21.8.18

केवट,निषाद,मांझी ,मल्लाह जाती का इतिहास

                                       






निषाद जाति भारतवर्ष की मूल एवं प्राचीनतम जातियों में से एक हैं। रामायणकाल में निषादों की अपनी अलग सत्ता एवं संस्कृति थी, एवं निषाद एक जाति नहीं बल्कि चारों वर्ण से अलग "पंचम वर्ण" के नाम से जाना जाता था। आदिकवि महर्षि बाल्मीकि, विश्वगुरू महर्षि वेद व्यास, भक्त प्रह्लाद और रामसखा महाराज श्रीगुहराज निषाद जैसे महान आत्माओं ने इस जाति सुशोभित किया है। स्वतंत्रता आन्दोलन में भी इस समुदाय के शूरवीरों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया, लेकिन आज इस समुदाय के लोंगो में वैचारिक भिन्नता के कारण समुदाय का विकास अवरुद्ध सा हो गया है। उप-जाति, कुरी, गौत्र के आधार पर समुदाय का विखंडन हो रहा है, फलतः समुदाय के सामाजिक, धार्मिक आर्थिक एवं राजनैतिक मान-मर्यादा में ह्रास हो रहा है। इसी वैचारिक भिन्नता का उन्मूलन एवं उप-जाति, कुरी, गौत्र के आधार सामाजिक विखराव को रोकने हेतु एक प्रयास किया जा रहा है।

हम राजा निषादराज के वंशज है जिन्होंने भगवान् राम जी के पिता राजा दशरथ को युद्ध मैं तेरह बार हराया और जीत कर उनका राज वापिस कर दिया था हमारा राजा कितना दयालु था ? आज भगवान् राम की पूजा होती है और अब इतिहास मैं राजा निषादराज जी को सेवक के रूप मैं बताया जाता है ? जब भगवान् राम वनवास जा रहे थे तो केवट जी ने अपनी नाव से गंगा पार करवाई और जब केवट जी ने उतराई मांगी तो उन्होंने कहा की वापिस आने पर मिलेगे लेकिन वनवास से लौटने के बाद राम जी ने मिलना भी ठीक नही समझा ?हम राजा एकलव्य के वंशज है जिन्होंने धूर्त चालक द्रोणाचार्य को अपना अंगूठा दान मैं दे दिया था अब चाहे एकलव्य जी की नादानी समझो या गुरु भक्ति ? अब कलयुग मैं मछुआ समाज को राजनेता बेबकुफ़ बना रहे है समाजवादी पार्टी सत्रह जातियों के आरक्षण के नाम पर गुमराह करती रही मायावती जी मछुआ आरक्षण का खुलकर विरोध करती है कांग्रेस बात करना नही चाहती भा ज पा मछुआरा प्रकोष्ट बना कर हमारी घेरावंदी कर रही है ?
