24.8.24

डॉ .दयाराम आलोक की सामाजिक ,धार्मिक, साहित्यिक जीवन यात्रा

               


जन्म और शिक्षा

डॉ. दयाराम आलोक का जन्म 11 अगस्त 1940 को शामगढ़ में पूरालाल जी राठौड़ दर्जी के परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम गंगा बाई था और उनके 6 भाई और 3 बहनें हैं। उनका परिवार रेडीमेड वस्त्र बनाकर बेचने का व्यवसाय करता था और उनके आर्थिक हालात साधारण थे।
डॉ. आलोक ने हाईस्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की और 1961 में शासकीय सेवा में अध्यापक के पद पर नियुक्त हुए। इसके बाद, उन्होंने 1969 में राजनीति विषय से एम.ए. किया और आयुर्वेद रत्न और होम्योपैथिक उपाधि D I Hom (London) अर्जित कीं। यह उनकी शैक्षिक यात्रा का संक्षिप्त विवरण है।

परिवार इतिवृत्त 

डॉ. दयाराम जी आलोक की पत्नी शांति देवी राजस्थान के झालरा पाटन के सिपाही प्यारेलाल जी पंवार की पुत्री थी .दयाराम आलोक जी की पाँच संतानों मे एक पुत्र और चार पुत्रियाँ हैं. पुत्र डॉ .अनिल कुमार दामोदर हॉस्पीटल & रिसर्च सेंटर शामगढ़ के संचालक हैं. बड़ी पुत्री छाया डग के सुरेश जी पँवार से विवाहित. अल्पना देवी w/o विनोद कुमार जी चौहान इंजिनीयर झाबुआ ,बेला बेन w/o सतोष कुमार जी परमार रानापुर और छोटी बेटी साधना का विवाह 1995 मे हेमेन्द्र कुमार जी परमार झाबुआ के साथ सम्पन्न हुआ.

दामोदर दर्जी महासंघ का गठन 

डॉ. दयारामजी आलोक ने दर्जी समाज के सामाजिक कार्यों को संगठित ढंग से संपादित करने और सामाजिक फिजूलखर्ची रोकने के उद्देश्य से 14 जून 1965 को शामगढ़ में "दामोदर दर्जी युवक संघ" का गठन किया था। समय के साथ-साथ यह संगठन विस्तृत होकर "अखिल भारतीय दामोदर दर्जी महासंघ" के नाम से जाना जाने लगा। यह एक महत्वपूर्ण पहल है जो समाज के विकास और सुधार के लिए काम करती है
- दामोदर दर्जी महासंघ का संविधान डॉ. दयारामजी आलोक ने 1965 में लिपिबद्ध किया था।
- डॉ. लक्ष्मीनारायणजी अलौकिक ने संविधान में कतिपय संशोधन किए और रसायन प्रेस दिल्ली से छपवाकर प्रचारित-प्रसारित किया।
- दामोदर दर्जी महासंघ का प्रथम अधिवेशन 14 जून 1965 को शामगढ़ में पूरालालजी राठौर के निवास पर हुआ था।
- अधिवेशन में 134 दर्जी बंधु उपस्थित हुए थे।
- इस अधिवेशन में श्री रामचन्द्रजी सिसोदिया को अध्यक्ष, श्री दयाराम जी आलोक को संचालक, और श्री सीताराम जी संतोषी को कोषाध्यक्ष बनाया गया था।
- सदस्यता अभियान चलाकर 50 नये पैसे वाले सैंकडों सदस्य बनाये गये थे।
-2 ऑक्टोबर 2023 को गांधी जयंती के अवसर पर दामोदर दर्जी महासंघ का पुनर्गठन हुआ |महासंघ के पुनर्गठ का पूरा विवरण निन लिंक मे है -

