28.2.23

मोची समाज की जानकारी और इतिहास :Mochi samaj history



परिचय / इतिहास

मोची समाज के लोग चमड़े का काम करने वाले या जूते बनाने वाले होते हैं. मोची शब्द संस्कृत के 'मुञ्चक' या फ़ारसी के 'मोजा' और 'ई' से मिलकर बना है, जिसका मतलब है छुड़ाना. मोची समाज के लोग कई जातियों के गांवों में रहते हैं, लेकिन अपने अलग-अलग क्वार्टर में रहते हैं. हरियाणा के मोची का दावा है कि वे राजस्थान से पलायन करके आए हैं और मुख्य रूप से अंबाला के छावनी शहर में पाए जाते हैं. वे अभी भी ब्रजभाषा बोलते हैं और अंतर्जातीय विवाह करते हैं. फैक्ट्री निर्मित जूतों के प्रसार के साथ मोची का पारंपरिक व्यवसाय कम हो गया है. बड़ी संख्या में मोची भूमिहीन कृषि मजदूर हैं, जिनमें से कुछ अन्य व्यवसायों को अपना रहे हैं. मोची समाज को अनुसूचित जाति में रखा गया है और सकारात्मक कार्रवाई द्वारा समर्थित किया जाता है.
 मोची जाति को कुछ लोग चमार जाति की एक शाखा मानते हैं, लेकिन मोची ने इसे अस्वीकार कर दिया है, वे खुद को चमार से उच्च दर्जे की एक अलग जाति मानते हैं। चमार लोग खाल को संसाधित करते हैं, जबकि मोची इस कच्चे उत्पाद से चमड़े के उत्पाद बनाते हैं। अतीत में, कुछ मोची सड़े हुए मांस को हटाने और हड्डियों और खाल को बेचने में शामिल थे। मोची उपसमूहों और कुलों में विभाजित हैं, और उपसमूहों के बीच एक सामाजिक रैंकिंग प्रणाली है।
मोची लोग मुख्य रूप से भारत और बांग्लादेश में रहते हैं, लेकिन नेपाल और पाकिस्तान में भी छोटे समुदाय हैं।

उनका जीवन किस जैसा है?

चमड़े के उत्पाद बनाने के साथ-साथ मोची ईंटें और टोकरियाँ भी बनाते हैं। साल के एक निश्चित समय में, मोची परिवारों में सभी ईंटें बनाते हैं। हालाँकि, केवल पुरुष ही टोकरियाँ बनाते हैं। वे अपनी टोकरियाँ बेचने और दूसरे लोगों के खेतों में मज़दूर के रूप में काम करने जैसी आर्थिक गतिविधियों के ज़रिए दूसरे समुदायों से नियमित संपर्क में रहते हैं।
मोची लोगों की कुछ बुरी स्वास्थ्य आदतें हैं जैसे सूअर का मांस खाना, धूम्रपान करना, पान चबाना और पुरुषों के मामले में शराब पीना।

उनकी मान्यताएं क्या हैं?

मोची लोग हिंदू धर्म का पालन करते हैं, जो भारत का प्राचीन धर्म है। हिंदू धर्म दक्षिण एशिया के स्थानीय धर्मों के लिए एक व्यापक मुहावरा है, इसलिए यह बहुत विविध है। लोकप्रिय स्तर पर, हिंदू हिंदू देवताओं की पूजा और सेवा करते हैं। वे हिंदू मंदिरों में जाते हैं और सुरक्षा और लाभ प्राप्त करने की उम्मीद में अपने देवताओं को प्रार्थना, भोजन, फूल और धूप चढ़ाते हैं। ईसाई या यहूदियों की तरह उनका अपने देवताओं के साथ कोई व्यक्तिगत या पारिवारिक संबंध नहीं है। ऐसे अन्य हिंदू भी हैं जो बहुत अधिक दार्शनिक हैं, खासकर ब्राह्मणों में।
लगभग सभी हिंदू होली, रंगों का त्योहार और वसंत की शुरुआत / दिवाली, रोशनी का त्योहार / नवरात्रि, शरद ऋतु का उत्सव / और राम नवमी, राम के जन्मदिन जैसे वार्षिक उत्सवों में भाग लेते हैं।मोची दक्षिण एशिया में पाया जाने वाला एक व्यवसायिक जाति समुदाय है. चमड़े के जूते बनाना इनका पारंपरिक कार्य रहा है. ऐतिहासिक रूप से यह समुदाय चमड़े के सुरक्षात्मक शिल्प के निर्माण में शामिल था. सैनिकों के लिए सुरक्षात्मक चमड़े के कपड़े निर्माण में शामिल होने के कारण यह समुदाय सेना के साथ निकटता से जुड़ा हुआ था. जूता निर्माण करना इनका पारंपरिक व्यवसाय था, लेकिन कारखानों में निर्मित जूतों के प्रसार के कारण इनके पारंपरिक व्यवसाय में गिरावट आई है. वर्तमान में अधिकांश मोची ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करते हैं, और स्थानीय रूप से प्रभावशाली जातियों पर निर्भर हैं. यह खेतिहर मजदूरों के रूप में काम करते हैं. इन्हें रोजी-रोटी की तलाश में शहरी क्षेत्रों में पलायन करना पड़ता है. यह अन्य व्यवसायों भी अपनाने लगे हैं. 
आइए जानते हैं मोची समाज का इतिहास, 
मोची ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ मुञ्चक या फा़॰ मोजा (= जूता) + ई (प्रत्य॰) (= चमड़ा) छुड़ाना] चमड़े का काम बनानेवाला । वह जो जूते आदि बनाने का व्यवसाय करता हो ।


पाटनवाडा  गुजराती मोची समाज की महिलाएं 

मोची किस कैटेगरी में आते हैं?

गुजरात में, मोची (हिंदू) जाति को बक्शीपंच में ओबीसी के रूप में वर्गीकृत किया गया है. उत्तर प्रदेश में मुस्लिम मोची को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. भारत के कई राज्यों में इन्हें अनुसूचित जाति (scheduled caste) के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

मोची की जनसंख्या, कहां पाए जाते हैं?

यह मुख्य रूप से भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में पाए जाते हैं. भारत में मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और गुजरात में पाए जाते हैं. पंजाब में यह व्यापक रूप से पाए जाते हैं और लगभग हर जिले में निवास करते हैं. हरियाणा के मोची राजस्थान से पलायन करने का दावा करते हैं. यह मुख्य रूप से अंबाला के छावनी शहर में पाए जाते हैं.


बांसवाडा में मोची समाज की महिलाऐं एक सामाजिक उत्सव में 

मोची किस धर्म को मानते हैं?

