्ण
उ+ अ= व् सु+ आगत= स्वागत
ऊ+ आ= व् वधू+ आगमन= वध्वागमन
ऋ+ आ= र् पितृ+ आज्ञा= पित्राज्ञा
लृ+ आ= ल् लृ+ आकृति= लाकृति
(v) अयादि संधि-
जब ए, ऐ, ओ, औ के बाद कोई स्वर आता है तो ए का अय , ऐ का आय और औ का आव् हो जाता है ।
जैसे-
ए+ अ= अय् ने+ अयन= नयन
ऐ+ अ= आय् नै+ अक= नायक
ओ+ अ= अव् पो+ अन= पवन
औ+ अ= आव् पौ+ अक= पावक
2. व्यंजन संधि -
व्यंजन का व्यंजन से अथवा किसी स्वर से मेल होने पर जो परिवर्तन होता है उसे व्यंजन संधि कहते हैं। व्यंजन संधि के कुछ नियम हैं जो इस प्रकार हैं-
(i) अगर क्, च्, ट्, त्, प् के आगे कोई स्वर या किसी वर्ग का तीसरा या चौथा वर्ग अथवा य्, र्, ल्, व् आए तो क्, च्, ट्, प् के
स्थान पर उसी वर्ग का तीसरा अक्षर हो जाता है । क् के स्थान पर ग् , च् के स्थान पर ज् , ट् के स्थान पर ड् , त् के स्थान पर द् और प् के स्थान पर ब् हो जाता है ।
जैसे-
दिक्+ गज= दिग्गज
वाक्+ ईश= वागीश
अच्+ अंत= अजंत
षट्+ आनन= षडानन
अप्+ ज= अब्ज
(ii) यदि किसी वर्ग के पहले वर्ण (क्, च्, ट्, त्, प्) का मेल न् या म् वर्ण से हो तो उसके स्थान पर उसी वर्ग का पाँचवाँ वर्ण
हो जाता है।
जैसे-
वाक्+ मय= वाङमय
अच्+ नाश= अञ्नाश
षट्+ मास= षण्मास
उत्+ नयन= उन्नयन
अप्+ मय= अम्मय
(iii) त् का मेल ग, घ, द, ध, ब, भ, य, र, व या किसी स्वर से हो जाए तो द् हो जाता है।

जैसे-
सत्+ भावना= सद्भावना
जगत्+ ईश= जगदीश
भगवत्+ भक्ति= भगवद्भक्ति
तत्+ रूप= तद्रूप
सत्+ धर्म= सद्धर्म
(iv) यदि किसी स्वर के बाद छ वर्ण आए तो छ से पहले च् वर्ण जुड़ जाता है ।
जैसे-
स्व+ छंद= स्वच्छंद
संधि+ छेद= संधिविच्छेद
अनु+ छेद= अनुच्छेद
परि+ छेद= परिच्छेद
(v) त् के बाद ह व्यंजन आए तो त् का द् तथा ह का ध हो जाता है ।

जैसे-
उत्+ हार= उद्धार
उत्+ हरण= उद्धरण
पद्+ हित= पद्धित
(VI) अगर त् के बाद श आए तो त् का च् तथा श का छ हो जाता है ।
जैसे-
उत्+ श्वास= उच्छवास
तत्+ शिव= तच्छिव
सत्+ शास्त्र= सच्छास्त्र
उत्त्+ शिष्ट= उच्छिष्ट
(vii) त् व्यंजन के बाद च/छ हों तो च्
ज/झ हो तो ज्
ट/ठ हो तो ट्
ड/ढ होने पर ड्
और ल् होने पर ल् हो जाता है ।
जैसे-
उत्+ लास= उल्लास
उत्+ चारण= उच्चारण
सत्+ चरित्र= सच्चरित्र
उत्+ ज्वल= उज्जवल
उत्+ लेख= उल्लेख
शरत्+ चंद्र= शरच्चंद्र
(viii) म के बाद जिस वर्ग का व्यंजन आता है, अनुस्वार उसी के वर्ग का बन जाता है ।
जैसे-
अहम्+ कार= अहंकार
सम्+ भव= संभव
किम्+ तु= किंतु
सम्+ बंध= संबंध
किम्+ चित= किंचिंत
(ix) अगर म् के बाद म आए तो म का द्वित्व हो जाता है ।