प्रकाशन दिनांक- 2 october 2023 ,गांधी जयंती 

* डॉ .दयाराम आलोक  का काव्य लोक 

डॉ. दयाराम आलोक एक कवि हृदय हैं और उनकी रचनाएं देशभक्ति और प्रकृति प्रेम के लिए जानी जाती हैं। साहित्य सृजन क्षेत्र में स्व. डॉ. लक्ष्मीनारायणजी अलौकिक ने उन्हें मार्गदर्शन किया और उनकी शुरुआती कविता "तुमने मेरी चिर साधों को झंकृत और साकार किया है" को "स्वास्थ्य सरिता" पत्रिका में प्रकाशित किया। इसके बाद उनकी काव्य रचना अनवरत चलती रही और लगभग 150 काव्य कृतियां विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं, जिनमें कादंबिनी का नाम भी शामिल है। यह एक अद्भुत साहित्यिक यात्रा है जो उनकी सृजनात्मकता और साहित्यिक प्रतिभा को दर्शाती है
- डॉ. दयाराम आलोक के छोटे भाई

  रमेशचंद्र जी राठौर "आशुतोष" धार्मिक और आध्यात्मिक संस्थानों से वर्षों से जुड़े हुए हैं।
- उन्होंने इन संस्थानों में निर्माण और सृजन कारी उपक्रमों में केंद्रीय भूमिका निभाई है।
- वर्तमान में, वे गायत्री शक्ति पीठ शामगढ़ का प्रबंधन पूरी कुशलता और समर्पण भाव से संभाल रहे हैं।
- उन्होंने दर्जी समाज की जानकारी की कई स्मारिकाएँ और ग्रंथ प्रकाशित किए हैं, जो उनके योगदान और समर्पण को दर्शाते हैं।
यह जानकारी रमेशचंद्र जी राठौर "आशुतोष" के व्यक्तित्व और कार्यों को प्रकाश में लाती है, जो एक समर्पित और कुशल व्यक्ति हैं जिन्होंने धार्मिक और सामाजिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है
- स्व. भवानी शंकरजी चौहान सुवासरा (संजीत वाले) ने

दर्जी समाज के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया।
- उन्होंने अपनी मोटर साइकिल से तमाम दर्जी समाज की बसाहट वाले गांवों-शहरों का दौरा किया और दर्जी परिवारों की जानकारी अपने रजिस्टर में नोट की।
- इस जानकारी का उपयोग भाई रमेशजी राठौर "आशुतोष" ने "समाज सेतु-2014" नामक विशाल ग्रंथ के संपादन में किया।
- इस ग्रंथ में दर्जी परिवारों की जानकारी दी गई है और इसे दामोदर दर्जी महासंघ कार्यालय, शामगढ़ के माध्यम से छपावाकर लागत मूल्य पर समाज को उपलब्ध कराया गया।
- यह ग्रंथ दर्जी समाज के लिए एक महत्वपूर्ण संदर्भ ग्रंथ है और स्व. भवानी शंकरजी चौहान सुवासरा के योगदान को स्मरण करने का एक तरीका है

सामूहिक विवाह की शुरुआत 

सामूहिक विवाह सम्मेलन की शुरुआत 1981 में हुई थी, जब डॉ. दयाराम आलोक ने मध्य प्रदेश के रामपुरा नगर में दर्जी समाज के लिए पहला सामूहिक विवाह सम्मेलन आयोजित किया था। यह एक अनोखा प्रयास था जो आर्थिक कठिनाइयों से जूझ रहे परिवारों के लिए विवाह आयोजित करने में मदद करने के लिए किया गया था। इस सम्मेलन के आयोजन से पहले, मध्य प्रदेश में सामूहिक विवाह का प्रचलन नहीं था, लेकिन राजस्थान में कुछ स्थानों पर यह प्रथा शुरू हो गई थी। डॉ. आलोक के प्रयासों से दर्जी समाज में सामूहिक विवाह की शुरुआत हुई और यह एक सफल आयोजन साबित हुआ।