धर्म से यह हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई या बौद्ध हो सकते हैं. भारत में पाए जाने वाले ज्यादातर मोची हिंदू धर्म का अनुसरण करते हैं. मुस्लिम मोची भी पहले हिंदू थे जो 14 वीं मई और 16 वीं शताब्दी के बीच धर्म परिवर्तन करके मुसलमान हो गए. विभाजन के पूर्व पंजाब के अधिकांश मोची को जबरन इस्लाम में परिवर्तित कर दिया गया था. मुस्लिम मोची पूरे उत्तर प्रदेश में पाए जाते हैं, लेकिन लखनऊ और फैजाबाद जिलो में इनकी अधिक एकाग्रता है. यह सुन्नी इस्लाम का अनुसरण करते हैं. अन्य मुसलमानों की तरह, यह बरेलवी और देवबंदी विभाजन में विभाजित हैं. हिंदी, अवधी और उर्दू भाषा बोलते हैं. पाकिस्तान और बांग्लादेश में पाए जाने ज्यादातर मोची मुस्लिम हैं.
  मोची समाज छोटा होने के बावजूद अनुशासन और अपनी धार्मिक भावना में अग्रणी है। यहां पर समाज में किसी भी प्रकार के विवाद को समाज के पंचों के माध्यम से निपटाया जाता है। करीब 95 प्रतिशत को समाज स्तर पर ही सुलझाया गया है। समाज अध्यक्ष नानुराम मोची, कोषाध्यक्ष शिवराम मोची, सचिव शिवराम मोची और संरक्षक बसंतलाल मोची हैं। समाज के समक्ष सास-बहू, ननद-भाभी और पिता पुत्र जैसे मामले भी आए हैं। इन्हें समाज स्तर पर निपटारा कराया गया है। कई मामलों मे कोर्ट के निर्णय से पहले राजीनामा कर समाज की मुख्यधारा से लोगों को जोड़ने का प्रयास किया गया है। समाज के 16 गांवों के चौखला स्तर पर मामले को निपटाने के लिए सहयोग लिया जाता है। समाज के लोग कुवैत में ज्यादा रोजगाररत हैं। ऐसे में समाज एकरूपता और अनुशासन के साथ विकास कर रहा है। हर 1 तारीख को मासिक बैठक का आयोजन होता है। इसमें समाज में किसी भी प्रकार विवाद उसी समय पंचों के सामने सुलझाया जाता है। जिसे पूरा समाज स्वीकार करता है। समाज में परिवारों के विवाद निपटारे के साथ ही शराबबंदी पर भी सख्ती की गई है। समाज के किसी भी प्रोगाम में शराब पर रोक लगा रखी है। समाज में सरकारी नौकरी के साथ ही व्यापार में भी अव्वल है।

मोची शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?

मोची संस्कृत के शब्द मोचिका से बना है, जिसका अर्थ होता है- मोची या जूता बनाने वाला (cobbler). परंपरागत रूप से यह गांव में जूता बनाने का कार्य करते थे. मूल रूप से चमार जाति से संबंध रखते हैं. यह मूल रूप से चमार जाति की एक शाखा हैं.
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी Internet sources, Digital News papers, Books और विभिन्न धर्म ग्रंथो के आधार पर ली गई है. Content को अपने बुद्धी विवेक से समझे।

20.2.23

माँ बगलामुखी मन्दिर नलखेडा मध्य प्रदेश/ डॉ.दयारामआलोक शामगढ़ द्वारा ५१ हजार का दान

 माँ बागलामुखी पीतांबरा शक्तिपीठ हेतु 

यात्रियों ,दर्शनार्थियों  की बैठक सुविधा  के लिए 

समाजसेवी डॉ .आलोक शामगढ़ द्वारा 

सीमेंट बेंचें और नकद दान 

बगलामुखी मंदिर नलखेड़ा, मध्य प्रदेश एक बहुत ही पवित्र और चमत्कारी धर्म स्थल है, जहां देश के कोने-कोने से लोग दर्शन और पूजा-पाठ के लिए आते हैं। यह मंदिर आगर मालवा से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित है और यहां बड़े-बड़े राजनेताओं, कलाकारों, तांत्रिकों का आना-जाना लगा रहता है।
नवरात्रि के पर्व के समय तो यहां दर्शनार्थियों की भीड़ को संभालने में अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ती है, और  यहां आने वाले भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस मंदिर का प्रबंधन तहसीलदार साहेब के निर्देशों के मुताबिक होता है और विनोदजी गवली यहां के मैनेजर हैं।
मंदिर के विकास के लिए शासन ने करोड़ों रुपये स्वीकृत किए हैं, जिससे यहां एक सुंदर गोलाकार  शेड बनाया गया है और रंग-रोगन से स्थान की खूबसूरती बढ़ गई है। समाज सेवी डॉ. दयाराम जी आलोक ने मध्य प्रदेश और राजस्थान के चयनित मंदिरों को नकद दान और दर्शनार्थियों के विश्राम करने के लिए सीमेंट की बेंचें भेंट करने के आध्यात्मिक दान पथ के तहत इस मंदिर के लिए 51 हजार का दान समर्पित किया है।
इस दान में 12 सीमेंट की बेंचें और 10 हजार नकद दान शामिल हैं और दान दाता का शिलालेख लोगों को दान हेतु प्रेरित करने के लिए मंदिर प्रबंधक गवली जी ने रामायण पाठ भवन की दीवाल पर स्थापित कर दिया है।
 जय हो मां बगला मुखी

अखंड रामायण पाठ-भवन की दीवार पर 

दान पट्टी का दृश्य 




                                       

 मंदसौर,झालावाड़ ,आगर,नीमच,रतलाम  जिलों  के


मन्दिरों,गौशालाओं ,मुक्ति धाम हेतु

साहित्य मनीषी

डॉ.दयाराम जी आलोक

शामगढ़ का

             आध्यात्मिक दान-पथ 
मित्रों,

   परमात्मा की असीम अनुकंपा और कुलदेवी माँ नागणेचिया के आशीर्वाद और प्रेरणा से डॉ.दयारामजी आलोक द्वारा आगर,मंदसौर,झालावाड़ ,कोटा ,झाबुआ जिलों के चयनित मंदिरों और मुक्तिधाम में निर्माण/विकास / बैठने हेतु सीमेंट बेंचें/ दान देने का अनुष्ठान प्रारम्भ किया है|
  मैं एक सेवानिवृत्त अध्यापक हूँ और अपनी 5 वर्ष की कुल पेंशन राशि दान करने का संकल्प लिया है| इसमे वो राशि भी शामिल रहेगी जो मुझे google कंपनी से नियमित प्राप्त होती रहती है| खुलासा कर दूँ कि मेरी ६ वेबसाईट हैं और google उन पर विज्ञापन प्रकाशित करता है| विज्ञापन से होने वाली आय का 68% मुझे मिलता है| यह दान राशि और सीमेंट बेंचें पुत्र डॉ.अनिल कुमार राठौर "दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़ "के नाम से समर्पित हो रही हैं|

