आस्था और अंधविश्वास के बीच बेहद महीन रेखा होती है, पता ही नहीं चलता कि कब आस्था अंधविश्वास में तब्दील हो गई. विज्ञान, वकील ,डॉक्टर की डिग्री होने के बावजूद ऐसे कई लोग गले मे काला डोरा या ताबीज धारण करते हैं और राशिफल,कुंडली के चक्कर से बाहर नहीं निकल पाते हैं -Dr.Dayaram Aalok,M.A.,Ayurved Ratna,D.I.Hom(London)
साठखेड़ा का सिद्धेश्वर महादेव का मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो भगवान शिव के उपासकों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। मंदिर की विशेषताएं इस प्रकार हैं:
- सिद्धेश्वर महादेव मंदिर: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जिन्हें सिद्धेश्वर महादेव के रूप में पूजा जाता है।
- आस्था का केंद्र: यह मंदिर हिन्दू धर्मावलंबियों की आस्था का प्रमुख केंद्र है, जहां वे अपनी भक्ति और श्रद्धा को व्यक्त करते हैं।
- वानस्पतिक हरियाली: मंदिर का प्रांगण अच्छा है और वानस्पतिक हरियाली आकर्षक है।
- आध्यात्मिक दान: समाज सेवी डॉ. दयाराम आलोक जी ने मंदिर के लिए 4 सिमेन्ट की बेंचें भेंट की हैं, जो दर्शनार्थियों के लिए विश्राम के लिए उपयोगी होंगी।
- सम्मान और आभार: मंदिर समिति के सदस्यों, ग्राम जनों और नंदकिशोर जी वेद पत्रकार ने दान दाता का सम्मान करते हुए आभार व्यक्त किया है।
यह मंदिर गरोठ तहसील के कस्बा गाँव साठखेड़ा में स्थित है, जो शामगढ़ से कुछ ही किलोमीटर दूर है
नन्दकिशोर जी वेद ने मिस्त्री से दान पट्टिका लगवाई
मंदिर मे 4 बेंचें लगवाई
मंदसौर,झालावाड़ ,आगर,नीमच,रतलाम जिलों के
मन्दिरों,गौशालाओं ,मुक्ति धाम हेतु
समाजसेवी
डॉ.दयाराम जी आलोक शामगढ़ का आध्यात्मिक दान--पथ
मित्रों ,
परमात्मा की असीम अनुकंपा और कुलदेवी माँ नागणेचिया के आशीर्वाद और प्रेरणा से डॉ.दयारामजी आलोक द्वारा आगर,मंदसौर,झालावाड़ ,कोटा ,झाबुआ जिलों के चयनित मंदिरों और मुक्तिधाम में निर्माण/विकास / बैठने हेतु सीमेंट बेंचें/ दान देने का अनुष्ठान प्रारम्भ किया है| मैं एक सेवानिवृत्त अध्यापक हूँ और अपनी 5 वर्ष की कुल पेंशन राशि दान करने का संकल्प लिया है| इसमे वो राशि भी शामिल रहेगी जो मुझे google कंपनी से नियमित प्राप्त होती रहती है| खुलासा कर दूँ कि मेरी 6 वेबसाईट हैं और google उन पर विज्ञापन प्रकाशित करता है| विज्ञापन से होने वाली आय का 68% मुझे मिलता है| यह दान राशि और सीमेंट बेंचें पुत्र डॉ.अनिल कुमार राठौर "दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़ "के नाम से समर्पित हो रही हैं|
सिद्धेश्वर महादेव मंदिर साठखेड़ा
4 सिमेन्ट की बेंच भेंट.
