तेली परंपरागत रूप से भारत, पाकिस्तान और नेपाल में तेल पेरने और बेचने वाली जाति है। सदस्य या तो हिंदू या मुस्लिम हो सकते हैं; मुस्लिम तेली को रोशंदर या तेली मलिक कहते हैं। तेलिया को हिंदू धर्म में वैश्य (वरदान) से संबंधित माना जाता है।कुछ विशेष स्थानों के लोग अपने को क्षत्रियो से सम्बंधित करते हैं, जबकि पुराणों में इन्हें वैश्य वर्ग में ही वर्णित किया है। तेली जाति का उल्लेख प्राचीन ग्रंथो और प्रचलित कहानियो में भी मिलता है जिससे पता चलता है की ये वैश्यों की अति पुरानी जाती है। इस जाती के लोग काफी सभ्रांत और शिक्षित होते थे। इनका समाज में काफी सम्मानित स्थान होता था। बंगाल में, तेली को वैश्य के रूप में माना जाता है, साथ ही अन्य व्यापारी और बैंकरों जैसे सुवर्णमानिक, गांधीवादी, साहा, वैश्य वर्ण आदि नामो से जाना जाता इनका मुख्य व्यवसाय खाद्य तेल गुड़ और कृषि कार्य आदि था। राजस्थान में, तेली का क्षत्रिय (योद्धा) का दर्जा है |मोदी को तेली समाज के गर्व के रूप में पेश किया जाना चाहिए|मोदी घांची समुदाय से आते हैं जिसकी पहचान गुजरात में तेली जाति की है।हालांकि हमलोग के यहां अतीत में कई महापुरुष हुए लेकिन वर्तमान समय में मोदीजी सबसे बड़े लीडर हैं।' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के छोटे भाई प्रहलाद मोदी ने देश के तेली समुदाय के लोगों से अनुरोध किया है कि वो अपने नाम के आगे ‘मोदी’ लिखें। तैलिक साहू समाज की अखिल भारतीय युवक-युवती परिचय सम्मेलन को रविवार को संबोधित करते हुए प्रहलाद ने कहा कि मैं जब से यहां आया हूं तब से एक ही बात सुन रहा हूं कि देश का गौरव, समाज का गौरव नरेंद्र मोदी हैं। लेकिन हम सब तेली समाज के सदस्य अपने नाम के आगे ‘मोदी’ लिखने के लिए तैयार क्यों नहीं होते। उन्होंने कहा कि हमारे तेली समाज के नेताओं ने अपनी-अपनी रोटियां सेंकने के लिए हमारी पहचान साहू, चौहान, परमार, राठौड़ और जैसवाल जैसी विभिन्न जातियों के रूप में कर रखी है।
प्रहलाद ने कहा कि कर्मादेवी तेली थीं, कर्मादेवी के हम बच्चे हैं और हम तेली है, हम मोदी हैं। आज से ही तय करें कि हम हमारे नाम की शुरुआत मोदी से करें। उन्होंने बताया कि अगर हम मोदी के नाम से अपना परिचय शुरू करें तो मैं मानता हूं कि हिन्दुस्तान में हमारे तेली समाज की आबादी 14 करोड़ हो जाएगी। फिर भी हम बंटे हुए हैं, गुटबाजी में हैं और ये राजनीतिक पार्टियां हमें बेवकूफ बनाती हैं। इसीलिए हमें एक होना है। प्रहलाद ने कहा कि जब तक हम लोग हमारा परिचय एक नहीं करेंगे, तब तक राजनीतिक पार्टियां हमारा दुरुपयोग करती रहेंगी। अगर हमें इस दुरुपयोग से बचना है, हमें अपने समाज को राष्ट्रीय अखाड़ा नहीं बनाना है, तो हमें अपनी पहचान एक करनी होगी। उन्होंने कहा कि पाटीदार और राजपूतों में भी तेली समाज की तरह विभिन्न उप जातियां हैं, लेकिन उनके परिचय की राष्ट्रीय पहचान क्रमश: पाटीदार और राजपूत हैं। कई वर्ष पहले शायद स्व. दिनबंधु साहू जी के समय या अखिल भारतीय साहू वैश्य महासभा ने एक निर्णय लिया था। तेली जाति कि जितनी भी उप-जातियाँ ( शाखायेँ ) देश मे हैँ वे सब लोग साहू शब्द का उपयोग करेँ । जिससे देश मे सब कि एक पहचान बनेगी । केसरिया झण्डे पर उडते हुए गरुड जी का चित्र रहेगा .