माँ बगलामुखी शक्ति पीठ (नलखेड़ा)
12 सीमेंट बैंच +दस हजार रुपये

दान -पट्टिका  तहसीलदार श्री पारस जी की अनुमति से बगलामुखी  भेजी गई| 

 दान-पट्टिका   रामायण पाठ भवन की दीवार पर  

तहसीलदार आदरणीय पारस जी  की अनुमति से 

विनोद जी  गवली (कार्यालय प्रबंधक)  के  निर्देशानुसार रामायण -पाठ भवन 

की दीवार पर  स्थापित . १९/२/२०२३ 

दान पट्टिका  के इस फोटो में  कार्यालय प्रबंधक श्री विनोद जी गवली ,डॉ. दयाराम जी आलोक ,डॉ. अनिल जी दामोदर हैं 


माँ बगला मुखी का एक दृश्य 

माँ बगला मुखी का विडियो १९/२/२०२३ 



मन्दिर की समिति के खाते में नकद राशी जमा की गई|२०/२/२०२३ 


बगलामुखी शक्तिपीठ मे 12 बेंच लगीं  1/9/2022


बगलामुखी में दामोदर अस्पताल की भेंट की हुई बेंच का दृश्य का विडियो


बगलामुखी मंदिर का विडिओ


पेंटर अनिलजी  सूर्य वंशी को दान पट्टी वाली दीवार पर कलर  करने का चार्ज १५००/

मोहनलाल जी रान्गोट के नंबर पर  फोन  किये 

बगलामुखी मंदिर मे बेंच पर बैठे  यात्री 

बगलामुखी मंदिर मे स्थापित शिलालेख  के फ़ोटो मे झाबुआ की अल्पना देवी और ऐश्वर्या चोहान 

माँ बगला मुखी के दरबार में डॉ अनिल कुमार जी " दामोदर पथरी अस्पताल" शामगढ़ .


झाबुआ का चौहान परिवार बगलामुखी के दरबार में  विडियो




यह मंदिर सुसनेर नगर से करीब 26 किलोमीटर है.

मंदिर के कार्यकलापों का प्रबंधन तहसीलदार सा.

श्री पारस जी  ७६९२९-१२०६१ के दिशा निर्देशों के अनुसार होता है|

मंदिर के कार्यालय प्रबंधक श्री  विनोदजी  गवली 98933-30300   हैं 
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माँ बगला मुखी का चमत्कारिक भव्य मन्दिर मध्य प्रदेश के आगर जिले के नलखेड़ा शहर में स्थित है|
  दस महाविद्याओं में से आठवीं महाविद्या बगलामुखी के बारे में बहुत कम लोग ही जानते होंगे। उनका स्वरूप, मंत्र, साधना, आराधना, पूजा और बगलामुखी भक्ति को क्या वरदान देती है इस संबंध में संक्षिप्त में जानिए।
1. बगलामुखी का अर्थ- बगला शब्द संस्कृत भाषा के वल्गा का अपभ्रंश है, जिसका अर्थ होता है दुल्हन। कुब्जिका तंत्र के अनुसार, बगला नाम तीन अक्षरों से निर्मित है व, ग, ला; 'व' अक्षर वारुणी, 'ग' अक्षर सिद्धिदा तथा 'ला' अक्षर पृथ्वी को संबोधित करता है। अत: मां के अलौकिक सौंदर्य और स्तंभन शक्ति के कारण ही इन्हें यह नाम प्राप्त है।
2. देवी का प्राकट्य- बगलामुखी देवी का प्रकाट्य स्थल गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में माना जाता है। कहते हैं कि हल्दी रंग के जल से इनका प्रकाट्य हुआ था। हल्दी का रंग पीला होने से इन्हें पीताम्बरा देवी भी कहते हैं। एक अन्य मान्यता अनुसार देवी का प्रादुर्भाव भगवान विष्णु से संबंधित हैं। परिणामस्वरूप देवी सत्व गुण सम्पन्न तथा वैष्णव संप्रदाय से संबंध रखती हैं। परन्तु, कुछ अन्य परिस्थितियों में देवी तामसी गुण से संबंध भी रखती हैं।
3. देवी का स्वरूप- इनके कई स्वरूप हैं। कहते हैं कि देवी बगलामुखी, समुद्र के मध्य में स्थित मणिमय द्वीप में अमूल्य रत्नों से सुसज्जित सिंहासन पर विराजमान हैं। देवी त्रिनेत्रा हैं, मस्तक पर अर्ध चन्द्र धारण करती है, पीले शारीरिक वर्ण युक्त है, देवी ने पीला वस्त्र तथा पीले फूलों की माला धारण की हुई है। देवी के अन्य आभूषण भी पीले रंग के ही हैं तथा अमूल्य रत्नों से जड़ित हैं। देवी, विशेषकर चंपा फूल, हल्दी की गांठ इत्यादि पीले रंग से सम्बंधित तत्वों की माला धारण करती हैं। यह रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं।
देवी देखने में मनोहर तथा मंद मुस्कान वाली हैं। एक युवती के जैसी शारीरिक गठन वाली देवी ने अपने बाएं हाथ से शत्रु या दैत्य के जिह्वा को पकड़ कर खींच रखा है तथा दाएं हाथ से गदा उठाए हुए हैं, जिससे शत्रु अत्यंत भयभीत हो रहा है। देवी के इस जिव्हा पकड़ने का तात्पर्य यह है कि देवी वाक् शक्ति देने और लेने के लिए पूजी जाती हैं। कई स्थानों में देवी ने मृत शरीर या शव को अपना आसन बना रखा है तथा शव पर ही आरूढ़ हैं तथा दैत्य या शत्रु की जिह्वा को पकड़ रखा हैं।
4. तीन ही शक्तिपीठ हैं- भारत में मां बगलामुखी के तीन ही प्रमुख ऐतिहासिक मंदिर माने गए हैं जो क्रमश: दतिया (मध्यप्रदेश), कांगड़ा (हिमाचल) तथा नलखेड़ा जिला शाजापुर (मध्यप्रदेश) में हैं। तीनों का अपना अलग-अलग महत्व है। यहां देशभर से शैव और शाक्त मार्गी साधु-संत तांत्रिक अनुष्ठान के लिए आते रहते हैं।
5. युद्ध में दिलाती है विजय : युद्ध में विजय दिलाने और वाक् शक्ति प्रदान करने वाली देवी- माता बगलामुखी की साधना युद्ध में विजय होने और शत्रुओं के नाश के लिए की जाती है। इनकी साधना शत्रु भय से मुक्ति और वाक् सिद्धि के लिए की जाती है। कहते हैं कि नलखेड़ा में कृष्ण और अर्जुन ने महाभारत के युद्ध के पूर्व माता बगलामुखी की पूजा अर्चना की थी।
महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण की प्रेरणा पर अर्जुन ने कई जगह जाकर शक्ति की साधना की थी। उनकी साधना के वरदान स्वरूप शक्ति के विभिन्न रूपों ने पांडवों की मदद की थी। उन्हीं शक्ति में से एक माता बगलामुखी भी साधना भी की थी। कहते हैं कि युद्ध में विजय की कामना से अर्जुन और श्रीकृष्ण ने उज्जैन में हरसिद्ध माता और नलखेड़ा में बगलामुखी माता का पूजन भी किया था। वहां उन्हें युद्ध में विजयी भव का वरदान मिला था।
6. उपासना का लाभ : माता बगलामुखी शत्रुनाश, वाकसिद्धि, वाद विवाद में विजय के लिए इनकी उपासना की जाती है। इनकी उपासना से शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है। शांति कर्म में, धन-धान्य के लिए, पौष्टिक कर्म में, वाद-विवाद में विजय प्राप्त करने हेतु देवी उपासना व देवी की शक्तियों का प्रयोग किया जाता हैं। देवी का साधक भोग और मोक्ष दोनों ही प्राप्त कर लेते हैं। वे चाहें तो शत्रु की जिव्हा ले सकती हैं और भक्तों की वाणी को दिव्यता का आशीष दे सकती हैं। देवी वचन या बोल-चाल से गलतियों तथा अशुद्धियों को निकाल कर सही करती हैं।
7. बगलामुखी का मंत्र- हल्दी या पीले कांच की माला से आठ माला 'ऊँ ह्नीं बगुलामुखी देव्यै ह्नीं ओम नम:' दूसरा मंत्र- 'ह्मीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलम बुद्धिं विनाशय ह्मीं ॐ स्वाहा।' मंत्र का जाप कर सकते हैं। देवी को पीली हल्दी के ढेर पर दीप-दान करें, देवी की मूर्ति पर पीला वस्त्र चढ़ाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती है, बगलामुखी देवी के मन्त्रों से दुखों का नाश होता है। जाप के नियम किसी जानकार से पूछें।
8. बगलामुखी की साधना- सर्वप्रथम देवी की आराधना ब्रह्मा जी ने की थी, तदनंतर उन्होंने बगला साधना का उपदेश सनकादिक मुनियों को किया, कुमारों से प्रेरित हो देवर्षि नारद ने भी देवी की साधना की। देवी के दूसरे उपासक स्वयं जगत पालन कर्ता भगवान विष्णु हुए तथा तीसरे भगवान परशुराम। इनकी साधना सप्तऋषियों ने वैदिक काल में समय समय पर की है।
इस महाविद्या की उपासना या साधना रात्रि काल में करने से विशेष सिद्धि की प्राप्ति होती है। इनके भैरव महाकाल हैं। मां बगलामुखी स्तंभव शक्ति की अधिष्ठात्री हैं। मां बगलामुखी का एक नाम पीताम्बरा भी है इन्हें पीला रंग अति प्रिय है इसलिए इनके पूजन में पीले रंग की सामग्री का उपयोग सबसे ज्यादा होता है। देवी बगलामुखी का रंग स्वर्ण के समान पीला होता है अत: साधक को माता बगलामुखी की आराधना करते समय पीले वस्त्र ही धारण करना चाहिए। पीले फूल और नारियल चढ़ाने से देवी प्रसन्न होतीं हैं।
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 *मुक्ति धाम आगर -मालवा/मोती सागर तालाब बम्बई घाट/ डॉ.दयाराम आलोक शामगढ़ द्वारा 10 सिमेन्ट बेंच दान 










