प्रतिहार वंश के गोत्र-प्रवरादि- वंश – सूर्य वंश
- गोत्र – कपिल
- वेद – यजुर्वेद
- शाखा – वाजस्नेयी
- प्रवर – कश्यप, अप्सार, नैधुव
- उपवेद – धनुर्वेद
- कुल देवी – चामुंडा माता
- वर देवी – गाजन माता
- कुल देव – विष्णु भगवान
- सूत्र – पारासर
- शिखा – दाहिनी
- कुलगुरु – वशिष्ट
- निकास – उत्तर
- प्रमुख गादी – भीनमाल, मंडोर,कन्नोज
- ध्वज – लाल (सूर्य चिन्ह युक्त)
- वॄक्ष – सिरस
- पितर – नाहङराव, लूलर गोपालजी
- नदी – सरस्वती
- तीर्थ – पुष्कर राज
- मन्त्र – गायत्री जाप
- पक्षी – गरुड़
- नगारा – रणजीत
- चारण – लालस
- ढोली – सोनेलिया लाखणिया विरद – गुजरेश्वर, राणा ,
- तंवर (तोमर) वंश के गोत्र-प्रवरादि
- वंश – चंद्रवंशी
- कुल देवी – चिल्लाय माता
- शाखा – मधुनेक,वाजस्नेयी
- गोत्र – अत्रि, व्यागर, गागर्य
- प्रवर – गागर्य,कौस्तुभ,माडषय
- शिखा – दाहिनी
- भेरू – गौरा
- शस्त्र – खड़ग
- ध्वज – पंचरगा
- पुरोहित – भिवाल
- बारहठ – आपत केदार वंशी
- ढोली – रोहतान जात का
- स्थान – पाटा मानस सरोवर
- कुल वॄक्ष – गुल्लर
- प्रणाम – जय गोपाल
- निशान – कपि(चील),चन्द्रमा
- ढोल – भंवर
- नगारा – रणजीत/जय, विजय, अजय
- घोड़ा – श्वते
- निकास – हस्तिनापुर
- प्रमुख गदी – इन्द्रप्रस्थ,दिल्ली
- रंग – हरा
- नाई – क़ाला
- चमार – भारीवाल
- शंख – पिचारक
- नदी – सरस्वति,तुंगभद्रा
- वेद – यजुर्वेद
- सवारी – रथ
- देवता – शिव
- गुरु – सूर्य
- उपाधि – जावला नरेश.दिल्लीपति
- राठोड़ वंश के गोत्र-प्रवरादि
- गोत्र – गोतमस्य
- नदी – सरयू
- कुण्ड – सूर्य
- क्षेत्र – अयोध्या
- पुत्र – उषा
- पितृ – सोमसायर
- गुरु – वशिष्ठ
- पुरोहित – सोह्ड़
- कुलदेवी – नागनेचिया
- नख – दानेसरा
- वेद – शुक्ल यजुर्वेद
- घोड़ा – दलसिंगार
- तलवार – रणथली
- माला – रत्न
- वंश – इक्ष्वाकु (रघुवंशी)
- धर्म – सन्यास
- बड़ – अक्षय
- गऊ – कपिला
- नगारा – रणजीत
- निशान – पंचरंगा
- ढोल – भंवर
- दमामी – देहधङो
- भाट – सिंगेल्या
- बारहठ – रोहङिया
- शिखा – दाहिनी
- गादी – लाहोर
- चिन्ह – चील
- इष्ट – सीताराम
- सम्प्रदाय – रामानुज
- पोथी -बडवा,रानीमंगा,कुलगुरु
- शाखा – साडा तेरह (131/2)
- उपाधि – रणबंका, कमध्व्ज
- परमार वंश के गोत्र-प्रवरादि
- वंश – अग्निवंश
- कुल – सोढा परमार
- गोत्र – वशिष्ठ
- प्रवर – वशिष्ठ, अत्रि ,साकृति
- वेद – यजुर्वेद
- उपवेद – धनुर्वेद
- शाखा – वाजसनयि
- प्रथम राजधानी – उज्जेन (मालवा)
- कुलदेवी – सच्चियाय माता
- इष्टदेव – सूर्यदेव महादेव
- तलवार – रणतरे
- ढाल – हरियण
- निशान – केसरी सिंह
- ध्वजा – पीला रंग
- गढ – आबू
- शस्त्र – भाला
- गाय – कवली
- वृक्ष – कदम्ब,पीपल
- नदी – सफरा (क्षिप्रा)
- पाघ – पंचरंगी
- राजयोगी – भर्तहरी
- संत – जाम्भोजी