जैसे-
सम्+ मति= सम्मति
सम्+ मान= सम्मान

(X) म् के बाद य्, र्, ल्, व्, श्, ष्, स्, ह् में से कोई व्यंजन होने पर म् का अनुस्वार हो जाता है।
जैसे-
सम्+ योग= संयोग
सम्+ रक्षण= संरक्षण
सम्+ विधान= संविधान
सम्+ वाद= संवाद
सम्+ शय= संशय
सम्+ लग्न= संलग्न
सम्+ सार= संसार
(xi) ऋ,र्, ष् के बाद न् व्यंजन आता है तो उसका ण् हो जाता है।
भले ही बीच में क-वर्ग, प-वर्ग, अनुस्वार, य, र, ह आदि में से कोई भी वर्ण क्यों न आ जाए ।

जैसे-
परि+ नाम= परिणाम
प्र+ मान= प्रमाण
ऋ+ न= ऋण
विष्+ नु= विष्णु
पूर्+ न= पूर्ण
(xii) स व्यंजन से पहले अ, आ से भिन्न कोई स्वर आ जाता है तो स का परिवर्तन ष में हो जाता है ।
जैसे-
अभि+ सेक= अभिषेक
नि+ सिद्ध= निषिद्ध
वि+ सम= विषम
3. विसर्ग-संधि -
विसर्ग (:) के बाद स्वर या व्यंजन आने पर विसर्ग में जो विकार होता है उसे विसर्ग-संधि कहते हैं।
जैसे-
मनः+ अनुकूल= मनोनुकूल
(i) अगर विसर्ग के पहले अ स्वर और आगे अ अथवा कोई सघोष व्यंजन (किसी वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवाँ वर्ण) अथवा य, र, ल, व,ह में से कोई वर्ण हो तो अ और विसर्ग(:) के बदले ओ हो जाता है ।जैसे-
मनः + बल= मनोबल
मनः+ अनुकूल= मनोनुकूल
अधः+ गति= अधोगति