18.2.23

शनि मन्दिर दूधाखेडी माता जी का चौराहा-भानपुरा /डॉ.दयाराम आलोक द्वारा 5 सिमेन्ट बेंच दान

      शनि मन्दिर दूधाखेडी माताजी चौराहा जिला मंदसौर  में दान पट्टी  का दृश्य                                



        



मंदसौर,झालावाड़ ,आगर,नीमच,रतलाम जिलों के


मन्दिरों,गौशालाओं ,मुक्ति धाम हेतु

साहित्य मनीषी

डॉ.दयाराम जी आलोक

शामगढ़ का

अभिनव -दान अनुष्ठान 

साथियों,

शामगढ़ नगर अपने दानशील व्यक्तियों के लिए जाना जाता रहा है| शिव हनुमान मंदिर,मुक्तिधाम ,गायत्री शक्तिपीठ आदि संस्थानों के जीर्णोद्धार और कायाकल्प के लिए यहाँ के नागरिकों ने मुक्तहस्त दान समर्पित किया है|
परमात्मा की असीम अनुकंपा और कुलदेवी माँ नागणेचिया के आशीर्वाद और प्रेरणा से डॉ.दयारामजी आलोक द्वारा आगर,मंदसौर,झालावाड़ ,कोटा ,झाबुआ जिलों के चयनित मंदिरों और मुक्तिधाम में निर्माण/विकास / बैठने हेतु सीमेंट बेंचें/ दान देने का अनुष्ठान प्रारम्भ किया है|
मैं एक सेवानिवृत्त अध्यापक हूँ और अपनी 5 वर्ष की कुल पेंशन राशि दान करने का संकल्प लिया है| इसमे वो राशि भी शामिल रहेगी जो मुझे google कंपनी से नियमित प्राप्त होती रहती है| खुलासा कर दूँ कि मेरी ६ वेबसाईट हैं और google उन पर विज्ञापन प्रकाशित करता है| विज्ञापन से होने वाली आय का 68% मुझे मिलता है| यह दान राशि और सीमेंट बेंचें पुत्र डॉ.अनिल कुमार राठौर "दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़ "के नाम से समर्पित हो रही हैं|
शनि देव मंदिर ,दूधाखेड़ी माताजी चौराहा 
 15000/- का दान 5 बेंच

shani temple dudha khedi chouraha video  


शनि देव मंदिर माताजी चौराहा  मे 5 बेंच भेंट  4/10/2022


सत्यनारायण जी परमार 70678-24886 उप सरपंच बाबुल्दा की पहल 

रामेश्वर जी   परमार  बाबुल्दा का सुझाव 

संतोषजी जोशी 98269-57551 शनि मंदिर के मुख्य पुजारी हैं 


@Dr.Dayaram Aalok :Shani Dev Hinduon ke pramukh devata hain. Vigat kuchh varshon se shani dev ke bhakto ki sankhya badh rahi hai.Jagah Jagah shanidev ke mandiron ka nirmaan ho raha hai| Aisa hi ek mandir madhya pradesh ke prasiddh Dudhakhedi Mata ke mandir ke chouraha ke paas sthit hai | is mandir me bhakton ke baithne ki suvidha ke liye Dr.Dayaram ji Aalok ke aadarshon se prerit putra Dr.Anil kumar rathore ,Damodar Pathri Hospital Shamgarh 9826795656 ne is mandir ko 5 sement bench bhent ki hain.Santosh ji joshi is mandir ke pujari hain.Satya Narayan ji parmar tailor Babulda ke sahyog se Shilalekh lagaya gaya.