सिद्धेश्वर महादेव मंदिर के संरक्षक और शुभचिंतक-
प्रकाश जी धनोतीया 97550 63907
नन्द किशोर जी वेद साठखेड़ा 95847 00256
कैलाश जी उपाध्याय 91790 50210
बलराम जी रत्नावत 98931 35921
डॉ.अनिल कुमार दामोदर s/o डॉ.दयाराम जी आलोक 99265-24852,,दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़98267-95656 द्वारा सिद्धेश्वर महादेव मंदिर साठखेड़ा हेतु दान सम्पन्न 12/9/2024
डॉ. दयाराम आलोक का जन्म 11 अगस्त 1940 को शामगढ़ में पूरालाल जी राठौड़ के दर्जी परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम गंगा बाई था और उनके 6 भाई और 3 बहनें हैं। उनका परिवार रेडीमेड वस्त्र बनाकर बेचने का व्यवसाय करता था और उनके आर्थिक हालात साधारण थे। डॉ. आलोक ने हाईस्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की और 1961 में शासकीय सेवा में अध्यापक के पद पर नियुक्त हुए। इसके बाद, उन्होंने 1969 में राजनीति विषय से एम.ए. किया और चिकित्सा संबंधित आयुर्वेद रत्न और होम्योपैथिक उपाधि D I Hom (London) अर्जित कीं। यह उनकी शैक्षिक यात्रा का संक्षिप्त विवरण है।
परिवार इतिवृत्त
डॉ. दयाराम जी आलोक की पत्नी शांति देवी राजस्थान के झालरा पाटन के सिपाही प्यारेलाल जी पंवार की पुत्री थी आलोक जी की पाँच संतानों मे एक पुत्र और चार पुत्रियाँ हैं. पुत्र डॉ .अनिल कुमार दामोदर हॉस्पीटल & रिसर्च सेंटर शामगढ़ के संचालक हैं. बड़ी पुत्री छाया डग के सुरेश जी पँवार से विवाहित. अल्पना देवी w/o विनोद कुमार जी चौहान इंजिनीयर झाबुआ ,बेला बेन w/o सतोष कुमार जी परमार रानापुर और छोटी बेटी साधना का विवाह 1995 मे हेमेन्द्र कुमार जी परमार झाबुआ के साथ सम्पन्न हुआ.
दामोदर दर्जी महासंघ का गठन
डॉ. दयारामजी आलोक ने दर्जी समाज के सामाजिक कार्यों को संगठित ढंग से संपादित करने और सामाजिक फिजूलखर्ची रोकने के उद्देश्य से 14 जून 1965 को शामगढ़ में "दामोदर दर्जी युवक संघ" का गठन किया था। समय के साथ-साथ यह संगठन विस्तृत होकर "अखिल भारतीय दामोदर दर्जी महासंघ" के नाम से जाना जाने लगा। यह एक महत्वपूर्ण पहल है जो समाज के विकास और सुधार के लिए काम करती है - दामोदर दर्जी महासंघ का संविधान डॉ. दयारामजी आलोक ने 1965 में लिपिबद्ध किया था। - डॉ. लक्ष्मीनारायणजी अलौकिक ने संविधान में कतिपय संशोधन किए और रसायन प्रेस दिल्ली से छपवाकर प्रचारित-प्रसारित किया। - दामोदर दर्जी महासंघ का प्रथम अधिवेशन 14 जून 1965 को शामगढ़ में पूरालालजी राठौर के निवास पर हुआ था। - अधिवेशन में 134 दर्जी बंधु उपस्थित हुए थे। - इस अधिवेशन में श्री रामचन्द्रजी सिसोदिया को अध्यक्ष, श्री दयाराम जी आलोक को संचालक, और श्री सीताराम जी संतोषी को कोषाध्यक्ष बनाया गया था। - सदस्यता अभियान चलाकर 50 नये पैसे वाले सैंकडों सदस्य बनाये गये थे।
-2 ऑक्टोबर 2023 को गांधी जयंती के अवसर पर दामोदर दर्जी महासंघ का पुनर्गठन हुआ |
