जन्म और शिक्षा
डॉ. दयाराम आलोक का जन्म 11 अगस्त 1940 को शामगढ़ में पूरालाल जी राठौड़ दर्जी के परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम गंगा बाई था और उनके 6 भाई और 3 बहनें हैं। उनका परिवार रेडीमेड वस्त्र बनाकर बेचने का व्यवसाय करता था और उनके आर्थिक हालात साधारण थे।
डॉ. आलोक ने हाईस्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की और 1961 में शासकीय सेवा में अध्यापक के पद पर नियुक्त हुए। इसके बाद, उन्होंने 1969 में राजनीति विषय से एम.ए. किया और आयुर्वेद रत्न और होम्योपैथिक उपाधि D I Hom (London) अर्जित कीं। यह उनकी शैक्षिक यात्रा का संक्षिप्त विवरण है।
- दामोदर दर्जी महासंघ का संविधान डॉ. दयारामजी आलोक ने 1965 में लिपिबद्ध किया था।
- डॉ. लक्ष्मीनारायणजी अलौकिक ने संविधान में कतिपय संशोधन किए और रसायन प्रेस दिल्ली से छपवाकर प्रचारित-प्रसारित किया।
- दामोदर दर्जी महासंघ का प्रथम अधिवेशन 14 जून 1965 को शामगढ़ में पूरालालजी राठौर के निवास पर हुआ था।
- अधिवेशन में 134 दर्जी बंधु उपस्थित हुए थे।
- इस अधिवेशन में श्री रामचन्द्रजी सिसोदिया को अध्यक्ष, श्री दयाराम जी आलोक को संचालक, और श्री सीताराम जी संतोषी को कोषाध्यक्ष बनाया गया था।
- सदस्यता अभियान चलाकर 50 नये पैसे वाले सैंकडों सदस्य बनाये गये थे।
डॉ. दयाराम आलोक एक कवि हृदय हैं और उनकी रचनाएं देशभक्ति और प्रकृति प्रेम के लिए जानी जाती हैं। साहित्य सृजन क्षेत्र में स्व. डॉ. लक्ष्मीनारायणजी अलौकिक ने उन्हें मार्गदर्शन किया और उनकी शुरुआती कविता "तुमने मेरी चिर साधों को झंकृत और साकार किया है" को "स्वास्थ्य सरिता" पत्रिका में प्रकाशित किया। इसके बाद उनकी काव्य रचना अनवरत चलती रही और लगभग 150 काव्य कृतियां विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं, जिनमें कादंबिनी का नाम भी शामिल है। यह एक अद्भुत साहित्यिक यात्रा है जो उनकी सृजनात्मकता और साहित्यिक प्रतिभा को दर्शाती है
रमेशचंद्र जी राठौर "आशुतोष" धार्मिक और आध्यात्मिक संस्थानों से वर्षों से जुड़े हुए हैं।
डॉ. दयाराम आलोक ने दर्जी समाज के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं:
1. अखिल भारतीय दामोदर दर्जी महासंघ का गठन 14 जून 1965 को किया।
2. डग के दर्जी मंदिर में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा समारोह 23 जून 1966 को आयोजित किया।
3. मध्य प्रदेश और राजस्थान के 6 चयनित जिलों के मंदिरों और मुक्ति धाम में दर्शनार्थियों के लिए बैठक सुविधा उन्नत करने हेतु 100 से भी ज्यादा संस्थानों को नकद दान के साथ ही सैंकड़ों सिमेन्ट की बेंच भेंट की।
4. दर्जी समाज की वैश्विक पहिचान के लिए 15 हजार व्यक्तियों को एक ही वंशवृक्ष में समाविष्ट कर वेबसाइट पर उपलब्ध कराया।
5. रामपुरा नगर में 1981 के दर्जी समाज के प्रथम सामूहिक विवाह सम्मेलन के रूप में मंदसौर जिले में सामूहिक विवाह की परम्परा का सूत्रपात किया।
6. निज वित्त पोषित पहला निशुल्क दर्जी सामूहिक सम्मेलन बोलिया ग्राम में 2010 में आयोजित किया।