डॉ.अनिल कुमार दामोदर 98267-95656  s/o डॉ.दयाराम जी आलोक 99265-24852, दामोदर पथरी अस्पताल 98267-95656 शामगढ़ द्वारा  शनि देव मंदिर दूधा खेड़ी माता जी चौराहा हेतु दान सम्पन्न 

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17.2.23

नीलकंठेश्वर महादेव मन्दिर तितरोद -सीतामऊ/डॉ अनिल दामोदर पथरी हॉस्पिटल शामगढ़ द्वारा 3 बेंच दान

नीलकंठेश्वर महादेव मन्दिर तितरोद -सीतामऊ को 

समाजसेवी  डॉ . दयाराम जी आलोक शामगढ़ द्वारा 

मंदिर मे बैठक व्यवस्था उन्नत करने हेतु 

3 सिमेन्ट बेंच भेंट 

 मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के अंतर्गत सितामऊ तहसील के गाँव तितरोद मे  निलकंठेश्वर  महादेव का मंदिर अपनी प्राचीनता और आध्यात्मिक कार्यक्रम आयोजनों के लिए जाना जाता है। पत्रकार श्री  देविदास जी बैरागी से परिचय हुआ ,इस मंदिर के लिए 3 सिमेन्ट की बेंचें  भेंट करने  के सिलसिले मे  मंदिर के व्यवस्थापक और पुजारी राकेश पुरीजी और मुकेश पुरीजी की अनुमति लेकर बेंचें मंदिर के प्रांगण मे लगवा दी गई हैं।  नील कंठेश्वर महादेव की जय हो !

                                               

                                                

मंदसौर,झालावाड़ ,आगर,नीमच,रतलाम झाबुआ  जिलों  के


मन्दिरों,गौशालाओं ,मुक्ति धाम हेतु

साहित्य मनीषी

डॉ.दयाराम जी आलोक

शामगढ़ का


आध्यात्मिक दान-पथ 

मित्रों ,
 परमात्मा की असीम अनुकंपा और कुलदेवी माँ नागणेचिया के आशीर्वाद और प्रेरणा से डॉ.दयारामजी आलोक द्वारा आगर,मंदसौर,झालावाड़ ,कोटा ,झाबुआ जिलों के चयनित मंदिरों और मुक्तिधाम में निर्माण/विकास / बैठने हेतु सीमेंट बेंचें/ दान देने का अनुष्ठान प्रारम्भ किया है|
 मैं एक सेवानिवृत्त अध्यापक हूँ और अपनी 5 वर्ष की कुल पेंशन राशि दान करने का संकल्प लिया है| इसमे वो राशि भी शामिल रहेगी जो मुझे google कंपनी से नियमित प्राप्त होती रहती है| खुलासा कर दूँ कि मेरी 8 वेबसाईट हैं और google उन पर विज्ञापन प्रकाशित करता है| विज्ञापन से होने वाली आय का 68% मुझे मिलता है| यह दान राशि और सीमेंट बेंचें पुत्र डॉ.अनिल कुमार राठौर "दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़ "के नाम से समर्पित हो रही हैं| 

श्री नीलकंठेश्वर  महादेव मंदिर तितरोद 
3 बेंच +1501रुपये

यह विडियो मंदसौर गाथा चेनल के मालिक देविदास जी बैरागी पत्रकार ने बनाकर भेजा है |


नील कंठेश्वर महादेव मंदिर का शिलालेख 

मंदिर मे नेम प्लेट चस्पा की गई 28/1/2023 


मंदिर के प्रबंधक मुकेश पूरी जी के अकाउंट मे 15001/- फोन पे किए| 


दामोदर पथरी का दवाखाना  शामगढ़ द्वारा दान की गई  बेंचों  का दृश्य 


                                                    आभार ज्ञापन 


शामगढ के दान दाता बन्धु द्वारा डॉक्टर दयाराम जी आलोक
की प्रेरणा से डॉक्टर श्री अनिल कुमार जी राठौर (दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ) द्वारा श्री नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर तितरोद हेतु 3 सीमेंट की कुर्सिया भेट करने की घोषणा की थी जो आज महादेव मंदिर पर लगाई गई।। तितरोद नगर की ओर से दानदाता बन्धु का ह्रदय से धन्यवाद।। दानदाता बन्धु से न में कभी मिला न वो कभी श्री नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर तितरोद आये बस एक बार फोन पर बात हुई,,महादेव जी के फोटो/वीडियो/मन्दिर की डिटेल भेजी तो उन्होंने कुर्सियां दान स्वरूप भक्तों के बैठने हेतु प्रदान कर दी ऐसे दान दाता बन्धु का पुनः धन्यवाद साथ ही क्षेत्र के अन्य प्रमुख मन्दिरो पर यह कुर्सियां उंन्होने भेंट करी।। महाकाल महाराज की कृपा सदैव आप पर बनी रहे।।--बैरागी न्यूज एजेंसी बस स्टैण्ड तितरोद
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नीलकंठेश्वर महादेव मन्दिर तितरोद,तहसील-सीतामउ,जिला मन्दसौर मध्यप्रदेश