डॉ. दयाराम आलोक कवि हृदय हैं और उनकी रचनाएं देशभक्ति और प्रकृति प्रेम के लिए जानी जाती हैं।उनकी शुरुआती कविता "तुमने मेरी चिर साधों को झंकृत और साकार किया है" को "स्वास्थ्य सरिता" पत्रिका में 1963 मे प्रकाशित हुई । उनकी 150 काव्य कृतियां विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं, जिनमें कादंबिनी का नाम भी शामिल है। यह एक अद्भुत साहित्यिक यात्रा है जो उनकी सृजनात्मकता और साहित्यिक प्रतिभा को दर्शाती है
सामूहिक विवाह की शुरुआत
सामूहिक विवाह सम्मेलन की शुरुआत 1981 में हुई थी, जब डॉ. दयाराम आलोक ने मध्य प्रदेश के रामपुरा नगर में दर्जी समाज के लिए पहला सामूहिक विवाह सम्मेलन आयोजित किया था। यह एक अनोखा प्रयास था जो आर्थिक कठिनाइयों से जूझ रहे परिवारों के लिए विवाह आयोजित करने में मदद करने के लिए किया गया था। इस सम्मेलन के आयोजन से पहले, मध्य प्रदेश में सामूहिक विवाह का प्रचलन नहीं था, लेकिन राजस्थान में कुछ स्थानों पर यह प्रथा शुरू हो गई थी। डॉ. आलोकजी के प्रयासों से दर्जी समाज में सामूहिक विवाह की शुरुआत हुई और यह एक सफल आयोजन साबित हुआ।
दर्जी मंदिर डग संबंधित दस्तावेज
दस्तावेज डग मंदिर
निमंत्रण पत्रिका
दस्तावेज डग मंदिर
बोलिया से शामगढ़ आया आलोकजी का परिवार
- 2011 में आपका परिवार बोलिया से अपने मूल ठिकाने शामगढ़ आ गया। - सामाजिक आयोजन करते रहने की प्रवृत्ति के चलते आलोकजी ने अनुज रमेशजी राठौर आशुतोष के सहयोग से शामगढ़ नगर में सामूहिक विवाह सम्मेलन आयोजित किए।
दर्जी समाज के फ़ोटो इंटरनेट पर
- आप पिछले 20 वर्षों से दर्जी समाज के व्यक्तियों के फोटो ले रहे हैं। - आपका उद्देश्य सामाजिक रीति-रस्मों में शामिल होकर दर्जी बंधुओं के फोटो लेना और उन्हें वेबसाईट पर अपलोड करना है। - लगभग 5 हजार से ज्यादा दर्जी समाज के फोटो आज नेट पर मौजूद हैं। - आप मानते हैं कि यह घर बैठे समाज के लोगों को एक दूसरे के साथ जुड़ने और समाज की गतिविधियों को देखने का एक अच्छा तरीका है। - आप कहावत का उल्लेख करते हैं कि "100 शब्द से एक चित्र ज्यादा संदेश देने वाला होता है", जिसका अर्थ है कि फोटो शब्दों से ज्यादा संदेश देते हैं।
महिलाओं के फोटो शूट करने और रजिस्टर मे उनका विवरण दर्ज करने का काम आपकी पौत्री अपूर्वा तथा बेटी अल्पना और छाया ने किया है|
- आपकी वेबसाइट "दर्जी समाज संदेश" दामोदर दर्जी समाज की सामाजिक गतिविधियों का प्रतिनिधित्व करती है और यह दुनिया की दर्जी समाज की सबसे बड़ी वेबसाइट है।वेबसाईट का Address
- इस वेबसाइट में 500 से ज्यादा लेख हैं।इस वेबसाईट के 5 लाख से अधिक पाठक विश्वभर मे फेले हुए हैं | - आप वाट्सएप पर "दामोदर वंशावली" नामक ग्रुप के माध्यम से फोटो और अन्य जानकारी साझा करते हैं। - आपकी उम्र 85 वर्ष हो गई है और शारीरिक दुर्बलता के कारण सामाजिक रीति-रस्मों में आपकी उपस्थिति कम होती जा रही है।