                                                         



माझी जाति का तात्पर्य नाव चलाने वाले से है। मल्लाह, केवट, नाविक इसके पर्यायवाची हैं। ये विश्वास करते हैं कि इनके पूर्वज पहले गंगा के तटों पर या वाराणसी अथवा इलाहाबाद में रहते थे। बाद में यह जाति मध्य प्रदेश के शहडोल, रीवा, सतना, पन्ना, छतरपुर और टीकमगढ़ ज़िलों में आकर बस गयी। सन 1981 की जनगणना के अनुसार मध्य प्रदेश में माझी समुदाय की कुल जनसंख्या 11,074 है। इनके बोलचाल की भाषा बुन्देली है। ये देवनागरी लिपि का उपयोग करते हैं। ये सर्वाहारी होते हैं तथा मछली, बकरा एवं सुअर का गोश्त खाते हैं। इनका मुख्य भोजन चावल, गेंहु, दाल सरसों तिली महुआ के तेल से बनता है। इनके गोत्र कश्यप, सनवानी, चौधरी, तेलियागाथ, कोलगाथ हैं। मल्लाह भारतवर्ष की यह एक आदिकालीन मछुआरा 
जाति है। मल्लाह जाति मूल रूप से हिन्दू धर्म से सम्बंधित है। यह आखेटक अर्थात शिकारी जाति है। इनका उल्लेख महाभारत एवं रामायण जैसे भारत के प्राचीन धार्मिक ग्रन्थों में मिलता है। यह जाति प्राचीनकाल से जल जंगल और ज़मीन पर आश्रित है। वर्णव्यवस्थानुसार यह जाति वैश्य श्रेणी के अंतर्गत आती है। चूँकि यह जाति मुख्यत: जल से सम्बंधित व्यवसाय कर अपना जीवनयापन करते चले आए हैं, इस लिए मल्लाह, "मछुआरा" ,केवट\बिन्द ,निषाद की ही कई उप-जातियों में से एक हैं।
भारतवर्ष आर्थिक कारोबारी तरक्की में जितना मल्लाह समाज का हाथ है अन्य जाति का नही है। आज तक भारत ने तीन राज देखे हैं प्रथम राज भारत पर आर्यों ने किया दूसरा राज मुलगोनों ने तीसरा राज अंग्रेजों ने किया लेकिन जहारों लाखों साल पूर्व दुनिया के इतिहास में केवट राज निषाद जी (मल्लाह) ने धर्म (हिनू) भगवान श्री राम जी को वनवास काल के दौरान अपनी ओत, जोत दोनों वक्त नदी पार कराई, सतयुग से लेकर आज तक यही काम कर रही है यह । यह जाति धीरे धीरे दनियों किनारे खाली पडी जमीन में तरबुज, खरबुजा, ककडी, लोकी खेती उगाने लगी वहीं कुछ लोग मछली पकड कर अपने परिवार का पालन पोशन करने लगे। वही गरीब अमीर, राजाओ की पुत्रियों की शादी में दुल्हन की डोली दुल्हे वर के घर पहुंचाने लगे यह र्का 800 वर्षों तक चला लेकिन इतिहास के पन्नों में एक भी मामला आपको ऐसा नहीं मिलेगा कि किसी (मल्लाह) कहार ने किसी की डोली लूट ली। इस तरह भारत के अलग अलग क्षत्रों में मल्लाह जाति को अलग अलग नाम से पुकारा जाने लगा जैसे मल्लाह, केवट, निषाद, महागीर, मांझी, यमुना प्रत्र, मछुआरा, कश्यप आदि के नाम से पुकारा जाने लगा। राजा भतके के राज के दौरान मल्लाह जाति को बडी इज्जत मिलजी थी। मल्लाह के अलावा नावघाट, मछुली पकडना, डोली उठाना जैसे काम कर कर अपना गुजारा करते जहां राजा कि सेना नहीं निकल सकती व मल्लाह को बसाकर नाव नाव (कश्तीे) से सेना को पार करते। एक दूसरे शहरों के व्यापारी भी नाव से माल लाने लेजाने का कार्य करते थे उसके बाद मुगलों के राज में पाीपत के प्रथम युदध के लिए है तालिबान से बहादुर शाह अब्दाली की सेा यमुना पर रूक गयी, पानी यमुना में अधिक था अब्दाली द्वारा खानी बश्ती (वर्तमान रामडा-तहसील) कैराना। जनपद शामली (मु. नगर, उत्तर प्रदेश) मल्लाह