   श्री नीलकंठेश्वर महादेव जी तितरोद का मंदिर ऐतिहासिक होकर अत्यंत प्राचीन सिद्ध व चमत्कारी स्थान के रूप में सेकड़ो वर्षो से पूजनीय है।। गाँव के बड़े बुजुर्गों से हमने सदैव सुना है की इस मंदिर का निर्माण ग्रामीणों ने नही करवाया है प्राचीन समय मे यह मन्दिर किसी सिद्ध सन्त महात्मा द्वारा वायुमार्ग से उड़ाकर ले जाया रहा था लेकिन भोर का समय होने पर यह मंदिर तितरोद नगर में ही उतर गया ओर तब से आजतक मन्दिर यही है ओर इसकी पूजा अर्चना होती आई है इसलिये लिखित में ऐसा कोई इतिहास नही है कि मन्दिर किसने,,कब व किस काल मे बनाया जो यह साबित करता है कि यह मन्दिर सेकड़ो वर्षो पहले का मंदिर है।। 
   शिलालेख के रूप में तितरोद रियासत के तत्कालीन महाराजा स्वर्गिय श्री रामसिंह जी राठौड़ द्वारा यँहा जलाभिषेक व गाँव को पेयजलापूर्ति हो इस हेतु एक बावड़ी का निर्माण करवाया था यह लेख पट्टिका बावड़ी पर लगी है और वो स्वयं भी यँहा पूजा अर्चना करने हेतु आते थे यह मंदिर राजशाही परम्परा से भी पूर्व का प्राचीन मंदिर है।। तितरोद से राजपरिवार कुछ कारणों की वजह से सीतामउ चला गया था और वँहा उंन्होने सीतामउ को अपनी राजधानी बनाया।। 
   पहले मन्दिर गर्भगृह तक ही सीमित था फिर यँहा के स्वर्गीय महंत श्री 1008 बालूपुरी जी गोस्वामी ने महादेव की सेवा को सर्वोच्य प्राथमिकता देते हुए अपने गृहस्थ जीवन को त्यागकर महादेव सेवा कार्य को ओर अधिक बड़े स्तर पर करने हेतु श्री पंच जूना अखाड़ा उज्जैन से दीक्षा प्राप्त कर अपने शिष्यों को महादेव की भक्ति कार्य मे प्रेरित किया और धीरे धीरे मन्दिर का विकास होते गया जो आज एक बड़े धार्मिक स्थल के रूप में क्षेत्र में विख्यात है।
   ऐसी मान्यता है कि निसंतान दम्पतियों को यँहा मन्नत मांगने पर पुत्र/पुत्री रत्नों की प्राप्ति होती है और ऐसे श्रद्धालुओ की संख्या भी बड़े स्तर पर है साथ ही गुरु पूर्णिमा,,महाशिवरात्रि के साथ प्रत्येक सोमवार को यँहा श्रद्धालुओ की संख्या बढ़ी तादात में दूर दराज से आती है।। श्रावण माह के तृतीय सोमवार को श्री नीलकंठेश्वर महादेव जी की भव्य व ऐतिहासिक शाही शवारी निकलती है जिसमे दिल्ली,,मथुरा,,व्रन्दावन के कलाकार,,अखाड़े,,झांकिया,,भूत पार्टियां,,शाही रथ,,बेंड,,ढोल,,नगाड़े,,ताशे आदी के साथ महादेव नगर भृमण पर निकलते है जिसमे हजारो की संख्या में दूरदराज के श्रद्धालुगण महादेव के दर्शन करने आते है।। उक्त मन्दिर क्षेत्र निरन्तर ख्याति अर्जित करता जा रहा है और यँहा ओर अधिक विकास कार्य होने के साथ भविष्य में ओर अधिक डेवलपमेंट हेतु श्री नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर विकास समिति कार्य योजना बना रही है।। जब भी आप भक्तजन सीतामउ-सुवासरा रोड से गुजरे तो बस स्टैण्ड तितरोद पर यात्री प्रतीक्षालय के पास से कुछ कदम दूरी पर ही बाबा नीलकंठेश्वर महादेव जी का मंदिर है तो एक बार दर्शन करने जरूर पधारे।। 
   मन्दिर के समीप ही मन्दिर के पूर्व पुजारी महंत श्री 1008 स्वर्गीय श्री बालूपुरी जी महाराज की प्रतिमा भी स्थापित की गई है जिनके दर्शनों का लाभ भी आप लेवे वर्तमान में श्री राकेश पूरी,,श्री श्याम पूरी व श्री मुकेशपुरी गोस्वामी महादेव जी का सेवा कार्य कर पूरी तन्मयता व विधिविधान से कर रहे है।। प्रतिदिन प्रातःकालीन आरती व विशेष अवसरों पर बाबा नीलकंठेश्वर महादेव जी के आकर्षक श्रंगार के दर्शन शोशल मीडिया पर भी भक्तों कोहो जाते है।
  देश के बड़े बड़े न्यूज चैनलों व अखबारों में भी उक्त मन्दिर की खबरे प्रकाशित व प्रसारित होती रहती है।। भक्तों को यँहा पीपल,,वटवृक्ष,,शमी,,आंवला व बेलपत्र के वृक्षों की पूजन करने का सौभाग्य भी प्राप्त होता है।। ऐसी है श्री नीलकंठ महादेव जी तितरोद की कृपा।।आप मन्दसौर गाथा ""mandsour gatha devidas bairagi k sath"" यूट्यूब चैनल पर भी मन्दिर व महादेव जी के दर्शन घर बैठे कर सकते है और फेसबुक पर ""Devidas bairagi"" आईडी सर्च कर फॉलो करने पर आपको प्रतिदिन प्रातःकालीन आरती श्रंगार दर्शन होते रहैंगे।।
संकलन--पत्रकार--देवीदास बैरागी,बैरागी न्यूज एजेंसी बस स्टैण्ड तितरोद--9479707432..


देविदास जी बैरागी 9479707432 पत्रकार की पहल 

राकेश पूरी जी  गोस्वामी 96305-18313 मंदिर प्रबंधक हैं| 

मुकेश पुरी जी मंदिर के मुख्य पुजारी हैं| 


शिव-हनुमान मन्दिर लुका का खेड़ा चिकनिया -गरोठ-मंदसौर /डॉ.दयाराम आलोक शामगढ़ द्वारा 3 बेंच दान

                                                        

मंदसौर,झालावाड़ ,आगर,नीमच,रतलाम  जिलों  के


मन्दिरों,गौशालाओं ,मुक्ति धाम हेतु

साहित्य मनीषी

डॉ.दयाराम जी आलोक


शामगढ़ का

आध्यात्मिक  दान -अनुष्ठान 

साथियों,

शामगढ़ नगर अपने दानशील व्यक्तियों के लिए जाना जाता रहा है| शिव हनुमान मंदिर,मुक्तिधाम ,गायत्री शक्तिपीठ आदि संस्थानों के जीर्णोद्धार और कायाकल्प के लिए यहाँ के नागरिकों ने मुक्तहस्त दान समर्पित किया है|
परमात्मा की असीम अनुकंपा और कुलदेवी माँ नागणेचिया के आशीर्वाद और प्रेरणा से डॉ.दयारामजी आलोक द्वारा आगर,मंदसौर,झालावाड़ ,कोटा ,झाबुआ जिलों के चयनित मंदिरों और मुक्तिधाम में निर्माण/विकास / बैठने हेतु सीमेंट बेंचें/ दान देने का अनुष्ठान प्रारम्भ किया है|
मैं एक सेवानिवृत्त अध्यापक हूँ और अपनी 5 वर्ष की कुल पेंशन राशि दान करने का संकल्प लिया है| इसमे वो राशि भी शामिल रहेगी जो मुझे google कंपनी से नियमित प्राप्त होती रहती है| खुलासा कर दूँ कि मेरी 6 वेबसाईट हैं और google उन पर विज्ञापन प्रकाशित करता है| विज्ञापन से होने वाली आय का 68% मुझे मिलता है| यह दान राशि और सीमेंट बेंचें पुत्र डॉ.अनिल कुमार राठौर "दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़ "के नाम से समर्पित हो रही हैं| 



