जाटव / चमार जाति की उत्पत्ति एवं इतिहास
चमार (संस्कृत : चर्मकार) पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैला हुआ एक दलित समुदाय है। ये मुख्यतः भारत के उत्तरी राज्यों तथा पाकिस्तान और नेपाल के निवासी हैं। आधुनिक भारत की सकारात्मक भेदभाव प्रणाली के तहत उन्हें अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है। किन्तु 'चमार' शब्द को एक अपशब्द के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।
जाटव जाति को इतिहास में 'चमार और चर्मकार' नाम से जाना जाता था, इस जाति का इतिहास प्राचीन भारत के समय से अस्तित्व में रहा है। चमार जाति की उत्पत्ति के विषय में इतिहासकारों के अलग अलग मत है, लेकिन डॉ । दयाराम आलोक के अनुसार बीसवीं सदी से पहले चमार चंद्रवंशी राजपूत थे और इन्हें क्षत्रिय समुदाय में गिना जाता था, लेकिन उस समय के आंतरिक द्वन्द्व के चलते इन्हें क्षत्रिय समुदाय से अलग कर दिया गया और चमार जाति को शुद्र जाति में गिना जाने लगा। लेकिन इस कहानी का उल्लेख किसी भी ऐतिहासिक पुस्तक एवं ग्रंथ में देखने को नहीं मिलता है, इसीलिए इस कहानी को पूर्ण सत्य नहीं माना जा सकता।
जाटव जाति को इतिहास में 'चमार और चर्मकार' नाम से जाना जाता था, इस जाति का इतिहास प्राचीन भारत के समय से अस्तित्व में रहा है। चमार जाति की उत्पत्ति के विषय में इतिहासकारों के अलग अलग मत है, लेकिन डॉ । दयाराम आलोक के अनुसार बीसवीं सदी से पहले चमार चंद्रवंशी राजपूत थे और इन्हें क्षत्रिय समुदाय में गिना जाता था, लेकिन उस समय के आंतरिक द्वन्द्व के चलते इन्हें क्षत्रिय समुदाय से अलग कर दिया गया और चमार जाति को शुद्र जाति में गिना जाने लगा। लेकिन इस कहानी का उल्लेख किसी भी ऐतिहासिक पुस्तक एवं ग्रंथ में देखने को नहीं मिलता है, इसीलिए इस कहानी को पूर्ण सत्य नहीं माना जा सकता।
वर्तमान समय में इनकी मुख्य जनसंख्या 'उत्तर प्रदेश, कानपुर, मेरठ, इलाहाबाद, वाराणसी आदि शहरों में अधिक है। 2001 की जनगणना के अनुसार चमार जाति की संख्या उत्तर प्रदेश में 16% पंजाब में 14% और हरियाणा में 12% है। वर्तमान समय में इस जाति के लोग अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आते हैं। चमार जाति के लोग प्राचीन समय से शूद्र समुदाय की श्रेणी में शामिल किये जाते रहे हैं। प्राचीन राजा महाराजाओं के समय से इस जाति के लोगों का मानसिक और शारीरिक रूप से शोषण होता रहा है।
चमार जाति के लोगों का परंपरागत व्यवसाय चमड़े की वस्तुओं का निर्माण कार्य है, लेकिन चमड़े के व्यवसाय के चलते इस जाति के लोगों को छुआछूत की श्रेणी में रखा गया।
जाति इतिहासकार डॉ.दयाराम आलोक के अनुसार ऐसा माना जाता है कि चमार जाति के लोग भारत में अंग्रेजों की हुकूमत से पहले काफी धनवान हुआ करते थे, लेकिन अंग्रेजी हुकूमत के रहते हुए दबंग और सत्ताधारी लोगों ने उनका शोषण किया और इन्हें शूद्र जाति की तरह इस्तेमाल किया।
अंग्रेजों से देश को आजादी मिलने के बाद सभी अनुसूचित जनजातियों एवं दलितों के साथ छुआछूत रोकने के लिए डॉ भीमराव अंबेडकर ने संवैधानिक रूप से कई सख्त कानून व्यवस्था का निर्माण किया। डॉ भीमराव अंबेडकर ने चमार जाति की आर्थिक और मानसिक मनोदशा को सुधारने के लिए संविधान में आरक्षण व्यवस्था का निर्माण किया। अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए आरक्षण व्यवस्था के बाद चमार जाति में तेजी से आर्थिक सुधार देखने को मिला, इस आर्थिक सुधार का पूरा श्रेय डॉ भीमराव अंबेडकर को जाता है।
चमार (जाटव) जाति की वर्तमान स्थिति-