- फिर भी, आपके मन में समाज सेवा के नए अवसरों की तलाश जारी है। - आप एक चिकित्सक भी हैं और अपने 55 वर्षों के चिकित्सा अनुभवों को अपनी चिकित्सा संबंधी वेबसाइट्स पर साझा किया है। - आपके हजारों चिकित्सा आलेखों के लाखों पाठक पूरे विश्व में मौजूद हैं।
- आपकी तीन आयुर्वेदिक और हर्बल चिकित्सा संबंधी वेबसाइट्स हैं, जिनके पते की लिंक्स आप नीचे दे रहे हैं।
- प्रत्येक ब्लॉग में लगभग 500 लेख हैं। - आपकी अन्य वेबसाइट्स भी काफी पोपुलर हैं, जिनमें अध्यात्म, जाति इतिहास,जनरल नॉलेज और डॉ. दयाराम आलोक के आर्टिकल्स शामिल हैं।
- आपकी कुल 5 वेबसाइट्स पर गूगल कंपनी विज्ञापन डालती है। - इन विज्ञापनों से गूगल को जो आय होती है, उसका 68% आपको पेमेंट होता है। - यह "आम के आम गुठली के दाम" कहावत को चरितार्थ करता है, जो आपके लिए सुखकारी अनुभव है|
राजनीति मे हिस्सेदारी
1996 में प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त होने के बाद आपने बीजेपी की सदस्यता हासिल की। - आपने निम्नलिखित पदों पर निर्वाचित और मनोनीत होकर पार्टी की सेवा की: - अध्यक्ष: नगर भाजपा बोलिया - जिला महामंत्री: अध्यापक प्रकोष्ठ जिला मंदसौर
-सहसंयोजक जिला स्वास्थ्य प्रकोष्ट - आपने बीजेपी अध्यापक प्रकोष्ठ के महामंत्री की हैसियत से पचमढ़ी में 3 दिवसीय सेमिनार में सहभागिता की।
डॉ.आलोक जी के सामाजिक,साहित्यिक,आध्यात्मिक कार्य:
डॉ दयाराम आलोक जी ने दर्जी समाज की उन्नति के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख योगदान यह हैं:
1. अखिल भारतीय दामोदर दर्जी महासंघ का गठन: डॉ आलोक जी ने दर्जी समाज के विकास के लिए अखिल भारतीय दामोदर दर्जी महासंघ का गठन किया।
2. सामूहिक विवाह आयोजन: उन्होंने दर्जी कन्याओं के लिए 9 सामूहिक विवाह आयोजन किए, जिससे समाज में विवाह की समस्या का समाधान हुआ।
3. प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा समारोह: डॉ आलोक जी ने दर्जी समाज के डग स्थिति मंदिर में प्रतिमा प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया।
4. वंशवृक्ष निर्माण: उन्होंने दर्जी परिवारों की पारिवारिक जानकारी संग्रहित की और 15 हजार दर्जी बंधुओं का एक वंशवृक्ष बनाया।
5. निशुल्क सामूहिक विवाह आयोजन: डॉ आलोक जी ने निज वित्त पोषित निशुल्क दर्जी सामूहिक विवाह का आयोजन किया।
6. आध्यात्मिक दान: उन्होंने मध्य प्रदेश और राजस्थान के अनेक मंदिरों और मुक्तिधाम में लोगों की बैठक सुविधा के लिए सैंकड़ो सीमेंट की बेंचे भेंट की और नकद दान भी दिया।
7. साहित्यिक योगदान: डॉ आलोक जी कवि हैं और उनकी 150 काव्य कृतियाँ प्रकाशित हुई हैं।
8. चिकित्सा लेख: उनके चिकित्सा लेख healininathome.blogspot.com वेबसाइट पर नियमित प्रकाशित होते हैं और दुनिया भर में उनके लाखों पाठक हैं।मशहूर मासिक पत्रिका कादंबिनी मे भी आपके लेख प्रकाशित हुए हैं|