 शिव -हनुमान मंदिर ,लूका का खेड़ा
11001/- का दान (3 sement bench+1500/

ग्राम लुका का खेड़ा (चिकनिया) तहसील गरोठ जिला मंदसौर | इस गाँव में शिव हनुमान मन्दिर का विशेष महत्व है| मन्दिर शिवजी और बालाजी के भक्तों की आस्था का केंद्र है| लोगों की मनोकामना पूरी होती हैं| मन्दिर में दर्शनार्थियों के बैठने की सुविधा को दृष्टिगत रखते हुए साहित्य मनीषी डॉ.दयाराम जी आलोक
के आदर्शों से प्रेरित पुत्र डॉ अनिल कुमार राठौर ,दामोदर पथरी चिकित्सालय ९८२६७९५६५६ द्वारा ३ सीमेंट बेंच और १५००/- नकद दान दिया गया| इस मन्दिर की देख रेख श्री तूफ़ान सिंग जी लुका का खेड़ा वाले करते हैं|मन्दिर पहुँचने के लिए गरोठ से बस मिल जाती है| पावटी गाँव से भी जा सकते हैं|




शिव हनुमान मंदिर मे शिलालेख लगाया 


विडिओ शिव हनुमान मंदिर मे बेंच लगने का


Shiv Hanuman Mandir ke liye 200/-+1300=1500/-ka payment kiya 12/2/2023 




मंदिर के शुभ चिंतक 

तुफान सिंग जी 88890-34253  

उमराव सिंग जी चौहान 78794-97915 के खाते मे दान की राशि फोन पे की 

गोर्धन जी पंवार 88270-3375

 डॉ.अनिल कुमार दामोदर 98267-95656 s/o डॉ.दयाराम जी आलोक 99265-24852, दामोदर पथरी अस्पताल 98267-95656  शामगढ़  द्वारा शिव हनुमान मन्दिर लुका का खेडा  हेतु दान सम्पन्न १६/२/२०२३ 
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14.2.23

नरेंद्र यादव (राजू भाई) लिख रहे हैं शामगढ के विकास की नई इबारत


" होनहार बिरवान के होत चिकने पात "


  नरेंद्र जी यादव (राजू भाई)अपने छात्र जीवन मे मेरे प्रिय शिष्य रह चुके हैं । उक्त कहावत को चरितार्थ करने वाले अतुल्य बौद्धिक प्रतिभा सम्पन्न इस बालक मे भविष्य के जन नायक बनने के सभी गुण विध्यमान थे।आज इसी जननायक व्यक्तित्व की कहानी प्रस्तुत करते हुए गौरव की अनुभुति हो रही है।
  नाम नरेंद्र (राजू भाई) यादव आपका जन्म सन 4/10/1963 को यादव परिवार शामगढ़ में हुआ अपने विद्यालय में शिक्षा के बाद राजनीति मैं अपने कदम बढ़ाए और भारतीय जनता पार्टी के बैनर तले कई जिम्मेदारियो को समझकर जिस पर आप खरे उतरे भाजपा ने आपको कई जिम्मेदार पदों पर नियुक्त किया एवं जिम्मेदारियां दी सर्वप्रथम नरेंद्र (राजू भाई) यादव ने सन 1983 में नगर परिषद में पहली बार पार्षद उम्मीदवार के लिए मात्र 19 वर्ष की उम्र में ही भारतीय जनता पार्टी से पार्षद उम्मीदवार के लिए अपनी दावेदारी पेश की ओर भाजपा पार्टी ने अपना विश्वास श्री यादव पर किया और वार्ड क्रमांक 12 का पार्षद उम्मीदवार बनाया और यादव ने यह चुनाव जीतकर अपने नाम किया ज्ञात हो कि पहले शामगढ़ नगर में 1 से लगाकर 12 वार्ड पर ही चुनाव होते थे पार्षद के पद पर रहते हुए नगर परिषद के उपाध्यक्ष पद पर भी अपनी काबिलियत के चलते आपको मिला। श्री यादव द्वारा अपने उपाध्यक्ष पार्षद के कार्यकाल मैं रहते हुए वार्ड क्रमांक 12 के निवासी जरूरतमंदों को 90 पट्टे नगर परिषद की ओर से दिलवाए साथ ही आप भाजपा की स्थाई समिति के अध्यक्ष भी इसी कार्यकाल में रहे ।
  सन 1989 से लेकर 1999 तक भाजपा नगर अध्यक्ष के पद पर रहे ज्ञात हो कि पहले नगर अध्यक्ष भाजपा का पद मंडल अध्यक्ष के पद के बराबर रहता था इस दायित्व पर भी आप कांग्रेस के शासन में भाजपा का झंडा लिए बड़ी मजबूती से अपनी पार्टी का कार्य करते रहे और पार्टी को मजबूत बनाकर आगे बढ़ाया इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के बैनर तले 1999 से 2004 तक वार्ड क्रमांक 14 से पुनः पार्षद के लिए चुने गए इस चुनाव में आपको सर्वाधिक मत 971 वोट से विजई होकर पुनः नगर परिषद उपाध्यक्ष पद पर विराजित रहें।
  2005 से लगाकर 2010 तक गरोठ जनपद के वार्ड क्रमांक 17 से जनपद प्रतिनिधि सभापति के रूप में आप ने अपना दायित्व संभाला तत्पश्चात गरोठ विधानसभा में 2003 में विधानसभा के चुनाव में अपने


चचेरे भाई स्वर्गीय श्री राजेश यादव की भाजपा उम्मीदवारी पर तन मन धन से दिन रात एक कर आपने अपने भाई को भाजपा के चुनाव में विजय श्री दिलाई जिसमें आपकी अहम भूमिका रही इसके पश्चात 2013 में भी अपने चचेरे भाई स्वर्गीय राजेश यादव के साथ रहकर भाजपा पार्टी के निर्देशानुसार सक्रिय भूमिका निभाते हुए पुनः विधायक की सीट पर अपने चचेरे भाई को विजय श्री दिलाई |


   श्रीमती कविता यादव जिनका जन्म 13/ 08/ 1966 में हुआ। श्रीमती कविता यादव ने 2010 से अपने राजनीतिक केरियर की शुरुआत करते हुए 2010 से 2015 तक गरोठ जनपद चुनाव में वार्ड क्रमांक 17 भाजपा समर्थित सदस्य रही एवं आपके द्वारा भाजपा के बैनर तले सबसे सर्वाधिक मत प्राप्त कर आपने विजय पताका फहराई सन 2018 से 2021 तक श्रीमती कविता यादव शामगढ़ महिला भाजपा मोर्चा की प्रभारी रही वर्तमान में महिला मोर्चा की जिला कोषाध्यक्ष के पद पर भी आप काबीज है और लगातार भाजपा पार्टी की सेवाकरते कीआपकी सेवा भाभी परिपाटी को देखते हुए।भारतीय जनता पार्टी ने आपको विगत वर्ष में हुए नगर परिषद चुनाव में वार्ड क्रमांक 9 से अपना भाजपा प्रत्याशी बनाया वार्ड क्रमांक 9 के मतदाताओं के अपार जन समर्थन स्नेह प्यार और आशीर्वाद के चलतेआप वार्ड क्रमांक 9 से पार्षद चुनी गई तत्पश्चात 13/08 2022 को नगर परिषद के अध्यक्ष चुनाव में अपनी दावेदारी पेश करते हुए भाजपा बैनर तले विजय होकर शामगढ़ नगर परिषद के अध्यक्ष पद संभाला और आज आप शामगढ़ नगर परिषद की प्रथम नागरिक के रूप में नगर परिषद अध्यक्ष के रूप में विराजमान है ।