बश्ती में मल्लाह तैराकों की मदद से सेना के लिए रास्ता निकाला। युदघ में जीतने के बाद अब्दाली ने मल्लाह जाती के लिए रेत-खनन, नाव घाट, मछली, दनियों की पडी जमीन कर मुक्त कर फ्री खेती कर घाट लगाना आरक्षित कर दिया जो कि अब्दाली के द्वारा लिखित में दिया गया जो कि रामडा नि. मल्लाह के पास था लेकिन गांव में बाड आने के कारण वह गुम होगया फिर अंग्रजों के राज के दौरान मल्लाह जाीि के तैराकों कश्ती लगाने वालों की मांग बढी।अंग्रेजों द्वारा पानी के जहाजों का कार्य लगभग इन जाति के लोगों पर चलता कहीं कहीं तो कश्ती चलाने वालों को अच्छी नोकरी पद मिल जाते थे करीब 150 वर्ष पूर्व उ. प्र. के मु. नगर जनपद कैराना के पास मवी हैदरपुर गांव बुन्डा मल्लाह को उनकी बहादुरी के किस्से दूर दूर तक मशहूर थे बुन्डा मल्लाह अपने दौर के बतरीन निशानेबाज थे गहरे पानी से दूर से आभास कर के ापनी मं अपनी बन्दूक की गोली से मगर (नाकू) मार देते थे जिस से खुश होकर अंग्रेज सरकान ने उन्हें मजिस्टेट की पदवी दी थी। 12 ग्रामों को इनाम में दे दिया था इस दौर में भी मल्लाह जाति की बहुत इज्जत थी रेत खनन, मछली पकडने, नाव घाट, डोली उठाना, दनियों की खाली पडी जमीन मुफत खेती के लिए आरक्षित रहा। फिर देश की आजादी के लिए अंग्रेजों से लडाई चली तो मल्लाह जाति के लोगों का योगदान कम नहीं रहा। उत्तर प्रदेश, मु. नगर के ग्राम रामडा (पूर्व में मल्लाह बश्ती) के बरकत मल्लाह आदि ने पंडित जवार लाल नहरू, लाल बहादुर शास्त्री कोअपनी नाव दनियों को पार तारने के साथ साथ ही स्वतन्त्रता सैनानियों की दनियों में सुक्षित नदियां पार कराई। फिर 15.8.1947 में देश आजाद हुआ चारों ओर खुशियां थीं। नई आजादी के साथ नई उम्मीद थी लेकिन पंडित जी के प्रथम प्रधान मन्त्री बनने के बाद से लेकर 1990 तक उत्तर प्रदेश सरकान के या अन्य राज्य सरकान ने जो भी नाव घाट, पुंछी, मछली पालन, रेत खनन, दनियों की जमीन तरबुज, खरबुजा, ककडी आदि के की निलामी मल्लाह या मछुआ समुदाय की जातियाकें के व्यक्ति के नाम निलामी की रकम देकर छोडे जाने लगी। इसके साथ लाखों जहारों साल से चल रही फ्री पटरे योजना पैसों में छोडी जाने लगी लेकिन 1990 दशक के बाद रेत खनन माफिया के नेताओं के साथ बहुत मोटी धनराशी कमाने लगे और धीरे धीरे मल्लाह जाति के लोग पहले कश्ती घाट फिर रेत खनन, नदियों की जमीन में तालाबों पर हर तरह के माफियों अधिकारियों, नेताओं की मिली भगत से मल्लाह को कहीं धन की बल से डरा धमकाकर इन कार्यों से दूर कर दिया गया और नेता माफिया द्वारा नदियों का सीना चीरकर अवैध रेत खनन करते रहे। नाव घाट पर कब्जा कर लिया, तालाब समाप्त कर दिये गए, गोता खोर भी अन्य जातियों के लगने लगा अब बेरोजगार मल्लाह जाति के लोग खाना बदोशों की तरह इधर उधर रोजगार की तलाश में फिरने लगे, भुखमरी आने के कारण अपने बच्चों को पढाने से कोई नेता समाज की तरफ नहीं देखता। आज भगवान श्री राम के देश में भगवान को नदी पार कराने वाले देश आर्थि तंगी व्यापार में बढाने वालों को राम के ही देश में उनके अधिकारों को एक शाजिश के तहत समाप्त कर दिया गया। पिछले 68 वर्षों में मल्लाह जाति के लोगों पर जितने जुल्म