साहू समाज के झंडे पर पक्षीराज गरुड जी का चित्र होने कि अवधारणा ये है कि , जगत के पालन करता भगवन विष्णू भगवन जी को माना जाता है और हम लोग वैश्य होने के कारण लक्ष्मी जी के उपासक हैं , इसलिए गरुड़ जी का चित्र झंडे पर लगाते हैं l तेली जाति के देव न्याय के देवता शनि देव हैँ और उनका वाहन गीध है l कई लोँगोँ कि शंका थी गरुड जी ही क्योँ का समाधान हो गया होगा । " कई वर्ष पहले शायद स्व. दिनबंधु साहू जी के समय या अखिल भारतीय साहू वैश्य महासभा ने एक निर्णय लिया था। तेली जाति कि जितनी भी उप-जातियाँ (शाखायेँ) देश मे हैँ वे सब लोग साहू शब्द का उपयोग करेँ । जिससे देश मे सब कि एक पहचान बनेगी । केसरिया झण्डे पर उडते हुए गरुड जी का चित्र रहेगा "। देश की आजादी में तेली (साहू) समाज को अहम योगदान रहा है। देश को जब-जब जरूरत पड़ी तेली समाज में जनमें महापुरुषाें ने अपनी कुर्बानी दी है। यह बात रविवार को नगर के तुवन ग्राउंड पर मां रूपाबाई साहू धर्मशाला ट्रस्ट और साहू समाज की ओर से आयोजित समाज के नवनिर्वाचित सभासदों के सम्मान-समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाई प्रहलाद दामोदर दास मोदी ने कही। इस दौरान उन्होंने महात्मा गांधी को भी तेली समाज का बताया। समारोह में प्रहलाद ने किसी का नाम लिए बगैर ही विपक्षी दलों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि जब देश भ्रष्टाचार एवं परिवारवाद की खाई में डूब रहा था तब तेली समाज ने देश को बचाने का काम किया। उन्होंने कहा कि देश की आजादी में तेली समाज की बड़ी भूमिका रही है। प्रहलाद मोदी ने कहा कि जब-जब देश को जरूरत पड़ी तब-तब तेली समाज में जनमें महापुरषाें ने अपनी कुर्बानी दी है। कार्यक्रम में उन्होंने तेली समाज के इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि जब महाराणा प्रताप सिंह हताश हो गए थे तब देश भक्ति की भावना से प्रेरित तेली समाज के भामाशाह ने हिंदुओं को बचाने का काम किया था। मगध नरेश का अभिमान (घमंड) भी चंद्रगुप्त मौर्य ने तोड़ा था। देश में आजादी की मुहिम जगाने वाले मोहनदास कमरचंद गांधी जी को भी तेली समाज से वास्ता रखने वाला बताया। उन्होंने कार्यक्रम में साहू समाज के नवनिर्वाचित सभासदों को शील्ड व श्रीफल देकर सम्मान भी किया। इससे पहले गायिका ऋचा पुरोहित ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर सदर विधायक रामरतन कुशवाहा, पालिकाध्यक्ष रजनी साहू, भाजपा जिलाध्यक्ष रमेश सिंह लोधी व सांसद प्रतिनिधि प्रदीप चौबे, भावना सुरेश साहू मौजूद रहे। इस मौके पर घनश्याम साहू, बाबा कांशीराम साहू, नारायण दास साहू, पर्वतलाल साहू, छक्कीलाल साहू, आशाराम साहू, रामसेवक साहू, डा. श्रीराम साहू, डा. दीपक चौबे, भगवतदयाल सिंधी, बब्बूराजा बुंदेला, प्रभात दीक्षित उपस्थित रहे। अध्यक्षता रामगोपाल साहू व संचालन सत्यनारायण साहू व रामस्वरूप साहू ने संयुक्त रूप से किया।
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