डॉ. दयाराम आलोक ने दर्जी समाज के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं:
1. अखिल भारतीय दामोदर दर्जी महासंघ का गठन 14 जून 1965 को किया।
2. डग के दर्जी मंदिर में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा समारोह 23 जून 1966 को आयोजित किया।
3. मध्य प्रदेश और राजस्थान के 6 चयनित जिलों के मंदिरों और मुक्ति धाम में दर्शनार्थियों के लिए बैठक सुविधा उन्नत करने हेतु 100 से भी ज्यादा संस्थानों को नकद दान के साथ ही  सैंकड़ों सिमेन्ट की बेंच भेंट की।
4. दर्जी समाज की वैश्विक पहिचान के लिए 15 हजार व्यक्तियों को एक ही वंशवृक्ष में समाविष्ट कर वेबसाइट पर उपलब्ध कराया।
5. रामपुरा नगर में 1981 के दर्जी समाज के प्रथम सामूहिक विवाह सम्मेलन के रूप में मंदसौर जिले में सामूहिक विवाह की परम्परा का सूत्रपात किया।
6. निज वित्त पोषित पहला निशुल्क दर्जी सामूहिक सम्मेलन बोलिया ग्राम में 2010 में आयोजित किया।
इन कार्यों से डॉ. आलोक ने दर्जी समाज के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया है

दर्जी समाज के डग  स्थित सत्यनारायण मंदिर मे मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा 

- डग के भगवान सत्यनारायण के दर्जी मंदिर में मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के लिए आर्थिक सहयोग के लिए 7 वर्षों से प्रयास किए जा रहे थे, लेकिन सफलता नहीं मिल रही थी।
- डॉ. दयाराम जी आलोक ने 15 मई 1966 को डग के दर्जी बंधुओं को मंदिर में बैठक के लिए आमंत्रित किया।
- बैठक में डॉ. आलोक ने दर्जी बंधुओं से निवेदन किया कि भगवान सत्यनारायण की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए चंदा संग्रह की मुहिम शुरू की जाए।
- दर्जी बंधुओं ने अपने हस्ताक्षर युक्त एक लिखित प्रस्ताव पारित कर मंदिर उध्यापन कार्य डॉ. आलोक के नेतृत्व में दामोदर दर्जी महासंघ के सुपुर्द कर दिया।
- इसके बाद, मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के लिए आवश्यक धन संग्रहीत करने में सफलता मिली और अनुष्ठान सम्पन्न हुआ।
- डग के दर्जी मंदिर के उद्घाटन के दस्तावेज़ आपके पास हैं,तब आपकी आयु 25 वर्ष थी 
- दर्जी बंधुओं ने आपकी कार्यक्षमता पर विश्वास करके डग मंदिर उद्घाटन जैसा महत्वपूर्ण कार्य आपको सौंपा, जो आपके जीवन की सबसे बड़ी सामाजिक उपलब्धियों की पहली कड़ी मानी जा सकती है।
- तुलसीदासजी के रामचरित मानस के उद्धरण के माध्यम से आप बताते हैं कि प्रभु  की कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो सकता है "जासु कृपा सु दयाल ,मूक होई वाचाल ,पंगु चढहीं  गिरिवर गहन "
- मंदिर कार्य की सिद्धि के लिए दामोदर दर्जी महासंघ के कार्यकर्ता और समाज के वरिष्ठ लोगों ने चुनौती को युद्धस्तर पर लिया और गाँव-गाँव, शहर-शहर सामाजिक संपर्क पर निकलकर उद्घाटन के लिए चंदा एकत्र करने लगे
- एकत्रित चंदा राशि को आपने डग मंदिर के कोषाध्यक्ष श्री कन्हैयालालजी पँवार के सुपुर्द किया।
- उध्यापन की आमंत्रण पत्रिका छपवाकर पूरे समाज को उध्यापन समारोह हेतु आमंत्रित किया गया।
- डग स्थित दर्जी मंदिर का उध्यापन 23 जून 1966 को हुआ।
- डॉ. आलोक जी के मार्गदर्शन में आयोजित इस भव्य प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में सम्पूर्ण समाज के हर गाँव-शहर के दर्जी बंधु सहपरिवार शामिल हुए।
- यह कहना उचित है कि डग के सत्यनारायण मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह उस जमाने का सबसे बड़ा सामाजिक आयोजन था

दर्जी मंदिर डग  संबंधित दस्तावेज 



दस्तावेज  डग  मंदिर 


                                       निमंत्रण  पत्रिका 

दस्तावेज डग मंदिर 







बोलिया से शामगढ़ आया आलोक परिवार 

- 2011 में आपका परिवार बोलिया से अपने मूल ठिकाने शामगढ़ आ गया।
- आप सामाजिक हितैषी आयोजन करते रहने की प्रवृत्ति के चलते भाई रमेशजी राठौर आशुतोष के सहयोग से शामगढ़ नगर में सामूहिक विवाह सम्मेलन आयोजित किए।
डॉ. दयाराम आलोक ने दर्जी समाज के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं:
इन कार्यों से डॉ. आलोक ने दर्जी समाज के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाया है