अत्याचार हुए हैं किसी जाति पर नहीं। जहां भारत का संविधान यह कहता है कि आरक्षण का लाभ जाति धर्म के आधार पर नहीं बल्कि पिछडेपन के आधार पर मिलता है तो मेरा दावा है कोई सरकार सर्वे करालो या कुछ भी कर लो मल्लाह जाति, मछुआ समुदाय की इस जाति के लोग भूमीहीन है। गरीबी सबसे ज्यादा है रोजगार नहीं । शिक्षा में पिछड गया कि समाज की मुख्यधारा में इनकी हालत दलितों से भी कहीं ज्यादा खराब है। क्या राम के देश भारत का संविधान मल्लाह व मछुआ समुदाय कि जातियों के साथ इंसाफ नहीं करेगा। बस हर सरकार हर पार्टी ने हमें वोटों के रूप में देखा है बस अब मेरी मल्लाह जाति के सभी व मछुआ समुदाये कि जाति के लोगों से निवेदन है कि आप धर्मों में न बट कर केवल जाति को दखें, मल्लाह, केवट, निषाद अन्य उप जाति चाहे वह हिन्दू धर्म या इस्लाम, सिख, इसाई धर्म से तालुक क्यू न रखती है बस हमारे लिए वह भाई है जिस तरह और जातियों में धर्म नहीं जाति बेश पर अपने अधिकारों की लडाई लड रही है हम भी एक होकर मछुआ समुदाय की सभी उपजातियों के अधिकारेां के लिए संघर्ष करें। इस लिए हमारी समीति के द्वारा अनेक मांगी रखी गयी हैं कृपया उन पर विचार विमर्ष कर हमें अपने सुझाव भेंजें। ... मल्लाह फन्ड की स्थापना मल्लाह फन्ड की स्थापना कराने का मकसद यह है कि समिती के बैंक खाते में जो भी चन्दा इकटठा होगा उस चन्दे से आप और हम सब जानते हैं कि अगर हमारे भाई की मौत होजाय तो हमारी बहने इद्द्त में 4 माह दस दिन बैठ जाती लेकिन 80 प्रतिशत ऐसे हालत आती है कि वह बहुत मजबूर होती इस तरह के मामलों को देखकर हमने मल्लाह फंड की स्थापना करने की जरूरत महसूस की। फन्ड देने वालों की कमेटी ग्राम वाई होगी। किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होगा। ज्यादा जरूरतमंद होने पर कमेटी उसका चयन करेगी जिसे ज्यादा जरूरत समझेगी। आप सब का कोई भी इन्सान इसका मेम्बर बन सकता है जिसे हर महीने दान करना। हर साल या कभी भी साल में एक बार समिती का हिसाब किता होगा। उस वक्त आप कोई भी किसी तरह का हिसाब ले सकते हैं। लाभार्थी का चयनः 1. जवान लडकियों की शादी में मदद करना 2. इद्द्त में बैठी अपनी जरूरतमंद बहनों की मदद करना 3. गम्भीर बिमारी में मदद करना 4. गरीब परिवार के बच्चों को किताबें व स्कूल फीस भरना 5. हाई एजुकेशन पढ रहे गरीब बच्चों के दाखिले में मदद एवं फीस भरना 6. विकलंग बच्चों को टाईसिकल आदि सामान देना 7. सिलाई कढाई के सेटर खुलवाना 8. समाज के गरीब बच्चों का काम सीखाने वालों को मिस्त्री, दुकान खुलावाने में मदद करना अपील प्रिय प्यारे दोस्तों एवं अजीज साथियों आपको जानकर खुशी होगी कि मछुआ समुदाय की सभी उप जातियों मल्लाह समाज की रोजगार, समस्याओं, आरक्षन मांगें सरकार तक पहुंचाने के लिए केवट मल्लाह एकता सेवा समिती का का गठन किया गया जिसके बाद समिती को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मान्यता दिनांक .......... दी गई जिस का रजिस्टशन संखया अधिनिया 1860 के अन्तर्गत रजिस्टशन संख्या 364 है एक वर्ष समिती ने 1000 पत्र भारत के सभी राज्यों के मुख्य मंत्रियों, भारत सरकार के सभी मंत्रीयों, प्रधान मंत्री महोदय, सभी पार्टियों