काकुत्स्थ दर्जी समुदाय का इतिहास विडियो
कोकुत्स्थ:- काकुत्स्थ क्षत्रिय समाज अपने आप को अयोध्या के इक्ष्वाकु वंश से जोड़ते हैं एवं महाराज पुरंजय के वंशज मानते हैं। वे अपने आप को सूचीकार ( दर्जी) कहते हैं | इस समाज का वर्ण परिवर्तन के पीछे पौराणिक आख्यान लगभग छीपा समाज जैसा ही है। यह समाज भी संत नामदेव को अपने समाज का मानते हैं।
काकुत्स्थ एक वंश था और दर्जी एक समाज है
काकुत्स्थ, अयोध्या के सूर्यवंशी राजा थे.
वे विकुक्षि के पुत्र, इक्ष्वाकु के पौत्र, और वैवस्वत मनु के प्रपौत्र थे.
दशरथ, काकुत्स्थ के वंशज थे.
देवासुर संग्राम में इन्होंने वृषरूपधारी इंद्र के कुकुद् अर्थात् डील (कूबड़) पर सवार होकर राक्षसों को पराजित किया था.
इनके पुत्र अनेना और पौत्र पृथु हुए.
कूर्म तथा मत्स्य पुराणों में इनके एक पुत्र का नाम सुयोधन भी दिया है.
दर्जी समाज
दर्जी समाज में कई उपजातियों का समावेश है, जैसे कि नामदेव, काकुसथ, सक्सेना, श्रीवास्तव, टांक, टेलर, आदि.
दर्ज़ी शब्द का शाब्दिक अर्थ दर्जी का व्यवसाय है.
काकुत्स्थ एक वंश था और दर्जी एक समाज है
काकुत्स्थ, अयोध्या के सूर्यवंशी राजा थे.
वे विकुक्षि के पुत्र, इक्ष्वाकु के पौत्र, और वैवस्वत मनु के प्रपौत्र थे.
दशरथ, काकुत्स्थ के वंशज थे.
देवासुर संग्राम में इन्होंने वृषरूपधारी इंद्र के कुकुद् अर्थात् डील (कूबड़) पर सवार होकर राक्षसों को पराजित किया था.
इनके पुत्र अनेना और पौत्र पृथु हुए.
कूर्म तथा मत्स्य पुराणों में इनके एक पुत्र का नाम सुयोधन भी दिया है.
दर्जी समाज
दर्जी समाज में कई उपजातियों का समावेश है, जैसे कि नामदेव, काकुसथ, सक्सेना, श्रीवास्तव, टांक, टेलर, आदि.
दर्ज़ी शब्द का शाब्दिक अर्थ दर्जी का व्यवसाय है.
काकुस्थ दर्जी अपना गुरु नामदेव जी को मानते हैं जो महान संत हो चुके हैं|
मुस्लिम दर्ज़ी बाइबिल और कुरान के पैगम्बरों में से एक इदरीस ( हनोक ) के वंशज होने का दावा करते हैं.
भारतीय (गुजरात और मुंबई) में दर्जी उपनाम मुख्य रूप से पारसी व्यावसायिक नाम है.
यह अंग्रेज़ी शब्द टेलर से लिया गया है.
मुस्लिम दर्ज़ी बाइबिल और कुरान के पैगम्बरों में से एक इदरीस ( हनोक ) के वंशज होने का दावा करते हैं.
भारतीय (गुजरात और मुंबई) में दर्जी उपनाम मुख्य रूप से पारसी व्यावसायिक नाम है.
यह अंग्रेज़ी शब्द टेलर से लिया गया है.
सभी दर्जी उपजातियों के एकीकरण की आज समय की जरूरत है| पीपावंशी दर्जी काम तो सिलाई का करते हैं लेकिन क्षत्रित्व का अहम उनसे छूटता नहीं है| वैसे दर्जी उपजातियों के इतिहास का गहराई से अन्वेषण करें तो ज्ञात होगा कि ज्यादातर दर्जी उपजातियों की गोत्र क्षत्रियों की है जैसे -राठौर ,सोलंकी,परमार,पँवार, सीसोदिया ,वागेला ,चौहान आदि |स्पष्ट है कि दर्जी समाज की उत्पत्ति क्षत्रिय कुल से हुई है|
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी Internet sources, Digital News papers, Books और विभिन्न धर्म ग्रंथो के आधार पर ली गई है. Content को अपने बुद्धी विवेक से समझे।
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