बागरी (या बागड़ी) जाति का इतिहास उनकी भौगोलिक स्थिति और विभिन्न समुदायों के अनुसार विविध है। मुख्य रूप से यह शब्द 'बागर' क्षेत्र (राजस्थान, हरियाणा और पंजाब का सीमावर्ती इलाका) के निवासियों के लिए उपयोग किया जाता है।
बागरी समाज के इतिहास के मुख्य पहलू निम्नलिखित हैं:
1. ऐतिहासिक उत्पत्ति और वंश (Lineage)
चंद्रवंशी संबंध: मध्य प्रदेश और राजस्थान के कई बागरी समुदाय स्वयं को चंद्रवंशी क्षत्रिय मानते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वे स्वयं को पांडवों (विशेषकर भीम) का वंशज बताते हैं।
राजपूत और जाट संबंध: राजस्थान और पंजाब के बागड़ियों को अक्सर राजपूतों (विशेषकर राठौड़ वंश) या जाटों की एक शाखा माना जाता है। जोधपुर के राजाओं के राजतिलक में बागरी (ठाकुर) परिवार का ऐतिहासिक महत्व रहा है।
विवाह परंपरा:
कुछ शोध बताते हैं कि बागरी जाति की उत्पत्ति प्रमुख गुर्जर, राजपूत और जाट समुदायों के बीच अंतर्विवाह (intermarriage) से हुई थी।
2. भौगोलिक विस्तार और नाम का अर्थबागर क्षेत्र: 'बागरी' नाम 'बागर' (काँटों की बाड़ के समान मैदान) से लिया गया है।
मुख्य क्षेत्र:
2. भौगोलिक विस्तार और नाम का अर्थबागर क्षेत्र: 'बागरी' नाम 'बागर' (काँटों की बाड़ के समान मैदान) से लिया गया है।
मुख्य क्षेत्र:
ये मुख्य रूप से राजस्थान (हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर), हरियाणा (सिरसा, हिसार), पंजाब और मध्य प्रदेश में बसे हुए हैं।
पश्चिम बंगाल (बागदी):
पश्चिम बंगाल (बागदी):
पश्चिम बंगाल में इन्हें 'बागदी' कहा जाता है, जहाँ वे स्वयं को 'बर्ग क्षत्रिय' मानते हैं और परंपरागत रूप से खेती व मछली पकड़ने के व्यवसाय से जुड़े रहे हैं।
3. सामाजिक और सांस्कृतिक स्थितिश्रेणी: मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में बागरी जाति को अनुसूचित जाति (SC) की श्रेणी में रखा गया है।
परंपराएँ:
3. सामाजिक और सांस्कृतिक स्थितिश्रेणी: मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में बागरी जाति को अनुसूचित जाति (SC) की श्रेणी में रखा गया है।
परंपराएँ:
परंपरागत रूप से ये कृषि, पशुपालन और कुछ क्षेत्रों में शिकार (इतिहास में) से जुड़े रहे हैं।
धार्मिक विश्वास: ये मुख्य रूप से हिंदू धर्म का पालन करते हैं और भगवान शिव, पांडव, तथा विभिन्न माता स्वरूपों (जैसे काली माँ) की पूजा करते हैं।
बागरी जाति के पारंपरिक धंधों में खेती, पशुपालन, मछली पकड़ना और सैन्य सेवा शामिल थे, लेकिन आधुनिक समय में यह समुदाय शिक्षा, सरकारी नौकरी, व्यापार और छोटे व्यवसायों की ओर बढ़ रहा है; ऐतिहासिक रूप से कुछ बागड़ी लड़ाके और मछुआरे भी रहे हैं, जबकि वर्तमान में कई छोटे व्यवसायी या मजदूर भी हैं, साथ ही शिक्षा और सरकारी नौकरियों में भी इनकी उपस्थिति बढ़ रही है।
पारंपरिक पेशे:कृषि और पशुपालन: परंपरागत रूप से खेती-बाड़ी और पशुपालन मुख्य कार्य रहे हैं।
मछली पकड़ना: कुछ बागड़ी समुदाय मछुआरे के रूप में भी जाने जाते थे।
सैन्य सेवा: बागड़ी जाटों ने भारतीय सेना में सैनिक के रूप में सेवा दी है, और बागड़ी राजपूत भी सेना में रहे हैं।
लड़ाके (योद्धा): ऐतिहासिक रूप से योद्धा जनजाति के रूप में भी इनकी पहचान रही है।
आधुनिक पेशे:शिक्षा और सरकारी नौकरी: आजकल कई बागड़ी लोग शिक्षा प्राप्त कर सरकारी नौकरियों में जा रहे हैं।
धार्मिक विश्वास: ये मुख्य रूप से हिंदू धर्म का पालन करते हैं और भगवान शिव, पांडव, तथा विभिन्न माता स्वरूपों (जैसे काली माँ) की पूजा करते हैं।
बागरी जाति के पारंपरिक धंधों में खेती, पशुपालन, मछली पकड़ना और सैन्य सेवा शामिल थे, लेकिन आधुनिक समय में यह समुदाय शिक्षा, सरकारी नौकरी, व्यापार और छोटे व्यवसायों की ओर बढ़ रहा है; ऐतिहासिक रूप से कुछ बागड़ी लड़ाके और मछुआरे भी रहे हैं, जबकि वर्तमान में कई छोटे व्यवसायी या मजदूर भी हैं, साथ ही शिक्षा और सरकारी नौकरियों में भी इनकी उपस्थिति बढ़ रही है।
पारंपरिक पेशे:कृषि और पशुपालन: परंपरागत रूप से खेती-बाड़ी और पशुपालन मुख्य कार्य रहे हैं।
मछली पकड़ना: कुछ बागड़ी समुदाय मछुआरे के रूप में भी जाने जाते थे।
सैन्य सेवा: बागड़ी जाटों ने भारतीय सेना में सैनिक के रूप में सेवा दी है, और बागड़ी राजपूत भी सेना में रहे हैं।
लड़ाके (योद्धा): ऐतिहासिक रूप से योद्धा जनजाति के रूप में भी इनकी पहचान रही है।
आधुनिक पेशे:शिक्षा और सरकारी नौकरी: आजकल कई बागड़ी लोग शिक्षा प्राप्त कर सरकारी नौकरियों में जा रहे हैं।
- सगाई (वर चयन): लड़की के परिवार वाले लड़के के घर जाकर उसका चयन करते हैं, तिलक करते हैं और लड़के के परिवार को नकद व वस्त्र भेंट करते हैं.