मंदिरों और मुक्ति धाम को दान -

डॉ. दयाराम जी आलोक जी का यह कार्य वास्तव में परोपकारी और पुण्य का काम है। उन्होंने राजस्थान और मध्य प्रदेश के चयनित मंदिरों और मुक्ति धाम में नकद दान और सिमेन्ट की बेंचों की व्यवस्था करके लोगों की सेवा की है।
उनके द्वारा बगलामुखी शक्तिपीठ नलखेड़ा, बैजनाथ धाम शिवालय आगर मालवा, कायावरणेश्वर क्यासरा महादेव शिवालय जैसे प्रसिद्ध मंदिरों को दान देना और शिवना मुक्ति धाम मंदसौर, वैकुंठ धाम शामगढ़, मुक्ति धाम आगर मालवा सहित सैंकड़ों धार्मिक और आध्यात्मिक संस्थानों को दान देना एक अद्भुत कार्य है।
 उनकी पेंशन राशि और  उनकी 6 वेबसाईट पर गूगल  के विज्ञापन से प्राप्त राशि को पारमार्थिक कार्यों में उपयोग करने के लक्ष्य के प्रति उनका समर्पण प्रशंसनीय है। यह दिखाता है कि वे अपने जीवन को दूसरों की सेवा में समर्पित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
 संस्थानों के संरक्षक और समितियों द्वारा उन्हें सम्मानित करना और आभार व्यक्त करना उनके कार्यों की सराहना को दर्शाता है। डॉ. आलोक जी का यह कार्य एक मिसाल है जो दूसरों को भी प्रेरित करेगा

दर्जी समाज के फ़ोटो इंटरनेट पर 

- आप पिछले 15 वर्षों से दर्जी समाज के व्यक्तियों के फोटो ले रहे हैं।
- आपका उद्देश्य सामाजिक रीति-रस्मों में शामिल होकर दर्जी बंधुओं के फोटो लेना और उन्हें सुधारकर इंटरनेट पर अपलोड करना है।
- लगभग 5 हजार से ज्यादा दर्जी समाज के फोटो आज नेट पर मौजूद हैं।
- आप मानते हैं कि यह घर बैठे समाज के लोगों को एक दूसरे के साथ जुड़ने और समाज की गतिविधियों को देखने का एक अच्छा तरीका है।
- आप कहावत का उल्लेख करते हैं कि "100 शब्द से एक चित्र ज्यादा संदेश देने वाला होता है", जिसका अर्थ है कि फोटो शब्दों से ज्यादा संदेश देते हैं।
 



महिलाओं के फोटो शूट करने और रजिस्टर मे उनका विवरण दर्ज करने का काम मेरी पौत्री अपूर्वा तथा बेटी अल्पना और छाया ने किया है|

दर्जी समाज की विश्व की सबसे बड़ी वेबसाईट 

- आपकी वेबसाइट "दर्जी समाज संदेश" दामोदर दर्जी समाज की सामाजिक गतिविधियों का प्रतिनिधित्व करती है और यह दुनिया की दर्जी समाज की सबसे बड़ी वेबसाइट है।वेबसाईट का Address 


- इस वेबसाइट में 500 से ज्यादा लेख हैं।इस वेबसाईट के करीब 5 लाख पाठक हैं| जो इसकी लोकप्रियता का प्रमाण है| 
- आप वाट्सएप पर "दामोदर वंशावली" नामक ग्रुप के माध्यम से फोटो और अन्य जानकारी साझा करते हैं।
- आपकी उम्र 85 वर्ष हो गई है और शारीरिक दुर्बलता के कारण सामाजिक रीति-रस्मों में आपकी उपस्थिति कम होती जा रही है।