- 85 वर्ष की आयु में भी आप सामाजिक सेवा के लिए नए अवसरों की तलाश में हैं। - डग के दर्जी मंदिर के उद्घाटन के दस्तावेज़ आपके पास हैं, -डग के दर्जी बंधुओं ने आपकी कार्यक्षमता पर विश्वास करके डग मंदिर उद्घाटन जैसा महत्वपूर्ण कार्य आपको सौंपा, जो सिर्फ 25 वर्ष कीआयु मे आपके जीवन की सबसे बड़ी सामाजिक उपलब्धियों की पहली कड़ी मानी जा सकती है। - तुलसीदासजी के रामचरित मानस के उद्धरण के माध्यम से आप बताते हैं कि प्रभु की कृपा से असंभव कार्य भी संभव हो सकता है।
"जासु कृपा सु दयाल पंगु चढहीं गिरिवर गहन "
- मंदिर कार्य की सिद्धि के लिए दामोदर दर्जी महासंघ के कार्यकर्ता और समाज के वरिष्ठ लोगों ने चुनौती को युद्धस्तर पर लिया और गाँव-गाँव, शहर-शहर सामाजिक संपर्क पर निकलकर उद्घाटन के लिए चंदा एकत्र करने लगे। - यह अविश्वसनीय तो लगता है, लेकिन प्रभु की अदृश्य अनुकंपा के कारण, सिर्फ 1 माह 8 दिन की छोटी सी अवधि में मंदिर उध्यापन हेतु पर्याप्त धन संग्रहीत हो गया।
- एकत्रित चंदा राशि को आपने डग मंदिर के कोषाध्यक्ष श्री कन्हैयालालजी पँवार के सुपुर्द किया। - उध्यापन की आमंत्रण पत्रिका छपवाकर पूरे समाज को उध्यापन समारोह हेतु आमंत्रित किया गया। - डग स्थित दर्जी मंदिर का उध्यापन 23 जून 1966 को हुआ। - डॉ. आलोक जी के मार्गदर्शन में आयोजित इस भव्य प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में सम्पूर्ण समाज के हर गाँव-शहर के दर्जी बंधु सहपरिवार शामिल हुए।
- यह कहना उचित है कि डग के सत्यनारायण मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह उस जमाने का सबसे बड़ा सामाजिक आयोजन था।
जाति इतिहास लेखक डॉ .आलोक
डॉ. दयाराम आलोक जी एक प्रसिद्ध जाति इतिहास लेखक हैं, जिन्होंने भारत की विभिन्न जातियों के बारे में विस्तार से लेखन किया है। उनके लेखों में जातियों की उत्पत्ति, गौत्र, कुलदेवी और उनकी परंपरा, संस्कृति और रीति-रिवाजों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
उनके लेखों की विशेषता यह है कि वे गवेषणात्मक होते हैं, जो पाठकों को जातियों के बारे में गहराई से जानकारी प्रदान करते हैं। डॉ. आलोक जी के लेख भारतीय समाज में जातियों की स्थिति और उनके योगदान को भी स्पष्ट करते हैं।
उनके कुछ प्रमुख कार्यों में शामिल हैं:
- जाति इतिहास के बारे में विस्तार से लेखन
- विभिन्न जातियों की उत्पत्ति, गौत्र और कुलदेवी के बारे में जानकारी प्रदान करना
- जातियों की परंपरा, संस्कृति और रीति-रिवाजों का विस्तार से वर्णन करना
- भारतीय समाज में जातियों की स्थिति और उनके योगदान को स्पष्ट करना
डॉ. दयाराम आलोक जी के लेखों ने जाति इतिहास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और उनके कार्यों को व्यापक रूप से सराहा गया है