- पक्षी – मयूर
- प्रमुख गादी – धार नगरी
- गुहिलोत(सिसोदिया) वंश के गोत्र प्रवरादि
- वंश – सूर्यवंशी,गुहिलवंश,सिसोदिया गोत्र – वैजवापायन
- प्रवर – कच्छ, भुज, मेंष
- वेद – यजुर्वेद
- शाखा – वाजसनेयी
- गुरु – द्लोचन(वशिष्ठ)
- ऋषि – हरित
- कुलदेवी – बाण माता
- कुल देवता – श्री सूर्य नारायण
- इष्ट देव – श्री एकलिंगजी
- वॄक्ष – खेजड़ी
- नदी – सरयू
- झंडा – सूर्य युक्त
- पुरोहित – पालीवाल
- भाट – बागड़ेचा
- चारण – सोदा बारहठ
- ढोल – मेगजीत
- तलवार – अश्वपाल
- बंदूक – सिंघल
- कटार – दल भंजन
- नगारा – बेरीसाल
- पक्षी – नील कंठ
- निशान – पंच रंगा
- निर्वाण – रणजीत
- घोड़ा – श्याम कर्ण
- तालाब – भोडाला
- विरद – चुण्डावत, सारंगदेवोत
- घाट – सोरम
- ठिकाना – भिंडर
- चिन्ह – सूर्य
- शाखाए – 24
- चौहान वंश के गोत्र-प्रवरादि
- वंश – अग्निवंश
- वेद – सामवेद
- गोत्र – वत्स
- वॄक्ष – आशापाल
- नदी – सरस्वती
- पोलपात – द्सोदी
- इष्टदेव – अचलेश्वर महादेव
- कुल देवी – आशापुरा
- नगारा – रणजीत
- निशान – पीला
- झंडा – सूरज, चांद, कटारी
- शाखा – कौथुनी
- पुरोहित – सनादय(चन्दोरिया)
- भाट – राजोरा
- धुणी – सांभर
- भेरू – काला भेरव
- गढ़ – रणथम्भोर
- गुरु – वशिष्ठ
- तीर्थ – भॄगु क्षेत्र
- पक्षी – कपोत
- ऋषि – शांडिल्य
- नोबत – कालिका
- पितृ – लोटजी
- प्रणाम – जय आशापुरी
- विरद – समरी नरेश
- कछवाह वंश के गोत्र-प्रवरादि
- गोत्र – मानव, गोतम
- प्रवर – मानव, वशिष्ठ
- कुलदेव – श्री राम
- कुलदेवी – श्री जमुवाय माता जी
- इष्टदेवी – श्री जीणमाता जी
- इष्टदेव – श्री गोपीनाथ जी
- वेद – सामवेद
- शाखा – कोथुमी
- नदी – सरयू
- वॄक्ष – अखेबड़
- नगारा – रणजीत
- निशान – पंचरंगा
- छत्र – श्वेत
- पक्षी – कबूतर
- तिलक – केशर
- झाड़ी – खेजड़ी
- गुरु – वशिष्ठ
- भोजन – सुर्त
- गिलास – सुख
- पुरोहित – गंगावत, भागीरथ
- भाटी वंश के गोत्र-प्रवरादि
- वंश – चन्द्रवंश
- कुल – यदुवंशी
- कुलदेवता – लक्ष्मी नाथ जी
- कुलदेवी – स्वागिया माता
- इष्टदेव – श्री कृष्ण
- वेद – यजुर्वेद
- गोत्र – अत्रि
- छत्र – मेघाडम्भर
- ध्वज – भगवा पीला रंग
- ढोल – भंवर
- नक्कारा – अगजीत
- गुरु – रतन नाथ
- पुरोहित – पुष्करणा ब्राह्मण
- पोलपात – रतनु चारण
- नदी – यमुना
- वॄक्ष – पीपल
- राग – मांड
- विरुद – उतर भड किवाड़ भाटी
- प्रणाम – जय श्री कृष्ण
- सोलंकी वंश का गोत्र-प्रवरादि
- वंश – अग्निवंश
- गोत्र – वशिष्ठ, भारदाज
- प्रवर तीन – भारदाज, बार्हस्पत्य, अंगिरस
- वेद – यजुर्वेद
- शाखा – मध्यन्दिनी
- सूत्र – पारस्कर, ग्रहासूत्र
- इष्टदेव – विष्णु
- कुलदेवी – चण्डी, काली, खीवज
- नदी – सरस्वती
- धर्म – वैष्णव
- गादी – पाटन
- उत्पति – आबू पर्वत
- मूल पुरुष – चालुक्य देव