के अध्यक्षों को मल्लाह जाति की मूल समस्याओं से अवगत कराया है जिस का हमें फायदा हुआ है। जो योजना हमारे समाज को मिलनी चाहिए थी उनकी जानकारी हमें नहीं थी यह जाकारी हमें विभिन्न राज्य सरकारों ने उपलब्ध करादी है जैसे मल्लाह समाज को कल्याण कारी संस्था के सदस्यों के लिए मछुआ आवास कल्याण योजना, दुर्घटना बिमा योजना, मछली पालन आदि। इन सभी योजनाओं की जानकारी आप तक पहुंचान ही हमारा प्रयास है। हम और बुदधीजिवयों बडे बुजुर्ग लोग मानते हैं कि यह सत्य है कि दुनिया की सबसे बडी जाति को आज भूखे मरने कि कगार पर है जिसकी सबसे बडी वजह है समाज के लोगों का रोजगार ना होना, हमारे समाज के लोग खाना बदोश की तरह यहां घर पर रहते हैं मलहा रोजगार के लिए देश की गंगा, यमुना नदी पर तरबूज, खरबुजा की फसल लगाने के लिए चले जाते हैं जिस वजह से आज तक अपने बच्चों को यह पढाने में सक्षम नहीं, जहारों लाखों सालों से नदियोें के तट पर बसी यह जाति हर सरकार से अपने लिए उम्मीद करती है। क्या आपको पता है दुनिया का पहला आदमी जिसने भारत की खोज की थी (पता लगाया था) वह कौन था वह व्यक्ति दक्षिण अफ्रीका का रहने वाला मल्लाह पुत्र वासकोडीगामा था हां भाइयों मल्लाह जाति के इस व्यक्ति ने दुनिया के लिए भारत की खोज की अपनी नाव के जरिये अपने राजा से अनुदान लेकर यह खोज की थी। लाखों साल पहले भगवान रामचन्द्र को वनवास के दौरान बिना किसी के नदी पार कराने वाला भी केवट राज निषाद जी मल्लाह जाति के ही थे। इस्लाम धर्म के हिसाब से इस्लाम धर्म के प्रचार के लिए 1 लाख 24 हजार पेगम्बर आए जिस में से एक पेग्म्बर थे जहरत नुह अलैहिस्सलाम, धार्मिक ग्रंथों के हिसाब से जो उनकी नाव में चढ गया जिवित रह गया वरना दुनिया में कोई जिवीत नहीं बचा वह आप की मल्लाह जाति से ताल्लुक रखते थे। नूह की कश्‍ती (नौका) को खोजने और उसे देखने के लिए सदियों से लोग बैचेन रहे हैं। मगर इस किस्से के बारे में 1950 से पहले कोई सबूत ऐसा नही था जो ये तय कर सके कि वाकई नूह की जलप्रलय जैसी घटना पुथ्वी पर हुयी थी ।
बिहार सरकार ने मल्लाह, निषाद और नोनिया जाति को अनुसूचित जन जाति में शामिल करने का नीतिगत फैसला कर लिया है. राज्य कैबिनेट की शनिवार को हुई बैठक में इसे मंजूरी दी गयी. मल्लाह, निषाद (बिंद, बेलदार, चांई, तियर, खुलवट, सुरिहया, गोढी, वनपर व केवट) व नोनिया जाति को इनके आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षणिक व रोजगर में पिछड़ेपन को देखते हुए बिहार की अनुसूचित जन जाति की सूची में शामिल करने की अनुशंसा केंद्र सरकार को भेजने का निर्णय लिया गया.

एक दिन पहले राजधानी में निषाद जाति को अनुसूचित जन जाति में शामिल किये जाने की मांग को लेकर कर रहे प्रदर्शन पर पुलिस ने लाठियां चटकायी थीं. सरकार के इस फैसले से तकरीबन एक करोड़ से अधिक की आबादी को अनुसूचित जन जाति को मिलने वाली सुविधाओं का लाभ मिलेगा. अरसे से निषाद , मल्लाह और नोनिया जाति को अनुसूचित जाति में शामिल किये जाने की मांग उठ रही थी. इसके पहले सरकार ने लोहार जाति को अनुसूचित जाति में और तेली, तमोली और चौरसिया जाति को अति पिछड़ी जाति में शामिल करने की मंजूरी दी .