अंग्रेजों से देश को आजादी मिलने के बाद सभी अनुसूचित जनजातियों एवं दलितों के साथ छुआछूत रोकने के लिए डॉ भीमराव अंबेडकर ने संवैधानिक रूप से कई सख्त कानून व्यवस्था का निर्माण किया। डॉ भीमराव अंबेडकर ने चमार जाति की आर्थिक और मानसिक मनोदशा को सुधारने के लिए संविधान में आरक्षण व्यवस्था का निर्माण किया। अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए आरक्षण व्यवस्था के बाद चमार जाति में तेजी से आर्थिक सुधार देखने को मिला, इस आर्थिक सुधार का पूरा श्रेय डॉ भीमराव अंबेडकर को जाता है।
चमार (जाटव) जाति की वर्तमान स्थिति-
भारत के सभी राज्यों में चमार जाति की 150 से भी ज्यादा उपजातियां पाई जाती हैं जिनमें 'कुरीन, संखवाद, दोहरे, ततवा, मोची' आदि शामिल हैं। वर्तमान समय में चमार जाति के लोगों की स्थिति पहले से कई गुना बेहतर है, अब इस जाति के लोग चमड़े के व्यापार के अलावा 'राजनीति, विज्ञान, सिनेमा जगत, व्यापार और खेती आदि सभी क्षेत्रों में प्रगति के पथ पर अग्रसर हैं।
इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं, कि वर्तमान समय में ब्राह्मण जाति के बाद अखिल भारतीय सेवाओं में सबसे अधिक चमार जाति के लोग शामिल हैं। मध्यकाल में यह जाति छुआछूत और अपवित्र जातियों में शुमार की जाती थी, लेकिन अब यह स्थिति पूर्ण रूप से बदल गई है। चमार जाति के लोग मुख्यतः हिंदू गांव क्षेत्रों में रहते हैं। इस जाति को भारतीय संविधान के अनुसार अनुसूचित जनजाति में शुमार किया जाता है।
रीत रिवाज और रहन-सहन
राज्य जनसंख्या
पश्चिम बंगाल - 999,756
बिहार - 4,090,070
दिल्ली - 893,384
चंडीगढ़ - 1,659,303
गुजरात - 1,041,886
हरियाणा - 2,079,132
हिमाचल प्रदेश - 414,669
जम्मू कश्मीर - 488,257
झारखंड - 837,333
मध्यप्रदेश - 4,498,165
महाराष्ट्र - 1,234,874
पंजाब - 2,800,000
राजस्थान - 5,457,047
उत्तर प्रदेश - 19,803,106
उत्तराखंड - 444,535
जाटव समाज के महत्वपूर्ण व्यक्ति
कांशी राम (1934–2006),बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक और कुमारी बहन मायावती के संरक्षक। जगजीवन राम (1908–1986), भारत के पहले श्रम मंत्री, पूर्व रक्षा मंत्री, पूर्व उप प्रधान मंत्री और मीरा कुमार के पिता।
मायावती, बहुजन समाज पार्टी प्रमुख , उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री।
चमकीला, पंजाबी गायक।
मोहिंदर सिंह कायपी जलंधर के सांसद
मीरा कुमार,भूतपूर्व लोकसभा-अध्यक्ष
जाटव जाती के गौत्र-
नोनिवाल
पचवारिया
परारिया
पुंवारिया
पंवार
पाटिदया
पड़ियार
रमण्डवार
रेसवाल
राताजिया
राईकवार
रांगोठा
राजोदिया
रानीवाल
राठौर
शक्करवार, शक्करवाल
साम्भरिया
सिसोदिया
भियाणिया
भकण्ड
बिल्लोरिया
बेतवाल
भरकणिया
बराकला
बाजर
बामणिया
बागड़ी
बरगण्डा
बंजारा
बरतुनिया
बड़गोतिया
चरावंडिया
चन्दवाड़ा, चन्दवाड़े
डरबोलिया, डबरोलिया
डोरिया
डबकवाल
आकोदिया
आलोरिया
अटावदिया
बुआ
बड़ोदिया
बेतेड़ा
बेंडवाल
दिवाणिया
दसलाखिया
दिहाजो
धादु
धामणिया
धरावणिया
गांगीया, गंगवाल
गमडालू, गमलाडू
गोठवाल
गोगड़िया
गढ़वाल
गोहरा
हनोतिया
जुनवाल
जौनवाल
जिनिवाल
जाजोरिया
जारवाल, जारेवाल, जालोनिया
जाटवा
झांटल
झांवर
जोकचन्द
कांकरवाल
खोलवार, खोरवार
कुंवार, कुंवाल
कुन्हारा, कुन्हारे
खापरिया
कोयला
खोदा
करेला
काटिया
कावा
केरर
लोदवार, लोदवाल
लोड़ेतिया, ललावत
माली, मालवीय
मरमट
मिमरोट
मेहर, मेहरा, मेर
मडावरिया
नगवाड़ा, नागौर, नगवाड़े
सरगंडा
टटवाड़ीया, वाड़ीया, टाटावत, टाटु, टिकेकर
तलावदिया, तलावलिया, तलैय्या
तिहाणिया
टुकड़ीया
तीहरा
उजवाल, उज्जवाल, उणजवाल
