1.6.17

शास्त्रों के अनुसार ये हैं एक गुणवती पत्नी के लक्षण





हिन्दू धर्म में पत्नी को पति की वामांगी कहा गया है, यानी कि पति के शरीर का बांया हिस्सा। इसके अलावा पत्नी को पति की अर्द्धांगिनी भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है पत्नी, पति के शरीर का आधा अंग होती है। दोनों शब्दों का सार एक ही है, जिसके अनुसार पत्नी के बिना एक पति अधूरा है।

धार्मिक पहलू
पत्नी ही उसके जीवन को पूरा करती है, उसे खुशहाली प्रदान करती है, उसके परिवार का ख्याल रखती है और उसे वह सभी सुख प्रदान करती है जिसके वह योग्य है। पति-पत्नी का रिश्ता दुनिया भर में बेहद महत्वपूर्ण बताया गया है। चाहे सोसाइटी कैसी भी हो, लोग कितने ही मॉर्डर्न क्यों ना हो जाएं, लेकिन पति-पत्नी के रिश्ते का रूप वही रहता है, प्यार और आपसी समझ से बना हुआ।
क्या कहा था भीष्म पितामह ने?
हिन्दू धर्म के प्रसिद्ध ग्रंथ महाभारत में भी पति-पत्नी के महत्वपूर्ण रिश्ते के बारे में काफी कुछ कहा गया है। भीष्म पितामह ने कहा था कि पत्नी को सदैव प्रसन्न रखना चाहिए क्योंकि उसी से वंश की वृद्धि होती है। वह घर की लक्ष्मी है और यदि लक्ष्मी प्रसन्न होगी तभी घर में खुशियां आएगी।
विष्णु पुराण में पत्नी के गुण
इसके अलावा भी अनेक धार्मिक ग्रंथों में पत्नी के गुण व अवगुणों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है। आज हम आपको विष्णु पुराण, जिसे लोक प्रचलित भाषा में गरुण पुराण भी कहा गया है, उसमें उल्लिखित पत्नी के कुछ गुणों की व्याख्या करेंगे।
गुणी पत्नी के लक्षण
गरुण पुराण में पत्नी के जिन गुणों के बारे में बताया गया है, उसके अनुसार जिस व्यक्ति की पत्नी में ये गुण हों, उसे स्वयं को देवराज इंद्र यानी भाग्यशाली समझना चाहिए। कहते हैं पत्नी के सुख के मामले में देवराज इंद्र अति भाग्यशाली थे, इसलिए गरुण पुराण के तथ्य यही कहते हैं।
कौन से गुण
आगे की स्लाइड्स में जानिए वे कौन से गुण हैं जो यदि किसी की पत्नी में हो तो उससे अधिक इस दुनिया में कोई दूसरा भाग्यशाली नहीं होगा.....
जानिए अर्थ
गरुण पुराण में पत्नी के गुणों को समझाती एक पंक्ति मिलती है, जो इस प्रकार है – “सा भार्या या गृहे दक्षा सा भार्या या प्रियंवदा। सा भार्या या पतिप्राणा सा भार्या या पतिव्रता।।“ अर्थात, जो पत्नी गृहकार्य में दक्ष है, जो प्रियवादिनी है, जिसके पति ही प्राण हैं और जो पतिपरायणा है, वास्तव में वही पत्नी है।
गृह कार्य में दक्ष
गृह कार्य में दक्ष से तात्पर्य है वह पत्नी जो घर के काम काज संभालने वाली हो। घर के सदस्यों का आदर-सम्मान करती हो, बड़े से लेकर छोटों का भी ख्याल रखती हो। जो पत्नी घर के सभी कार्य जैसे- भोजन बनाना, साफ-सफाई करना, घर को सजाना, कपड़े-बर्तन आदि साफ करना, यह कार्य करती हो वह एक गुणी पत्नी कहलाती है।                                
इसके अलावा बच्चों की जिम्मेदारी ठीक से निभाना, घर आए अतिथियों का मान-सम्मान करना, कम संसाधनों में भी गृहस्थी को अच्छे से चलाने वाली पत्नी गरुण पुराण के अनुसार गुणी कहलाती है। ऐसी पत्नी हमेशा ही अपने पति की प्रिय होती है।
प्रियवादिनी
 