  शामगढ़ नगर परिषद में आपके मात्र 6 माह अल्प कार्यकाल में नगर में कई विकास कार्य किए हैं वह विकास कार्य आम जनता के सामने है आपके द्वारा प्रमुखतया नगर परिषद शामगढ़ में 2017 से नामांतरण के लिए आम जनता और जरूरतमंदों के नामांतरण प्रक्रिया में अटके और रुके हुए नामंत्रण को करवाया गया । जो लगभग 400 नामांतरण आपके आने के बाद किए गए जिससे नगर परिषद के राजस्व में वृद्धि हुई।श्रीमती यादव के द्वारा जो 400 नामांतरण प्रक्रिया से राजस्व आय प्राप्त हुई एवं नगर के करदाता द्वारा जो राजस्व जमा कराया गया जिसके बाद शामगढ़ नगर परिषद मध्यप्रदेश में चौथे स्थान पर आई जिसके चलते शामगढ़ नगर परिषद को मुख्यमंत्री के हाथों भोपाल में 500000 की सम्मान राशि भेंट की गई इससे पहले नगर परिषद राजस्व के मामले में काफी पिछड़ी हुई थी लेकिन जब से अध्यक्ष पद का दायित्व श्रीमती यादव ने संभाला है उसके बाद नगर परिषद एक के बाद एक सफलता हासिल करती चली गई इसके बाद दूसरी सफलता शामगढ़ नगर परिषद द्वारा आयुष्मान कार्ड के लक्ष्य को पूरा करने एवं इस क्षेत्र में सर्वाधिक आयुष्मान कार्ड बनाने के लिए शामगढ़ नगर परिषद को 26 जनवरी 2023 को जिलाधीश महोदय कलेक्टर द्वारा मंदसौर जिले में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर नगर परिषद शामगढ़ को सम्मानित किया गया 
   शामगढ़ नगर परिषद में विगत वर्षों में हुए प्रधानमंत्री आवास योजना के 3000000 कि घोटाले को श्रीमती कविता यादव द्वारा इस भ्रष्टाचार को उजागर किया गया एवं नगर परिषद में प्रेस वार्ता कर एक लिखित शिकायत ही आवेदन माननीय जिलाधीश महोदय कलेक्टर मंदसौर को जांच के लिए भेजा गया प्रधानमंत्री आवास योजना में 400 आवास हितग्राहियों को दिलाएं गए एवं हितग्राहियों को गृह प्रवेश की प्रक्रिया भी आपके द्वारा कराई गई शामगढ़ नगर में पहली बार खेल को महत्व नगर वासियों के सामने रखकर पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई की जन्म जयंती 22 दिसंबर को नगर में अखिल भारतीय महिला कबड्डी प्रतियोगिता का सफल आयोजन किया गया जो नगर में 22 दिसंबर से 25 दिसंबर तक नगर परिषद वह जनसहयोग सहयोग से किया गया जो कि नगर ही नहीं अपितु आसपास के नगर में भी तारीफ के लायक खेल प्रतियोगिता का ऐतिहासिक सफल आयोजन नगर परिषद द्वारा किया गया ।
 आपके अध्यक्ष पद पर काबिज होने के बाद नगर की जनता की महत्वपूर्ण समस्या अंडर ब्रिज जो की शामगढ़ नगर के वार्ड क्रमांक 13 वार्ड क्रमांक14 वार्ड क्रमांक 15 एवं पटरी पर रहने वाले सभी नगरवासी व सभी ग्रामीण क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी समस्या बनी हुई थी जिस समस्या को आपके द्वारा संज्ञान में लेकर लगातार रेलवे प्रशासन रेल मंत्री सांसद महोदय सुधीर गुप्ता एवं

क्षेत्रीय विधायक एवं मंत्री कैबिनेट मंत्री हरदीप सिंह डंग से इस समस्या पर चर्चा कर उन्हें पत्र लिखकर और लगातार संपर्क कर इस समस्या को हल करवाया गया|

 ओवरब्रिज की राशि स्वीकृत करवा कर नगर में नगर में जल्द से जल्द अंडर ब्रिज बने और जनता को हो रही समस्याओं से यह नीताज मिले जिसके लिए यह प्रयत्न कीए शामगढ़ नगर मैं बनी अंडरब्रिज बनाओ समिति का भी समय-समय पर सहयोग किया जिसकी सफलता आज आपके सामने हैं जिस का भूमि पूजन आज किया जा रहा है श्रीमती कविता नरेंद्र यादव की आगामी नगर विकास की योजनाएं हैं जिसमें प्रमुखता या बायपास का निर्माण जो कि 4:30 किलोमीटर का रहेगा जिससे नगर की जनता को सुविधा मिलेगी और भारी यातायात के दबाव से मुक्ति मिलेगी बस स्टैंड पर शॉपिंग कांपलेक्स का निर्माण करना है बम बम आश्रम व बस स्टैंड आधुनिक पार्क का निर्माण करवाना गायत्री शक्तिपीठ के सामने स्विमिंग पुल का निर्माण कराना सुवासरा एवं गरोठ रोड पर मां महिषासुर मर्दिनी देवी की नगरी मैं आपका स्वागत है नगर स्वागत द्वार बनवाना नगर के सौंदर्यीकरण के लिए करोड़ों रुपए के विकास कार्य करना और नवीन तहसील रोड से कथोड चौक तक सीसी रोड बनवाना वार्ड क्रमांक 5 में अल्फा इंग्लिश स्कूल के सामने 3 फीट की गली को चौड़ीकरण कर 16 फीट की गली करा कर आम जनता को इस की सुविधा प्रदान करना आज शामगढ़ नगर परिषद का गठन होने के बाद आम जनता के सामने पूरी स्थिति है हर जगह की स्ट्रीट लाइट चालू है साफ सफाई की व्यवस्था की जा रही है पानी की व्यवस्था की जा रही है ।

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साहित्य मनीषी डॉ. दयाराम आलोक का परिचय सुनिए इसी लिंक में 

भारत के  मन्दिरों और मुक्ति धाम हेतु शामगढ़ के समाजसेवी  द्वारा दान की विस्तृत श्रृंखला