27.3.24

गोस्वामी समाज की उत्पत्ति और जानकारी ,Goswami community history




गोस्वामी समाज केवल एक जाति नही बल्कि एक सम्प्रदाय है एक ऐसा पंथ जो सदैव से ही भगवान महादेव की आराधना को अपना प्रथम कर्तव्य मानते हुए सनातन धर्म का प्रचार प्रसार करता है।
अनादिकाल से शैव ब्रह्मणों का ये सम्प्रदाय पठन पाठन, योग व अनेकों प्रकार के शोध के कार्य मे व्यस्त रहता था। कुछ जानकारों के अनुसार इस पंथ का उदय आदिगुरू शंकराचार्य जी के समय हुआ था। जबकि अगर गहनता से अध्यन करें तो पता चलता है ये पंथ अनादिकाल से भगवान महादेव की सेवा मे गणों के रूप मे विधमान है।
 धर्मरक्षक सन्यासियों का ये सम्प्रदाय दो भाग मे विभाजित हो गया.गृहस्थी  और सन्यासी जो साधु गृहस्थ जीवन मे आ गए वह गृहस्थ जीवन मे भी अपनी परम्परा अपने उपनामों से जुड़े रहे।
ऐसा नही है की सभी गोस्वामी शैव है वैष्णव सम्प्रदाय मे भी गोस्वामी होते है
आज हम केवल शैव ब्रह्मणों व दशनामी गोस्वामी पर चर्चा कर रहे है जिनको प्रमुख दश नामों से जाना जाता है वे हैं - गिरी,
पुरी,
भारती,
सरस्वती
,सागर,
 अरण्य
,तीर्थ,
वन,
आश्रम
और 
पर्वत हैं।
गोस्वामी समाज पंच देव उपासक एवं शिव को इष्ट मानने वाले ब्राह्मणों का समाज है आदि गुरु शंकराचार्य जी जो आज से लगभग 2500 वर्ष पूर्व यानी ईसा से लगभग 500 वर्ष पूर्व अवतरित हुए थे उन्होंने बौद्ध धर्म मे धर्मांतरण कर रहे सनातनी लोगों को बचाने के लिए विद्वान ब्राह्मणों को साथ लेकर अद्वैत वेदांत का प्रचार किया और बौद्ध मत को भारत से उखाड़ फेका और सनातन हिंदू धर्म का पुनरुद्धार किया।
जो ब्राह्मण भगवान आदि शंकराचार्य जी के द्वारा सन्यास लेकर परंपरा मे आए उनसे गुरु शिष्य सन्यास परंपरा चली जिसे नाद परंपरा कहा गया तथा जो ब्राह्मण ग्रहस्थ रहते हुए मत का प्रचार कर रहे थे उनसे गोस्वामी ब्राह्मण या दशनामी ब्राह्मण परंपरा चली इसे बिंदु परंपरा कहा गया, यही गृहस्थ ब्राह्मण गोस्वामी ब्राह्मण समाज के नाम से जानी जाती है।
गोस्वामी का मतलब गौ अर्थात पांचो इन्द्रयाँ का स्वामी अर्थात नियंत्रण रखने वाला। इस प्रकार गोस्वामी का अर्थ पांचो इन्द्रयों को वश  में रखने वाला होता हैं।
यह समाज सम्पूर्ण भारत समेत नेपाल पाकिस्तान एवं बांग्लादेश में फैला है सर्वाधिक गोस्वामी ब्राह्मण समाज के लोग राजस्थान,मध्यप्रदेश,गुजरात,उत्तराखंड,उड़ीसा,पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश बिहार एवं नेपाल और बांग्लादेश में रहते है ।
आज से लगभग 2500 वर्ष पूर्व आदि गुरु शंकराचार्य ने धर्म की हानि रोकने के लिए इस सम्प्रदाय को 10 भागों में विभाजित कर भारत के विभिन्न क्षेत्रों में धर्मरक्षार्थ हेतु भेज दिया।
 जिन संन्यासियों ने पहाड़ियों एवं पर्वतीय क्षेत्रों में प्रस्थान किया, वे गिरी एवं पर्वत 
और जिन्हें जंगली इलाकों में भेजा, उन्हें वन एवं अरण्य नाम दिया गया। 
जो संन्यासी सरस्वती नदी के किनारे धर्म प्रचार कर रहे थे, वे सरस्वती 
और जो जगन्नाथपुरी के क्षेत्र में प्रचार कर रहे थे, वे पुरी कहलाए। 
जो समुद्री तटों पर गए, वे सागर
 और जो तीर्थस्थल पर प्रचार कर रहे थे, वे तीर्थ कहलाए। 
जिन्हें मठ व आश्रम सौंपे गए, वे आश्रम 
और जो धार्मिक नगरी भारती में प्रचार कर रहे थे, वे भारती कहलाए।
इन साधुओं को भिन्न  भिन्न उपाधियां दी जाती हैं। इसमें महामंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, एवं आचार्य आदि होते है। नागा साधु भी इस ही परम्परा मे आते है नागाओं को शंकराचार्य की सेना भी कहा जाता है नागा साधु को शस्त्र चलाने मे पारंगत हासिल है और वे वे दिगम्बर होते है।
गोस्वामी शिव को इष्ट मानकर शिव के साथ अन्य चार देव यानी कुल पांच देवों के उपासक होते है। ये तीन काल संध्या एवं शिव का पूजन करते है अतः ये स्मार्त ब्राह्मण माने जाते है।यह लोग स्मार्त यानी पंच देव उपासक होते हैं । इनके मुख्य कार्य शिवकथा, भागवतकथा, देवीभागवत आदि होते हैं। 
दशनामी सम्प्रदाय मे कुल 52 गोत्रों होते है। जिन्हे मढ़ी भी कहा जाता है
 गिरियों की कुल 27 मढ़ी, 
पुरियों की कुल 16, मढ़ी 
भारतीयों की कुल 4 मढ़ी, 
वनों की कुल 4 मढ़ी,
 व लामा गुरु की 1 मढ़ी है।
इस सम्प्रदाय के लोग एक दूसरे का सम्बोधन "ओम नमो नारायण" व "हर हर महादेव" से करते है।सनातन धर्म में इनकी "गुरुजी" महराज जी के रूप में प्रसिद्धि हैं।
गोस्वामी ब्राह्मण प्रायः गेरुआ (भगवा रंग)वस्त्र पहनते और गले में 108 रुद्राक्षों की माला पहनते हैं तथा ललाट पर चंदन या राख से त्रिपुंड धारण करते हैं, ये लोग शिखा एवं जनेऊ धारण करते हैं, दशनाम गोस्वामी ब्राह्मणों से लोग 'ॐ नमो नारायण' बोलकर अभिवादन करते है।
इनके अलाबा गोस्वामी उपाधि अनेक ब्रह्मण भी धारण करते हैं जिनमे तैलंग ब्राह्मण और वैष्णव प्रमुख हैं।