वाणवार, बानवाल, बासणवार
याधव
इस बात का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं, कि वर्तमान समय में ब्राह्मण जाति के बाद अखिल भारतीय सेवाओं में सबसे अधिक चमार जाति के लोग शामिल हैं। मध्यकाल में यह जाति छुआछूत और अपवित्र जातियों में शुमार की जाती थी, लेकिन अब यह स्थिति पूर्ण रूप से बदल गई है। चमार जाति के लोग मुख्यतः हिंदू गांव क्षेत्रों में रहते हैं। इस जाति को भारतीय संविधान के अनुसार अनुसूचित जनजाति में शुमार किया जाता है।
रीत रिवाज और रहन-सहन
चमार जाति के रहन-सहन और रीति-रिवाज की बात करें तो मध्यकाल में चमार जाति के लोगों में शिक्षा की कमी के कारण रहन-सहन में काफी दोष थे, लेकिन वर्तमान समय में इस जाति के लोगों में काफी सुधार देखने को मिल रहा है। अब इस जाति के लोग बड़े स्तर पर सामाजिक हो चले हैं, चमार जाति का एक बड़ा हिस्सा गौतम बुध और संत रविदास के उपदेशों का पालन करता है। इस जाति के लोगों का मुख्य आदर्श डॉ भीमराव अंबेडकर हैं।
जाटव (चमार) जाति की जनसंख्या 2001 की जनगणना के अनुसार चमारों की जनसंख्या नीचे दिए गए तालिका के अनुसार निम्नलिखित है :
जाटव (चमार) जाति की जनसंख्या 2001 की जनगणना के अनुसार चमारों की जनसंख्या नीचे दिए गए तालिका के अनुसार निम्नलिखित है :
राज्य जनसंख्या
पश्चिम बंगाल - 999,756
बिहार - 4,090,070
दिल्ली - 893,384
चंडीगढ़ - 1,659,303
गुजरात - 1,041,886
हरियाणा - 2,079,132
हिमाचल प्रदेश - 414,669
जम्मू कश्मीर - 488,257
झारखंड - 837,333
मध्यप्रदेश - 4,498,165
महाराष्ट्र - 1,234,874
पंजाब - 2,800,000
राजस्थान - 5,457,047
उत्तर प्रदेश - 19,803,106
उत्तराखंड - 444,535
जाटव समाज के महत्वपूर्ण व्यक्ति
कांशी राम (1934–2006),बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक और कुमारी बहन मायावती के संरक्षक। जगजीवन राम (1908–1986), भारत के पहले श्रम मंत्री, पूर्व रक्षा मंत्री, पूर्व उप प्रधान मंत्री और मीरा कुमार के पिता।
मायावती, बहुजन समाज पार्टी प्रमुख , उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री।
चमकीला, पंजाबी गायक।
मोहिंदर सिंह कायपी जलंधर के सांसद
मीरा कुमार,भूतपूर्व लोकसभा-अध्यक्ष
जाटव जाती के गौत्र-
नोनिवाल
पचवारिया
परारिया
पुंवारिया
पंवार
पाटिदया
पड़ियार
रमण्डवार
रेसवाल
राताजिया
राईकवार
रांगोठा
राजोदिया
रानीवाल
राठौर
शक्करवार, शक्करवाल
साम्भरिया
सिसोदिया
भियाणिया
भकण्ड
बिल्लोरिया
बेतवाल
भरकणिया
बराकला
बाजर
बामणिया
बागड़ी
बरगण्डा
बंजारा
बरतुनिया
बड़गोतिया
चरावंडिया
चन्दवाड़ा, चन्दवाड़े
डरबोलिया, डबरोलिया
डोरिया
डबकवाल
आकोदिया
आलोरिया
अटावदिया
बुआ
बड़ोदिया
बेतेड़ा
बेंडवाल
दिवाणिया
दसलाखिया
दिहाजो
धादु
धामणिया
धरावणिया
गांगीया, गंगवाल
गमडालू, गमलाडू
गोठवाल
गोगड़िया
गढ़वाल
गोहरा
हनोतिया
जुनवाल
जौनवाल
जिनिवाल
जाजोरिया
जारवाल, जारेवाल, जालोनिया
जाटवा
झांटल
झांवर
जोकचन्द
कांकरवाल
खोलवार, खोरवार
कुंवार, कुंवाल
कुन्हारा, कुन्हारे
खापरिया
कोयला
खोदा
करेला
काटिया
कावा
केरर
लोदवार, लोदवाल
लोड़ेतिया, ललावत
माली, मालवीय
मरमट
मिमरोट
मेहर, मेहरा, मेर
मडावरिया
नगवाड़ा, नागौर, नगवाड़े
सरगंडा
टटवाड़ीया, वाड़ीया, टाटावत, टाटु, टिकेकर
तलावदिया, तलावलिया, तलैय्या
तिहाणिया
टुकड़ीया
तीहरा
उजवाल, उज्जवाल, उणजवाल
वाणवार, बानवाल, बासणवार
याधव
Disclaimer: इस content में दी गई जानकारी Internet sources, Digital News papers, Books और विभिन्न धर्म ग्रंथो के आधार पर ली गई है. Content को अपने बुद्धी विवेक से समझे