राज्य कैबिनेट की बैठक में प्रदेश के सभी मंदिरों की बाउंड्री कराये जाने का फैसला लिया गया. मंदिरों की सुरक्षा के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है. बहुमूल्य धातू या मूर्ति की सुरक्षा के लिए डीएम को ऐसे मंदिरों को चिन्हित करने का अधिकार दिया गया है. डीएम की रिपोर्ट पर भवन निर्माण विभाग चारदीवारी करायेगा.
कैबिनेट ने बिहार पंचायत प्रारंभिक शिक्षक नियोजन एवं सेवा शर्त नियमावली 2015 और बिहार नगर प्रारंभिक शिक्षक 2015 नियोजन एवं सेवा शर्त नियामवली में संशोधन कर दक्षता परीक्षा में फेल शिक्षकों को एक और मौका देने का निर्णय लिया गया. इसके नियोजन प्रक्रिया आसान की गयी है. अब सीधे आवेदन लेने के बाद कैंप से ही नियुक्ति पत्र बाटा जा सकेगा. कैबिनेट ने अप्रशिक्षित नियोजित शिक्षकों को सवैतनिक प्रशिक्षण दिया जायेगा.
कैबिनेट ने जेल मैनुअल को बदलाव किया है. खाने में महीने के दो-दो दिन रात्रि में चिकेन और मछली दिये जायेंगे. इसके साथ ही प्रतिदिन शाम में एक कप चाय कैदियों को दी जायेगी. 1983 के बाद जेल कैदियों का भाजन चार्ट में पहली बार बदलाव किया गया है. अब तक प्रति बंदी पचास रुपये भोजन पर खर्च किये जाते थे. अब बेहतर भोजन के लिए 88 रुपये 38 पैसे प्रति बंदी प्रति दिन खर्च होगा. सुबह में नाश्ते में अलग अलग दिन अलग -अलग व्यंजन दिये जायेंगे. पहले इस पर सालाना 44 करोड़ खर्च होता था. नये प्रावधान के मुताबिक प्रति वर्ष 74 करोड़ खर्च हाेगा.
लाठी भूल कर नीतीश को बधाई : मुकेश
पटना. निषाद विकास संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी ने निषाद, मल्लाह और उनकी उप जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल किये जाने के कैबिनेट के फैसले पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बधाई दी है. प्रभात खबर से बातचीत में मुकेश साहनी ने कहा कि यह हमारे आंदोलन का नतीजा है कि सरकार को झुकना पड़ा. उन्होंने कहा कि हमने इसके लिए लाठी खाये, लेकिन सरकार के इस फैसले से लाठी से पिटाई का दर्द हम भूल कर सीएम को बधाई देते हैं.
उन्होंने कहा कि हम अपने संगठन की ओर से भी सीएम को धन्यवाद देते हैं. सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. यह पूछे जाने पर कि आपकी मांगें पूरी हो गयी हैं, अब विधानसभा चुनाव में आप जदयू गंठबंधन को सपोर्ट करेंगे, मुकेश ने कहा, हम लोग चुनाव में अब सोच समझ कर निर्णय लेंगे. अभी सिर्फ प्रस्ताव ही पास किया गया है. जमीन पर निर्णय को उतरने में देर होगी.
लेकिन, सरकार ने पहला कदम उठाया है. शुक्रवार को लाठियों से पीटे जाने के बाद आंख मूंद कर हम एक पक्षीय निर्णय लेने वाले थे. अब जो भी निर्णय लेंगे आंख खोल कर लेंगे.
भाजपा के प्रति साफ्ट कार्नर पर मुकेश सहनी ने कहा शुक्रवार को सरकार ने पीटा और भाजपा व एनडीए ने मरहम लगाया. सुशील मोदी थाने पर आकर मिले. अब नीतीश ने मार का मुआवजा दे दिया है. इसलिए हम अभी कोई राजनीतिक निर्णय नहीं लेंगे, आने वाले दिनों में सोच समझ कर फैसला करेंगे.
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