इन कार्यों से डॉ. आलोक ने दर्जी समाज के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया है
- डग के भगवान सत्यनारायण के दर्जी मंदिर में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के लिए आर्थिक सहयोग के लिए 7 वर्षों से प्रयास किए जा रहे थे, लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी।
- डॉ. दयाराम जी आलोक ने 15 मई 1966 को डग के दर्जी बंधुओं को मंदिर में बैठक के लिए आमंत्रित किया।
- बैठक में डॉ. आलोक ने दर्जी बंधुओं से निवेदन किया कि भगवान सत्यनारायण की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए चंदा संग्रह की मुहिम शुरू की जाए।
- दर्जी बंधुओं ने अपने हस्ताक्षर युक्त एक लिखित प्रस्ताव पारित कर मंदिर उध्यापन कार्य डॉ. आलोक के नेतृत्व में दामोदर दर्जी महासंघ के सुपुर्द कर दिया।
- इसके बाद, मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के लिए आवश्यक धन संग्रहीत करने में सफलता मिली और अनुष्ठान सम्पन्न हुआ।
- 2011 में आपका परिवार बोलिया से अपने मूल ठिकाने शामगढ़ आ गया।
- आप सामाजिक हितैषी आयोजन करते रहने की प्रवृत्ति के चलते भाई रमेशजी राठौर आशुतोष के सहयोग से शामगढ़ नगर में सामूहिक विवाह सम्मेलन आयोजित किए।
इन कार्यों से डॉ. आलोक ने दर्जी समाज के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया है
उनके द्वारा बगलामुखी शक्तिपीठ नलखेड़ा, बैजनाथ धाम शिवालय आगर मालवा, कायावरणेश्वर क्यासरा महादेव शिवालय जैसे प्रसिद्ध मंदिरों को दान देना और शिवना मुक्ति धाम मंदसौर, वैकुंठ धाम शामगढ़, मुक्ति धाम आगर मालवा सहित सैंकड़ों धार्मिक और आध्यात्मिक संस्थानों को दान देना एक अद्भुत कार्य है।
उनकी पेंशन राशि और उनकी 6 वेबसाईट पर गूगल के विज्ञापन से प्राप्त राशि को पारमार्थिक कार्यों में उपयोग करने के लक्ष्य के प्रति उनका समर्पण प्रशंसनीय है। यह दिखाता है कि वे अपने जीवन को दूसरों की सेवा में समर्पित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
संस्थानों के संरक्षक और समितियों द्वारा उन्हें सम्मानित करना और आभार व्यक्त करना उनके कार्यों की सराहना को दर्शाता है। डॉ. आलोक जी का यह कार्य एक मिसाल है जो दूसरों को भी प्रेरित करेगा
- आप पिछले 15 वर्षों से दर्जी समाज के व्यक्तियों के फोटो ले रहे हैं।
- आपका उद्देश्य सामाजिक रीति-रस्मों में शामिल होकर दर्जी बंधुओं के फोटो लेना और उन्हें सुधारकर इंटरनेट पर अपलोड करना है।
- लगभग 5 हजार से ज्यादा दर्जी समाज के फोटो आज नेट पर मौजूद हैं।
- आप मानते हैं कि यह घर बैठे समाज के लोगों को एक दूसरे के साथ जुड़ने और समाज की गतिविधियों को देखने का एक अच्छा तरीका है।
- आप कहावत का उल्लेख करते हैं कि "100 शब्द से एक चित्र ज्यादा संदेश देने वाला होता है", जिसका अर्थ है कि फोटो शब्दों से ज्यादा संदेश देते हैं।
महिलाओं के फोटो शूट करने और रजिस्टर मे उनका विवरण दर्ज करने का काम मेरी पौत्री अपूर्वा तथा बेटी अल्पना और छाया ने किया है|
दामोदर दर्जी समाज के फोटो
दर्जी महिला समाज
दर्जी समाज पिक्चर्स
दर्जी बंधुओं को सम्मानित करने के चित्र