- निशान – पीला
- राव – लूतापड़ा
- घोड़ा – जर्द
- ढोली – बहल
- शिखापद – दाहिना
- दशहरा पूजन – खांडा
- झाला वंश के गोत्र-प्रवरादि
- वंश – सूर्य वंश
- गोत्र – मार्कण्डेय
- शाखा – मध्यनी
- कुल – मकवान(मकवाणा)
- पर्व तीन – अश्व, धमल, नील
- कुलदेवी – दुर्गा,मरमरा देवी,शक्तिमाता
- इष्टदेव – छत्रभुज महादेव
- भेरव – केवडीया
- कुलगोर – मशीलीया राव
- शाखाए – झाला,राणा
- गौङ वंश के गोत्र-प्रवरादि
- वंश – सूर्य वंश
- गोत्र — भारद्वाज
- प्रवर तीन – भारद्वाज,बाईस्पत्य, अंगिरस
- वेद – यजुर्वेद
- शाखा – वाजसनेयि
- सूत्र – पारस्कर
- कुलदेवी – महाकाली
- इष्टदेव – रुद्रदेव
- वॄक्ष – केला
- बल्ला वंश के गोत्र-प्रवरादि
- वंश – इक्ष्वाकु-सुर्यवंश
- गोत्र – कश्यप
- प्रवर – कश्यप, अवत्सार, नेधृव
- वेद – यजुर्वेद
- शाखा – माध्यन्दिनी
- आचारसुत्र – गोभिलग्रहासूत्र
- गुरु – वशिष्ठ
- ऋषि – कुण्डलेश्वर
- पितृ – पारियात्र
- कुलदेवी – अम्बा, कालिका, चावण्ड
- इष्टदेव – शिव
- आराध्यदेव – कासब पुत्र सूर्य
- मन्त्र – ॐ धृणी सूर्याय नम:
- भेरू – काल भेरू
- नदी – सरयू
- क्षेत्र – बल क्षेत्र
- वॄक्ष – अक्षय
- प्रणाम – जय श्री राम
- दहिया वंश के गोत्र-प्रवरादि
- वंश – सूर्य वंश बाद में ऋषि वंश
- गोत्र – गोतम
- प्रवर – अलो, नील-जल साम
- कुल देवी – कैवाय माता
- इष्टदेव – भेरू काला
- कुल देव – महादेव
- कुल क्षेत्र – काशी
- राव – चंडिया-एरो
- घोड़ा – श्याम कर्ण
- नगारा – रणजीत
- नदी – गंगा
- कुल वृक्ष – नीम और कदम
- पोलपात – काछेला चारण
- निकास – थानेर गढ
- उपाधि – राजा, राणा, रावत
- पक्षी – कबूतर
- ब्राह्मण – उपाध्याय
- तलवार – रण थली
- प्रणाम – जय कैवाय माता
- गाय – सुर
- शगुन – पणिहारी
- वेद – यजुर्वेद
- निशान – पंच रंगी
- शाखा –
- भेरव – हर्शनाथ
आस्था और अंधविश्वास के बीच बेहद महीन रेखा होती है, पता ही नहीं चलता कि कब आस्था अंधविश्वास में तब्दील हो गई. विज्ञान, वकील ,डॉक्टर की डिग्री होने के बावजूद ऐसे कई लोग गले मे काला डोरा या ताबीज धारण करते हैं और राशिफल,कुंडली के चक्कर से बाहर नहीं निकल पाते हैं -Dr.Dayaram Aalok,M.A.,Ayurved Ratna,D.I.Hom(London)
12.9.17
राजपूत वंशो के गोत्र
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राजपूत वंशो के गोत्र प्रवरादि
Dr.Dayaram Aalok M.A.,Ayurved Ratna,D.I.Hom(London), Blog Writer,caste historian,Poet(kavitalok.blogspot.com),Social worker(damodarjagat.blogspot.com),Herbalist(remedyherb.blogspot.com,healinathome.blogspot.com),Used to organize Mass marriage programs for Darji Community. founder and president Damodar Darji Mahasangh
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