हिंदू धर्म विश्व के सबसे प्राचीनतम धर्मो में से एक हैं। हिंदू धर्म के चमत्कार व ज्ञान के कारण ही भारत विश्वगुरु बना था। आज हिंदू धर्म को विज्ञान भी स्वीकारने लगा। हिंदू धर्म के संस्कारों से लेकर अनेक क्रिया-कलापों में विज्ञान व जनकल्याण छुपा हुआ है।
*ओम मंत्र का महत्व- हिंदू धर्म में ओम का अत्यधिक महत्व है। सभी मंत्र, यंत्र व तंत्र में ओम का प्रयोग किया जाता है। ओम से मंत्रों के दोष खत्म हो जाते है। भारतीय ऋषियों के अनुसार यह सम्पूर्ण संसार ओममयी है। कण-कण में ओम व्याप्त है। हाल ही में यूरोपियन स्पेस एजेंसी और नासा की संयुक्त प्रयोगशाला सोहो ने संयुक्त रूप से सूर्य से निकलने वाली ध्वनि का अध्ययन किया और पाया की सूर्य से निकलने वाली ध्वनि हिंदू धर्म की ओम के समान ही है।
* हाथ जोडकर नमस्कार करना- हिंदू धर्म में किसी से मिलने पर नमस्कार किया जाता हैं। नमस्कार करने से न सिर्फ दूसरों का आदर सम्मान होता है अपितु विज्ञान अनुसार ऐसा करने से हमारे हाथ पर दबाव पडता है। जिसका सीधा प्रभाव हमारी आंख और मस्तिष्क पर पडता है।
* जनेऊ संस्कार- हिंदू धर्म में जनेऊ प्रयोग किया जाता हैं। यह हमारी आत्मिक शक्ति को बढाने वाला होता है। जनेऊ संस्कार के पश्चात हम पूजा-पाठ और यज्ञ करने के अधिकारी बन पाते हैं मल-मूत्र विसर्जन के समय इसे कान पर लपेटा जाता हैं। ऐसा करने के पीछे एक विज्ञान का रहस्य छुपा हुआ है। हमारे कान के पीछे दो नशे होती हैं जिनका सीधा सम्बंध हमारे मस्तिष्क और पेट से है। इन नशों पर दबाव से हमे मल-मूत्र त्यागने में आसानी होती है एवं कब्ज,गैस, एसीडीटी, मूत्र रोग आदि नही होते।
\* हाथ जोडकर नमस्कार करना- हिंदू धर्म में किसी से मिलने पर नमस्कार किया जाता हैं। नमस्कार करने से न सिर्फ दूसरों का आदर सम्मान होता है अपितु विज्ञान अनुसार ऐसा करने से हमारे हाथ पर दबाव पडता है। जिसका सीधा प्रभाव हमारी आंख और मस्तिष्क पर पडता है।
* जनेऊ संस्कार- हिंदू धर्म में जनेऊ प्रयोग किया जाता हैं। यह हमारी आत्मिक शक्ति को बढाने वाला होता है। जनेऊ संस्कार के पश्चात हम पूजा-पाठ और यज्ञ करने के अधिकारी बन पाते हैं मल-मूत्र विसर्जन के समय इसे कान पर लपेटा जाता हैं। ऐसा करने के पीछे एक विज्ञान का रहस्य छुपा हुआ है। हमारे कान के पीछे दो नशे होती हैं जिनका सीधा सम्बंध हमारे मस्तिष्क और पेट से है। इन नशों पर दबाव से हमे मल-मूत्र त्यागने में आसानी होती है एवं कब्ज,गैस, एसीडीटी, मूत्र रोग आदि नही होते।
* शिखा रखना- हिंदू धर्म में शिखा व्यक्ति की शक्ति के रूप में देखा जाता है। शिखा मनुष्यों को ज्ञान और विद्धा से युक्त रखती है। शिखा वाले स्थान पर दोनों दिमाग का जुडाव होता है। यह अत्यधिक नाजुक व कोमल भाग होता है। यह सहस्त्रचार चक्र का स्थान होता है।
* तुलसी और पीपल की पूजा- हिंदू धर्म में पीपल एवं तुलसी को अत्यधिक पवित्र माना जाता है। इनका पूजन और पालन अनेक पापों से मुक्ति देता है। विज्ञान के अनुसार पीपल एक ऐसा वृक्ष हैं जो सर्वाधिक ऑक्सीजन उत्सर्जित करता है।जबकी तुलसी की गंध से अनेक किटाणुओं से बचाव होता है।
* शंख बजाना- पूजन में शंख बजाने की प्रथा यह देवता के आगमन और पवित्रता का सूचक है। वैज्ञानिक मानते हैं की शंख बजाने से अनेक विकिरण और किटाणु नष्ट हो जाते हैं। इसके जल का प्रयोग गले व हृदय के अनेक दोषों को दूर करता है।
* सूर्य नमस्कार- सूर्य नमस्कार के पीछे का विज्ञान हमें आलस्य से दूर रखता है। सूर्य को आठ प्रकार से नमस्कार करने से हमारे शरीर की अच्छी तरह से कसरत हो जाती है जिससे शरीर में आलस्य नही फैलता।
* उतर दिशा में सोना वर्जित- हिंदू धर्म में प्राचीन काल से उत्तर दिशा की तरफ सोना वर्जित माना जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार उत्तर दिशा विशाल मेग्नेटिक फिल्ड होता है जिस कारण इधर सर रखकर सोने से मस्तिष्क में अधिक खिचाव होता है। बुरे स्वप्न आना या नींद न आने जैसी समस्या आती है।
\* पूजन में आरती का प्रयोग करना- पूजन करने के उपरांत आरती करने का विधान है। आरती से हमारी पूजा पूर्ण होती है। विज्ञान के अनुसार आरती करते समय घी और कपूर का प्रयोग वातावरण शुद्धि के लिये अत्यधिक लाभदायक होता है।
*माथे पर टीका लगाना- हिंदू धर्म में टीका लगाने का विशेष महत्व है। तिलक के बिना सभी धार्मिक कार्यो का फल प्राप्त नही हो पाता। विज्ञान के अनुसार दोनों भृकुटियों के बीच का भाग अत्यधिक संवेदन शील होता है। मस्तिष्क के इस हिस्से में “सेराटोनिन” एवं “ बीटाएंडोरफिन” नाम के दो रसायनों का स्त्राव होता है, तिलक के प्रयोग से इन दोनों रसायनो का स्राव संतुलित हो जाता है। जिससे मस्तिष्क शांत होकर अधिक से अधिक कार्य करता है।
\*ओम मंत्र का महत्व- हिंदू धर्म में ओम का अत्यधिक महत्व है। सभी मंत्र, यंत्र व तंत्र में ओम का प्रयोग किया जाता है। ओम से मंत्रों के दोष खत्म हो जाते है। भारतीय ऋषियों के अनुसार यह सम्पूर्ण संसार ओममयी है। कण-कण में ओम व्याप्त है। हाल ही में यूरोपियन स्पेस एजेंसी और नासा की संयुक्त प्रयोगशाला सोहो ने संयुक्त रूप से सूर्य से निकलने वाली ध्वनि का अध्ययन किया और पाया की सूर्य से निकलने वाली ध्वनि हिंदू धर्म की ओम के समान ही है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें