21.3.18

शिवाजी महाराज का इतिहास:Shivaji ka jeevan parichay

                                                              



शिवाजी भारत के महान् योद्धा एवं रणनीतिकार थे, जिन्होंने 1674 ई. में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी। उन्होंने कई वर्ष औरंगज़ेब के मुग़ल साम्राज्य से संघर्ष किया। सन 1674 में रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ और वे छत्रपति बने। शिवाजी ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों की सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया। उन्होंने समर-विद्या में अनेक नवाचार किये तथा छापामार युद्ध की नयी शैली (शिवसूत्र) को विकसित किया। उन्होंने प्राचीन हिन्दू राजनैतिक प्रथाओं तथा दरबारी शिष्टाचारों को पुनर्जीवित किया और फ़ारसी के स्थान पर मराठी एवं संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाया।
                                       
मराठा राज्य के प्रथम शासक थे शिवाजी महाराज |शिवाजी का जन्म ६ अप्रैल १६२७ को शिवनेर के दुर्ग में हुआ था . शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोंसले और माता का नाम जीजाबाई था . शाहजी भसले पहले अहमदनगर के निजाम थे और बाद में बीजापुर के दरबार में नौकरी करने लगे | शिवाजी के पालन पोषण का दायित्व पूरा उनकी माता जीजाबाई पर था | शिवाजी बचपन से ही बहुत साहसी थे | कहा जाता है उनकी माता बहुत धार्मिक प्रवृत्ति की थी , जिनका प्रभाव भी शिवाजी पर पड़ा | माता जीजाबाई बचपन में शिवाजी को वीरता की कहानिया सुनाया करती , जिसका प्रभाव शिवाजी पर पडा | शिवाजी के गुरु थे स्वामी रामदास जिन्होंने शिवाजी की निर्भीकता , अन्याय से जूझने की सामर्थ्य और संगठनात्मक योगदान का विकास किया |
शिवाजी राजे के कुछ बढे होने पर शाहजी ने शिवाजी को अपनी एक जागीर पुणे दे दी | शिवाजी बहुत साहसी थे और सोचते थे की वह दूसरे राजायो की सेवा क्यों करे . शिबवाजी का सपना था मराठो का अलग राज्य हो , इसी सपने को लेकर शिवाजी १८ साल की उम्र से ही सेना इकठा करने लगे . धीरे धीरे एक अलग मराठा राज्य बनाने के उद्देश्य से शिवाजी ने आस पास के छोटे छोटे राज्यो पर आक्रमण करना शुरू कर दिया और उन्हें जीत लिया | शिवाजी ने पुणे के आस पास के कई किलो को जीत लिया और नए किलों का निर्माण भी कराया जैसे ‘ रायगढ़ का किला ‘
शिवाजी को स्वत्रंत राज्य की स्थापना करने में दक्षिण में बीजापुर और अहमदाबाद के सुल्तान और दिल्ली में मुग़ल बादशाह से संघर्ष करना पढ़ा |
शिवाजी को मारने के लिए बीजापुर के सुल्तान ने अपने प्रमुख सेनापति अफजल को एक विशाल सेना के साथ पुणे की तरफ भेजा | अफजल खान ने शिवाजी को मारने के लिए चालाकी से उन्हें अपने तम्बू में संधि करने बुलाया | शिवाजी अपने कुछ सिपाहियों के साथ अफजल से मिलने गए | अफजल शिवजी महाराज को मारता इससे पहले ही शिवाजी ने उसे मार गिराया | शिवाजी की बढ़ती हुई ताकत को देखकर मुग़ल बादशाह शिवाजी को खतरे के रूप में देखने लगा . औरंगजेब ने शिवाजी को मारने के लिए सूबेदार शाहिस्ता खान को भेजा | शिवाजी ने उसे भी हरा दिया |
उसके बाद औरंगजेब ने जयसिंह को शिवाजी के पास भेजा | जयसिंह के समझने पर शिवाजी औरंगजेब से संधि करने औरंगजेब के दरवार में आ गए |वहां औरंगजेब ने शिवाजी को कैद कर दिया | शिवाजी कुछ समय बाद औरंगजेब की कैद से योजना बनाकर निकल गए | इसके बाद १६७० में सूरत पर आक्रमण करके उन्होंने बहुत सी संपत्ति इक्कठी कर ली | शिवाजी का रायगढ़ में पंडित गंगाभट्ट द्वारा राज्याभिषेक हुआ और शिवाजी "छत्रपती शिवाजी महाराज" हो गए | शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के कुछ दिन बाद ही उनकी माता जीजाबाई का देहांत हो गया | शिवाजी ने अपने गुरु की चरण पादुका रखकर शासन किया और अपने गुरु के नाम पर ही सिक्के बनवाये | 1680 में शिवाजी महाराज का देहांत हो गया |
शिवाजी की शासन प्रणाली
शिवाजी महाराज एक कुशल शासक, योग्य सेनापति थे , शिवाजी ने अपनी योग्यता के बल पर मराठो को संगठित करके अलग मराठा साम्राज्य की स्थापना की .
शिवाजी ने अपनी राज्य व्यवस्था के लिए 8 मंत्री नियुक्त किये | उन्हें अष्ट प्रधान कहा जाता था | जिसमे पेशवा का पद सबसे महत्वपूर्ण होता था
साम्राज्य की सुरक्षा के लिए शिवाजी ने एक अनुशासित सेना बनायीं |उन्होंने एक जहाजी बेडा भी बनाया इसलिए शिवाजी को आधुनिक नौ सेना का जनक भी कहा जाता है | शिवाजी छापामार युद्ध प्रणाली का प्रयोग करते थे | भूमि कर मराठा राज्य की आय का मुख्य स्रोत्र था |
मराठा प्रणाली के ८ मुख्य पद
1. पेशवा (प्रधानमंत्री )
2.अमात्य ( मजूमदार )
3.मंत्री
4.सचिव
5.सुमंत
6.सेनापति
7.पंडित राव
8.न्यायधीश
शिवाजी महाराज के उत्तारधिकारी
शिवाजी महाराज के पौत्र शाहू ने एक ब्राह्मण बालाजी विश्वनाथ को अपना पेशवा नियुक्त किया | बालाजी विश्वनाथ ही राज्य की सभी व्यवस्था देखते थे | बालाजी विश्वनाथ ने अपनी योग्यता और कुशलता के बल पर मराठा शासन को मजबूत बनाया . उन्होंने मुग़ल शासक मोह्म्मद शाह रंगीला से दक्षिण इलाके से चौथे और सरदेशमुखी कर बसूलना शुरू कर दिया | और उन सब इलाको पर पुनः अधिकार कर लिया जिसे मुगलो ने अपने अधिकार में ले लिया था | सैनिक और आर्थिक दृस्टि से मराठो ने अपनी शक्ति बढ़ा ली अब वह मुग़ल सेना का सामना भली भांति कर सकते थे | मुगलो के साथ युद्ध करने में मराठो ने छापामार प्रणाली अपनायी .
बालाजी विश्वनाथ के बाद उनका पुत्र बाजीराव ( Peshwa Bajirao )प्रथम को पेशवा के पद पर नियुक्त किया गया | बाजीराव एक कुशल सेनापति व उच्च कोटि का कूटनीतिज्ञ थे | बाजीराव प्रथम के बाद बाजीराव के पुत्र बाजीराव द्वितीय को पेशवा बनाया गया|
बाजीराव द्वितीय का अफगानिस्तान के शासक अब्दाली से पानीपत में युद्ध हुआ | इस युद्ध में मराठाओ की हर हुई | और मराठा साम्राज्य का पतन हुआ |
शिवाजी महाराज की विशेषता
1. अच्छी संगठन शक्ति का होना
शिवाजी ने बिक्री हुए मराठाओ को इक्कठा करके उनकी शक्ति को एक जुट कर एक महान मराठा राज्य की स्थापना की|
2. वीर सैनिक
शिवाजी जैसे वीर भारत देश में बहुत कम हुए हैं , आज भी उनकी वीरता की कहानियो लोगो के उत्साह को बढ़ा देती हैं
3. महान मार्गदर्शक
शिवाजी ने मुगलो के राज्य में हिन्दू साम्राज्य स्थापित करने वाले एक मात्र राजा थे , उन्होंने केवल मराठाओ को ही नहीं वल्कि सभी भारतवासियो को भी नयी दिशा दिखाई|
4.आज्ञाकारी पुत्र और शिष्य
कहा जाता है शिवाजी अपनी माता की हर आज्ञा का पालन करते थे|
शिवाजी महाराज से जुडी महत्वपूर्ण जानकारियां
1. उनका जन्म 6 अप्रैल 1627 को शिवनेर के दुर्ग में हुआ था .
2. शिवाजी की पत्नी का नाम सइबाई था
3. उन्होंने मात्र 18 साल की उम्र में मराठा सेना बनाकर स्वत्रंत मराठा राज्य बनाना प्रारम्भ कर दिया|
4. 1674 में उन्हें छत्रपति की उपाधि दी गयी
5. 1680 में शिवाजी महाराज का देहांत हो गया |
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