- फिर भी, आपके मन में समाज सेवा के नए अवसरों की तलाश जारी है।
- आप एक चिकित्सक भी हैं और अपने 55 वर्षों के चिकित्सा अनुभवों को अपनी चिकित्सा संबंधी वेबसाइट्स पर साझा किया है।
- आपके हजारों चिकित्सा आलेखों के लाखों पाठक पूरे विश्व में मौजूद हैं।
- आपकी तीन आयुर्वेदिक और हर्बल चिकित्सा संबंधी वेबसाइट्स हैं, जिनके पते की लिंक्स आप नीचे दे रहे हैं।



surecureherb.blogspot.com     अंग्रेजी की वेबसाईट 

- प्रत्येक ब्लॉग में लगभग 500 लेख हैं।
- आपकी अन्य वेबसाइट्स भी काफी पोपुलर हैं, जिनमें अध्यात्म, जाति इतिहास,जनरल नॉलेज  और डॉ. दयाराम आलोक के आर्टिकल्स शामिल हैं।
- आपकी कुल 6 वेबसाइट्स पर गूगल कंपनी विज्ञापन डालती है।
- इन विज्ञापनों से गूगल को जो आय होती है, उसका 68% आपको पेमेंट होता है।
-  यह "आम के आम गुठली के दाम" कहावत को चरितार्थ करता है, जो आपके लिए सुखकारी अनुभव है|

राजनीति मे हिस्सेदारी 

1996 में प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त होने के बाद आपने बीजेपी की सदस्यता हासिल की।
- आपने निम्नलिखित पदों पर निर्वाचित और मनोनीत होकर पार्टी की सेवा की:
- अध्यक्ष: नगर भाजपा बोलिया
- जिला महामंत्री: अध्यापक प्रकोष्ठ जिला मंदसौर
- आपने बीजेपी अध्यापक प्रकोष्ठ के महामंत्री की हैसियत से पचमढ़ी में 3 दिवसीय सेमिनार में सहभागिता की।

डॉ.आलोक जी के सामाजिक,साहित्यिक,आध्यात्मिक कार्य: 

डॉ दयाराम आलोक जी ने दर्जी समाज की उन्नति के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख योगदान यह हैं:
1. अखिल भारतीय दामोदर दर्जी महासंघ का गठन: डॉ आलोक जी ने दर्जी समाज के विकास के लिए अखिल भारतीय दामोदर दर्जी महासंघ का गठन किया।
2. सामूहिक विवाह आयोजन: उन्होंने दर्जी कन्याओं के लिए 9 सामूहिक विवाह आयोजन किए, जिससे समाज में विवाह की समस्या का समाधान हुआ।
3. प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा समारोह: डॉ आलोक जी ने दर्जी समाज के डग स्थिति मंदिर में प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया।
4. वंशवृक्ष निर्माण: उन्होंने दर्जी परिवारों की पारिवारिक जानकारी संग्रहित की और 15 हजार दर्जी बंधुओं का एक वंशवृक्ष बनाया।
5. निशुल्क सामूहिक विवाह आयोजन: डॉ आलोक जी ने निज वित्त पोषित निशुल्क दर्जी सामूहिक विवाह का आयोजन किया।
6. आध्यात्मिक दान: उन्होंने मध्य प्रदेश और राजस्थान के अनेक मंदिरों और मुक्तिधाम में लोगों की बैठक सुविधा के लिए सैंकड़ो सीमेंट की बेंचे भेंट की और नकद दान भी दिया।
7. साहित्यिक योगदान: डॉ आलोक जी कवि हैं और उनकी 150 काव्य कृतियाँ प्रकाशित हुई हैं।
8. चिकित्सा लेख: उनके चिकित्सा लेख healininathome.blogspot.com वेबसाइट पर नियमित प्रकाशित होते हैं और दुनिया भर में उनके लाखों पाठक हैं।मशहूर मासिक पत्रिका कादंबिनी मे भी आपके लेख प्रकाशित हुए हैं| 
- 85  वर्ष की आयु में भी आप सामाजिक सेवा के लिए नए अवसरों की तलाश में हैं।
- डग के दर्जी मंदिर के उद्घाटन के दस्तावेज़ आपके पास हैं,
-डग के दर्जी बंधुओं ने आपकी कार्यक्षमता पर विश्वास करके डग मंदिर उद्घाटन जैसा महत्वपूर्ण कार्य आपको सौंपा, जो  सिर्फ 25 वर्ष कीआयु मे आपके जीवन की सबसे बड़ी सामाजिक उपलब्धियों की पहली कड़ी मानी जा सकती है।
- तुलसीदासजी के रामचरित मानस के उद्धरण के माध्यम से आप बताते हैं कि प्रभु  की कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो सकता है।
"जासु  कृपा  सु दयाल पंगु चढहीं  गिरिवर गहन "
- मंदिर कार्य की सिद्धि के लिए दामोदर दर्जी महासंघ के कार्यकर्ता और समाज के वरिष्ठ लोगों ने चुनौती को युद्धस्तर पर लिया और गाँव-गाँव, शहर-शहर सामाजिक संपर्क पर निकलकर उद्घाटन के लिए चंदा एकत्र करने लगे।
- यह अविश्वसनीय तो लगता है, लेकिन प्रभु की अदृश्य अनुकंपा के कारण, सिर्फ 1 माह 8 दिन की छोटी सी अवधि में  मंदिर उध्यापन हेतु पर्याप्त धन संग्रहीत हो गया।
- एकत्रित चंदा राशि को आपने डग मंदिर के कोषाध्यक्ष श्री कन्हैयालालजी पँवार के सुपुर्द किया।
- उध्यापन की आमंत्रण पत्रिका छपवाकर पूरे समाज को उध्यापन समारोह हेतु आमंत्रित किया गया।
- डग स्थित दर्जी मंदिर का उध्यापन 23 जून 1966 को हुआ।
- डॉ. आलोक जी के मार्गदर्शन में आयोजित इस भव्य प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में सम्पूर्ण समाज के हर गाँव-शहर के दर्जी बंधु सहपरिवार शामिल हुए।
- यह कहना उचित है कि डग के सत्यनारायण मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह उस जमाने का सबसे बड़ा सामाजिक आयोजन था।