दर्जी यात्रा चित्र
- आपकी वेबसाइट "दर्जी समाज संदेश" दामोदर दर्जी समाज की सामाजिक गतिविधियों का प्रतिनिधित्व करती है और यह दुनिया की दर्जी समाज की सबसे बड़ी वेबसाइट है।वेबसाईट का Address
- इस वेबसाइट में 500 से ज्यादा लेख हैं।इस वेबसाईट के करीब 5 लाख पाठक हैं| जो इसकी लोकप्रियता का प्रमाण है|
- आप वाट्सएप पर "दामोदर वंशावली" नामक ग्रुप के माध्यम से फोटो और अन्य जानकारी साझा करते हैं।
- आपकी उम्र 85 वर्ष हो गई है और शारीरिक दुर्बलता के कारण सामाजिक रीति-रस्मों में आपकी उपस्थिति कम होती जा रही है।
- फिर भी, आपके मन में समाज सेवा के नए अवसरों की तलाश जारी है।
- आप एक चिकित्सक भी हैं और अपने 55 वर्षों के चिकित्सा अनुभवों को अपनी चिकित्सा संबंधी वेबसाइट्स पर साझा किया है।
- आपके हजारों चिकित्सा आलेखों के लाखों पाठक पूरे विश्व में मौजूद हैं।
- आपकी तीन आयुर्वेदिक और हर्बल चिकित्सा संबंधी वेबसाइट्स हैं, जिनके पते की लिंक्स आप नीचे दे रहे हैं।
- प्रत्येक ब्लॉग में लगभग 500 लेख हैं।
- आपकी अन्य वेबसाइट्स भी काफी पोपुलर हैं, जिनमें अध्यात्म, जाति इतिहास,जनरल नॉलेज और डॉ. दयाराम आलोक के आर्टिकल्स शामिल हैं।
- इन विज्ञापनों से गूगल को जो आय होती है, उसका 68% आपको पेमेंट होता है।
- यह "आम के आम गुठली के दाम" कहावत को चरितार्थ करता है, जो आपके लिए सुखकारी अनुभव है|
1996 में प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त होने के बाद आपने बीजेपी की सदस्यता हासिल की।
- आपने निम्नलिखित पदों पर निर्वाचित और मनोनीत होकर पार्टी की सेवा की:
- अध्यक्ष: नगर भाजपा बोलिया
- जिला महामंत्री: अध्यापक प्रकोष्ठ जिला मंदसौर
- आपने बीजेपी अध्यापक प्रकोष्ठ के महामंत्री की हैसियत से पचमढ़ी में 3 दिवसीय सेमिनार में सहभागिता की।
- डग के दर्जी मंदिर के उद्घाटन के दस्तावेज़ आपके पास हैं,
-डग के दर्जी बंधुओं ने आपकी कार्यक्षमता पर विश्वास करके डग मंदिर उद्घाटन जैसा महत्वपूर्ण कार्य आपको सौंपा, जो सिर्फ 25 वर्ष कीआयु मे आपके जीवन की सबसे बड़ी सामाजिक उपलब्धियों की पहली कड़ी मानी जा सकती है।
- तुलसीदासजी के रामचरित मानस के उद्धरण के माध्यम से आप बताते हैं कि प्रभु की कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो सकता है।
- यह अविश्वसनीय तो लगता है, लेकिन प्रभु की अदृश्य अनुकंपा के कारण, सिर्फ 1 माह 8 दिन की छोटी सी अवधि में मंदिर उध्यापन हेतु पर्याप्त धन संग्रहीत हो गया।
- उध्यापन की आमंत्रण पत्रिका छपवाकर पूरे समाज को उध्यापन समारोह हेतु आमंत्रित किया गया।
- डग स्थित दर्जी मंदिर का उध्यापन 23 जून 1966 को हुआ।
- डॉ. आलोक जी के मार्गदर्शन में आयोजित इस भव्य प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में सम्पूर्ण समाज के हर गाँव-शहर के दर्जी बंधु सहपरिवार शामिल हुए।
डॉ. आलोक जी ने शामगढ़ में नगर सांस्कृतिक परिषद का गठन किया और इसके माध्यम से कई कवि सम्मेलन आयोजित किए। उन्होंने कवि गोष्ठीयों के माध्यम से उभरते रचनाकारों को आगे बढ़ने के अवसर सृजित किए|