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी Internet sources, Digital News papers, Books और विभिन्न धर्म ग्रंथो के आधार पर ली गई है. आलेख मे समस्याएं हो सकती हैं Content को अपने बुद्धी विवेक से समझे। 

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25.3.24

श्री राधा कृष्णा मंदिर गुराडिया कलां-झालावाड़ /दामोदर हॉस्पिटल शामगढ़ द्वारा ४ बेंच दान

  श्री राधा कृष्णा  मंदिर गुराडिया कलां  हेतु 

दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़  द्वारा 

सीमेंट की बेंचें भेंट 

गुराडीया कलाँ झालावाड़ जिले का डग नगर से कुछ ही किलोमीटर दूरी पर स्थित ग्राम है। इस गाँव मे राधा कृष्ण का सुन्दर मंदिर है। मंदिर तक पहुँचने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। श्यामदासजी बैरागी परंपरा से मंदिर की पूजा करते आ रहे हैं।
मध्य प्रदेश और राजस्थान के चयनित मंदिरों को नकद और सिमेन्ट की बेंचें दान करने के अपने आध्यात्मिक दान -पथ के तहत डॉ दयाराम जी आलोक ने इस मंदिर की बैठक सुविधा उन्नत करने के मकसद से 4 सिमेन्ट बेंचें पुत्र डॉ . अनिल कुमार राठौर ,दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़ के माध्यम से मंदिर के परिसर मे लगवा दी हैं, जिससे भक्तों मे हर्ष है| 
मंदिर समिति और शंकर सिंग जी सोलंकी सालरिया ने दान दाता का सम्मान किया और आभार व्यक्त किया है। यह एक सुंदर और पवित्र कार्य है जो समाज में आध्यात्मिक और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देता है|

गुराडिया कलां के राधा कृष्णा  मंदिर का विडियो 



मंदसौर,झालावाड़ ,आगर,नीमच,रतलाम,झाबुआ जिलों के

मन्दिरों,गौशालाओं ,मुक्ति धाम हेतु


साहित्य मनीषी


डॉ.दयाराम जी आलोक




शामगढ़ का

आध्यात्मिक दान-पथ 

साथियों,

शामगढ़ नगर अपने दानशील व्यक्तियों के लिए जाना जाता रहा है| शिव हनुमान मंदिर,मुक्तिधाम ,गायत्री शक्तिपीठ आदि संस्थानों के जीर्णोद्धार और कायाकल्प के लिए यहाँ के नागरिकों ने मुक्तहस्त दान समर्पित किया है|
परमात्मा की असीम अनुकंपा और कुलदेवी माँ नागणेचिया के आशीर्वाद और प्रेरणा से डॉ.दयारामजी आलोक द्वारा आगर,मंदसौर,झालावाड़ ,कोटा ,झाबुआ जिलों के चयनित मंदिरों और मुक्तिधाम में निर्माण/विकास / बैठने हेतु सीमेंट बेंचें/ दान देने का अनुष्ठान प्रारम्भ किया है|
मैं एक सेवानिवृत्त अध्यापक हूँ और अपनी 5 वर्ष की कुल पेंशन राशि दान करने का संकल्प लिया है| इसमे वो राशि भी शामिल रहेगी जो मुझे google कंपनी से नियमित प्राप्त होती रहती है| खुलासा कर दूँ कि मेरी ६  वेबसाईट हैं और google उन पर विज्ञापन प्रकाशित करता है| विज्ञापन से होने वाली आय का 68% मुझे मिलता है| यह दान राशि और सीमेंट बेंचें पुत्र डॉ.अनिल कुमार राठौर "दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़ "के नाम से समर्पित हो रही हैं|



राधाकृष्णा मंदिर में दामोदर हॉस्पिटल की बेंच लगीं विडियो 



राधा कृष्ण मंदिर के शुभचिंतक 

श्यामदास जी बैरागी  गुराडीया कलां (पुजारी)

गोविन्द जी बैरागी ७७२६९-२१६५४ 

शंकर सिंग जी सोलंकी  सालारिया  ९८२८९-१२४१३

दान पट्टी  फिट करने वाले  मिस्त्री विष्णु जी विश्वकर्मा  

डॉ.अनिल कुमार दामोदर 98267-95656 s/o डॉ.दयाराम जी आलोक 99265-24852, दामोदर पथरी अस्पता  शामगढ़ 98267-95656  द्वारा श्री राधाकृष्ण मंदिर गुराडीया  कलाँ  हेतु दान सम्पन्न  
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