(ii) विसर्ग से पहले अ, आ से भिन्न स्वर आए और विसर्ग के बाद किसी स्वर, किसी वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवाँ वर्ण या य, र, ल,
व, ह में से कोई वर्ण हो तो विसर्ग का र में परिवर्तन हो जाता है ।
जैसे-
दु:+ उपयोग= दुरुपयोग
नि:+ आहार= निराहार
निः+ आशा= निराशा
निः+ धन= निर्धन
(iii) विसर्ग से पहले कोई स्वर हो और बाद में च, छ या श हो तो विसर्ग का श हो जाता है ।
जैसे-
निः+ चल= निश्चल
निः+ छल= निश्छल
दुः+ शासन= दुश्शासन
(iv) विसर्ग के बाद यदि त या स हो तो विसर्ग स् बन जाता है ।
जैसे-
नमः+ ते= नमस्ते
निः+ संतान= निस्संतान
दुः+ साहस= दुस्साहस
(v) विसर्ग से पहले इ, उ और बाद में क, ख, ट, ठ, प, फ में से कोई वर्ण हो तो विसर्ग का ष हो जाता है। जैसे-
निः+ फल= निष्फल
निः+ कलंक= निष्कलंक
चतुः+ पाद= चतुष्पाद
(vi) विसर्ग से पहले अ, आ हो और बाद में कोई भिन्न स्वर हो तो विसर्ग का लोप हो जाता है ।
जैसे-
निः+ रस= नीरस
निः+ रोग= निरोग
(vii) विसर्ग के बाद क, ख अथवा प, फ होने पर विसर्ग में कोई परिवर्तन नहीं होता।
जैसे-
अंतः+ करण= अंतःकरण।
हिन्दी महत्वपूर्ण परीक्षाउपयोगी प्रश्नावली
1. 'पंचवटी' कौन-सा समास है? →द्विगु।
2. 'निरुत्तर' शब्द का शुद्ध सन्धि विच्छेद है? →निः + उत्तर।
3. 'रामचरितमानस' में कितने काण्ड हैं? →(7)
4. 'नवनीत' शब्द का सही अर्थ है-→मक्खन।
5. 'प्राचीन' का विलोम है-→अर्वाचीन।
6. 'मनुष्यता' का विपरीतार्थक है-→बर्बरता।
7. किस काल को स्वर्णकाल कहा जाता है? →भक्ति काल।
8. सूरदास के गुरु कौन थे? →बल्लभाचार्य।
9. 'जिसका जन्म न हो' एक शब्द बताएँ? →अजन्मा।
10. "कनक-कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय" में कौन-सा अलंकार है? →यमक।
हिन्दी व्याकरण वस्तुनिष्ठ प्रश्नावली
[B] व्यक्तित्व
[C] बड़प्पन
[D] सौंदर्य
Q.3: कौन सा वाक्य पूर्ण ‘‘भूतकाल‘‘ का है ?
[A] वह काम कर रही थी
[B] वह काम कर चुकी थी √
[C] वह काम करती थी
[D] वह काम कर चुकी
Q.4: वाक्य में ‘‘द्विकर्मक क्रिया‘‘ कौन सा है ?
[A] वह राम को पुस्तक देता है √
[B] वह राम को सुलाता है
[C] मैं अभी घर नहीं जाऊँगी
[D] आज तो खाना खाना ही पड़ेगा
Q.5: वाक्य में ‘‘क्रिया अकर्मक‘‘ कौन सा है ?
[A] राम खाता है
[B] राम गाता है
[C] राम जाता है √
[D] राम लिखता है
Q.6: निम्न में से ‘‘स्वर संधि‘‘ का उदाहरण कौन सा है ?
[A] जगदीश
[B] अन्वय √
[C] उच्छवास
[D] तल्लीन
Q.7: ‘‘शरत् + इंदु‘‘ में संधि करने पर ............... शब्द बनेगा।
[A] शरदेंदु
[B] शरदींदु
[C] शरदिंदु √
[D] शरदैंदु
Q.8: कौन सा शब्द ‘‘अव्ययीभाव समास‘‘ का उदाहरण है ?
[A] चिडिमार
[B] मुँहमाँगा
[C] मनमाना √
[D] राजदरबार
Q.9: वह हमेशा ‘‘नहाया-धोया‘‘ रहता है। रेखांकित पद में .................... समास है?
[A] अव्ययीभाव समास
[B] द्वन्द समास √
[C] तत्पुरूष समास
[D] द्रगु समास
Q.10: कौन से वाक्य में ‘‘कुछ शब्द‘‘ सर्वनाम है ?
[A] कुछ खड़े हैं, कुछ बैठे है
[B] उनमें कुछ बेवकूफ भी हैं √
[C] कुछ तो बोलो
[D] कुछ लड़कियाँ उधर भी गई है
[B] व्यक्तित्व
[C] बड़प्पन
[D] सौंदर्य
Q.3: कौन सा वाक्य पूर्ण ‘‘भूतकाल‘‘ का है ?
[A] वह काम कर रही थी
[B] वह काम कर चुकी थी √
[C] वह काम करती थी
[D] वह काम कर चुकी
Q.4: वाक्य में ‘‘द्विकर्मक क्रिया‘‘ कौन सा है ?
[A] वह राम को पुस्तक देता है √
[B] वह राम को सुलाता है
[C] मैं अभी घर नहीं जाऊँगी
[D] आज तो खाना खाना ही पड़ेगा

Q.5: वाक्य में ‘‘क्रिया अकर्मक‘‘ कौन सा है ?
[A] राम खाता है
[B] राम गाता है
[C] राम जाता है √
[D] राम लिखता है
Q.6: निम्न में से ‘‘स्वर संधि‘‘ का उदाहरण कौन सा है ?
[A] जगदीश
[B] अन्वय √
[C] उच्छवास
[D] तल्लीन
Q.7: ‘‘शरत् + इंदु‘‘ में संधि करने पर ............... शब्द बनेगा।
[A] शरदेंदु
[B] शरदींदु
[C] शरदिंदु √
[D] शरदैंदु
Q.8: कौन सा शब्द ‘‘अव्ययीभाव समास‘‘ का उदाहरण है ?
[A] चिडिमार
[B] मुँहमाँगा
[C] मनमाना √
[D] राजदरबार
Q.9: वह हमेशा ‘‘नहाया-धोया‘‘ रहता है। रेखांकित पद में .................... समास है?
[A] अव्ययीभाव समास
[B] द्वन्द समास √
[C] तत्पुरूष समास
[D] द्रगु समास
Q.10: कौन से वाक्य में ‘‘कुछ शब्द‘‘ सर्वनाम है ?
[A] कुछ खड़े हैं, कुछ बैठे है
[B] उनमें कुछ बेवकूफ भी हैं √
[C] कुछ तो बोलो
[D] कुछ लड़कियाँ उधर भी गई है