जाति इतिहास लेखक डॉ .आलोक 

डॉ. दयाराम आलोक जी एक प्रसिद्ध जाति इतिहास लेखक हैं, जिन्होंने भारत की विभिन्न जातियों के बारे में विस्तार से लेखन किया है। उनके लेखों में जातियों की उत्पत्ति, गौत्र, कुलदेवी और उनकी परंपरा, संस्कृति और रीति-रिवाजों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
उनके लेखों की विशेषता यह है कि वे गवेषणात्मक होते हैं, जो पाठकों को जातियों के बारे में गहराई से जानकारी प्रदान करते हैं। डॉ. आलोक जी के लेख भारतीय समाज में जातियों की स्थिति और उनके योगदान को भी स्पष्ट करते हैं।
उनके कुछ प्रमुख कार्यों में शामिल हैं:
- जाति इतिहास के बारे में विस्तार से लेखन
- विभिन्न जातियों की उत्पत्ति, गौत्र और कुलदेवी के बारे में जानकारी प्रदान करना
- जातियों की परंपरा, संस्कृति और रीति-रिवाजों का विस्तार से वर्णन करना
- भारतीय समाज में जातियों की स्थिति और उनके योगदान को स्पष्ट करना
डॉ. दयाराम आलोक जी के लेखों ने जाति इतिहास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और उनके कार्यों को व्यापक रूप से सराहा गया है

डॉ .आलोकजी का काव्य सृजन 

डॉ. दयाराम आलोक जी एक प्रसिद्ध कवि हैं, जो देशभक्ति, प्रणय, और प्रकृति सौन्दर्य पर आधारित गीतों के लिए जाने जाते हैं। उनकी पहली रचना तुमने मेरी चिर साधों को झंकृत और साकार किया है 1963 में बीकानेर से निकलने वाली मासिक पत्रिका स्वास्थ्य सरिता में प्रकाशित हुई थी।
इसके बाद, उनकी 150 से अधिक रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं, जिनमें से कुछ प्रसिद्ध रचनाएं हैं:



डॉ. आलोक जी ने शामगढ़ में नगर सांस्कृतिक परिषद का गठन किया और इसके माध्यम से कई कवि सम्मेलन आयोजित किए। उन्होंने कवि गोष्ठीयों के माध्यम से उभरते रचनाकारों को आगे बढ़ने के अवसर सृजित किए|

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