- लगन भेजना: पंडित से शुभ लग्न (तारीख) लिखवाकर वर पक्ष को भेजा जाता है.
- तेल-बान (घुंघरा): शादी के दिन दूल्हा-दुल्हन को गुड़ की मिठाई खिलाई जाती है, मामा शगुन देते हैं और तेल-दही छिड़कते हैं.
- हल्दी/पीठी: दूल्हा-दुल्हन के शरीर पर हल्दी लगाई जाती है.
- मंडप निर्माण: बांस और आम के पत्तों से मंडप बनता है, जिसमें बहनोई (दामाद) खंभे लगाते हैं.
- द्वार पूजन: विवाह की रस्मों के दौरान द्वार पूजन भी होता है.
- पारंपरिक गीत: विवाह के दौरान बागड़ी भाषा में कई पारंपरिक गीत गाए जाते हैं, जैसे "झोल घालने" औरपीठी के गीत.
- व्यापार और व्यवसाय:
छोटे व्यवसायी और होटल मालिक जैसे काम भी कर रहे हैं।
मजदूरी: कुछ लोग दिहाड़ी मजदूर के रूप में भी काम करते हैं।
जाति और पहचान:बागड़ी मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में पाई जाती है और अनुसूचित जाति (SC) की श्रेणी में आती है (राजपूत उपजातियों को छोड़कर)।
यह समुदाय अपनी पहचान के संकट से जूझ रहा है और नए अवसरों की तलाश में है, जैसे कि राजस्थान में पर्यटक होटलों का प्रबंधन। बागरी समुदाय में कुछ प्रमुख लोग हुए हैं, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में योगदान दिया है। इनमें से कुछ उल्लेखनीय नाम निम्नलिखित हैं: मणि राम बागरी (Mani Ram Bagri): एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जो
मजदूरी: कुछ लोग दिहाड़ी मजदूर के रूप में भी काम करते हैं।
जाति और पहचान:बागड़ी मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में पाई जाती है और अनुसूचित जाति (SC) की श्रेणी में आती है (राजपूत उपजातियों को छोड़कर)।
यह समुदाय अपनी पहचान के संकट से जूझ रहा है और नए अवसरों की तलाश में है, जैसे कि राजस्थान में पर्यटक होटलों का प्रबंधन। बागरी समुदाय में कुछ प्रमुख लोग हुए हैं, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में योगदान दिया है। इनमें से कुछ उल्लेखनीय नाम निम्नलिखित हैं: मणि राम बागरी (Mani Ram Bagri): एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जो
राज बागरी, बैरन बागरी (Raj Bagri, Baron Bagri): भारतीय मूल के एक ब्रिटिश व्यवसायी और राजनीतिज्ञ थे। वह लंदन मेटल एक्सचेंज के अध्यक्ष भी रहे और उन्हें ब्रिटिश हाउस ऑफ लॉर्ड्स का सदस्य बनाया गया था।
प्रतिमा बागरी (Pratima Bagri): मध्य प्रदेश की एक राजनीतिज्ञ और वर्तमान में राज्य मंत्री हैं। उनके जाति प्रमाण पत्र को लेकर विवाद भी चर्चा में रहा है।
अंशु बागरी (Ansh Bagri): एक भारतीय अभिनेता हैं जो कुछ टीवी शो और फिल्मों में काम कर चुके हैं।
बागरी समुदाय की विविध पहचान है, जिसमें राजपूत बागरी, जाट बागरी और अनुसूचित जाति के बागरी समुदाय शामिल हैं। ऐतिहासिक रूप से, बागरी राजपूत सैन्य उपलब्धियों के लिए जाने जाते थे।
संक्षेप में, बागरी एक प्राचीन योद्धा और कृषि प्रधान समाज है जिसका इतिहास वीरता और हिंदू पौराणिक कथाओं से गहराई से जुड़ा हुआ है।
प्रतिमा बागरी (Pratima Bagri): मध्य प्रदेश की एक राजनीतिज्ञ और वर्तमान में राज्य मंत्री हैं। उनके जाति प्रमाण पत्र को लेकर विवाद भी चर्चा में रहा है।
अंशु बागरी (Ansh Bagri): एक भारतीय अभिनेता हैं जो कुछ टीवी शो और फिल्मों में काम कर चुके हैं।
बागरी समुदाय की विविध पहचान है, जिसमें राजपूत बागरी, जाट बागरी और अनुसूचित जाति के बागरी समुदाय शामिल हैं। ऐतिहासिक रूप से, बागरी राजपूत सैन्य उपलब्धियों के लिए जाने जाते थे।
संक्षेप में, बागरी एक प्राचीन योद्धा और कृषि प्रधान समाज है जिसका इतिहास वीरता और हिंदू पौराणिक कथाओं से गहराई से जुड़ा हुआ है।