■ शब्द भेद -
● रूढ़ शब्द, यौगिक शब्द, योग रूढ़ शब्द।
० व्युत्पति/रचना/बनावट के आधार पर शब्द के भेद –
1. रूढ़ शब्द:- वे शब्द जिनके टुकडें करने पर इनका सार्थक अर्थ न निकले अर्थात् इनका स्वतंत्र अर्थ न
हो ।
उदाहरण:- देश – दे $ श देश के टुकड़े करने पर इसका सार्थक अर्थ नहीं निकलता है।

जैसे - पेड़ घर, दुध, रोटी, दीपक, पतार, आकाश।
अयादि संधि के शब्द हमेशा रूढ़ शब्द होगें।
2. यौगिक शब्द:- वे शब्द जो दो या दो से अधिक शब्दो के मेल से बने होते है, अर्थात इन्हें पृथक करने पर इनका सार्थक अर्थ भी होता है।
उदाहरण :- संधि, समास, उपसर्ग, प्रत्यय, से बने सभी शब्द यौगिक शब्द है।
जैसे:- विद्यालय, राजमाता, राष्ट्रपति, रसोईघर।
3. योग रूढ़ शब्द:- जिन शब्दों के एक या एक से अधिक अर्थ हो लेकिन रूढ़ि के आधार पर जिनका एक
ही अर्थ निश्चित कर लिया जाता है, उन्हें योग रूढ़ शब्द कहते है।
जैसेः- पीताम्बर – पीत $ अम्बर (विष्णु
के अर्थ में), जलज, दशानन, आशुतोष, वीणा पाणि।
योग रूढ़ शब्द के उदाहरण बहुव्रीहि समास में आते है।
■ शब्द भेद -
● रूढ़ शब्द, यौगिक शब्द, योग रूढ़ शब्द।

० व्युत्पति/रचना/बनावट के आधार पर शब्द के भेद –

1. रूढ़ शब्द:- वे शब्द जिनके टुकडें करने पर इनका सार्थक अर्थ न निकले अर्थात् इनका स्वतंत्र अर्थ न
हो ।
उदाहरण:- देश – दे $ श देश के टुकड़े करने पर इसका सार्थक अर्थ नहीं निकलता है।
जैसे - पेड़ घर, दुध, रोटी, दीपक, पतार, आकाश।
अयादि संधि के शब्द हमेशा रूढ़ शब्द होगें।
2. यौगिक शब्द:- वे शब्द जो दो या दो से अधिक शब्दो के मेल से बने होते है, अर्थात इन्हें पृथक करने पर इनका सार्थक अर्थ भी होता है।
उदाहरण :- संधि, समास, उपसर्ग, प्रत्यय, से बने सभी शब्द यौगिक शब्द है।
जैसे:- विद्यालय, राजमाता, राष्ट्रपति, रसोईघर।
3. योग रूढ़ शब्द:- जिन शब्दों के एक या एक से अधिक अर्थ हो लेकिन रूढ़ि के आधार पर जिनका एक
ही अर्थ निश्चित कर लिया जाता है, उन्हें योग रूढ़ शब्द कहते है।
जैसेः- पीताम्बर – पीत $ अम्बर (विष्णु
के अर्थ में), जलज, दशानन, आशुतोष, वीणा पाणि।
योग रूढ़ शब्द के उदाहरण बहुव्रीहि समास में आते है।
अनेक शब्दों के एक शब्द भाग
1. जिसका इलाज न हो सके - असाध्य।

