राजा राजेंद्र और रानी प्रेमा की एक सुंदर बेटी थी जिसका नाम सोना था, जो धनुष-बाण और तलवार चलाने में निपुण हो गई थी। जब वह विवाह योग्य हो गई, तो राजा ने उसका विवाह करवाना चाहा, लेकिन सोना ने उस व्यक्ति से विवाह करने का निश्चय किया जो उसे धनुष-बाण और तलवार चलाने में हरा दे। कई राजकुमार उसके साथ लड़ने आए, लेकिन सोना ने उन्हें हरा दिया और उन्हें निराश होकर लौटना पड़ा। उदय नाम का एक युवक सोना को दूसरों से लड़ते हुए देखता था और धीरे-धीरे सोना द्वारा अपने विरोधियों को हराने के लिए अपनाई जाने वाली तकनीकों को सीखता था। वह आगे आया और सोना को आसानी से हरा दिया। जब राजा ने उदय से उसके प्रशिक्षण के बारे में पूछा, तो उसने कहा कि उसने सोना को देखकर कौशल और तकनीक सीखी है। लेकिन सोना ने इस आदमी से शादी करने से इनकार कर दिया और उदय ने भी इसे स्वीकार कर लिया। तब बेताल ने राजा बिक्रम से पूछा कि सोना ने उदय से शादी क्यों नहीं की, हालाँकि उदय ने उसे हरा दिया था। राजा ने उत्तर दिया कि उदय ने सोना से तकनीक और रणनीति सीखी थी, इसलिए सोना उदय की शिक्षिका बन गई। संस्कृति के अनुसार एक शिक्षक अपने छात्र से विवाह नहीं कर सकता, और दोनों ने इसे स्वीकार कर लिया। नैतिक: कहानी एक सुंदर संदेश देती है: यदि आप किसी से कुछ सीखते हैं, तो आपको उन्हें अपना गुरु या शिक्षक मानना चाहिए।
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*भजन,कथा कीर्तन के विडिओ
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