प्रियवादिनी से तात्पर्य है मीठा बोलने वाली पत्नी आज के जमाने में जहां स्वतंत्र स्वभाव और तेज-तरार बोलने वाली पत्नियां भी है। जो नहीं जानती कि किस समय किस से कैसे बात करनी चाहिए.........
संयमित भाषा में बात करने वाली
इसलिए गरुण पुराण में दिए गए निर्देशों के अनुसार अपने पति से सदैव संयमित भाषा में बात करने वाली, धीरे-धीरे व प्रेमपूर्वक बोलने वाली पत्नी ही गुणी पत्नी होती है। पत्नी द्वारा इस प्रकार से बात करने पर पति भी उसकी बात को ध्यान से सुनता है व उसके इच्छाएं पूरी करने की कोशिश करता है।
सभी से प्यार से बात करने वाली
परंतु केवल पति ही नहीं, घर के अन्य सभी सदस्यों या फिर परिवार से जुड़े सभी लोगों से भी संयम से बात करने वाली स्त्री एक गुणी पत्नी कहलाती है। ऐसी स्त्री जिस घर में हो वहां कलह और दुर्भाग्य नहीं आता.....
पतिपरायणा
पतिपरायणा यानी पति की हर बात मानने वाली पत्नी भी गरुण पुराण के अनुसार एक गुणी पत्नी होती है। जो पत्नी अपने पति को ही सब कुछ मानती हो, उसे देवता के समान मानती हो तथा कभी भी अपने पति के बारे में बुरा ना सोचती हो वह पत्नी गुणी है।
धर्म का पालन करने वाली
विवाह के बाद एक स्त्री ना केवल एक पुरुष की पत्नी बनकर नए घर में प्रवेश करती है, वरन् वह उस नए घर की बहु भी कहलाती है। उस घर के लोगों और संस्कारों से उसका एक गहरा रिश्ता बन जाता है।
यह है पत्नी का पहला धर्म
इसलिए शादी के बाद नए लोगों से जुड़े रीति-रिवाज और धर्म को स्वीकारना ही स्त्री की जिम्मेदारी है। इसके अलावा एक पत्नी को एक विशेष प्रकार के धर्म का भी पालन करना चाहिए। विवाह के पश्चात उसका सबसे पहला धर्म होता है कि वह अपने पति व परिवार के हित में सोचे व ऐसा कोई काम न करे जिससे पति या परिवार का अहित हो।
पति की प्रिय होती है ऐसी पत्नी
गरुण पुराण के अनुसार जो पत्नी प्रतिदिन स्नान कर पति के लिए सजती-संवरती है, कम खाती है, कम बोलती है तथा सभी मंगल चिह्नों से युक्त है। जो निरंतर अपने धर्म का पालन करती है तथा अपने पति का प्रिय करती है, उसे ही सच्चे अर्थों में पत्नी मानना चाहिए। जिसकी पत्नी में यह सभी गुण हों, उसे स्वयं को देवराज इंद्र ही समझना चाहिए।

    हिन्दू संस्कृति के अनुसार पत्नी को अर्धांगनी अर्थात पति के शरीर का आधा अंग माना जाता है। महाभारत के    एक प्रसंग में भीष्म पितामह ने भी कहा है कि, "पत्नी को हमेशा खुश रखना चाहिए क्योंकि पत्नी की वजह से वंश की वृद्धि होती है"। हमारे कई प्राचीन ग्रंथों में पत्नी के गुण और अवगुण का ज़िक्र मिलता है। एक तरफ अगर पत्नी अच्छी हो तो पति की ज़िन्दगी स्वर्ग बन जाती है, वहीं दूसरी तरफ अगर पत्नी अवगुणी हो तो उसकी ज़िन्दगी नरक बन जाती है। शास्त्रों के अनुसार किसी व्यक्ति के व्यवहार के द्वारा ही आप उसका भाग्य और व्यक्तित्व जान सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार अगर स्त्री के अंदर ये गुण मौजूद हैं, तो उसका पति भाग्यशाली होता है। गरुण पुराण के अनुसार वह पत्नी गुणी होती है जो घर के काम-काज संभालने में निपुण हो। घर के काम-काज सँभालने का मतलब सिर्फ घर के काम करना ही नहीं है बल्कि वह ऐसी होनी चाहिए कि वह घर के सदस्यों का आदर-सम्मान करती हो। अगर घर में कोई अतिथि आए तो उनका मान-सम्मान करें, कम संसाधनों में भी गृहस्थी को अच्छे से चलाती रहे। ऐसी पत्नी हमेशा ही अपने पति के साथ-साथ पूरे परिवार की प्रिय होती है।  
गरुण पुराण के अनुसार पति की हर बात मानने वाली पत्नी एक गुणी पत्नी होती है। पत्नी के लिए उसका पति देवता सामान होना चाहिए। आदर्श पत्नी वह होती है जो सपने में भी अपने पति का बुरा न सोचती हो। शादी के बाद पति का घर ही उसका घर बन जाता है। इसलिए नए परिवार से जुड़े रीति-रिवाज़ को स्वीकारना पत्नी का धर्म होता है। अपने पति और परिवार के हित के बारे में सोचना भी पत्नी का एक धर्म है। इसके अलावा उसे ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे परिवार का अहित हो। आज के जमाने में स्त्री को पुरुषों के समान ही समझा जाता है। उसे अपनी बात कहने का पूरा हक़ है लेकिन एक आदर्श पत्नी के अंदर यह गुण होना चाहिए कि वह सबसे प्यार से बात करे। गरुण पुराण के अनुसार अपने पति से संयमित भाषा में बात करने वाली, प्रेम के साथ धीरे-धीरे बात करने वाली, पत्नी गुणी होती है। पत्नी अगर इस प्रकार बात करती है तो पति भी उसकी बात को ध्यान से सुनता है, उसकी इच्छाएं पूरी करने की कोशिश करता है। ऐसी पत्नी जो अपने परिवार के साथ-साथ घर के सभी सदस्यों और परिवार से जुड़े सभी लोगों से संयम से बात करती है, वह एक गुणी पत्नी कहलाती है। ऐसी पत्नी के घर में होने से कलह नहीं आता और परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है। गरुण पुराण के अनुसार ऐसी पत्नी जो प्रतिदिन स्नान कर पूजा पाठ करती है और सभी मंगल चिन्हों से युक्त होती है। उसका पति बहुत भाग्यशाली होता है।
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