2. जिसका विश्वास न किया जा सके - अविश्वसनीय।

3. जिस पर अभियोग लगाया गया हो - अभियुक्त।

4. जिसमे शक्ति न हो - अशक्त।

5. जो पहले न पढ़ा हो - अपठित।

6. जिसकी कोई उपमा न हो - अनुपम।

7. कम जानने वाला - अल्पज्ञ।

8. जो कुछ न करता हो - अकर्मण्य।

9. जो दिखाई न दे - अदृश्य।

10. जिसका मूल्य न आँका जा सके - अमूल्य।

11. जो नष्ट न होने वाला हो - अविनाशी।

12. जो आँखों के सामने न हो - अप्रत्यक्ष।

13. जिसका पार न पाया जाए - अपार।

14. जो परिचित न हो - अपरिचित।

15. जहाँ जाना संभव न हो - अगम।

16. चार मुखों वाला - चतुरानन।

17. दूसरों के दोष को खोजने वाला - छिद्रान्वेसी।

18. छात्रों के रहने का स्थान - छात्रवास।

19. जनता द्वारा चलाया जाने वाला राज - जनतंत्र।

20. जल में रहने वाला - जलचर।
1.जो दिखाई न दे - अदृश्य।

2.जिसका जन्म न हो - अजन्मा।

3.जिसका कोई शत्रु न हो - अजातशत्रु।

4.जो बूढ़ा न हो - अजर।

5.जो कभी न मरे - अमर।

6.जो पढ़ा -लिखा न हो - अपढ़ ,अनपढ़।

7.जिसके कोई संतान न हो - नि:संतान।

8.जो उदार न हो - अनुदार।

9. जिसमे धैर्य न हो - अधीर।

10.जिसमे सहन शक्ति हो - सहिष्णु।

11.जिसके समान दूसरा न हो - अनुपम।

12.जिस पर विश्वास न किया जा सके - अविश्वनीय।

13.जिसकी थाह न हो - अथाह।

14.दूर की सोचने वाला - दूरदर्शी।

15.जो दूसरों पर अत्याचार करें - अत्याचारी।

16.जिसके पास कुछ भी न हो - अकिंचन।

17.दुसरे देश से अपने देश में समान आना - आयात।

18.अपने देश से दुसरे देश में समान जाना - निर्यात।

19.जो कभी नष्ट न हो - अनश्वर।

20.जिसे कोई जीत न सके - अजेय।
1. जो जन्म से अँधा हो - जन्मांध।

2. जीने की इच्छा - जिजीविषा।

3. वह पहाड़ जिससे आग निकलती हो - ज्वालामुखी।

4. जो किसी का पक्ष न ले - तटस्थ।

5. जिसकी तीन भुजाएँ हो - त्रिभुज।

6. तीनों लोकों का स्वामी - त्रिलोकी।

7. जो पुत्र गोद लिया हो - दत्तक।

8. बुरे आचरण वाला - दुराचारी।

9. जो दो भाषाएँ जानता हो - दुभाषिया।

10. जिसकी आयु बड़ी लम्बी हो - दीर्घायु।

11. प्रतिदिन होने वाला - प्रतिदिन।

12. बुरे चरित्र वाला - दुश्चरित्र।

13. जिसमे दया हो - दयालु।

14. जो कठिनाई से प्राप्त हो - दुर्लभ।

15. जहाँ पहुँचना कठिन हो - दुर्गम।

16. दर्द से भरा हुआ - दर्दनाक।

17. जो धर्म का काम करे - धर्मात्मा।

18. जिसका कोई अर्थ न हो - निरर्थक।

19. जिसके मन में कोई कपट न हो - निष्कपट।

20. जो अभी - अभी पैदा हुआ हो - नवजात।


पाटीदार जाति की जानकारी

साहित्यमनीषी डॉ.दयाराम आलोक से इंटरव्यू

गायत्री शक्तिपीठ शामगढ़ मे बालकों को पुरुष्कार वितरण

कुलदेवी का महत्व और जानकारी

ढोली(दमामी,नगारची ,बारेठ)) जाती का इतिहास

रजक (धोबी) जाती का इतिहास

जाट जाति की जानकारी और इतिहास

किडनी फेल (गुर्दे खराब ) की रामबाण औषधि

किडनी फेल रोगी का डाईट चार्ट और इलाज

प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ने से पेशाब रुकावट की कारगर हर्बल औषधि

सिर्फ आपरेशन नहीं ,किडनी की पथरी की १००% सफल हर्बल औषधि

सायटिका रोग की रामबाण हर्बल औषधि

बांछड़ा जाती की जानकारी

नट जाति की जानकारी

बेड़िया जाति की जानकारी

सांसी जाती का इतिहास

हिन्दू मंदिरों और मुक्ति धाम को सीमेंट बैंच दान का सिलसिला

जांगड़ा पोरवाल समाज की गोत्र और भेरुजी के स्थल

रैबारी समाज का इतिहास ,गोत्र एवं कुलदेवियां

कायस्थ समाज की कुलदेवियाँ

सुनार,स्वर्णकार समाज की गोत्र और कुलदेवी

जैन समाज की कुलदेवियों की जानकारी


चारण जाति की जानकारी और इतिहास

डॉ.दयाराम आलोक का जीवन परिचय

मीणा जाति समाज की जानकारी और गौत्रानुसार कुलदेवी

अलंकार परिचय

हिन्दी व्याकरण , विलोम शब्द (विपरीतार्थक शब्द)

रस के प्रकार और उदाहरण

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