बूढ़ा मंदसौर जिले का का एक विकसित और समृद्ध कस्बा है| यहाँ पाटीदार समाज का प्रभुत्व है| बदरीलाल जी लोहार का कृषि यंत्र निर्माण का उधयोग है| आप शामगढ़ आए और मुक्तिधाम बूढ़ा मे बेंचें भेंट करने की बात हुई| समिति बनी हुई है| राम भजन जी पाटीदार पूर्व शिक्षक अध्यक्ष हैं| मध्य प्रदेश और राजस्थान के चयनित मुक्तिधाम मे बेंच लगाने के आध्यात्मिक अनुष्ठान के परिप्रेक्ष्य मे डॉ . दयाराम जी आलोक ने दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़ के माध्यम से बुढ़ा के मुक्ति धाम को 7 सिमेन्ट की बेंच भेंट कीं | समिति ने आभार व्यक्त किया |
मंदसौर,झालावाड़ ,आगर,नीमच,रतलाम जिलों के
मन्दिरों,गौशालाओं ,मुक्ति धाम हेतु
समाज सेवी
डॉ.दयाराम जी आलोक
शामगढ़ का आध्यात्मिक दान-पथ
मित्रों परमात्मा की असीम अनुकंपा और
कुलदेवी माँ नागणेचिया के आशीर्वाद और प्रेरणा से डॉ.दयारामजी आलोक द्वारा आगर,मंदसौर,झालावाड़ ,कोटा ,झाबुआ जिलों के चयनित मंदिरों और मुक्तिधाम में निर्माण/विकास / बैठने हेतु सीमेंट बेंचें/ दान देने का अनुष्ठान प्रारम्भ किया है| मैं एक सेवानिवृत्त अध्यापक हूँ और अपनी 5 वर्ष की कुल पेंशन राशि दान करने का संकल्प लिया है| इसमे वो राशि भी शामिल रहेगी जो मुझे google कंपनी से नियमित प्राप्त होती रहती है| खुलासा कर दूँ कि मेरी ६ वेबसाईट हैं और google उन पर विज्ञापन प्रकाशित करता है| विज्ञापन से होने वाली आय का 68% मुझे मिलता है| यह दान राशि और सीमेंट बेंचें पुत्र डॉ.अनिल कुमार राठौर "दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़ "के नाम से समर्पित हो रही हैं|
ग्राम बूढ़ा के मुक्तिधाम को
7 बेंच भेंट .
बूढ़ा मुक्ति धाम के शेड मे बेंच लगाई गईं.
बुढ़ा मुक्ति धाम के संरक्षक-
बद्रीलालजी लोहार 98260-77844
दीपक जी चौहान बूढ़ा
बूढ़ा मुक्तिधाम समिति के अध्यक्ष राम भजन जी पाटीदार 94245-38575
डॉ.अनिल कुमार दामोदर s/o डॉ.दयाराम जी आलोक 99265-24852,,दामोदर पथरी अस्पताल शामगढ़98267-95656 द्वारा ग्राम बूढ़ा के मुक्ति धाम हेतु दान सम्पन्न
मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले की तहसील मल्हारगढ़ शहर में स्थित मुक्ति धाम एक अद्वितीय धार्मिक और आध्यात्मिक स्थल है, जो अपनी संरचनाओं और प्रकृति की वैभव से समृद्ध है। यहाँ का वातावरण बेशुमार पेड़ों की वजह से शांत और सुखकर प्रतीत होता है। मुक्ति धाम में एक लंबा चद्दर का शेड श्रद्धांजलि देने के लिए उपयोग होता है, जहाँ लोगों के बैठने और विश्राम के लिए बेंचें आवश्यक हैं। मुक्ति धाम की व्यवस्थापक समिति अपने समर्पित भाव से विकास कार्य में जुटी हुई है, जिसमें राम लाल जी फरक्या अध्यक्ष हैं और राजेश जी दीक्षित विकास और संवर्धन से जुड़े हुए हैं। भरत जी फरक्या अपने पिता का सहयोग करते हैं। हाल ही में, समाज सेवी डॉ. दयाराम जी आलोक के आदर्शों से प्रेरित पुत्र डॉ. अनिल कुमार राठौर ने मध्य प्रदेश और राजस्थान के चयनित मुक्ति धाम में सिमेन्ट बेंचें दान करने के अपने आध्यात्मिक दान अनुष्ठान के तहत इस मुक्ति धाम में 10 सिमेन्ट की बेंच की व्यवस्था कर दी गई है। समिति के सभी सदस्यों ने दान दाता का सम्मान किया और समिति की तरफ से आभार-ज्ञापन पत्र दिया गया----